प्रारंभिक परीक्षा
R21/मैट्रिक्स-M मलेरिया वैक्सीन
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा सह-विकसित R21/मैट्रिक्स-M मलेरिया वैक्सीन के प्रयोग की सिफारिश की है।
- मैट्रिक्स-M घटक नोवावैक्स द्वारा विकसित एक अधिकृत सैपोनिन-आधारित सहायक है और स्थानीय देशों में इसके उपयोग के लिये सीरम इंस्टीट्यूट को लाइसेंस दिया गया है।
- अब तक वैक्सीन को घाना, नाइजीरिया और बुर्किना फासो में उपयोग के लिये लाइसेंस दिया गया है।
एडजुवेंट्स:
- सहायक/एडजुवेंट किसी टीके में एक घटक होता है जो उस टीके के प्रति शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली की अनुक्रिया को बढ़ाता है।
- एडजुवेंट्स उस अवधि को बढ़ा देते हैं जिससे एक टीका प्रतिरक्षा प्रणाली की बेहतर पहचान करने और टीके के घटक को लंबे समय तक याद रखने में सहायता कर सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
- मैट्रिक्स-एम एडजुवेंट सैपोनिन से प्राप्त होता है, जो चिली में क्विलाजा सैपोनारिया वृक्ष की छाल में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यौगिक हैं। सैपोनिन का ऐतिहासिक रूप से औषधीय उपयोग किया जा रहा है।
मलेरिया:
- परिचय:
- यह परजीवी संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
- मलेरिया प्लाज़्मोडियम परजीवी के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है।
- यह परजीवी संक्रमित मादा एनाफिलीज़ मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
- प्लाज़्मोडियम परजीवी:
- प्लाज़्मोडियम परजीवी की 5 प्रजातियाँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं जबकि इनमें से 2 प्रजातियाँ पी. फाल्सीपेरम (P. falciparum) एवं पी. विवैक्स (P. vivax) सर्वाधिक खतरा उत्पन्न करती हैं।
- पी. फाल्सीपेरम सबसे घातक मलेरिया परजीवी है जो अफ्रीकी महाद्वीप पर सबसे अधिक प्रचलित है।
- पी. विवैक्स उप-सहारा अफ्रीका के बाहर अधिकांश देशों में प्रमुख मलेरिया परजीवी है।
- अन्य मलेरिया प्रजातियाँ जो मनुष्यों को संक्रमित कर सकती हैं वे हैं पी. मलेरिया, पी. ओवेल और पी. नोलेसी।
- प्लाज़्मोडियम परजीवी की 5 प्रजातियाँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं जबकि इनमें से 2 प्रजातियाँ पी. फाल्सीपेरम (P. falciparum) एवं पी. विवैक्स (P. vivax) सर्वाधिक खतरा उत्पन्न करती हैं।
- लक्षण:
- मामूली लक्षण बुखार, ठंड लगना और सिरदर्द हैं। गंभीर लक्षणों में थकान, भ्रम, दौरे और श्वास लेने में कठिनाई शामिल हैं।
- व्यापकता:
- WHO की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2022 के अनुसार, वर्ष 2020 में 245 मिलियन मामलों की तुलना में वर्ष 2021 में मलेरिया के 247 मिलियन मामले सामने आये थे।
- यह अधिकतर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। विश्व में मलेरिया से होने वाली आधी से अधिक मृत्यु के लिये चार अफ्रीकी देश ज़िम्मेदार हैं: नाइजीरिया (31.3%), कांगो गणराज्य (12.6%), संयुक्त तंज़ानिया गणराज्य (4.1%) और नाइजर (3.9%) है।
- वैक्सीन:
- हाल ही में पुष्टि की गई R21/मैट्रिक्स-M वैक्सीन के साथ, WHO मध्यम से उच्च P फाल्सीपेरम मलेरिया संचरण वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के बीच RTS, S/AS01 मलेरिया वैक्सीन के व्यापक उपयोग की भी सिफारिश करता है।
- उन्मूलन रणनीतियाँ:
- वैश्विक:
- मलेरिया के लिये WHO वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016-2030, जिसे वर्ष 2021 में संशोधित किया गया था, उच्च लेकिन प्राप्य वैश्विक लक्ष्य स्थापित करती है, जैसे:
- वर्ष 2030 तक मलेरिया के मामलों को 90% तक कम करना।
- वर्ष 2030 तक मलेरिया से होने वाली मृत्यु दर को 90% तक कम करना।
- वर्ष 2030 तक 35 देशों में मलेरिया का उन्मूलन करना।
- मलेरिया मुक्त देशों में मलेरिया के मामले पुनः न पाया जाना सुनिश्चित करना।
- भारत:
- वैश्विक:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के प्रति मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने के लिये मलेरिया का टीका विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। मलेरिया का प्रभावी टीका विकसित करना क्यों कठिन है? (2010) (a) प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण मलेरिया होता है। उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
खसरा/मिज़ेल्स
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में दिल्ली में खसरे के मामलों और मृत्यु दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसका कारण पिछले वर्षों में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान मामलों की न्यून रिपोर्टिंग है।
- वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, फोकस एवं संसाधन मुख्य रूप से महामारी के प्रबंधन की ओर केंद्रित थे, जिससे खसरे/मिज़ेल्स और अन्य बीमारियों की निगरानी पर उस स्तर पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया जितनी कि इसकी आवश्यकता थी, जिससे खसरे के मामलों में वृद्धि हुई, साथ ही समाज की कुछ समृद्ध वर्गों में भी टीका स्वीकृति से संबंधित चुनौतियाँ दर्ज़ की गईं।
खसरा:
- परिचय:
- खसरा वायरस मॉर्बिलीवायरस जीनस से आबद्ध, राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है।
- करीबी परिचितों को संक्रमित कर देगा। खसरा अत्यधिक संक्रामक बीमारी है और इससे संक्रमित व्यक्ति प्रायः अपने 90% से अधिक असुरक्षित निकट संपर्कों में वायरस के संचार का करण बनता है।
- वायरस पहले श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है, फिर पूरे शरीर में फैल जाता है। खसरा एक मानव रोग है और यह जंतुओं में नहीं होता है।
- खसरे को दो-खुराक वाले टीके के माध्यम से पूरी तरह से रोका जा सकता है और उन्नत स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों वाले कई देशों में इसे आधिकारिक तौर पर समाप्त कर दिया गया है।
- उपचार:
- खसरे के वायरस के लिये कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार मौज़ूद नहीं है।
- भोजन से होने वाली गंभीर जटिलताओं से चिकित्सीय देखभाल के माध्यम से बचा जा सकता है जो अच्छा पोषण, पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन और निर्जलीकरण का उपचार सुनिश्चित करता है।
- रोकथाम:
- बच्चों के लिये नियमित भोजन टीकाकरण, उच्च मामले और मृत्यु दर वाले देशों में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के साथ, वैश्विक भोजन से होने वाली मौतों को कम करने हेतु प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियाँ हैं।
- भारत में खसरा के मामले:
- वर्ष 2017 और वर्ष 2021 के बीच खसरा के मामलों में 62% की गिरावट आई, यानी प्रति दस लाख जनसंख्या पर मामलों की संख्या 10.4 से घटकर 4 हो गई है।
खसरे से निपटने हेतु पहलें:
- खसरा और रूबेला पहल:
- वर्ष 2001 में शुरू की गई खसरा एवं रूबेला पहल (M&R पहल) अमेरिकन रेड क्रॉस, संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC), UNICEF तथा WHO के नेतृत्व में एक वैश्विक साझेदारी है।
- पहल यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है कि कोई भी बच्चा खसरे से न मरे या जन्मजात रूबेला सिंड्रोम के साथ पैदा न हो। हम देशों को खसरे और रूबेला को हमेशा के लिये रोकने के प्रयासों की योजना बनाने, वित्त पोषण करने एवं मापने में सहायता करते हैं।
- खसरा-रूबेला (MR) टीकाकरण:
- यह पूरे भारत में लगभग 41 करोड़ बच्चों को लक्षित करता है, 9 महीने से लेकर 15 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को उनके पिछले खसरा/रूबेला टीकाकरण की स्थिति या खसरा/रूबेला रोग की स्थिति के बावजूद एक खसरा-रूबेला(MR) टीका लगाया जाएगा।
- अन्य पहलों में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme- UIP), मिशन इंद्रधनुष और सघन मिशन इंद्रधनुष शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
नागोर्नो-काराबाख संघर्ष
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में अज़रबैजान ने विवादित नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में एक सैन्य अभियान शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में कई लोगों की मौत हो गई। यह ऑपरेशन/अभियान इस क्षेत्र को लेकर अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद का हिस्सा है।
