नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Jan, 2024
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

17 से अधिक उत्पादों के लिये जीआई टैग

स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस 

हाल ही में ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर के 17 से अधिक उत्पादों को भौगोलिक संकेत (Geographical Indication - GI) टैग मिला है।

 

ओडिशा से किन उत्पादों को GI टैग प्राप्त हुआ है?

  • कपडागंडा शॉल (Kapdaganda Shawl):
  • लांजिया सौरा पेंटिंग:
    • यह कला लांजिया सौरा समुदाय से संबंधित है, जो एक PVTG है जो मुख्य रूप से रायगड़ा ज़िले में रहता है। 
    • ये पेंटिंग्स घरों की मिट्टी की दीवारों पर चित्रित बाहरी भित्तिचित्रों के रूप में हैं। लाल-मैरून पृष्ठभूमि पर सफेद पेंटिंग दिखाई देती हैं।
  • कोरापुट काला जीरा चावल: 
    • काले रंग के चावल की किस्म, जिसे 'चावल का राजकुमार' भी कहा जाता है, अपनी सुगंध, स्वाद, बनावट और पोषण मूल्य के लिये प्रसिद्ध है।
    • कोरापुट क्षेत्र के आदिवासी किसानों ने लगभग 1,000 वर्षों से चावल की किस्म को संरक्षित रखा है।
  • सिमिलिपाल काई चटनी:
    • लाल चींटियों से बनी चटनी ओडिशा के मयूरभंज ज़िले के आदिवासियों का पारंपरिक व्यंजन है। ये चींटियाँ सिमिलिपाल जंगलों सहित मयूरभंज के जंगलों में पाई जाती हैं।
  • नयागढ़ कांटेईमुंडी बैंगन:
    • यह बैंगन तने और पूरे पौधे पर काँटेदार काँटों के लिये जाना जाता है। पौधे प्रमुख कीटों के प्रति प्रतिरोधी हैं और इन्हें न्यूनतम कीटनाशकों के साथ उगाया जा सकता है।
  • ओडिशा खजूरी गुड़:
    • ओडिशा का "खजुरी गुड़" खजूर के पेड़ों से निकाला गया एक प्राकृतिक स्वीटनर है और इसकी उत्पत्ति गजपति ज़िले में हुई है। 
  • ढेंकनाल माजी:
    • यह भैंस के दूध के पनीर से बनी एक प्रकार की मिठाई है, जो स्वादिष्ट और आकार की दृष्टि से विशिष्ट विशेषताओं से युक्त होती है।

अन्य कौन से उत्पाद हैं जिन्हें जीआई टैग प्राप्त हुआ?

राज्य

उत्पाद का नाम

संक्षिप्त विवरण

अरुणाचल प्रदेश

वांचो लकड़ी (Wancho Wooden) का शिल्प 

वांचो जनजातियों का अभिन्न जातीय लकड़ी शिल्प जिसका उपयोग सजावट एवं उपहार के रूप में किया जाता है और साथ ही ऐतिहासिक रूप से उनके सामुदायिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में उपयोग किया जाता है।

आदि केकिर

अरुणाचल प्रदेश के अदरक की किस्म।

पश्चिम बंगाल

तंगेल साड़ी

विशिष्ट बुनाई पैटर्न से युक्त बंगाल की साड़ी शैली।

गारद साड़ी

अपनी अनूठी बनावट तथा पैटर्न के लिये मशहूर यह साड़ी बंगाल का एक पारंपरिक परिधान है।

कोरियल साड़ी

बंगाली साड़ी की एक किस्म जो अपनी बुनाई शैली तथा पारंपरिक महत्त्व के लिये पहचानी जाती है।

कालो नुनिया चावल

पश्चिम बंगाल के चावल की किस्म।

सुंदरबन शहद

पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र से प्राप्त शहद।

गुजरात

कच्ची खारेक

खलल (अंकुरित अवस्था) में चुने गए खजूर के उत्पाद जो विशिष्ट रंग वाले, कुरकुरा तथा मीठे होते हैं।  

जम्मू-कश्मीर

रामबन अनारदाना

रामबन अनारदाना जिसे स्थानीय रूप से ध्रुणी कहा जाता है, जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों एवं वनों में उगने वाला एक महत्त्वपूर्ण फल का पेड़ है।

भौगोलिक संकेतक (GI) टैग क्या है?

