रिवर डॉल्फिन के लिये वैश्विक घोषणा
स्रोत: वर्ल्ड वाइड फंड
हाल ही में 11 एशियाई और दक्षिण अमेरिकी देशों ने विश्व की रिवर डॉल्फिन की छह जीवित प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिये बोगोटा, कोलंबिया में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- 1980 के दशक के बाद से रिवर डॉल्फिन की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से 73% की गिरावट आई है, यह ऐतिहासिक समझौता इस गंभीर स्थिति के खिलाफ लड़ाई में आशा की एक किरण का प्रदान करता है।
रिवर डॉल्फिन के लिये वैश्विक घोषणा:
- परिचय:
- रिवर डॉल्फिन के लिये वैश्विक घोषणा का उद्देश्य सभी रिवर डॉल्फिन प्रजातियों की गिरावट को रोकना और ठोस प्रयासों के माध्यम से सबसे कमज़ोर आबादी को मज़बूत करना है।
- यह घोषणा गिलनेट को खत्म करने, प्रदूषण को कम करने, अनुसंधान पहल का विस्तार करने और रिवर डॉल्फिन प्रजातियों की सुरक्षा हेतु संरक्षित क्षेत्र बनाने जैसे उपायों की रूपरेखा तैयार करने में सहायता करती है।
- इस घोषणा को अपनाने वाले देशों में शामिल हैं: बांग्लादेश, बोलीविया, ब्राज़ील, कंबोडिया, कोलंबिया, इक्वाडोर, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, पेरू और वेनेज़ुएला।
- इंडोनेशिया में क्षेत्रीय सरकार का एक प्रतिनिधि भी है जिसके पास महाकम नदी की ज़िम्मेदारी है।
- रिवर डॉल्फिन के लिये वैश्विक घोषणा का उद्देश्य सभी रिवर डॉल्फिन प्रजातियों की गिरावट को रोकना और ठोस प्रयासों के माध्यम से सबसे कमज़ोर आबादी को मज़बूत करना है।
- मूलभूत स्तंभ:
- रिवर डॉल्फिन के लिये वैश्विक घोषणा के आठ मूलभूत स्तंभों में संरक्षित क्षेत्रों का एक नेटवर्क स्थापित करना, नदी डॉल्फिन साइट प्रबंधन में सुधार, अनुसंधान और निगरानी प्रयासों का विस्तार, स्थानीय समुदायों एवं व्यक्तियों को शामिल करना, अस्थिर मत्स्यन प्रथाओं को खत्म करना, जल की गुणवत्ता व मात्रा में वृद्धि को बढ़ावा देना शामिल है। विश्व रिवर डॉल्फिन दिवस 24 अक्तूबर को डॉल्फिन के बारे में जागरूकता और संसाधन आवंटन एवं भागीदारी बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।
रिवर डॉल्फिन से जुड़े मुख्य तथ्य:
- परिचय:
- रिवर डॉल्फिन मीठे जल के केटासियन (Cetaceans) का एक समूह है जो एशिया और दक्षिण अमेरिका में विभिन्न नदी प्रणालियों में पाए जाते हैं।
- छह जीवित रिवर डॉल्फिन प्रजातियों में शामिल हैं: अमेज़न, गंगा, सिंधु, इरावदी, तुकुक्सी, और यांग्त्ज़ी फिनलेस पॉरपॉइज़।
- चीनी नदी डॉल्फिन को 2007 में 'संभवतः विलुप्त' माना गया था।
- IUCN की रेड लिस्ट के अनुसार, यांग्त्ज़ी फिनलेस पॉरपॉइज़ को गंभीर रूप से संकटग्रस्त जलीय जीव के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- अमेज़न, गंगा, सिंधु, इरावदी और तुकुक्सी को संकटग्रस्त जलीय जीवों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
नोट: यांग्त्ज़ी फिनलेस पॉरपॉइज़ विश्व की एकमात्र मीठे जल की पॉरपॉइज़ है, किंतु इसे 'रिवर डॉल्फिन्स ' नाम के तहत अन्य मीठे जल के केटासियन (Cetaceans) के अंतर्गत शामिल किया गया है।
- अमेज़न रिवर डॉल्फिन, जिसे पिंक रिवर डॉल्फिन अथवा बोटो के नाम से भी जाना जाता है, सबसे बड़ी रिवर डॉल्फिन है।
- रिवर डॉल्फिन्स द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ:
- रिवर डॉल्फिन्स को विभिन्न कारकों से खतरा है, जिनमें मत्स्यपालन की अस्थिर प्रथाएँ, जलविद्युत बाँध निर्माण, विभिन्न उद्योगों, कृषि और खनन से प्रदूषण, साथ ही निवास स्थान का ह्रास शामिल है।
- इसके अतिरिक्त अमेज़न की सूखाग्रस्त लेक टेफे में हाल ही में 150 से अधिक रिवर डॉल्फिन की दुखद मौत जलवायु परिवर्तन से इन जलीय जीवों के अस्तित्व पर बढ़ते खतरे को उजागर करती है।
- सफल संरक्षण प्रयास:
- उदाहरण के लिये संयुक्त संरक्षण कार्रवाई के परिणामस्वरूप पाकिस्तान में सिंधु नदी डॉल्फिन की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है।
- इसके अतिरिक्त सुरक्षात्मक उपायों के चलते यांग्त्ज़ी फिनलेस पॉरपॉइज़ की संख्या में 23% की वृद्धि दर्ज की गई।
- सिंधु और यांग्त्ज़ी जैसी सघन आबादी वाली नदी-घाटियों में संरक्षण प्रयासों को सफलता मिली है।
- इसके अलावा विश्व वन्यजीव कोष की इलेक्ट्रॉनिक पिंगर परियोजना के तहत इंडोनेशिया की महाकम नदी में 80 डॉल्फिन को गिल जाल से मुक्त कराया गया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है? (2015) (a) लवणीय जल का मगरमच्छ उत्तर: (c) |
CO2 को CO में परिवर्तित करने की नई तकनीक
स्रोत: पी.आई.बी
IIT बॉम्बे में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइज़ेशन (NCoE-CCU) द्वारा कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) को कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) में परिवर्तित करने के लिये एक नई तकनीक विकसित की जा रही है।
- यह प्रौद्योगिकी ऊर्जा-कुशल है तथा इसका उपयोग इस्पात क्षेत्र में किया जा सकता है। साथ ही यह वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।
CO2 से CO परिवर्तन तकनीक:
- कार्य करने की प्रक्रिया:
- CO2 को CO में परिवर्तित करने की नई तकनीक एक इलेक्ट्रोकैटलिटिक प्रक्रिया के माध्यम से संचालित होती है।
- पारंपरिक तरीकों के विपरीत, जिनमें उच्च तापमान (400-750 डिग्री सेल्सियस) और हाइड्रोजन की समतुल्य मात्रा की उपस्थिति की आवश्यकता होती है, यह प्रक्रिया जल की उपस्थिति में परिवेश के तापमान (25-40 डिग्री सेल्सियस) पर कार्य कर सकती है, जिससे उच्च तापमान स्थितियों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
- इस विद्युत अपघटन अभिक्रिया के लिये ऊर्जा सीधे नवीकरणीय ऊर्जा, जैसे सौर पैनलों या पवन चक्कियों से प्राप्त की जा सकती है, जिससे यह अत्यधिक ऊर्जा-कुशल प्रक्रिया और पर्यावरण के अनुकूल एवं संधारणीय हो जाती है।
- इस्पात उद्योग के लिये महत्त्व:
- इस्पात उद्योग में CO एक महत्त्वपूर्ण रसायन है, जिसका उपयोग ब्लास्ट फर्नेस में लौह अयस्कों को धात्विक लौह में परिवर्तित करने के लिये किया जाता है।
- CO इस उद्योग में सिन गैस (वह ईंधन गैस मिश्रण जिसमें प्राथमिक घटक के रूप में हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल हैं) के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला रसायन है।
- परंपरागत रूप से CO का उत्पादन कोक/कोयले के आंशिक ऑक्सीकरण के माध्यम से होता है, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर CO2 उत्सर्जन होता है।
- नई CO2 से CO रूपांतरण तकनीक स्टील उत्पादन में कार्बन फुटप्रिंट और संबंधित लागत को कम करते हुए एक चक्रीय अर्थव्यवस्था स्थापित करने का अवसर प्रस्तुत करती है।
- इस्पात उद्योग में CO एक महत्त्वपूर्ण रसायन है, जिसका उपयोग ब्लास्ट फर्नेस में लौह अयस्कों को धात्विक लौह में परिवर्तित करने के लिये किया जाता है।
विद्युत उत्प्रेरक प्रक्रिया:
- यह एक उत्प्रेरक प्रक्रिया है जिसमें इलेक्ट्रोड और अभिकारकों के बीच इलेक्ट्रॉनों का प्रत्यक्ष स्थानांतरण शामिल होता है।
- यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल, कुशल और सस्ती है। इसका उपयोग कई टिकाऊ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में किया जा सकता है।
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO):
- यह एक रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन गैस है जो वायु से थोड़ी कम सघन होती है।
- CO के स्रोत: CO हाइड्रोकार्बन के आंशिक दहन का एक उपोत्पाद है। सामान्य स्रोतों में प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, कोयला और तेल, लकड़ी का धुआँ, कार एवं ट्रक का निकास आदि जैसे जीवाश्म ईंधन जलाना शामिल है।
