दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष योजना
हाल ही में सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (USOF) ने दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (TTDF) योजना की शुरुआत की।
- सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (USOF) दूरसंचार विभाग (DoT) के तहत ग्रामीण एवं दूरस्थ डिजिटल कनेक्टिविटी के वित्तपोषण हेतु एक निकाय है।
- केंद्र ने दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे में कहा है कि 1885 के भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के तहत बनाए गए USOF को "दूरसंचार विकास कोष" के रूप में संदर्भित किया जाएगा।
दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (TTDF) योजना:
- TTDF का उद्देश्य ग्रामीण-विशेष संचार प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों में अनुसंधान एवं विकास हेतु वित्तपोषित करना, दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण तथा विकास के लिये अकादमिक, स्टार्टअप, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के बीच तालमेल स्थापित करना है।
- इस योजना का उद्देश्य प्रौद्योगिकी स्वामित्व और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी सह-नवाचार की संस्कृति बनाना, आयात को कम करना, निर्यात के अवसरों को बढ़ावा देना तथा बौद्धिक संपदा का निर्माण करना है।
- इस योजना के तहत USOF देशव्यापी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु मानकों को विकसित करने और अनुसंधान, डिज़ाइन, प्रोटोटाइप, उपयोग के मामलों, पायलटों और परीक्षण के प्रमाण के लिये पारिस्थितिकी तंत्र निर्माण को भी लक्षित कर रहा है।
- यह योजना घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिये स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन और उन्हें शामिल करने के लिये भारतीय संस्थाओं को अनुदान उपलब्ध कराने पर ज़ो र देती है।
भारत के दूरसंचार क्षेत्र की वर्तमान स्थिति:
- भारत में दूरसंचार उद्योग वर्ष 2022 तक 1.17 बिलियन ग्राहकों के साथ दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है। भारत की कुल टेलीडेंसिटी (एक क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक सौ व्यक्तियों के लिये टेलीफोन कनेक्शन की संख्या) 85.11 प्रतिशत है।
- पिछले कुछ वर्षों में उद्योग की घातीय वृद्धि मुख्य रूप से किफायती टैरिफ, व्यापक उपलब्धता, मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के रोलआउट, 3G और 4G कवरेज का विस्तार एवं ग्राहकों के उपभोग प्रतिरूप को विकसित करने की वजह से प्रेरित है।
- FDI प्रवाह के मामले में दूरसंचार क्षेत्र तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो कुल FDI प्रवाह में 6.44% योगदान देता है और प्रत्यक्ष रूप से 2.2 मिलियन रोज़गार एवं अप्रत्यक्ष रूप से 1.8 मिलियन रोज़गार प्रदान करता है।
- वर्ष 2014 से 2021 के बीच दूरसंचार क्षेत्र में FDI प्रवाह 150% बढ़कर 20.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया जो वर्ष 2002-2014 के दौरान 8.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- टेलीकॉम सेक्टर में अब ऑटोमैटिक रूट के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दे दी गई है।
- भारत वर्ष 2025 तक लगभग 1 बिलियन स्थापित उपकरणों के साथ विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाज़ार बनने की राह पर है और वर्ष 2025 तक 920 मिलियन मोबाइल ग्राहक होने की उम्मीद है जिसमें 88 मिलियन 5G कनेक्शन शामिल होंगे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs )प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से कौन दूरसंचार, बीमा, बिजली आदि क्षेत्रों में स्वतंत्र नियामकों की समीक्षा करता है? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। |
स्रोत: पी.आई.बी.