  • परिचय:
    • भौगोलिक संकेत (GI) टैग, एक ऐसा नाम या चिह्न है जिसका उपयोग उन विशेष उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या मूल से संबंधित होते हैं।
    • GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है।
      • यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल या अनुकरण किये जाने से भी बचाता है।
    • एक पंजीकृत GI टैग 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
    • GI पंजीकरण की देखरेख वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के अधीन उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा की जाती है।
  • विधिक ढाँचा तथा दायित्व:
    • वस्तुओं का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण तथा बेहतर संरक्षण प्रदान करने का प्रयास करता है।
    • यह बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार-संबंधित पहलुओं (TRIPS) पर WTO समझौते द्वारा विनियमित एवं निर्देशित है।
      • इसके अतिरिक्त बौद्धिक संपदा के अभिन्न घटकों के रूप में औद्योगिक संपत्ति और भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा के महत्त्व को पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1(2) एवं 10 में स्वीकार किया गया, साथ ही इस पर अधिक बल दिया गया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. निम्नलिखित में से किसे 'भौगोलिक संकेतक' का दर्जा प्रदान किया गया है? (2015)

  1. बनारस के जरी वस्त्र एवं साड़ी
  2. राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा
  3. तिरुपति लड्डू

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: C


प्रश्न2. भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक(पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018)

(a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(c) व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
(d) विश्व व्यापार संगठन

उत्तर: (D)


प्रारंभिक परीक्षा

काउंटर-ड्रोन प्रौद्योगिकी और UAV विकास

स्रोत: द हिंदू 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने एक व्यापक काउंटर-ड्रोन प्रणाली विकसित करने में उपलब्धि हासिल की है और साथ ही हाई-इंड्यूरेंस  अनमैन्ड एरियल व्हीकल (Unmanned Aerial Vehicles- UAV) की उन्नति पर ध्यान केंद्रित किया है।

काउंटर-ड्रोन प्रौद्योगिकी और UAV से संबंधित हालिया विकास क्या हैं? 

  • काउंटर-ड्रोन प्रौद्योगिकी विकास:
    • DRDO ने ड्रोन का पता लगाने, पहचान करने तथा उसे निष्क्रिय करने के लिये एक व्यापक एंटी-ड्रोन प्रणाली विकसित की है।
      • यह तकनीक माइक्रो ड्रोन सहित सभी प्रकार के ड्रोनों के हमलों, सॉफ्ट किल तथा हार्ड किल का मुकाबला करने में सक्षम है।
    • बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिये उक्त प्रौद्योगिकी को BEL, L&T एवं Icom जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ साझा किया गया है।
  • UAV विकास:
    • तपस MALE UAV: आसूचना, निगरानी, लक्ष्य प्राप्ति तथा आवीक्षण (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition, and Reconnaissance- ISTAR) अनुप्रयोगों के लिये विकसित तपस मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (Medium Altitude Long Endurance- MALE) UAV विकासात्मक परीक्षणों के एक उन्नत चरण में है।
      • स्वदेशी बैटरी प्रबंधन प्रणाली के साथ लिथियम आयन-आधारित बैटरी को DRDO ने एक निजी विक्रेता के सहयोग से विकसित किया है तथा इसका उपयोग तपस UAV पर किया जा रहा है।
    • आर्चर UAV: आवीक्षण, निगरानी तथा कम चिंताजनक संघर्ष वाली स्थिति के लिये शॉर्ट रेंज आर्म्ड UAV आर्चर का विकास किया जा रहा है जिसका उड़ान परीक्षण कार्य प्रगति में हैं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन क्या है? 

  • परिचय: DRDO, भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की R&D विंग है, जिसका लक्ष्य अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ भारत को सशक्त बनाना और महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
    • मूल सिद्धांत: "बलस्य मूलं विज्ञानं" (विज्ञान शक्ति का स्रोत है।)
  • स्थापना: भारतीय सेना और तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय के मौजूदा प्रतिष्ठानों को सम्मिलित कर वर्ष 1958 में स्थापित किया गया।
  • महत्त्वपूर्ण योगदान: अग्नि और पृथ्वी शृंखला की मिसाइलें, तेजस (हल्के लड़ाकू विमान), पिनाक (मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर), आकाश (वायु रक्षा प्रणाली), रडार तथा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली जैसे रणनीतिक सिस्टम एवं प्लेटफॉर्म विकसित किये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

Q1. कभी-कभी समाचार में उल्लिखित "टर्मिनल हाई ऑल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD)" क्या है? (2018)

(a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली
(b) भारत का घरेलू मिसाइल-प्रतिरोधी कार्यक्रम
(c) अमेरिकी मिसाइल-प्रतिरोधी प्रणाली
(d) जापान और दक्षिण कोरिया के बीच एक रक्षा सहयोग

उत्तर: c


Q2. अग्नि-IV प्रक्षेपास्त्र के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2014)

  1. यह धरातल-से धरातल तक मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।
  2. इसे केवल द्रव नोदक ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है।
  3. यह एक-टन नाभिकीय वारहेड को 7,500 किमी. दूरी तक फेंक सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10जनवरी, 2024

लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये पुरस्कार, 2023 

लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार, 2023 के लिये योजना तथा वेब-पोर्टल हाल ही में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms & Public Grievances) द्वारा लॉन्च किया गया था।

