मिनिमल-जीनोम कोशिकाओं का सामान्य कोशिकाओं की भाँति तेज़ी से विकसित होना
स्रोत: द हिंदू
इंडियाना यूनिवर्सिटी, ब्लूमिंगटन के शोधकर्ताओं ने मिनिमल/न्यूनतम जीनोम (जीन का सबसे छोटा सेट जो किसी जीव के जीवित रहने और प्रजनन के लिये आवश्यक होता है) वाली कोशिकाओं की विकासवादी क्षमता पर प्रकाश डाला है।
- नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि कैसे केवल आवश्यक जीन से अलग कोशिकाएँ आनुवंशिक लचीलेपन और उत्परिवर्तन दर की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देते हुए अनुकूलित एवं विकसित हो सकती हैं।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
- अध्ययन माइकोप्लाज़्मा मायकोइड्स के संश्लेषित न्यूनतम-कोशिका संस्करण पर केंद्रित है, एक जीवाणु प्रजाति जो बकरियों और मवेशियों में श्वसन रोग का कारण बन सकती है।
- इस न्यूनतम संस्करण में 901 जीन वाले गैर-न्यूनतम स्ट्रेन के विपरीत केवल 493 आवश्यक जीन हैं तथा यह अध्ययन 300 दिनों से अधिक समय तक चला था।
- माइकोप्लाज़्मा मायकोइड्स में किसी भी कोशिकीय जीव के लिये उच्चतम दर्ज की गई उत्परिवर्तन दर है।
- न्यूनतम आवश्यक जीन वाली कोशिकाएँ सामान्य कोशिकाओं की तुलना में तेज़ी से अनुकूलन और विकास कर सकती हैं।
- कम आनुवंशिक सामग्री के बावजूद न्यूनतम कोशिकाओं ने गैर-न्यूनतम कोशिकाओं के समान उत्परिवर्तन दर प्रदर्शित की।
- जीनोम न्यूनीकरण ने न्यूनतम कोशिकाओं की अनुकूलन की दर में बाधा नहीं डाली।
- न्यूनतम कोशिकाओं के विकास को समझना संश्लेषित जीव विज्ञान जैसे क्षेत्रों से संबंधित है, जहाँ शोधकर्ता चिकित्सा और ईंधन उत्पादन में अनुप्रयोगों के लिये जीवों को डिज़ाइन करने हेतु इंजीनियरिंग सिद्धांतों को नियोजित करते हैं।
- इस अध्ययन से पता चलता है कि संशोधित कोशिकाएँ स्थिर नहीं होती हैं; वे विकास से गुज़रती हैं, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि विकास की अपरिहार्य शक्तियों का सामना करते समय संश्लेषित जीव कैसे अनुकूलित हो सकते हैं।
- जीन:
- जीन, डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid- DNA) का एक खंड है जो एक विशिष्ट प्रोटीन या फंक्शन के लिये कोड करता है। जीन आनुवंशिकता की मूल इकाइयाँ हैं तथा इन्हें माता-पिता से विरासत में प्राप्त किया जाता है या पर्यावरणीय कारकों द्वारा उत्परिवर्तित किया जा सकता है।
- जीन उत्परिवर्तन:
- जीन उत्परिवर्तन किसी जीन के DNA अनुक्रम में परिवर्तन है जो उसके कार्य या अभिव्यक्ति को प्रभावित कर सकता है।
- जीन उत्परिवर्तन DNA प्रतिकृति के दौरान त्रुटियों, विकिरण या रसायनों के संपर्क या अन्य कारकों के कारण हो सकता है।
- जीनोम:
- किसी जीव का जीनोम उसकी आनुवंशिक सामग्री का संपूर्ण सेट होता है।
- आनुवंशिक अनुक्रमण:
- यह DNA या RNA अणु में न्यूक्लियोटाइड या बेस (A, G, C और T) के क्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
- जीनोम एडिटिंग:
- यह एक प्रकार की जेनेटिक इंजीनियरिंग है जिसमें किसी जीवित जीव के जीनोम में DNA डाला जाता है, हटाया जाता है, संशोधित किया जाता है या प्रतिस्थापित किया जाता है।
- आनुवंशिक संशोधन:
- यह एक अलग जीव के DNA के तत्त्वों को शामिल करके किसी जीव, जैसे कि जीवाणु, पौधे या जानवर के DNA को बदलने की प्रक्रिया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)
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राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने शिक्षक दिवस (Teachers’ Day) की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Teachers’ Award) 2023 के विजेताओं के साथ बातचीत की।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार:
- राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश के कुछ बेहतरीन शिक्षकों के अनूठे योगदान का जश्न मनाना तथा उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता के माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है।
- ये पुरस्कार प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किये जाते हैं।
- पुरस्कार में एक रजत पदक, एक प्रमाण पत्र एवं 50,000 रुपए की नकद राशि शामिल है।
- इस वर्ष पुरस्कार के दायरे में स्कूली शिक्षा तथा साक्षरता विभाग द्वारा चयनित शिक्षकों के अतिरिक्त उच्च शिक्षा विभाग एवं कौशल विकास मंत्रालय द्वारा चयनित शिक्षकों को भी शामिल किया गया है।
भारत में शिक्षक दिवस:
- वर्ष 1962 से प्रतिवर्ष 5 सितंबर को मनाए जाने वाले इस दिवस का उद्देश्य भारत में स्कूल अध्यापकों, शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों सहित अन्य शिक्षकों के योगदान का सम्मान करना है।
- भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने छात्रों के उत्सव के अनुरोध की प्रतिक्रिया में उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का परिचय:
- जन्म:
- उनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुत्तानी शहर में एक तेलुगू परिवार में हुआ था।
- शिक्षा एवं अध्यापन कार्य:
- उन्होंने क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास में दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया और बाद में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज तथा मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे।
- कार्यक्षेत्र:
- उन्होंने वर्ष 1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति और वर्ष 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
- इससे पूर्व वह वर्ष 1949 से 1952 तक सोवियत संघ में भारत के राजदूत भी रहे। वह वर्ष 1939 से 1948 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति रहे।
- सम्मान:
- वर्ष 1984 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- उल्लेखनीय कृतियाँ:
- समकालीन दर्शन में धर्म का शासन, रबीन्द्रनाथ टैगोर का दर्शन, जीवन का हिंदूवादी दृष्टिकोण, कल्कि या सभ्यता का भविष्य, जीवन का एक आदर्शवादी दृष्टिकोण, द रिलीजन वी नीड, भारत और चीन तथा गौतम बुद्ध।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 सितंबर, 2023
WHO का गुजरात घोषणापत्र
"गुजरात घोषणा" के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले WHO पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन 2023 का परिणाम दस्तावेज़ जारी किया है।
- भारत ने गुजरात में पहले WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की मेज़बानी की।
- इस घोषणापत्र में स्वदेशी ज्ञान, जैवविविधता और पारंपरिक, पूरक तथा एकीकृत चिकित्सा के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की गई।
- गुजरात घोषणा का उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और स्वास्थ्य संबंधी सतत् विकास लक्ष्यों के लिये साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा हस्तक्षेप को आगे बढ़ाना है।
- यह पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में मानकीकृत दस्तावेज़ीकरण और डेटा संग्रह की मांग करता है।
- इस शिखर सम्मेलन में पारंपरिक चिकित्सा में AI सहित डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों की भूमिका की संभावनाओं पर चर्चा की गई।
और पढ़ें…पारंपरिक चिकित्सा के लिये वैश्विक केंद्र: गुजरात
अनुच्छेद 371D की समाप्ति से आंध्र प्रदेश के 'स्थानीय कोटा' को लेकर अनिश्चितताएँ
