भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग
- 16 Sep 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:इलेक्ट्रिक वाहन (EV), प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI), ऑटोमोटिव मिशन प्लान 2016-26, नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 (NEMMP)। मेन्स के लिये:भारत में ऑटोमोबाइल क्षेत्र का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने 62वें ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (Automotive Component Manufacturers Association-ACMA) के वार्षिक सत्र को संबोधित किया।
- सत्र का विषय 'फ्यूचर ऑफ मोबिलिटी- ट्रांस्फोर्मिंग टू बी अहेड ऑफ ऑपरच्युनिटी' (Future of Mobility - Transforming to be Ahead of Opportunity) था।
- ACMA, भारतीय ऑटो कंपोनेंट उद्योग के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था है। 850 से अधिक निर्माताओं की इसकी सदस्यता संगठित क्षेत्र में ऑटो कंपोनेंट उद्योग के कारोबार में 85% से अधिक का योगदान करती है।
सत्र की मुख्य विशेषताएँ:
- इस सत्र में ऑटोमोबाइल उद्योग के लिये 5-सूत्री कार्य एजेंडा प्रस्तुत किया गया:
- विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिये गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना।
- समग्र रूप से विचार करने और खुलेपन एवं प्रतिस्पर्द्धा की भावना से दूसरों के साथ जुड़ने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण रखना।
- मूल्यवर्द्धन पर बल देना।
- अप्रतिस्पर्द्धी बाज़ार से बाहर निकलना और उन क्षेत्रों में बाज़ार के नए अवसरों का पता लगाना जहाँ स्वस्थ्य प्रतिस्पर्द्धा हो।
- उद्योग के लिये बड़े लक्ष्य और महत्त्वाकांक्षाएँ निर्धारित करना।
- इसके अलावा सरकार इस बात पर बल देती है कि ऑटोमोटिव कंपोनेंट उद्योग का भविष्य अधिक कनेक्टेड होने, सुविधा पर ध्यान केंद्रित करने, स्वच्छ ऊर्जा और स्वच्छ गतिशीलता की ओर उन्मुख होने तथा अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने पर आधारित है।
भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग की स्थिति:
- परिचय:
- ऑटोमोबाइल उद्योग में यात्री वाहन, वाणिज्यिक वाहन, तिपहिया, दोपहिया और क्वाड्रिसाइकिल सहित सभी ऑटोमोबाइल वाहन शामिल हैं।
- भारत का मोटर वाहन बाज़ार वर्ष 2021 में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जिसके पूर्वानुमान अवधि (2022-2027) पर1% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज करते हुए वर्ष 2027 में 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
- 4 मिलियन से अधिक मोटर वाहनों के औसत वार्षिक उत्पादन के साथ भारत दुनिया में ऑटोमोबाइल का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा ट्रैक्टर निर्माता, दूसरा सबसे बड़ा बस निर्माता और तीसरा सबसे बड़ा भारी ट्रक निर्माता है।
- वर्ष 2025 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाज़ार 50.000 करोड़ (7.09 अमेरिकी डॉलर) तक पहुँचने की उम्मीद है।
- सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सेदारी: 7.1%
- भारत के निर्यात में हिस्सेदारी: 4.7%
- पहल:
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स क्षेत्रों में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की।
- ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिये पीएलआई योजना (3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत) उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्यं शृंखला में निवेश आकर्षित करने हेतु 18% तक के वित्तीय प्रोत्साहन प्रस्तावित करती है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई):
- स्वचालित मार्ग के तहत पूर्ण लाइसेंसिंग के साथ 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है। इसलिये निवेशकों के लिये भारत में अपना विनिर्माण संयंत्र/दुकान स्थापित करना आसान हो गया है।
- ऑटोमोटिव मिशन योजना 2016-26 (एएमपी 2026):
- ऑटोमोटिव मिशन योजना 2016-26 (एएमपी 2026) भारत में ऑटोमोटिव इकोसिस्टम के विकास की दिशा को रेखांकित करती है, जिसमें अनुसंधान, डिज़ाइन, प्रौद्योगिकी, परीक्षण, निर्माण, आयात/निर्यात, बिक्री को नियंत्रित करने के साथ ही ऑटोमोटिव वाहनों, घटकों और सेवाओं का उपयोग, मरम्मत और पुनर्चक्रण शामिल है।
- नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 (NEMMP):
- एनईएमएमपी पहल भरोसेमंद, किफायती और सक्षम एक्सईवी (हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहन) को प्रोत्साहित करने के लिये की गई है जो सरकार-उद्योग दोनों के सहयोग से उपभोक्ताओं के प्रदर्शन और कीमत संबंधी अपेक्षाओं को पूरा कर सके।
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना:
ऑटोमोबाइल उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ:
- शेयर्ड कार: गत 3-4 वर्षों में भारत में ओला, उबर जैसे शेयर ए्प में काफी तेज़ी से वृद्धि हुई है।
- ये एप भारी ट्रैफ़िक में ड्राइविंग जैसी परेशानी के बिना यात्रा को और अधिक सुविधाजनक बनाते हैं तथा वाहन के रखरखाव की लागत से बचाते हैं, वह भी सभी सस्ती दरों पर। इसने निश्चित रूप से स्वामित्व की अवधारणा को चुनौती दी है और इस प्रकार वाहनों की बिक्री को प्रभावित किया है।
- टाइट क्रेडिट अवेलेबिलिटी: देश में 80-85% वाहनों को राष्ट्रीयकृत बैंकों, निजी बैंकों या NBFC द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
- कार खरीदने वाले लोगों को ऋण देने में बैंक अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं।
- इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर संक्रमण: सरकार क्रमशः 2023 और 2025 तक आंतरिक दहन संचालित दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है।
- यह परिवर्तन अचानक तब आया है, जब ऑटोमोबाइल क्षेत्र की स्थिति पहले से ही विकट है क्योंकि वाहनों की बिक्री दो दशक के निचले स्तर पर आ गई है और रोज़गार में कमी के साथ बाज़ार की स्थिति भी खराब हो गई है।
- कमर्शियल वाहनों की मांग में कमी: नए मॉडल के ट्रकों की माल ढुलाई क्षमता में वृद्धि हुई है। इससे नए ट्रकों की मांग में गिरावट आई है क्योंकि उपभोक्ता अपने ट्रकों में माल ढुलाई कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: मैग्नेटाइट कण जो न्यूरोडीजेनेरेटिव समस्याओं का कारण बनते हैं, पर्यावरण प्रदूषक के रूप में निम्नलिखित में से किससे उत्पन्न होते हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प d सही है। |