गुजरात में कैद में प्रशिक्षित भेड़िये वन में छोड़े जाएँगे
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
कैद में पाले और प्रशिक्षित किये गए भेड़ियों को पुनः वनों में लाने की गुजरात की महत्त्वाकांक्षी परियोजना में सफलता के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं।
- यह पहल संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर, अपनी तरह की प्रथम पहल है, जिसका लक्ष्य भेड़ियों की जीवसंख्या को बहाल करना है जहाँ ये नीलगाय (Blue Bulls) और जंगली सूअर जैसे जंगली शाकाहारी जानवरों की जीवसंख्या को नियंत्रित रखकर तथा जानवर बायोकंट्रोल एजेंटों के रूप में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
भेड़ियों से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- परिचय:
- भेड़िये, कुत्ते/श्वान कुल कैनिडे (Canidae) के सबसे बड़े सदस्य हैं, जो अपनी प्रभावशाली काया, मोटे फर, तेज़ आँखें, मज़बूत जबड़े, तीक्ष्ण कान और लंबी झाड़ीनुमा पूँछ के लिये जाने जाते हैं, जो उनके डरावने रूप को दर्शाते हैं।
- पारिस्थितिकी तथा व्यवहार:
- सामाजिक जंतु: ये झुंड में निवास करते हैं, जिसमें अमूमन एक प्रजनन जोड़ा तथा उनकी संतानें शामिल होती हैं, जो शिकार करने एवं बच्चों (जिन्हें Whelp अथवा Pup कहा जाता है) के पालन पोषण के लिये मिलकर कार्य करते हैं।
- शिकारी: ये मुख्य रूप से हिरण, एल्क (Elk) तथा मूस जैसे बड़े खुर वाले जीवों का शिकार करते हुए पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- कम्युनिकेटिव मास्टर्स: उनकी चीखें भयानक गर्जना के सामान होती हैं अपितु वे झुंड संबंधो को मज़बूत करने, निवास क्षेत्र की रक्षा करने तथा अन्य भेड़ियों के झुंड के साथ संवाद करने का कार्य करती हैं।
- भारत में पाई जाने वाली उप-प्रजातियाँ:
- भारत में भेड़ियों की दो उप-प्रजातियाँ पाई जाती हैं: प्रायद्वीपीय क्षेत्र में भूरा भेड़िया/ग्रे वुल्फ (कैनिस ल्यूपस पल्लिप्स) तथा उत्तर में हिमालयी अथवा तिब्बती भेड़िया (कैनिस ल्यूपस चान्को)।
- भारत में वितरण क्षेत्र:
- ग्रे वुल्फ गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में पाए जाते हैं।
- हिमालयी भेड़िया मुख्य रूप से लद्दाख क्षेत्र एवं पूर्वोत्तर हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति क्षेत्र में पाया जाता है।
- संरक्षण की स्थिति:
- ग्रे वुल्फ:
- IUCN रेड लिस्ट: कम संकटग्रस्त
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (भारत): अनुसूची I
- CITES परिशिष्ट: I
- हिमालयन वुल्फ
- IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य
- ग्रे वुल्फ:
सिकल सेल रोग
स्रोत: पी. आई. बी
राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत सिकल सेल रोग (SCD) के लिये 1 करोड़ से अधिक लोगों की जाँच की गई है।
- वर्ष 2023 में शुरू किये गए राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत से सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करना है।
सिकल सेल रोग (SCD) क्या है?