विश्व पर्यावास दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष अक्तूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस (वर्ष 2022 में 3 अक्तूबर को आयोजित) के रूप में नामित किया है जो हमारे आवासों की स्थिति और सभी के लिये पर्याप्त आश्रय के मूल अधिकार को प्रतिबिंबित करता है।
- आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने विज्ञान भवन में विश्व पर्यावास दिवस 2022 मनाया।
विश्व पर्यावास दिवस (WHD)
- परिचय:
- WHD 2022 की थीम:
- "माइंड द गैप लीव नो वन एंड प्लेस बिहाइंड या "दूरी का ध्यान रखें, किसी को भी पीछे मत छोड़ो और पीछे मत रहो"
- यह विषय इस बात पर मज़बूती के साथ ज़ोर देता है कि "हम किसी भी नागरिक और किसी भी स्थान को पीछे नहीं छोड़ सकते क्योंकि हम अधिक लचीला भविष्य का निर्माण करते हैं।"
- "माइंड द गैप लीव नो वन एंड प्लेस बिहाइंड या "दूरी का ध्यान रखें, किसी को भी पीछे मत छोड़ो और पीछे मत रहो"
- इतिहास:
- वर्ष 1985 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष अक्तूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में नामित किया।
- विश्व पर्यावास दिवस पहली बार वर्ष 1986 में "आश्रय मेरा अधिकार है" विषय के साथ मनाया गया था।
- वर्ष 1986 में इस दिवस की मेज़बानी नैरोबी (केन्या) ने की थी।
- हैबिटेट स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड:
- हैबिटेट स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड संयुक्त राष्ट्र-मानव पर्यावास कार्यक्रम (यूएन-हैबिटेट) द्वारा 1989 में शुरू किया गया था।
- यह वर्तमान में विश्व का सबसे प्रतिष्ठित मानव पर्यावास पुरस्कार है।
- इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों जैसे- आश्रय हेतु प्रावधान, बेघरों की दुर्दशा को उजागर करना, संघर्ष के बाद के पुनर्निर्माण में नेतृत्व आदि में उत्कृष्ट योगदान देने वाली पहलों पर प्रकाश डालना है।
विज्ञान भवन में आयोजित WHD समारोह की मुख्य विशेषताएँ:
- प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), पीएम स्वनिधि योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM),), स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं की परिकल्पना कमज़ोर वर्गों पर ध्यान केंद्रित करने हेतु की गई है।
- इससे भारत सतत् विकास लक्ष्यों की केंद्रीय संकल्पना,यानी 'कोई भी पीछे न छूटे' को वर्ष 2030 तक हकीकत में बदलने में सक्षम होगा।
- अगले 25 वर्षों में शहरों को स्वच्छ, हरित और आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय रूप से स्थायित्व प्रदान करने पर अधिक बल दिया जाएगा।
शहरी और ग्रामीण प्रबंधन के लिये भारत की पहल:
- स्मार्ट सिटी
- AMRUT मिशन
- HRIDAY
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
- मनरेगा
- दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY- NRLM)
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. बेहतर नगरीय भविष्य की दिशा में कार्यरत संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावास (UN-Habitat) की भूमिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 2 और 3 Ans: (b) व्याख्या:
|
स्रोत: पी.आई.बी.
अल्ज़ाइमर रोग
शोधकर्त्ताओं ने लेकेनमैब नाम की एक दवा की खोज की है जो शुरुआती अल्ज़ाइमर के रोगियों में संज्ञानात्मक गिरावट को कम करती है, यह विशेषता इस दवा को रोग के लिये प्रथम न्यूरोप्रोटेक्टिव उपचारों में से एक बनाती है।
निष्कर्षों का महत् क्या है?
- कुछ गोलियाँ प्रारंभिक अवस्था में याद्दाश्त्त में सुधार तो करती हैं लेकिन यह अल्ज़ाइमर के अन्य पहलुओं में मदद नहीं करती हैं। डिमेंशिया के लिये निश्चित रूप से ऐसी न्यूरो-सुरक्षात्मक दवाओं की आवश्यकता है और कुछ दवाएँ निर्माण की प्रक्रिया में भी हैं।
- मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी बीमारियों में होने वाली वृद्धि से भारत में डिमेंशिया के प्रसार में "नाटकीय रूप से" वृद्धि होने की आशंका है।.
- डिमेंशिया, विकारों के एक समूह के लिये उपयोग होने वाला शब्द है जिसके कारण स्मृति में विकार के साथ निर्णय लेने और सामाजिक कौशल में विकार पैदा होता है।
डिमेंशिया इन इंडिया रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत में 60 वर्ष से अधिक आयु के 5.3 मिलियन लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, जिसका प्रसार वर्ष 2050 तक बढ़कर 14 मिलियन होने का अनुमान है।
अल्ज़ाइमर रोग:
- विषय:
- अल्ज़ाइमर रोग एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorder) है जो मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट करता है। इसमें रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति कमज़ोर हो जाती है, उसे कुछ भी याद नहीं रहता है, उसकी निर्णय लेने की क्षमता घट जाती है, स्वभाव में लगातार परिवर्तन होता रहता हैआदि।
- प्रारंभ में ये लक्षण कम मात्रा में होते हैं लेकिन समय रहते इसका उपचार न कराया जाए तो यह गंभीर और असाध्य हो जाता है।