अनुच्छेद 371D के समाप्त होने के कारण संरक्षित शैक्षणिक संस्थानों में आंध्र प्रदेश के छात्रों के 'स्थानीय कोटा' को लेकर अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गई है क्योंकि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 अपने निर्धारित अवधि के बाद मई 2024 में समाप्त हो जाएगा।
- संविधान का अनुच्छेद 371 देश के 11 राज्यों के लिये "विशेष प्रावधान" करता है, जिसमें पूर्वोत्तर के छह राज्य (त्रिपुरा और मेघालय को छोड़कर) शामिल हैं।
- अनुच्छेद 371D को वर्ष 1973 में संविधान में 32वें संशोधन द्वारा शामिल किया गया था।
- यह विशेष रूप से आंध्र प्रदेश (जहाँ 1970 के दशक की शुरुआत में आंदोलन हुए थे) के क्षेत्रों पर लागू होता है।
- अनुच्छेद 371D को शिक्षा और रोज़गार में स्थानीय छात्रों के अधिकारों की सुरक्षा के लिये पेश किया गया था।
- अनुच्छेद 371D के तहत शैक्षणिक संस्थानों में 85% सीटें स्थानीय छात्रों के लिये आरक्षित हैं।
- इस प्रावधान ने विशिष्ट क्षेत्रों में छात्रों के लिये शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
और पढ़ें…तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच गतिरोध
भारत में सिंचाई क्षेत्र में विद्युत उपयोग बढ़ा: MIC के छठे संस्करण की रिपोर्ट
लघु सिंचाई गणना (Minor Irrigation Census- MIC) रिपोर्ट का हाल ही में प्रकाशित छठा संस्करण भारतीय सिंचाई में नियोजित विद्युत स्रोतों के संबंध में महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- MIC भारत में सिंचाई के लिये प्राथमिक ऊर्जा स्रोत में एक उल्लेखनीय परिवर्तन पर प्रकाश डालता है, जिसमें विद्युत को केंद्र बिंदु के रूप में रखा गया है।
- वर्ष 2011 में 56% सिंचाई के लिये विद्युत प्रमुख ऊर्जा स्रोत थी, यह आँकड़ा वर्ष 2017 तक बढ़कर 70% हो गया।
- हालाँकि ये निष्कर्ष वर्ष 2017-18 की अवधि के लिये विशिष्ट हैं तथा सिंचाई प्रथाओं की वर्तमान स्थिति का सटीक प्रतिनिधित्व प्रदान नहीं करते हैं।
भारतीय वायुसेना के त्रिशूल अभ्यास का पश्चिमी वायु कमान की तत्परता हेतु परीक्षण
भारतीय वायुसेना (IAF) ने पश्चिमी वायु कमान (WAC) के तहत सभी लड़ाकू वाहनों की सक्रियता के साथ अपना वार्षिक विशाल प्रशिक्षण अभ्यास, त्रिशूल शुरू किया है।
- इस आंतरिक अभ्यास में कश्मीर के लेह से लेकर राजस्थान के नाल तक तैनात किये गए जेट, परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर सहित अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू वाहनों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
- त्रिशूल कमांड की परिचालन तैयारियों की एक महत्त्वपूर्ण परीक्षा के रूप में कार्य करता है, जिसकी श्रेणी और जटिलता के कारण उच्च स्तर के समन्वय और तत्परता की आवश्यकता होती है।
और पढ़ें… भारतीय वायुसेना का आधुनिकीकरण
इज़रायली प्रधानमंत्री द्वारा एशिया और मध्य पूर्व से यूरोप को जोड़ने हेतु फाइबर ऑप्टिक लिंक का प्रस्ताव
इज़रायल के प्रधानमंत्री ने एशिया और अरब प्रायद्वीप को इज़रायल तथा साइप्रस के माध्यम से यूरोप से जोड़ने के लिये एक फाइबर ऑप्टिक केबल परियोजना का प्रस्ताव रखा है।
- यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि फाइबर ऑप्टिक कनेक्शन अंतर्राष्ट्रीय संचार के लिये एक लागत प्रभावी और सुरक्षित मार्ग के रूप में कार्य करता है।
- यह प्रस्ताव ऊर्जा परियोजनाओं पर साइप्रस और ग्रीस के साथ इज़रायल के सहयोग को बढ़ावा देगा, जैसे कि यूरेशिया इंटरकनेक्टर(EurAsia Interconnector), 2,000 मेगावाट की समुद्री बिजली केबल परियोजना।
- इसके अतिरिक्त यूरोप के साथ पूर्वी भूमध्य बेसिन के संबंधों को मज़बूत करने के लिये इसमें गैस पाइपलाइनों और तरलीकृत प्राकृतिक गैस प्रसंस्करण संयंत्रों सहित ऊर्जा विविधीकरण की योजनाएँ भी शामिल हैं।