नागोर्नो-काराबाख संघर्ष:
- नागोर्नो-काराबाख, काकेशस क्षेत्र (काला सागर और कैस्पियन सागर के बीच अंतरमहाद्वीपीय क्षेत्र) में पहाड़ी भूमि से घिरा क्षेत्र है, इसे अर्मेनियाई लोग आर्टाख (Artsakh) के नाम से जानते हैं।
- इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अज़रबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है लेकिन इसके निवासी मुख्यतः जातीय रूप से अर्मेनियाई हैं।
- उनकी अपनी सरकार है जिसका आर्मेनिया के साथ घनिष्ठ संबंध है लेकिन इसे आर्मेनिया अथवा किसी अन्य देश द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी गई है।
- 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध में सोवियत संघ के पतन के बाद इस क्षेत्र द्वारा अज़रबैजान से स्वतंत्र होने की घोषणा के समय से ही नागोर्नो-काराबाख संघर्ष चला आ रहा है।
- इस क्षेत्र को लेकर आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच पहला युद्ध 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध में हुआ जिसकी समाप्ति वर्ष 1994 में युद्धविराम के साथ हुई, इसके परिणामस्वरुप नागोर्नो-काराबाख तथा आसपास के कुछ क्षेत्र अर्मेनियाई नियंत्रण के अधीन आ गए।
- दोनों पक्षों ने कई बार इस युद्धविराम का उल्लंघन किया गया और शांतिपूर्ण समाधान के लिये बातचीत के कई प्रयास विफल रहे जिसके परिणामस्वरुप दोनों के बीच वर्तमान में भी संघर्ष जारी है।
- वर्ष 2020 में अज़रबैजान ने दूसरा युद्ध शुरू किया, जिसमें शानदार जीत हासिल करते हुए आसपास के सात ज़िलों और नागोर्नो-काराबाख के लगभग एक तिहाई हिस्से पर दोबारा नियंत्रण हासिल कर लिया।
- वर्ष 2020 में दूसरे कराबाख युद्ध के बाद रूस ने एक शांति समझौते में मध्यस्थता की, जिसके पश्चात इस क्षेत्र में 1,960 रूसी बलों की तैनाती को स्वीकृति दे दी गई।
अज़रबैजान:
- अज़रबैजान एशिया महाद्वीप का एक देश है जिसकी सीमा रूस, जॉर्जिया, आर्मेनिया और ईरान से लगती है।
- इस देश के पूर्व की सीमा कैस्पियन सागर से लगती है।
- उत्तर और पश्चिम का अधिकांश भाग काकेशस पर्वत से ढका हुआ है।
- राजधानी शहर: बाकू।
- अज़रबैजान में तेल और प्राकृतिक गैस की प्रचुरता है।
- अज़रबैजान के एक प्रसिद्ध स्थान यानार दा में कैस्पियन सागर के निकट 65 वर्षों से अधिक समय से प्राकृतिक रूप से एक शाश्वत आग प्रज्ज्वलित है, ऐसा माना जाता है कि इसके लिये इंधन का स्रोत प्राकृतिक गैसों का रिसाव है। यह अनोखी घटना अज़रबैजान के उपनाम, "द लैंड ऑफ फायर" के अनुरूप है।
आर्मेनिया:
- यह काकेशस क्षेत्र में एक भूमि से घिरा देश है, जिसकी सीमाएँ पश्चिम में तुर्किये, उत्तर में जॉर्जिया और पूर्व में अज़रबैजान से लगती हैं।
- राजधानी: येरेवान
- आर्मेनिया एक पहाड़ी देश है।
- सबसे ऊँची चोटी: माउंट अरार्ट
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त में से कितने युग्म सही सुमेलित हैं? (a) केवल एक उत्तर: (d) व्याख्या:
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विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 अक्तूबर, 2023
नए अध्ययन में शुक्र ग्रह पर तड़ित के अस्तित्व को चुनौती
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के पार्कर सोलर प्रोब के डेटा का उपयोग करते हुए एक हालिया अध्ययन ने शुक्र ग्रह पर तड़ित/आकाशीय विद्युत के अस्तित्व को लेकर संदेह जताया है, जो दशकों से वैज्ञानिकों के बीच बहस का विषय रहा है।
- जियोफिज़िकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि शुक्र के निकट देखी गई "तड़ित" वास्तविक तड़ित नहीं हो सकती है, बल्कि यह शुक्र ग्रह के दुर्बल चुंबकीय क्षेत्रों में किसी प्रकार का व्यवधान हो सकता है।
- पिछली वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार शुक्र ग्रह पर लगातार तड़ित वर्षा होती रहती है, लेकिन समय अद्यतन हुए विभिन्न उपकरणों द्वारा एकत्र किये गए सिग्नल इस अवधारणा को चुनौती दे रहे हैं।
- एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि तड़ित संबंधी पिछली टिप्पणियों को वायुमंडल में उल्कापिंडों के जलने की घटना के आधार पर गलत समझा जा सकता है।
- शुक्र अपनी दुर्गम परिस्थितियों के लिये जाना जाता है, जिसपर अत्यधिक तापमान और वायुमंडलीय दाब भी शामिल है जो इसे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह बनाता है।
और पढ़ें: शुक्र पर सक्रिय ज्वालामुखी, शुक्र के बारे में हालिया खोज
सैन्य नर्सिंग सेवा (MNS) ने 98वाँ स्थापना दिवस मनाया
- MNS ने हाल ही में 1 अक्तूबर, 2023 को अपना 98वाँ स्थापना दिवस मनाया। सशस्त्र बलों में सबसे पुरानी और सबसे प्रतिष्ठित महिला सेवाओं में से एक के रूप में, MNS ने भारत में स्वास्थ्य सेवा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- MNS की उत्पत्ति स्वतंत्रता-पूर्व औपनिवेशिक युग के दौरान हुई थी जब ब्रिटिश और भारतीय सैनिक ब्रिटिश सेना में सेवा करते थे। वर्ष 1888 में भारतीय सेना नर्सिंग सेवा (IANS) की औपचारिक रूप से स्थापना की गई, जिससे भारत में सैन्य नर्सिंग की शुरुआत हुई।
- प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, IANS के अधिकारियों ने घायल सैनिकों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 1 अक्तूबर, 1926 को भारतीय सेना में स्थायी नर्सिंग सेवा की स्थापना की गई और इसे भारतीय सैन्य नर्सिंग सेवा के रूप में नामित किया गया।
- स्वतंत्रता के बाद MNS की स्थापना सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (Armed Forces Medical Services- AFMS) के हिस्से के रूप में की गई थी।
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड
हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की है। भारत विश्वभर में हल्दी सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75%), उपभोक्ता और निर्यातक है। राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य देश के भीतर हल्दी उद्योग के विकास और विस्तार में वृद्धि करना है।
- बोर्ड में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष, आयुष मंत्रालय, केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और किसान कल्याण, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग, तीन राज्यों के राज्य सरकार के वरिष्ठ प्रतिनिधि, अनुसंधान में शामिल राष्ट्रीय/राज्य संस्थानों, चुनिंदा हल्दी किसानों तथा निर्यातकों के प्रतिनिधि होंगे, बोर्ड के सचिव की नियुक्ति वाणिज्य विभाग द्वारा की जाएगी।
- बोर्ड से भारत में मसाला बाज़ार को विकसित करने और विस्तारित करने में मदद मिलने की उम्मीद है, हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की 62% से अधिक हिस्सेदारी है।
- हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।
- वर्ष 2030 तक भारत द्वारा हल्दी निर्यात 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है, यह अंततः उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभान्वित करेगा।
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नगालैंड की मिलक नदी में मछली की नई प्रजाति की खोज
हाल ही में शोधकर्ताओं ने नगालैंड की मिलक नदी में एक पूर्व अज्ञात मछली प्रजाति, बादिस लिमाकुमी (Badis limaakumi) की पहचान की है।
- इस नई प्रजाति का नाम नगालैंड के फज़ल अली कॉलेज में प्राणीशास्त्र के प्रोफेसर लिमाकुम के नाम पर रखा गया है, जो अपनी ऑपेरकुलर स्पाइन के पास स्थित एक अद्वितीय ऑपेरकुलर स्प्लोच तथा इसके शरीर के किनारों और क्लीथ्रम पर धब्बों की अनुपस्थिति, साथ ही कम पार्श्व स्केल्स, इसे अन्य मछलियों से अलग करते है।
- बादिडे या बादिस प्रजाति से संबंधित, मीठे जल की मछली का एक समूह जो अक्सर धीमी या मध्यम गति से प्रवाहित होने वाली धाराओं में पाया जाता है, यह मछली भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड और म्याँमार के विभिन्न क्षेत्रों में पाक व्यंजन के रूप में भी उपभोग की जाती है।
- बादिस प्रजाति की मछली को रंग बदलने की क्षमता के कारण गिरगिट मछली के रूप में भी जाना जाता है। इससे उन्हें खतरे के समय परिवेश के साथ घुलने-मिलने में मदद मिलती है।