  • व्यक्तिगत लाभार्थियों को लक्षित करके तथा कार्यान्वयन में परिपूर्ण दृष्टिकोण को नियोजित करके ज़िला कलेक्टर के प्रदर्शन को उजागर करने के लिये पुरस्कार योजना को पुनर्गठित किया गया है।
  • इसका उद्देश्य दो श्रेणियों के तहत सिविल सेवकों के योगदान को मान्यता देना है जिनमें 12 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ज़िलों के समग्र विकास के लिये 10 पुरस्कार तथा केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों तथा विभिन्न राज्यों एवं ज़िलों में नवाचारों के लिये 6 पुरस्कार शामिल हैं।
  • इस योजना का लक्ष्य रचनात्मक प्रतिस्पर्द्धा, नवाचार, प्रतिकृति तथा सर्वोत्तम प्रथाओं की स्थापना को बढ़ावा देना है।
  • यह केवल मात्रात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के बजाय सुशासन, गुणात्मक उपलब्धियों और अंतिम मील कनेक्टिविटी को बढ़ाने को के लिये प्राथमिकता देता है।

और पढ़ें…ज़िला कलेक्टर की भूमिका के पुनर्निर्धारण की आवश्यकता

भारत-म्याँमार मुक्त संचरण व्यवस्था समाप्त होने की संभावना

भारत सरकार म्याँमार के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर मुक्त संचरण व्यवस्था (Free Movement Regime) को समाप्त करने और संपूर्ण क्षेत्र में एक व्यापक स्मार्ट बाड़ लगाने की व्यवस्था शुरू करने की योजना बना रही है।

  • 2018 में लागू की गई मुक्त संचरण व्यवस्था (Free Movement Regime- FMR), भारत-म्याँमार सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीज़ा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी. तक जाने की अनुमति देती है।
    • वे एक साल की वैधता वाला बॉर्डर पास दिखाकर सीमा पार कर सकते हैं और दो सप्ताह तक यहाँ रह सकते हैं।
  • भारत और म्याँमार के बीच 1,643 किलोमीटर (मिज़ोरम 510 किलोमीटर, मणिपुर 398 किलोमीटर, अरुणाचल प्रदेश 520 किलोमीटर व नगालैंड 215 किलोमीटर) की सीमा है तथा दोनों तरफ के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंध है।

और पढ़ें: भारत-म्याँमार संबंध

तेलंगाना में बाढ़ से पुरापाषाणकालीन औजारों का पता चला

तेलंगाना के मुलुगु ज़िले में हाल ही में आई बाढ़ से पुरापाषाणकालीन क्वार्टज़ाइट औजारों की एक नई खोज हुई है। औजार एवं कुल्हाड़ियाँ जलधारा के रेतीले तल में पाई गईं जो बाढ़ के बाद सूख गया था।

  • ये कुल्हाड़ियाँ मुलुगु ज़िले के गुर्रेवुला और भूपतिपुरम गाँवों के बीच की धारा में पाई गईं।
    • जीवाश्म विज्ञानियों के अनुसार, पत्थर की कुल्हाड़ी प्रारंभिक या निम्न पुरापाषाण काल की है और लगभग 30 लाख वर्ष पुरानी है।
  • पुरापाषाण युग लगभग 33 लाख वर्ष ईसा पूर्व का है, जिसकी अवधि 10,000 वर्ष है। पुरापाषाण काल के शिकारी संग्रहकर्त्ता लकड़ी काटने तथा जीविका के लिये जानवरों का शिकार करने हेतु भारी क्वार्टज़ाइट और बड़े औजारों का उपयोग करते थे।
  • इसके अलावा, वर्ष 1863 में ईस्ट इंडिया कंपनी की भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण टीम ने मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के निकट अत्तिरमपक्कम में एक पुरापाषाण स्थल की खोज की।
    • तब से पुरापाषाण संस्कृति को मद्रास हस्त-कुल्हाड़ी उद्योग या मद्रासियन संस्कृति का नाम दिया गया है।

2023 रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म वर्ष

2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष माना गया है, जो वैश्विक जलवायु प्रतिरूप और अत्यधिक मौसम की घटनाओं के लिये महत्त्वपूर्ण निहितार्थ के साथ 2016 के रिकॉर्ड को पार कर गया है।

  • 2023, 1850-1900 पूर्व-औद्योगिक स्तर के औसत से लगभग 1.48°C अधिक गर्म था।
    • लगभग 50% दिन समान आधार रेखा से 1.5°C से अधिक गर्म थे।
  • 2023 में रिकॉर्ड तापमान के कारण बड़े पैमाने पर गर्मी, बाढ़, सूखा और जंगल की आग लगी
  • 2023 में अल-नीनो की शुरुआत ने तापमान को बढ़ाने में भूमिका निभाई।
    • अल-नीनो एक प्राकृतिक मौसमी घटना है जो पूर्वी प्रशांत महासागर में सतह के जल को गर्म करती है, जो उच्च वैश्विक तापमान बढ़ाने में योगदान देती है। 

और पढ़ें: 1.5 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग लक्ष्य और जलवायु अनुमान


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow