प्रिलिम्स फैक्ट्स (01 Sep, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट्स: 01 सितंबर, 2021

कोविड-19 स्थानिकता

Covid-19 Endemicity

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत कोविड-19 की स्थानिकता के किसी चरण में प्रवेश कर रहा है, जहाँ निम्न से मध्यम स्तर का संचरण होता है।

प्रमुख बिंदु

  • स्थानिकता:
    • स्थानिक रोग एक ऐसा रोग होता है जो सदैव एक निश्चित आबादी या किसी भौगोलिक क्षेत्र में मौजूद रहता है।
    • स्थानिक (Endemic) रोग के कुछ उदाहरणों में चिकन पॉक्स और मलेरिया शामिल हैं, जहाँ विश्व के कुछ हिस्सों में प्रत्येक वर्ष अनुमानित संख्या में मामले सामने आते हैं।
  • ऐंडेमिक बनाम एपिडेमिक बनाम पेंडेमिक:
    • प्रायः लोग स्थानिक रोग यानी ऐंडेमिक को महामारी/एपिडेमिक मान लेते हैं जबकि महामारी किसी रोग के प्रकोप को संदर्भित करती है। महामारी तब होती है जब किसी रोग का संक्रमण एक या एक से अधिक आबादी में फैल रहा हो। इसके विपरीत स्थानिक रोग वह है जिसकी उपस्थिति किसी समूह या भौगोलिक क्षेत्र में लगातार बनी रहती है।
      • पेंडेमिक विश्वव्यापी होती है। कोई भी महामारी अधिक संख्या में लोगों को प्रभावित करती है और किसी एपिडेमिक की तुलना में अधिक लोगों की जान लेती है।
    • कुछ परिस्थितियों में एक महामारी किसी रोग को स्थानिक बना सकती है।
  • कोविड की स्थानिकता का कारण:
    • केवल उन रोगजनकों का उन्मूलन किया जा सकता है जिनके रिज़र्वायर जानवर (अन्य प्रजाति) नहीं हैं।
      • चेचक और पोलियो मानव वायरस के उदाहरण हैं, रिंडरपेस्ट एक मवेशी वायरस है।
    • इसका अर्थ यह है कि यदि कोई वायरस/रोगजनक है जो किसी एनिमल रिज़र्वायर में मौजूद है तो आबादी में इसके कारण होने वाली बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षा का स्तर कम होने पर यह एक बार फिर से संचारित हो सकता है ।
    • कोरोनावायरस रोग के मामले में ऐसा ही देखा गया है कि यह प्रसारित होता रहेगा क्योंकि यह एनिमल रिज़र्वायर में उपस्थित है।
  • आशय:
    • प्रतिरक्षा से:
      • यदि पर्याप्त लोगों को टीका लगाया गया है या वे संक्रमण के संपर्क में आ गए हैं, तो वायरस रोगसूचक संक्रमण का कारण बनेगा लेकिन रोग का नहीं।
    • भविष्य के मामलों से:
      • जब तक नया संस्करण डेल्टा संस्करण की तुलना में अधिक संचरण क्षमता के साथ नहीं आता है, तो यह अधिक संभावना है कि कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से कम पूर्व सेरोप्रवलेंस और कम टीकाकरण दरों के साथ स्पाइक्स को देखते हुए मामलों का एक स्थिर स्तर होगा।

फुकुतोकू-ओकानोबा ज्वालामुखी: जापान

Fukutoku-Okanoba Volcano: Japan

हाल ही में फुकुतोकू-ओकानोबा सबमरीन ज्वालामुखी (Fukutoku-Okanoba Submarine Volcano) में जापान से दूर प्रशांत महासागर में विस्फोट हुआ है।

