शासन व्यवस्था
मवेशियों का विशृंगीकरण एवं बंध्याकरण
- 29 Mar 2023
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:मवेशियों का विशृंगीकरण एवं बंध्याकरण, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, पशुपालन, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड। मेन्स के लिये:मवेशियों का विशृंगीकरण एवं बंध्याकरण। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने मवेशियों के विशृंगीकरण (सींग निकालने) एवं उनके बंध्याकरण के साथ ही किसी भी जानवर की ब्रांडिंग या नाक में रस्सी बाँधने की प्रक्रिया निर्धारित की है।
मवेशियों का विशृंगीकरण एवं बंध्याकरण:
- विशृंगीकरण मवेशियों के सींगों को हटाने या छोटा करने की प्रक्रिया है, जबकि बंध्याकरण नर मवेशियों के अंडकोष को हटाने की प्रक्रिया से संबंधित है। दोनों प्रथाओं का उपयोग आमतौर पर विभिन्न कारणों से किया जाता है, जैसे कि हैंडलर्स एवं अन्य जानवरों के लिये सुरक्षा में सुधार करने, जख्म को रोकने, आक्रामकता को कम करने एवं मांस की गुणवत्ता में सुधार करने हेतु।
- विशृंगीकरण हेतु कई माध्यमों का प्रयोग किया जा सकता है, जिनमें रासायनिक या विद्युत विधियाँ, आरी और विशृंगीकरण आयरन शामिल हैं। कई मामलों में पशुओं के युवा होने पर दर्द एवं असुविधा को कम करने के लिये विशृंगीकरण किया जाता है।
- मौजूदा तरीकों में बैल को ज़मीन पर धकेल कर कैस्ट्रेटर सैन पेनकिलर (Castrator San Painkiller) का उपयोग किया जाना शामिल है।
- बंध्याकरण आमतौर पर नर मवेशियों का किया जाता है जिसका उद्देश्य प्रजनन हेतु नहीं किया जाता अपितु यह आक्रामकता को कम करने एवं मांस की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है।
- बंध्याकरण विधि में रक्त वाहिकाओं, तंत्रिकाओं और वास डेफेरेंस (एक कुंडलित ट्यूब जो वृषण से शुक्राणु को बाहर ले जाती है) को दबा देने से अंडकोष निष्क्रिय हो जाता है।
नए नियम:
- सभी प्रक्रियाओं को लाइसेंस प्राप्त चिकित्सा पेशेवर की सहायता से किया जाना चाहिये और सामान्य एवं स्थानीय एनेस्थेटिक दोनों का उपयोग किया जाना चाहिये।
- नियम स्वाभाविक रूप से बिना सींग वाले मवेशियों के प्रजनन की मांग करते हैं और नाक की रस्सियों की बजाय फेस हॉल्टर एवं अन्य मानवीय प्रक्रियाओं का उपयोग पर ज़ोर देते हैं, साथ ही जीवित ऊतकों पर ठंडे और गर्म दाहांकन/ब्रांडिंग को प्रतिबंधित करते हैं।
- दर्दनाक मौत को रोकने हेतु नियम बीमार जानवरों के लिये इच्छामृत्यु की पद्धति निर्धारित करते हैं।
- यह समस्या चिंताजनक है क्योंकि अधिकांश डेयरी मालिक और किसान अतिरिक्त खर्च या उन्हें बनाए रखने हेतु आवश्यक प्रयास के कारण अपने बैलों को सड़कों पर छोड़ देते हैं।
संबंधित मौजूदा प्रावधान:
- जानवरों के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 और उप-धारा 3 के तहत सींग निकालने एवं बधिया करने की प्रक्रिया पहले अपरिभाषित थी, जिससे जानवरों के खिलाफ क्रूरता को रोकना मुश्किल हो गया था।
- धारा 11 में उन कृत्यों को परिभाषित किया गया है जो जानवरों के साथ क्रूरता का व्यवहार करते हैं।
- लेकिन उपधारा 3 में पशुपालन प्रक्रियाओं हेतु अपवादों का प्रावधान है, जिसमें एक निर्धारित तरीके से मवेशियों का सींग निकालना और बंध्याकरण, ब्रांडिंग एवं जानवरों की नाक में रस्सी बाँधना शामिल है।
- कानून की धारा 3(c) में "उस समय लागू किसी भी कानून के अधिकार के तहत किसी भी जानवर को भगाने या मारने" हेतु अपवाद का प्रावधान शामिल है।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960
- इस अधिनियम का उद्देश्य ‘पशुओं को अनावश्यक दर्द पहुँचाने या पीड़ा देने से रोकना’ है, जिसके लिये अधिनियम में पशुओं के प्रति अनावश्यक क्रूरता और पीड़ा पहुँचाने के लिये दंड का प्रावधान किया गया है।
- वर्ष 1962 में इस अधिनियम की धारा 4 के तहत भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) की स्थापना की गई थी।
- यह अधिनियम पशुओं और पशुओं के विभिन्न रूपों को परिभाषित करने के साथ ही वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिये पशुओं पर प्रयोग (Experiment) से संबंधित दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- पहले अपराध के मामले में ज़ुर्माना जो दस रुपए से कम नहीं होगा लेकिन यह पचास रुपए तक हो सकता है।
- पिछले अपराध के तीन वर्ष के भीतर किये गए दूसरे या बाद के अपराध के मामले में ज़ुर्माना पच्चीस रुपए से कम नहीं होगा, लेकिन यह एक सौ रुपए तक हो सकता है या तीन महीने तक कारावास की सज़ा या दोनों हो सकती है।
- यह वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिये पशुओं पर प्रयोग से संबंधित दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- यह अधिनियम पशुओं की प्रदर्शनी और पशुओं का प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ अपराधों से संबंधित प्रावधान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
|