स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा GSAT-20 (GSAT-N2) लॉन्च
स्रोत: द हिंदू
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation - ISRO) की वाणिज्यिक शाखा, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Limited - NSIL) वर्ष 2024 में स्पेसएक्स के फाल्कन-9 द्वारा GSAT-20 (GSAT-N2) लॉन्च करने के लिये तैयार है।
- फाल्कन 9 दुनिया का पहला कक्षीय श्रेणी का पुन: प्रयोज्य, दो चरण वाला रॉकेट है जिसे पृथ्वी की कक्षा या उससे आगे मानव और पेलोड के सुरक्षित परिवहन के लिये स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा विकसित किया गया है।
जीसैट-20 क्या है?
- GSAT-20 एक उच्च थ्रूपुट Ka-बैंड उपग्रह (Ka-band satellite) है जो हाईस्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल वीडियो ट्रांसमिशन और ऑडियो ट्रांसमिशन प्रदान करता है।
- इसे भारत की बढ़ती ब्रॉडबैंड संचार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये लॉन्च किया जा रहा है। इसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह जैसे दूरदराज़ के क्षेत्रों सहित पूरे भारत में व्यापक कवरेज प्रदान करने के लिये निर्मित किया गया है।
- यह उपग्रह लगभग 48Gbps की प्रभावशाली हाई थ्रूपुट सैटेलाइट क्षमता (High Throughput Satellite -HTS) प्रदान करता है। उल्लेखनीय रूप से इसमें 32 बीम शामिल हैं जो विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों की मांग वाली सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये निर्मित किये गए हैं, जिसका उद्देश्य कनेक्टिविटी अंतर को कम करना है।
नोट: Ka-बैंड 27 से 40 गीगाहर्ट्ज तक की रेडियो फ्रीक्वेंसी को संदर्भित करता है। यह फोकस्ड स्पॉट बीम के माध्यम से व्यापक कवरेज के साथ उच्च गति उपग्रह डेटा स्थानांतरण की अनुमति देता है।
न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) क्या है?
- यह, 6 मार्च 2019 को कंपनी अधिनियम, 2013 (under the Companies Act, 2013) के तहत निगमित, अंतरिक्ष विभाग (Department of Space-DOS) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।
- इसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी भारतीय उद्योगों को उच्च प्रौद्योगिकी अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों को करने में सक्षम बनाना है और यह भारतीय अंतरिक्ष से संबंधित अनुसंधान कार्यक्रमों तथा सेवाओं के प्रचार एवं वाणिज्यिक दोहन के लिये भी ज़िम्मेदार है।
- NSIL के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में शामिल हैं:
- उद्योग के माध्यम से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle- PSLV) और लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle- SSLV) का उत्पादन
- अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं का उत्पादन और विपणन, जिसमें लॉन्च सेवाएँ तथा ट्रांसपोंडर लीजिंग, रिमोट सेंसिंग एवं मिशन समर्थन सेवाएँ, जैसे– अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोग शामिल हैं;
- उपग्रहों का निर्माण {उपयोगकर्त्ता की आवश्यकताओं के अनुसार संचार और पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation) दोनों}।
- ISRO केंद्रों/इकाइयों और अंतरिक्ष विभाग के घटक संस्थानों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण;
- ISRO की गतिविधियों से निकलने वाली प्रौद्योगिकियों और उत्पादों/सेवाओं का विपणन
- परामर्श सेवाएँ
- जून 2022 में, NSIL ने अपना पहला मांग-संचालित उपग्रह मिशन, GSAT-24 को सफलतापूर्वक पूरा किया, जो एक उपग्रह टेलीविज़न सेवा Tata Play द्वारा पूरी तरह से सुरक्षित था।
- वर्तमान में, NSIL कक्षा में 11 संचार उपग्रहों का प्रबंधन और संचालन करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q1. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
पेरेग्रीन मिशन- 1
स्रोत: द हिंदू
संयुक्त राज्य अमेरिका ने पेरेग्रीन मिशन वन (Peregrine Mission- 1) शुरू किया है, जो 50 से अधिक वर्षों में चंद्रमा पर उतरने का पहला प्रयास है। हालाँकि, लॉन्च के कुछ ही घंटों बाद अंतरिक्ष यान में "तकनीकी रूप से" ईंधन रिसाव होने के बाद लैंडिंग का प्रयास विफल हो गया।
- इस मिशन का नेतृत्व निजी अंतरिक्ष उद्यमों, एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी (Astrobotic Technology) और यूनाइटेड लॉन्च एलायंस (United Launch Alliance) द्वारा किया जा रहा है जो सहयोगी मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के लिये निजी क्षेत्र की क्षमताओं का लाभ उठाने की दिशा में बदलाव का संकेत है।
पेरेग्रीन मिशन- 1 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- Apollo कार्यक्रम के बाद पेरेग्रीन लैंडर चंद्रमा पर उतरने वाले पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यान में से एक होगा।
- पेरेग्रीन लूनर लैंडर, जिसे पेरेग्रीन मिशन- 1 के नाम से भी जाना जाता है, एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी द्वारा निर्मित एक चंद्र लैंडर है।
- यह नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के कॉमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज़ (CLPS) कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य व्यापक लूनर इकॉनमी को प्रोत्साहित करना है।
- NASA विज्ञान और प्रौद्योगिकी पेलोड को चंद्रमा की सतह तक पहुँचाने के लिये CLPS पहल के तहत विभिन्न अमेरिकी कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहा है।
- CLPS अनुबंध का उद्देश्य आगामी मानवयुक्त मिशनों की तैयारी में चंद्र अन्वेषण, प्रयोग तथा प्रौद्योगिकी प्रदर्शन की सुविधा प्रदान करना है।
- इसके चंद्रमा के मध्य अक्षांश क्षेत्र तक पहुँचने की उम्मीद है जिसे साइनस विस्कोसिटैटिस (Sinus Viscositatis) अथवा बे ऑफ स्टिकीनेस (Bay of Stickiness) कहा जाता है।
- यह मिशन मंगल ग्रह पर मिशन की तैयारी के लिये इस दशक के अंत में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को पुनः भेजने के लिये NASA के नेतृत्व वाले कार्यक्रम आर्टेमिस (Artemis) की तैयारी में भी मदद करेगा।
- आर्टेमिस NASA की महत्त्वाकांक्षी पहल है जिसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं में चंद्रमा देवी के नाम पर रखा गया है। वर्ष 2024 तक चंद्रमा पर मनुष्यों को पुनः भेजने के मिशन के साथ इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा पर पहली महिला तथा अश्वेत व्यक्ति को भेजना है।
- उक्त मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर एक आर्टेमिस बेस कैंप तथा चंद्रमा कक्षा में एक रणनीतिक गेटवे स्थापित करना है।
नोट:
- चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग अब तक केवल कुछ राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा ही पूरी की गई है जिसमें वर्ष 1966 में सबसे पहले सोवियत संघ था तथा उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका था जो अभी भी चंद्रमा पर लोगों को भेजने वाला एकमात्र देश है। चीन ने विगत एक दशक में तीन बार सफलतापूर्वक लैंडिंग की है जबकि भारत का चंद्रयान-3 मिशन वर्ष 2023 में अपने दूसरे प्रयास में सफल होने वाला सबसे हालिया मिशन था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न1. हाल ही में चर्चा में रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के थेमिस मिशन का क्या उद्देश्य है? (2008) (a) मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का अध्ययन करना Ans: (c) प्रश्न2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल उत्तर: (c) |
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 जनवरी, 2024
मंगल ग्रह की प्लाज़्मा तरंगें
भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान के वैज्ञानिकों ने नासा के MAVEN अंतरिक्ष यान के डेटा का उपयोग करके मंगल के ऊपरी वायुमंडल में उच्च आवृत्ति प्लाज़्मा तरंगों का अध्ययन किया।
- शोधकर्त्ताओं ने मंगल के चुंबकीय क्षेत्र (वातावरण) में दो प्रकार की तरंगों की खोज की, एक इलेक्ट्रॉन प्लाज़्मा आवृत्ति के नीचे और एक ऊपर। ये तरंगें महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि ये हमें यह समझाने में मदद करती हैं कि मंगल के आसपास इलेक्ट्रॉन कैसे व्यवहार करते हैं।
- नासा के मार्स एटमॉस्फियर एंड वोलेटाइल इवोल्यूशन (Mars Atmosphere and Volatile Evolution- MAVEN) को ग्रह की वायुमंडलीय स्थितियों की जानकारी हासिल करने के मिशन के साथ नवंबर 2013 में लॉन्च किया गया था।
- प्लाज़्मा तरंगें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों में दोलन या विचलन हैं जो प्लाज़्मा के माध्यम से फैलती हैं, जो पदार्थ की एक अवस्था है जो आयनों तथा इलेक्ट्रॉनों जैसे आवेशित कणों से बनी होती है।