Fukutoku-Okanoba-Volcano

प्रमुख बिंदु

  • यह जापान के दक्षिण इवो जिमा द्वीप से पाँच किलोमीटर उत्तर में समुद्र से लगभग 25 मीटर नीचे स्थित है।
  • प्लम (Plume) सतह से 16 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँच गया, जिससे विमानों और जहाज़ो के गुज़रने के लिये खतरा पैदा हो गया। यह इस प्रकार के ज्वालामुखी के लिये सामान्य नहीं है।
    • प्रायः निचले स्तर के प्लम सबमरीन विस्फोट से देखे जाते हैं।
    • विस्फोट और पनडुब्बी हाइड्रोथर्मल गतिविधियाँ प्रायः क्षेत्र में जल को दूषित करने का कारण बनती हैं और विस्फोट के दौरान ज्वालामुखी ने कई अस्थायी नए द्वीपों का निर्माण किया है।

सबमरीन ज्वालामुखी:

  • हवाई से लेकर इंडोनेशियाआइसलैंड तक विश्व में सैकड़ों द्वीपों का निर्माण सबमरीन ज्वालामुखियों द्वारा किया गया है। सबमरीन ज्वालामुखी समुद्र की सतह के नीचे स्थित ज्वालामुखियों के समान होते हैं।
  • क्योंकि हवा के बजाय ये जल में विस्फोटित होते हैं, सबमरीन ज्वालामुखी स्थलीय ज्वालामुखियों की तुलना में काफी अलग व्यवहार करते हैं। उदाहरण के लिये सबमरीन ज्वालामुखियों में विस्फोट होना असामान्य है।
  • उनके ऊपर जल का भार बहुत अधिक दबाव बनाता है, जिसे आमतौर पर निष्क्रिय लावा के रूप में जाना जाता है जो समुद्र तल के साथ बहता है। अधिकांश सबमरीन विस्फोट समुद्र की सतह को विचलित नहीं करते हैं।

वर्ल्ड हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च- एशिया पैसिफिक

World Heritage Institute of Training and Research– Asia Pacific

हाल ही में वर्ल्ड हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च- एशिया पैसिफिक (WHITR-AP) ने विश्व विरासत शिक्षा पर सेंटर फॉर एन्वायरनमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी (CEPT), गुजरात यूनिवर्सिटी के संरक्षण और उत्थान के कार्यक्रम को वैश्विक नवाचार के एक सराहनीय मामले के रूप में मान्यता प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु 

  • WHITR-AP के बारे में:
    • WHITR-AP एक गैर-लाभकारी संगठन है जो विरासत संरक्षण के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखता है।
    • यह यूनेस्को के तत्त्वावधान में विकासशील देशों में स्थापित पहला संस्थान है।
    • यह सदस्य राज्यों और यूनेस्को के सहयोगी सदस्यों की सेवा में एक स्वायत्त संस्था है।
  • उद्देश्य:
    • एशिया पैसिफिक क्षेत्र में विश्व विरासत कन्वेंशन 1972 के कार्यान्वयन को मज़बूत करना।
  • विश्व विरासत कन्वेंशन:
    • यह सबसे महत्त्वपूर्ण  वैश्विक संरक्षण उपकरणों में से एक है जिसे 1972 में बनाया गया था।
      • इसका उद्देश्य उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य मानी जाने वाली विश्व की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत की पहचान करना एवं उसकी रक्षा करना है।
    • यह संभावित स्थलों की पहचान करने और उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण में राज्यों की भूमिका तथा कर्तव्यों को निर्धारित करता है। 
      • कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करके प्रत्येक देश न केवल अपने क्षेत्र में स्थित विश्व धरोहर स्थलों को संरक्षित करने, बल्कि अपनी राष्ट्रीय विरासत की रक्षा करने हेतु भी प्रतिबद्ध होते हैं।
    • यह कन्वेंशन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी , कन्वेंशन के सचिवालय और तीन तकनीकी सलाहकार निकायों द्वारा शासित है:
    • भारत इस कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्त्ता देश है और इसके 40 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और एक मिश्रित संपत्ति शामिल हैं।

यूनेस्को 


प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट: OECD

(Program for International Student Assessment: OECD)

‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ (PISA) का फील्ड ट्रायल सितंबर 2021 से आयोजित होने वाला है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ (PISA) 
    • यह एक योग्यता-आधारित परीक्षा है, जिसे 15 वर्ष की आयु तक के उम्मीदवारों की क्षमता का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो ज्ञान को वास्तविक जीवन की स्थितियों में लागू करने हेतु प्रति तीन वर्ष में उनके पढ़ने, गणित और विज्ञान साक्षरता को मापता है।
    • यह ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (OECD) द्वारा समन्वित एक अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण है तथा इसे पहली बार वर्ष 2000 में आयोजित किया गया था।
  • भारत की भागीदारी
    • भारत ने इससे पहले वर्ष 2009 में केवल एक बार इस परीक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इसमें भारत की ओर से हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के छात्र शामिल हुए थे तथा भारत 73 देशों में से 72वें स्थान पर रहा था।
    • तब से लेकर अब तक भारत इस परीक्षण में शामिल नहीं हुआ है, अब वर्ष 2022 में चंडीगढ़ के छात्र इस परीक्षा में शामिल होंगे।
      • मूलतः ‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ सर्वेक्षण 2021 में आयोजित किया जाना था, किंतु महामारी के कारण इसे एक वर्ष के लिये स्थगित कर दिया गया था।
  • भारत के लिये महत्त्व
    • ‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ से स्कूलों में योग्यता-आधारित परीक्षा प्रणाली में सुधार लाने में मदद मिलेगी और रटने की शिक्षा पद्धति को समाप्त किया जा सकेगा। 
    • यह भारतीय छात्रों की पहचान एवं स्वीकार्यता को बढ़ावा देगा तथा उन्हें 21वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये तैयार करेगा।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन

  • इसका गठन वर्ष 1961 में हुआ था। इसमें 38 सदस्य देश हैं। भारत इसका सदस्य नहीं है, किंतु इसके प्रमुख भागीदारों में से एक है।
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसका लक्ष्य उन नीतियों को आकार देना है जो सभी के लिये समृद्धि, समानता और कल्याण को बढ़ावा देती हैं।
  • इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांँस में स्थित है।
  • ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) का सचिवालय OECD मुख्यालय में ही स्थित है।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 सितंबर, 2021

भक्तिवेदांत स्‍वामी प्रभुपाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘भक्तिवेदांत स्‍वामी प्रभुपाद’ जी की 125वीं जयंती के अवसर पर वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्यम से 125 रुपए का विशेष स्‍मारक सिक्का जारी किया। ‘भक्तिवेदांत स्‍वामी प्रभुपाद’ ने इस्‍कॉन की स्‍थापना की थी जिसे हरे कृष्‍ण मूवमेंट के रूप में भी जाना जाता है। ‘इस्‍कॉन’ ने भगवद्‌ गीता और अन्‍य वैदिक साहित्‍य का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद कराया है और इस तरह विश्‍व भर में वैदिक साहित्‍य के प्रचार-प्रसार में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ‘भक्तिवेदांत स्‍वामी प्रभुपाद’ का जन्म 1896 में कलकत्ता (भारत) में हुआ था। वह अपने आध्यात्मिक गुरु- ‘श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी’ से पहली बार वर्ष 1922 में कलकत्ता में मिले थे। महत्त्वपूर्ण धार्मिक विद्वान और चौंसठ गौड़ीय मठों (वैदिक संस्थानों) के संस्थापक ‘भक्तिसिद्धांत सरस्वती’ ने ‘भक्तिवेदांत स्‍वामी प्रभुपाद’ को वैदिक ज्ञान सिखाने के लिये अपना जीवन समर्पित करने को राज़ी कर लिया। ‘श्रील प्रभुपाद’ की दार्शनिक शिक्षा और भक्ति को पहचानते हुए गौड़ीय वैष्णव समाज ने उन्हें वर्ष 1947 में ‘भक्तिवेदांत’ की उपाधि से सम्मानित किया। स्‍वामी प्रभुपाद ने एक सौ से अधिक मंदिरों की स्‍थापना की और विश्‍व को भक्ति योग के मार्ग की शिक्षा देने के लिये कई पुस्‍तकें लिखीं। 14 नवंबर, 1977 को अपने निधन से पूर्व उन्होंने सोसाइटी का मार्गदर्शन किया और इसे एक सौ से अधिक आश्रमों, स्कूलों, मंदिरों, संस्थानों तथा कृषि समुदायों के विश्वव्यापी संघ के रूप में विकसित होते देखा।

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस

भारतीय समाज में छोटे और लघु उद्योगों के महत्त्व को मान्यता देने हेतु प्रतिवर्ष 30 अगस्त को ‘राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस आम लोगों को रोज़गार प्रदान करने में छोटे व्यवसायों के महत्त्व को मान्यता प्रदान करता है और उन्हें प्रोत्साहित करने हेतु समर्पित है। भारत जैसे विकासशील देश में छोटे पैमाने के उद्योग आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे क्षेत्रों की सामरिक प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए इनके विकास की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है। परिणामस्वरूप छोटे उद्योगों के लिये सरकारी नीतिगत सहायता की प्रवृत्ति लाभकारी रही है और छोटे उद्यमों के विकास के अनुकूल रही है। 30 अगस्त, 2000 को लघु उद्योग क्षेत्र के लिये एक व्यापक नीति पैकेज की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत में छोटी फर्मों को महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करना था। 30 अगस्त, 2001 को लघु उद्योग मंत्रालय ने नई दिल्ली में लघु उद्यमियों के लिये एक ‘लघु उद्योग सम्मेलन’ आयोजित किया, साथ ही लघु उद्योग के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किये गए, तभी से प्रतिवर्ष 30 अगस्त को ‘राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस’ का आयोजन किया जाता है।

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे मार्ग पर ‘टॉय-ट्रेन सफारी’ की शुरुआत

भारतीय रेलवे ने कोविड के कारण प्रभावित पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये ‘सिलीगुड़ी’ जंक्शन से पश्चिम बंगाल के ‘रोंगटोंग’ स्टेशन तक एक नियमित जंगल टी टॉय-ट्रेन सफारी शुरू करने का निर्णय लिया है। विश्व प्रसिद्ध ‘दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे’ (DHR) का संचालन करने वाले भारतीय रेलवे के ‘पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे’ (NFR) ने नई सेवा की घोषणा की है। इस मार्ग पर संचालित टॉय ट्रेन को वर्ष 1999 में यूनेस्को की 'विश्व धरोहर स्थल' सूची में शामिल किया गया था। यहाँ टॉय ट्रेन के लिये वर्ष 1889 और वर्ष 1927 के बीच निर्मित हेरिटेज स्टीम इंजनों के साथ-साथ आधुनिक डीज़ल इंजनों, दोनों का उपयोग किया जाता है, जो विदेशी पर्यटकों और घरेलू यात्रियों के बीच व्यापक रूप से लोकप्रिय हैं। देश में कोविड-19 महामारी के कारण लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व नियमित टॉय ट्रेन सेवाओं को निलंबित किये जाने के बाद रेलवे अधिकारी पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं।

कुश्ती को गोद लेगी उत्तर प्रदेश सरकार

भारतीय कुश्ती को व्यापक पैमाने पर बढ़ावा देने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने इस खेल को वर्ष 2032 तक गोद लेने का निर्णय लिया है और इसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार पहलवानों को बुनियादी अवसंरचना प्रदान करने तथा ओलिंपिक तक पहुँचने में खिलाड़ियों का समर्थन करने हेतु 170 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व ओडीशा सरकार ने हॉकी के खेल का समर्थन किया था, जिसके बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं। इस समझौते के माध्यम से देश भर में कुश्ती खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान की जा सकेंगी और उन्हें बेहतर प्रशिक्षण के लिये विदेश भी भेजा जा सकेगा। साथ ही कैडेट और जूनियर पहलवानों के प्रशिक्षण पर भी निवेश किया जा सकेगा।