- परिचय:
- SCD वंशानुगत लाल रक्त कोशिका विकारों का एक समूह है। इस रोग में हीमोग्लोबिन में विसंगति उत्पन्न हो जाती है, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो ऑक्सीजन का परिवहन करता है। SCD में लाल रक्त कोशिकाएँ कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं तथा C-आकार के कृषि उपकरण की तरह दिखती हैं जिसे "सिकल" कहा जाता है।
- लक्षण:
- सिकल सेल रोग के लक्षण भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- क्रोनिक एनीमिया: यह शरीर में थकान, कमज़ोरी और पीलेपन का कारण बनता है।
- तीव्र दर्द (सिकल सेल संकट के रूप में भी जाना जाता है): यह हड्डियों, छाती, पीठ, हाथ एवं पैरों में अचानक असहनीय दर्द उत्पन्न कर सकता है।
- यौवन व शारीरिक विकास में विलंब।
- सिकल सेल रोग के लक्षण भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- उपचार:
- रक्ताधान: ये एनीमिया से छुटकारा पाने और तीव्र दर्द के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- हाइड्रॉक्सीयूरिया: यह दवा दर्द की निरंतरता की आवृत्ति को कम करने और बीमारी की दीर्घकालिक जटिलताओं को नियंत्रित करने में सहायता कर सकती है।
- इसका इलाज अस्थि मज्जा या स्टेम सेल प्रत्यारोपण द्वारा भी किया जा सकता है।
- SCD से निपटने के लिये सरकारी पहल:
- सरकार ने 2016 में सिकल सेल एनीमिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिये तकनीकी परिचालन दिशानिर्देश जारी किये।
- बीमारी की जाँच और प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिये मध्य प्रदेश में राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की स्थापना की गई है।
- एनीमिया मुक्त भारत पहल
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत की जा रही व्यवस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः(2023)
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं? (a) केवल एक उत्तर: (c) व्याख्या:
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ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स के लिये विस्तारित PLI योजना
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारी उद्योग मंत्रालय (Ministry of Heavy Industries- MoHI) ने ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स के लिये उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (Production Linked Incentive- PLI) योजना की अवधि एक वर्ष बढ़ा दी है, यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 से शुरू होकर अगले पाँच वर्षों के लिये लागू है।
- यह निर्णय सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (Empowered Group of Secretaries- EGoS) की मंज़ूरी मिलने के बाद लिया गया है।
- इसके तहत पहले वर्ष की बिक्री वृद्धि सीमा को पूरा करने में विफल रहने वाली कंपनियों को उस वर्ष हेतु प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।
- हालाँकि वे पहले वर्ष की सीमा से 10% वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि प्राप्त करके भविष्य के लाभों के लिये पात्र बने रहते हैं।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (Production Linked Incentive) योजना क्या है?
- परिचय: PLI योजना भारत में एक सरकारी पहल है जो कंपनियों को भारत में निर्मित उत्पादों की बढ़ती बिक्री के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- इस योजना का लक्ष्य घरेलू विनिर्माण, रोज़गार सृज़न एवं निर्यात को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाना और आयात निर्भरता को कम करना है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- क्षेत्र-विशिष्ट: यह योजना वर्तमान में 14 प्रमुख क्षेत्रों में सक्रिय है: मोबाइल विनिर्माण, चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, फार्मास्यूटिकल्स, दवाएँ, विशिष्ट इस्पात, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, श्वेत वस्तुएँ (AC व LED), खाद्य उत्पाद, वस्त्र उत्पाद, सौर PV मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल ( Advanced Chemistry Cell- ACC) बैटरी तथा ड्रोन व ड्रोन कंपोनेंट्स।
- प्रोत्साहन दर: प्रोत्साहन दर क्षेत्र और उत्पाद श्रेणी के आधार पर भिन्न होती है, यह कुल वृद्धिशील विक्रय के 4% से 6% तक हो सकती है।
भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर की स्थिति क्या है?
- भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाज़ार है। सितंबर 2023 DPIIT रिपोर्ट के अनुसार, ऑटोमोबाइल सेक्टर में कुल FDI संचलन का हिस्सा 5.41% रहा।
- वर्ष 2022-2030 के दौरान इलेक्ट्रिक वाहन बाज़ार 49% की कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट CAGR से बढ़ने की उम्मीद है और EV उद्योग में वर्ष 2030 तक 5 मिलियन प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष नौकरियाँ उत्पन्न होंगी।
- संबंधित सरकारी पहल:
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 जनवरी, 2024
तटीय कर्नाटक कस्बों में प्राचीन जल निकायों को पुनर्जीवित करना
हाल ही में, कर्नाटक के दो तटीय शहर मूडबिद्री और करकला, हजारों साल पहले के अपने प्राचीन जल निकायों को पुनर्जीवित कर रहे हैं।
- ये जल निकाय शहरों की प्राकृतिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं, जो अपने जैन मंदिरों और मठों के लिये भी जाने जाते हैं।
- नागरिकों ने अधिकारियों के समक्ष याचिका दायर करके, धन जुटाकर और सामुदायिक कार्यों में संलग्न होकर इन जल निकायों को पुनर्स्थापित करने की पहल की है।
- मूडबिद्री शहर को 'जैन काशी' (जैनियों का बनारस) के रूप में जाना जाता है। यह जैन मंदिरों (बसदि और निशिदि) के साथ-साथ मठों का भी केंद्र है।
- मूडबिद्री विश्व से जैन तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है और यह एक शैक्षिक केंद्र के रूप में भी विकसित हुआ है।
- इन जल निकायों के पुनरुद्धार से कई लाभ होंगे जैसे भूजल पुनर्भरण में सुधार, जैव विविधता में वृद्धि, पेयजल उपलब्ध कराना और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण।
सावित्रीबाई फुले जयंती
- हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने सावित्रीबाई फुले को उनकी जयंती (3 जनवरी 1831) पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
और पढ़ें: सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले
रानी वेलु नचियार जयंती
भारत के प्रधान मंत्री ने रानी वेलु नचियार (3 जनवरी 1730 - 25 दिसंबर 1796) को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।
- रानी वेलु नचियार, जिन्हें वीरमंगई के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु के रामनाथपुरम के रामनाद साम्राज्य की राजकुमारी थीं।
- उन्हें भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के विरुद्ध लड़ने वाली पहली रानी के रूप में सम्मानित किया जाता है।
- वह फ्रेंच, अंग्रेज़ी तथा उर्दू जैसी भाषाओं की ज्ञाता थीं।
- वर्ष 1780 में अपने पति मुथुवदुगनाथपेरिया उदयथेवर की मृत्यु के बाद नचियार शिवगंगा एस्टेट (वर्तमान तमिलनाडु) की रानी बन गईं। उन्होंने वर्ष 1790 तक शासन किया।
- उन्होंने पहले मानव बम के प्रयोग के साथ-साथ वर्ष 1700 के दशक के अंत में प्रशिक्षित महिला सैनिकों की पहली सेना की स्थापना की।
विश्व ब्रेल दिवस
वर्ष 2019 से प्रतिवर्ष 4 जनवरी को मनाया जाने वाला विश्व ब्रेल दिवस, नेत्रहीन और आंशिक दृष्टि वाले लोगों के लिये मानवाधिकारों की पूर्ण प्राप्ति में संचार के साधन के रूप में ब्रेल के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु मनाया जाता है।
- ब्रेल वर्णमाला और संख्यात्मक प्रतीकों का एक स्पर्शपूर्ण प्रतिनिधित्व है, जिसमें प्रत्येक अक्षर और संख्या और यहाँ तक कि संगीत, गणितीय और वैज्ञानिक प्रतीकों को दर्शाने के लिये छह बिंदुओं का उपयोग किया जाता है।
- ब्रेल (इसका नाम 19वीं सदी के फ्राँस में इसके आविष्कारक लुई ब्रेल के नाम पर रखा गया) का उपयोग नेत्रहीन और आंशिक दृष्टि वाले लोगों द्वारा उन्हीं पुस्तकों और पत्रिकाओं को पढ़ने के लिये किया जाता है जो दृश्य फॉन्ट में मुद्रित होती हैं।
- ब्रेल शिक्षा, अभिव्यक्ति और राय की स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक समावेशन के संदर्भ में आवश्यक है, जैसा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 में दर्शाया गया है।
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