भारतीय राजव्यवस्था
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच गतिरोध
- 11 Jan 2023
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014, सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र सरकार की भूमिका। मेन्स के लिये:तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच गतिरोध, अंतर्राज्यीय विवाद। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आंध्र प्रदेश ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत संपत्ति और देनदारियों के "न्यायसंगत, उचित एवं समान विभाजन" की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की है।
पृष्ठभूमि:
- 2 जून, 2014 को आंध्र प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से को अलग कर तेलंगाना के रूप में 29वें राज्य का गठन किया गया।
- राज्य पुनर्गठन अधिनियम (1956) के माध्यम से हैदराबाद राज्य के तेलुगू भाषी क्षेत्रों को आंध्र प्रदेश राज्य के साथ विलय कर विस्तृत आंध्र प्रदेश राज्य का निर्माण किया गया।
- आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम (2014) ने आंध्र प्रदेश को दो अलग-अलग राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विभाजित किया।
- अविभाजित आंध्र प्रदेश के विभाजन के आठ वर्ष से अधिक समय के बाद भी दोनों राज्यों के बीच संपत्ति और दायित्त्वों का आवंटन अस्पष्ट बना हुआ है क्योंकि प्रत्येक राज्य आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के प्रावधानों की व्यक्तिगत व्याख्या लागू करता है।
संबंधित मुद्दे:
- 12 संस्थानों का अधिनियम में उल्लेख नहीं किया गया है:
- इस निर्गम में 245 संस्थान शामिल हैं जिनकी कुल स्थायी संपत्ति का मूल्य 1.42 लाख करोड़ रुपए है।
- अधिनियम की अनुसूची IX के अंतर्गत 91 संस्थान और अनुसूची X के अंतर्गत 142 संस्थान हैं।
- अधिनियम में उल्लिखित अन्य 12 संस्थाओं का विभाजन भी राज्यों के बीच विवादास्पद बना हुआ है।
- संपत्ति और देनदारियों के विभाजन में देरी:
- आंध्र प्रदेश ने खेद व्यक्त किया कि तेलंगाना सरकार ने शीला भिडे की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को चुनिंदा रूप से स्वीकार कर लिया था, जिसके परिणामस्वरूप संपत्ति और देनदारियों के विभाजन में देरी हुई थी।
- समिति ने अनुसूची IX के 91 संस्थानों में से 89 के विभाजन के संबंध में सिफारिशें की हैं।
- आंध्र प्रदेश का तर्क है कि विभाजन की प्रक्रिया में तेज़ी लाने और इन संस्थानों के विभाजन को अंतिम रूप देने के लिये सिफारिशों को जल्दबाज़ी में स्वीकार कर लिया गया।
- आंध्र प्रदेश ने खेद व्यक्त किया कि तेलंगाना सरकार ने शीला भिडे की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को चुनिंदा रूप से स्वीकार कर लिया था, जिसके परिणामस्वरूप संपत्ति और देनदारियों के विभाजन में देरी हुई थी।
- संपत्ति के बँटवारे को लेकर विवाद:
- मुख्यालय की संपत्तियों का हिस्सा न बनने वाली संपत्तियों के विभाजन को लेकर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों की तेलंगाना सरकार ने आलोचना करते हुए कहा कि यह पुनर्गठन अधिनियम की भावना के खिलाफ है।
केंद्र की भूमिका:
- गृह मंत्रालय (MHA) ने वर्ष 2017 में मुख्यालय परिसंपत्तियों के बारे में स्पष्टता प्रदान की।
- एक एकल व्यापक राज्य उपक्रम (जिसमें मुख्यालय और परिचालन इकाइयाँ शामिल हैं) जो विशेष रूप से एक स्थानीय क्षेत्र में स्थित है या इसका संचालन एक स्थानीय क्षेत्र में सीमित है, के मामले में गृह मंत्रालय का कहना है कि इसे पुनर्गठन अधिनियम की धारा 53 की उप-धारा (1) के अनुसार स्थान के आधार पर विभाजित किया जाएगा।
- अधिनियम केंद्र सरकार को आवश्यकता पड़ने पर हस्तक्षेप करने का अधिकार देता है।
नोट:
- सर्वोच्च न्यायालय अपने मूल अधिकार क्षेत्र में राज्यों के बीच विवादों का निर्णय करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार, भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच या भारत सरकार और किसी भी राज्य के बीच या दो या दो से अधिक राज्यों के बीच कोई भी विवाद सर्वोच्च न्यायालय का मूल अधिकार क्षेत्र है।
- संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत अंतर्राज्यीय परिषद से विवादों पर पूछताछ और सलाह देने, सभी राज्यों के सामान्य विषयों पर चर्चा करने और बेहतर नीति समन्वय हेतु सिफारिशें करने की अपेक्षा की जाती है।
अंतर्राज्यीय विवादों को सुलझाने हेतु पहल:
- संविधान द्वारा अंतर्राज्यीय परिषद को प्रदान उत्तरदायित्त्वों (अंतर्राज्यीय विवादों के समाधान के संदर्भ में) को केवल कागज़ों में नहीं बल्कि वास्तविकता में पूरा करने की आवश्यकता है।
- इसी तरह सामाजिक और आर्थिक योजना, सीमा विवाद, अंतर-राज्य परिवहन आदि से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र में राज्यों की चुनौतियों के संदर्भ में चर्चा करने हेतु क्षेत्रीय परिषदों को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
- भारत विविधता में एकता का प्रतीक है। हालाँकि इस एकता को और मज़बूत करने के लिये केंद्र एवं राज्य सरकारों दोनों को सहकारी संघवाद के लोकाचार को आत्मसात करने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. केंद्र और राज्यों के बीच विवादों का फैसला करने के लिये भारत के सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति किसके अंतर्गत है? (2014) (a) सलाहकार क्षेत्राधिकार उत्तर: (c) |