- वायुमंडल में CO अल्पकालिक रहता है क्योंकि यह ज़मीनी स्तर पर ओजोन के निर्माण में भूमिका निभाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वायुमंडल में उत्सर्जित होता है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 6 नवंबर, 2023
भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ लाइनर को हरी झंडी
हाल ही में केंद्रीय बंदरगाह, जहाज़रानी और जलमार्ग मंत्री ने मुंबई से भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ लाइनर, जहाज़ कोस्टा सेरेना की पहली समुद्री यात्रा को झंडी दिखाई।
- यह पहल "देखो अपना देश" अभियान के अनुरूप है, जो पर्यटन को बढ़ावा देने की सरकार की अवधारणा पर बल देती है।
- क्रूज़ और लाइटहाउस पर्यटन का विकास सागरमाला परियोजना का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख क्रूज़ हब के रूप में स्थापित करना है।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत में क्रूज़ यात्रियों की वार्षिक संख्या को मौजूदा 4.72 लाख से बढ़ाकर 18 लाख तक करना है।
- भारत की योजना वर्ष 2047 तक 25 परिचालन क्रूज़ टर्मिनल बनाना है, जिसकी अनुमानित वार्षिक यात्री क्षमता 50 लाख होगी।
और पढ़ें…गंगा विलास क्रूज़
ATL मैराथन 2023-24
नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन (AIM) के तहत शिक्षा मंत्रालय, YuWaah एवं UNICEF के सहयोग से आयोजित राष्ट्रीय स्तर के नवाचार चैलेंज ‘अटल टिंकरिंग लैब (ATL) मैराथन 2023-24' के लिये आवेदन मांगे गए हैं।
- वर्ष 2023-24 के लिये ATL मैराथन की थीम "भारत के 75वें गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2024)" पर आधारित है। इस थीम में शामिल विषयों पर छात्रों की टीमें अंतरिक्ष, कृषि, समावेशिता, आपदा प्रबंधन, गतिशीलता, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास से जुड़ी परियोजनाएँ बना सकती हैं।
- इसमें भारत भर के छात्र भाग ले सकते हैं और सामुदायिक समस्याओं के लिये नवीन समाधान विकसित कर सकते हैं।
- इसका उद्देश्य स्कूलों में नवाचार का एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना एवं छात्रों को नवाचार से अवगत कराना है।
और पढ़ें…अटल न्यू इंडिया चैलेंज 2.0
AIESC बैठक का उद्घाटन
IIT गांधीनगर में आयोजित ऑस्ट्रेलिया-इंडिया एजुकेशन एंड स्किल काउंसिल (AIESEC) की पहली बैठक ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच द्विपक्षीय शिक्षा एवं कौशल विकास में सहयोग हेतु काफी महत्त्वपूर्ण है।
- वर्ष 2011 में ऑस्ट्रेलियाई भारत शिक्षा परिषद् (AIEC) के रूप में स्थापित यह द्वि-राष्ट्रीय निकाय रणनीतिक रूप से दोनों देशों के बीच शैक्षिक, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान साझेदारी का मार्गदर्शन करता है।
- भविष्य के कार्यबल को आयाम देने, संस्थागत भागीदारी को सुदृढ़ करने और अंतर्राष्ट्रीयकरण के माध्यम से अनुसंधान प्रभाव को बढ़ाने जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करके परिषद दोनों देशों में शिक्षा एवं कौशल हेतु भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने पर आधारित है।
और पढ़ें: भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध
नीरज चोपड़ा को वर्ल्ड एथलीट ऑफ द ईयर पुरस्कार 2023 हेतु नामांकित किया गया
ओलंपिक और विश्व चैंपियन, भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा वर्ल्ड एथलेटिक्स द्वारा दिये जाने वाले पुरुष वर्ल्ड एथलीट ऑफ द ईयर पुरस्कार 2023 हेतु 11 नामांकित व्यक्तियों में शामिल हैं।
- चयन प्रक्रिया में त्रि-स्तरीय मतदान प्रणाली को अपनाया गया है, जिसमें विश्व एथलेटिक्स परिषद, वर्ल्ड एथलेटिक्स फैमली और जनता के वोट शामिल हैं।
- जबकि परिषद के वोट का 50% महत्त्व होता है, शेष 50% वर्ल्ड एथलेटिक्स फैमली और जनता के वोटों के बीच समान रूप से विभाजित होता है।
और पढ़ें…वर्ल्ड एथलेटिक्स