- 55-60 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों में अल्ज़ाइमर, डिमेंशिया (dementia) का प्रमुख कारण है।
- ऐसा पाया गया है कि अल्ज़ाइमर रोग मस्तिष्क कोशिकाओं में और उसके आसपास प्रोटीन के असामान्य निर्माण के कारण होता है। इसमें शामिल प्रोटीनों में से एक को एमिलॉयड (amyloid) कहा जाता है, जिसके जमा होने से मस्तिष्क की कोशिकाओं के चारों ओर छोटे टुकड़े बनते हैं तथा दूसरे प्रोटीन को ताऊ (tau) कहा जाता है।
- ताऊ (tau) एक प्रकार का प्रोटीन है जो अल्ज़ाइमर रोगियों के मस्तिष्क में उलझी संरचनाओं में होता है, मस्तिष्क में एक-दूसरे के साथ संवाद करने के लिये न्यूरॉन्स की क्षमता को बाधित करता है।
- अल्ज़ाइमर लाइलाज बीमारी है, क्योंकि मस्तिष्क की कोशिकाओं को उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें पुनर्जीवित कर सकता है।
- पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अल्ज़ाइमर रोग होने का खतरा अधिक होता है।
- अल्ज़ाइमर रोग एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorder) है जो मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट करता है। इसमें रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति कमज़ोर हो जाती है, उसे कुछ भी याद नहीं रहता है, उसकी निर्णय लेने की क्षमता घट जाती है, स्वभाव में लगातार परिवर्तन होता रहता हैआदि।
- उपचार:
- वर्तमान में अल्ज़ाइमर रोग का कोई ज्ञात इलाज नहीं है। उपचार कई क्षेत्रों को संबोधित करता है:
- लोगों को मस्तिष्क स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करना।
- व्यवहार लक्षणों का प्रबंधन।
- रोग के लक्षणों को धीमा या विलंबित करना।
- वर्तमान में अल्ज़ाइमर रोग का कोई ज्ञात इलाज नहीं है। उपचार कई क्षेत्रों को संबोधित करता है:
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 अक्तूबर, 2022
मतदाता जंक्शन
भारत निर्वाचन आयोग ने 3 अक्तूबर, 2022 से आकाशवाणी पर वर्ष भर चलने वाले मतदाता जागरूकता कार्यक्रम मतदाता जंक्शन का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम की 52 कडि़याँ होंगी,जिनमें प्रत्येक की अवधि 15 मिनट की होगी। इसे प्रत्येक शुक्रवार को विविध भारती स्टेशनों, एफएम रेनबो, एफएम गोल्ड और आकाशवाणी के मुख्य चैनलों पर देश भर में 23 भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा। यह कार्यक्रम देश भर के मतदाताओं में जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा। कार्यक्रम की प्रत्येक कडी चुनाव प्रक्रिया के एक विशेष विषय पर आधारित होगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने अभिनेता पंकज त्रिपाठी को निर्वाचन आयोग का राष्ट्रीय आइकन घोषित किया है। वर्तमान में देश में 95 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। इस साप्ताहिक कार्यक्रम में मतदाताओं के लिये आवश्यक सभी जानकारियाँ दी जाएंगी। कार्यक्रम में शामिल सभी 52 विषयों का उद्देश्य नागरिकों एवं विशेष रूप से युवा व पहली बार मतदाता बने लोगों को मतदान में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करना है। कार्यक्रम की प्रत्येक कड़ी में निर्वाचन आयोग के “व्यवस्थित मतदाता शिक्षा तथा इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन” (SVEEP) द्वारा तैयार प्रश्नोत्तरी, विशेषज्ञों का साक्षात्कार और गीतों को शामिल किया जाएगा। कार्यक्रम में कोई भी नागरिक सवाल पूछ सकता है या मतदान के किसी भी पहलू पर सुझाव दे सकता है। कार्यक्रम का पहला एपिसोड 7 अक्तूबर, 2022 को प्रसारित किया जाएगा।
मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार
वैज्ञानिक स्वंते पाबो (Svante Paabo) ने वर्ष 2022 के लिये Medicine के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने वर्तमान इंसानों में लुप्त हो चुके इंसान के पूर्वजों से जीन्स (Genes) के प्रसार को जानने और पहचानने में काफी मदद की है। यह पुरस्कार उनकी खोज "कंसर्निंग द जीनोम ऑफ एक्सटिंक्ट होमिनिंस एंड ह्यूमन इवॉल्यूशन" (concerning the genomes of extinct hominins and human evolution) के लिये दिया गया है। यह पुरस्कार स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली द्वारा दिया जाता है। यह पुरस्कार वर्ष 1901 से विज्ञान, लेखन और शांति के क्षेत्र में दिया जाता है। नोबेल प्राइज़ ऑर्गनाइज़ेशन के अनुसार, स्वंते पाबो ने लगभग असंभव काम किया है. उन्होंने लुप्त हो चुकी आज के इंसानों की पूर्वज प्रजाति निएंडरथल (Neanderthal) के जीनोम सीक्वेंसिंग की. इतना ही नहीं, उन्होंने इंसानों के एक ऐसे पूर्वज को खोज निकाला जिससे हम परिचित नहीं थे। इसका नाम है डेनीसोवा (Denisova)। खास तौर से पाबो ने यह भी पाया कि अफ्रीका से 70,000 साल पहले हुए प्रवास के कारण आज के मानव या होमो सेपिएंस (Homo sapiens) में लुप्त हो चुके पूर्वजों से जीन ट्रांसफर हुए, अतः इंसानों में जीन्स के प्रसार की काफी अहमियत है, इससे निर्धारित होता है कि हमारा इम्यून सिस्टम कैसे संक्रमणों पर प्रतिक्रिया देता है।