- ये तरंगें विभिन्न प्लाज़्मा घटनाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो ऊर्जा हस्तांतरण, कण त्वरण और अंतरिक्ष में पाए जाने वाले प्लाज़्मा के भीतर आवेशित कणों के व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
और पढ़ें: नासा का MAVEN अंतरिक्ष यान
BIS: मानक निर्धारण के 77 वर्ष
हाल ही में भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन एक निकाय, भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) ने 6 जनवरी 2024 को अपना 77वाँ स्थापना दिवस मनाया।
- BIS भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है जिसे वस्तुओं के मानकीकरण, मुहरांकन तथा गुणवत्ता प्रमाणन की गतिविधियों के सुमेलित विकास के लिये BIS अधिनियम, 2016 के तहत स्थापित किया गया है। BIS का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- यह उत्पाद प्रमाणन (ISI मार्क), सोने तथा चाँदी के आभूषणों की हॉलमार्किंग, ECO मार्क योजना (पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की लेबलिंग के लिये) जैसी विभिन्न योजनाएँ संचालित करता है।
- BIS अधिनियम, 2016 अक्तूबर 2017 से क्रियान्वित किया गया। इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निन्मलिखित हैं:
- सरकार को मानक के अनुरूप प्रामाणित करने तथा क्रियान्वित करने के लिये BIS के अतिरिक्त किसी भी अभिकरण को अधिकृत करने में सक्षम बनाता है।
- यह अधिनियम उपभोक्ता संरक्षण उपाय प्रदान करता है जिनमें गैर-अनुरूप मानक चिह्नित उत्पादों को वापस लेना, उपभोक्ता को प्रतिपूर्ति देना और अधिक कठोर दंडात्मक प्रावधान शामिल हैं।
और पढ़ें…भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016
राष्ट्रीय पक्षी दिवस
राष्ट्रीय पक्षी दिवस, जो अमेरिकी मूल का है, पारिस्थितिकी तंत्र में पक्षियों के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष साल 5 जनवरी को मनाया जाता है।
- इस दिन का उद्देश्य निवास स्थान के विनाश, भोजन के विकल्पों में कमी और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित पक्षी प्रजातियों के संरक्षण के लिये जागरूकता बढ़ाना भी है।
- भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (Minister for Environment, Forest and Climate Change - MoEFCC) मंत्री ने देश में पक्षियों की आबादी को संरक्षित करने के लिये आर्द्रभूमि को बचाने का आह्वान किया।
- आर्द्रभूमियाँ भारत में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का निवास स्थल बन जाती हैं और स्थानीय पक्षी आबादी को पोषण उपलब्ध कराने के लिये महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखते हैं।
- राष्ट्रीय पक्षी दिवस अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी राष्ट्रीय पक्षी दिवस, विश्व प्रवासी राष्ट्रीय पक्षी दिवस (13 मई) और कई अन्य राष्ट्रीय पक्षी दिवस जैसे अवसरों से अलग है।
विश्व टाइपिंग दिवस
8 जनवरी को विश्व टाइपिंग दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि लोगों को लिखित संचार के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
- यह वर्ष 2011 में मलेशिया में शुरू हुआ। यह वर्ष 2011 मलेशियाई स्पीड टाइपिंग प्रतियोगिता की याद दिलाता है, जिसने सबसे तेज़ टाइपिस्ट और सबसे बड़ी भागीदारी के रिकॉर्ड तोड़ दिये।
- यह दिन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह टाइप करने और एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की क्षमता विकसित करने के लिये आयोजित किया जाता है।
प्रवासी भारतीय दिवस
प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) भारतीय प्रवासियों और देश के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान का सम्मान करने के लिये वर्ष 2003 से प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को मनाया जाता है।
- इस अवसर को मनाने के लिये 9 जनवरी का दिन इसलिये चुना गया क्योंकि वर्ष 1915 में इसी दिन महान प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे और भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था।
- वर्ष 2015 से प्रत्येक दो वर्ष में एक बार PBD मनाने और बीच की अवधि के दौरान थीम-आधारित PBD सम्मेलन आयोजित करने के लिये इसके प्रारूप को संशोधित किया गया था।
और पढ़ें: प्रवासी भारतीय दिवस