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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Feb, 2024
  • 6 min read
रैपिड फायर

असम में भैंसों एवं बुलबुल की पारंपरिक लड़ाइयाँ

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

माघ बिहू त्योहार के दौरान पारंपरिक भैंसा और बुलबुल की लड़ाई को पुनर्जीवित करने के कारण असम सरकार के प्रयासों को पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) से कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने इन दोनों प्रथाओं पर रोक लगाने के लिये गोहाटी उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

  • असमिया शीतकालीन फसल त्योहार, माघ बिहू से जुड़ी लोक संस्कृति का भाग के रूप में ये लड़ाइयाँ पशु क्रूरता पर वर्ष 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद बंद कर दिये गए थे।
  • हालाँकि वर्ष 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में संशोधन की अनुमति दी, जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति हुई।
    • निर्दिष्ट अवधि के बाद निर्धारित भैंसों की लड़ाई पर हाल ही में हुए विवाद ने कानूनी हस्तक्षेप को प्रेरित किया है।
  • यह मुद्दा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और आधुनिक समाज में नैतिक चिंताओं को संबोधित करने के मध्य तनाव पर प्रकाश डालता है।

और पढ़ें… फसल त्यौहार, जल्लीकट्टू, कंबाला


रैपिड फायर

डॉ. ज़ाकिर हुसैन की जयंती

स्रोत: पी. आई. बी.

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की।

  • डॉ. ज़ाकिर हुसैन (08 फरवरी 1897 - 03 मई 1969) एक भारतीय राजनेता थे और वर्ष 1967 में भारत के राष्ट्रपति का पद संभालने वाले पहले मुस्लिम थे।
    • उन्हें वर्ष 1957 में बिहार राज्य का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया और वर्ष 1962 में भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए।
  • उन्होंने अलीगढ़ में मुस्लिम नेशनल यूनिवर्सिटी (बाद में नई दिल्ली चले गए) की स्थापना में मदद की और वर्ष 1926 से 1948 तक इसके कुलपति के रूप में कार्य किया।
    • महात्मा गांधी के निमंत्रण पर वह बुनियादी शिक्षा पर राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष भी बने, जिसकी स्थापना वर्ष 1937 में स्कूलों हेतु गांधीवादी पाठ्यक्रम तैयार करने के लिये की गई थी।
  • वर्ष 1956-58 के दौरान, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के कार्यकारी बोर्ड में कार्य किया।

और पढ़ें: संसद, संयुक्त राष्ट्र


रैपिड फायर

शून्यकाल

स्रोत: द हिंदू 

बजट सत्र के दौरान लोकसभा के सदस्यों ने शून्यकाल (Zero Hour) के दौरान मणिपुर जातीय हिंसा, हेट स्पीच के संबंध में सख्त कानूनों और आवारा कुत्तों के संबंध में एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित करने सहित कई प्रमुख मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया।

  • शून्यकाल, प्रश्नकाल और दिन के कार्यक्रम की शुरुआत के बीच के अंतराल को दर्शाता है। यह प्रश्नकाल के ठीक बाद शुरू होता है।
    • इसके अंतर्गत संसद सदस्य (सांसद) बिना किसी पूर्व सूचना की आवश्यकता के संबंधित मामले प्रस्तुत कर सकते हैं।
    • शून्यकाल एक भारतीय संसदीय नवाचार है। संसद की प्रक्रिया के नियमों में इस वाक्यांश का उल्लेख नहीं है.
  • शून्यकाल की शुरुआत प्रारंभिक भारतीय संसद में हुई जब सांसदों द्वारा दोपहर के भोजन के अवकाश से पहले अनौपचारिक रूप से निर्वाचन क्षेत्र और राष्ट्रीय चिंताओं पर चर्चा की जाती है जो दोपहर 12 बजे के आसपास शुरू होता था और स्थगन तक जारी रहता था।
    • इसके परिणामस्वरूप उस अवधि को लोकप्रिय रूप से शून्यकाल के रूप में जाना जाने लगा और इस दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों को शून्यकाल के प्रस्तुतीकरण के रूप में जाना जाने लगा।

और पढ़ें…प्रश्नकाल और शून्यकाल, संसद में प्रश्न पूछना


रैपिड फायर

मंगलुरु के समुद्र तटों पर ऑलिव रिडले कछुए

स्रोत: डाउन टू अर्थ

बढ़ी हुई लवणता और प्रदूषण जैसी पर्यावरणीय चुनौतियों पर नियंत्रण के परिणामस्वरूप लगभग 40 वर्षों के बाद फरवरी 2024 में कर्नाटक के मंगलुरु मंडल के समुद्र तटों पर ऑलिव रिडले कछुए (लेपिडोचिल्स ओलिवेसिया) अपने आवास स्थलों में लौट आए हैं।

  • आमतौर पर प्रति साइट लगभग 150 अंडे देने वाले ओलिव रिडले कछुए ससिहिथलू और तन्नेरबावी समुद्र तटों पर घोसले स्वरुप अपने आवास स्थलों में आवासित है।
  • जैतून रंग के बाह्य आवरण के कारण इन्हें ऑलिव रिडले कछुआ कहा जाता है, ये विश्व के सबसे छोटे और सबसे अधिक आबादी वाले समुद्री कछुए हैं।
    • इन्हें 'अरिबाडा' नामक सामूहिक घोंसले बनाने की प्रथा के लिये जाना जाता है।
    • संरक्षण स्थिति:
  • ये जेलीफिश का भक्षण कर जेलीफिश की आबादी को नियंत्रित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

और पढ़ें… ओलिव रिडले कछुआ


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