अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-कतर GI उत्पाद बैठक
- 13 Sep 2022
- 14 min read
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने भारतीय दूतावास, दोहा और भारतीय व्यापार एवं पेशेवर परिषद (Indian Business and Professionals Council-IBPC) कतर के सहयोग से कृषि तथा खाद्य भौगोलिक संकेतक (GI) उत्पादों के लिये वर्चुअल नेटवर्किंग मीट का आयोजन किया।
- इस बैठक ने भारतीय मूल के कृषि और खाद्य उत्पादों एवं विशिष्ट विशेषताओं वाले उत्पादों के निर्यात में भारत की क्षमता को लेकर कतर और भारत के निर्यातकों तथा आयातकों के बीच बातचीत हेतु मंच प्रदान किया।
भौगोलिक संकेतक (GI) टैग:
- परिचय:
- GI एक संकेतक है, जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली विशेष विशेषताओं वाले सामानों को पहचान प्रदान करने के लिये किया जाता है।
- ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण एवं उन्हें बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी हिस्सा है।
- पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1 (2) और 10 के तहत यह निर्णय लिया गया तथा यह भी कहा गया कि औद्योगिक संपत्ति एवं भौगोलिक संकेतक का संरक्षण बौद्धिक संपदा के तत्त्व हैं।
- यह मुख्य रूप से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है।
- वैधता:
- भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
- भौगोलिक संकेतक का महत्त्व:
- एक बार भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्रदान कर दिये जाने के बाद कोई अन्य निर्माता समान उत्पादों के विपणन के लिये इसके नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी जानकारी की सुविधा प्रदान करता है।
- किसी उत्पाद का भौगोलिक संकेतक अन्य पंजीकृत भौगोलिक संकेतक के अनधिकृत उपयोग को रोकता है।
- यह कानूनी सुरक्षा प्रदान करके भारतीय भौगोलिक संकेतकोंं के निर्यात को बढ़ावा देता है और विश्व व्यापार संगठन के अन्य सदस्य देशों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने में भी सक्षम बनाता है।
- GI टैग उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- GI रजिस्ट्रेशन:
- GI उत्पादों के पंजीकरण की उचित प्रक्रिया है जिसमें आवेदन दाखिल करना, प्रारंभिक जाँच और परीक्षा, कारण बताओ नोटिस, भौगोलिक संकेतक पत्रिका में प्रकाशन, पंजीकरण का विरोध और पंजीकरण शामिल है।
- कानून द्वारा या उसके तहत स्थापित व्यक्तियों, उत्पादकों, संगठन या प्राधिकरण का कोई भी संघ आवेदन कर सकता है।
- आवेदक को उत्पादकों के हितों का प्रतिनिधित्व करना चाहिये।
- GI टैग उत्पाद:
- कुछ प्रसिद्ध वस्तुएँ जिनको यह टैग प्रदान किया गया है उनमें बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी फैब्रिक, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजावुर पेंटिंग, इलाहाबाद सुरखा, फर्रुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी, कश्मीर केसर और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।
- कृषि GI उत्पाद:
- वर्तमान में भारत में 400 से अधिक पंजीकृत भौगोलिक संकेतक हैं, जिनमें से लगभग 150 कृषि और खाद्य उत्पाद GI प्राप्त हैं।
- 100 से अधिक पंजीकृत GI उत्पाद कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (Agriculture and Processed Food Export Development Authority-APEDA) अनुसूचित उत्पादों (ताजे फल और सब्जियाँ, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, पशु उत्पाद और अनाज) की श्रेणी में आते हैं।
भारत-कतर संबंध:
- उपराष्ट्रपति की कतर यात्रा 2022 की मुख्य विशेषताएँ:
- भारत-कतर स्टार्टअप ब्रिज:
- उपराष्ट्रपति ने "भारत-कतर स्टार्टअप ब्रिज" का शुभारंभ किया जिसका उद्देश्य दोनों देशों के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ना है।
- 70,000 से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप के साथ भारत वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप के लिये तीसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है।
- भारत में 100 यूनिकॉर्न हैं, जिनका कुल मूल्यांकन 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- उपराष्ट्रपति ने "भारत-कतर स्टार्टअप ब्रिज" का शुभारंभ किया जिसका उद्देश्य दोनों देशों के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ना है।
- पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन:
- भारत पर्यावरण की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिये निरंतर प्रयास कर रहा है।
- उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की स्थापना और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने में भारत के नेतृत्त्वकर्त्ता की भूमिका का भी उल्लेख किया।
- उन्होंने कतर को अपनी ऊर्जा सुरक्षा में भारत के विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थिरता के लिये इस यात्रा में भागीदार बनने और ISA में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया।
- व्यापार मंडलों के बीच संयुक्त व्यापार परिषद:
- उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत और कतर के व्यापार मंडलों के बीच एक संयुक्त व्यापार परिषद की स्थापना की गई है जो निवेश पर एक संयुक्त कार्यबल के माध्यम से निवेश को बढ़ावा देगा।
- उन्होंने नए और उभरते अवसरों का दोहन करने के लिये दोनों पक्षों के व्यवसायों को मार्गदर्शन व सहायता हेतु साझेदारी करने के लिये इन्वेस्ट इंडिया एवं कतर इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी की भी सराहना की।
- बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग:
- उन्होंने अंतर-संसदीय संघ (IPU), एशियाई संसदीय सभा और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भारत एवं कतर के बीच अधिक सहयोग का आह्वान किया।
- व्यापार:
- कतर को भारत से निर्यात:
- वर्ष 2020 में भारत ने कतर को 1.34 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की वस्तुओं का निर्यात किया।
- भारत द्वारा कतर को निर्यात किये जाने वाले मुख्य उत्पाद चावल, आभूषण और सोना हैं।
- पिछले 25 वर्षों के दौरान कतर को किया गया भारत का निर्यात 16.5% की वार्षिक दर से बढ़ा है, जो 1995 के 29.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 में 1.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- वर्ष 2020 में भारत ने कतर को 1.34 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की वस्तुओं का निर्यात किया।
- कतर से भारत को आयात:
- वर्ष 2020 में कतर ने भारत को 7.25 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की वस्तुओं का निर्यात किया। कतर द्वारा भारत को निर्यात किये जाने वाले मुख्य उत्पाद पेट्रोलियम गैस, क्रूड पेट्रोलियम और हलोजनेटेड हाइड्रोकार्बन हैं।
- पिछले 25 वर्षों के दौरान भारत को कतर द्वारा किया गया निर्यात 19% की वार्षिक दर से बढ़ा है, जो वर्ष 1995 के 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 में 7.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- भारत के कुल प्राकृतिक गैस आयात में कतर की हिस्सेदारी 41% है।
- कतर को भारत से निर्यात:
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA):
- परिचय:
- APEDA की स्थापना भारत सरकार द्वारा दिसंबर 1985 में संसद द्वारा पारित कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम के तहत की गई थी।
- प्राधिकरण ने प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात संवर्धन परिषद (Processed Food Export Promotion Council-PFEPC) को प्रतिस्थापित किया।
- APEDA, जो वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है, ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान कुल कृषि निर्यात में लगभग 50% ( 24.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की हिस्सेदारी के साथ कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- कार्य:
- वित्तीय सहायता प्रदान करके निर्यात के लिये अनुसूचित उत्पादों से संबंधित उद्योगों का विकास।
- निर्धारित शुल्क के भुगतान पर अनुसूचित उत्पादों के निर्यातक के रूप में व्यक्तियों का पंजीकरण।
- निर्यात के प्रयोजन हेतु अनुसूचित उत्पादों के लिये मानकों और विशिष्टताओं का निर्धारण।
- अनुसूचित उत्पादों की पैकेजिंग में सुधार।
- भारत के बाहर अनुसूचित उत्पादों के विपणन में सुधार।
- निर्यातोन्मुख उत्पादन को बढ़ावा देना और अनुसूचित उत्पादों का विकास करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. निम्नलिखित में से किसे 'भौगोलिक संकेतक ' का दर्जा प्रदान किया गया है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: C व्याख्या:
प्रश्न. भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक क(पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018) (a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन उत्तर: (D) व्याख्या:
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