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कोविड-19 डेल्टा प्लस वेरिएंट

  • 25 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डेल्टा प्लस वेरिएंट

मेन्स के लिये:

डेल्टा प्लस वेरिएंट से संबंधित मुद्दे और चिंताएँ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Health and Family Welfare- MoHFW) ने लोगों को नए कोविड -19 स्ट्रेन 'डेल्टा प्लस' (Delta Plus- DP) को लेकर चेतावनी दी है।

  • ऐसी आशंका है कि यह नया वेरिएंट कोविड-19 की तीसरी लहर को भड़का सकता है।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

  • डेल्टा प्लस (B.1.617.2.1/(AY.1), SARS-CoV-2 कोरोनावायरस का एक नया वेरिएंट है, जो वायरस के डेल्टा स्ट्रेन (B.1.617.2 वेरिएंट) में उत्परिवर्तन के कारण बना है। तकनीकी रूप में वास्तव में सार्स-सीओवी-2 (SARS-COV-2) की अगली पीढ़ी है।
  • डेल्टा के इस म्यूटेंट का पहली बार यूरोप में मार्च 2021 में पता चला था।
  • डेल्टा वेरिएंट पहली बार भारत में सर्वप्रथम फरवरी 2021 में पाया गया था जो अंततः पूरी दुनिया के लिये एक बड़ी समस्या बन गया। हालाँकि वर्तमान में डेल्टा प्लस वेरिएंट देश के छोटे क्षेत्रों तक सीमित है।
  • यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (Monoclonal Antibodies Cocktail) के लिये प्रतिरोधी है। चूँकि यह एक नया वेरिएंट है इसलिये इसकी गंभीरता अभी भी अज्ञात है।
  • इसके लक्षण के रूप में लोगों में सिरदर्द, गले में खराश, नाक बहना और बुखार जैसी समस्याएँ देखी जा रही है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वेरिएंट को अतिरिक्त उत्परिवर्तन के साथ गंभीरता से लेते हुये डेल्टा वेरिएंट के हिस्से के रूप में ट्रैक कर रहा है।

संक्रामिकता:

  • इस वेरिएंट ने K417N नामक स्पाइक प्रोटीन उत्परिवर्तन का अधिग्रहण किया है जो कि इसके पहले दक्षिण अफ्रीका में पहचाने गए बीटा वेरिएंट में भी पाया गया था।
  • स्पाइक प्रोटीन का उपयोग SARS-CoV-2 द्वारा किया जाता है, जो कोविड -19 वायरस का कारण बनता है तथा मेजबान कोशिकाओं में प्रवेश करता है।
  • कुछ वैज्ञानिकों को डर है कि डेल्टा वेरिएंट की अन्य मौजूदा विशेषताओं के साथ संयुक्त उत्परिवर्तन इसे और अधिक पारगम्य बना सकता है।

प्रमुख चिताएँ:

  • डेल्टा प्लस कोविड-19 उत्परिवर्तन के खिलाफ टीकों की प्रभावशीलता का परीक्षण करने के लिये भारत और विश्व स्तर पर कई अध्ययन चल रहे हैं।
  • भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि जिन क्षेत्रों में यह पाया गया है, उन्हें "निगरानी, ​​उन्नत परीक्षण, त्वरित संपर्क-अनुरेखण और प्राथमिकता टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करके अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।"
  • हाल ही में मामलों में दुनिया के सबसे खराब उछाल से उभरने के बाद डेल्टा प्लस भारत पर संक्रमण की एक और लहर लाएगा ऐसी चिताएँ विद्यमान है।
  • अब तक केवल 4% से अधिक भारतीयों का संपूर्ण टीकाकरण किया गया है और लगभग 18% लोगों ने अब तक एक खुराक प्राप्त की है।

वायरस वेरिएंट (Virus Variant)

  • वायरस के वेरिएंट में एक या अधिक म्यूटेशन (mutations) होते हैं जो इसे अन्य वेरिएंट से प्रचलन में रहते हुये अलग करते हैं। अधिकांश उत्परिवर्तन वायरस के लिये हानिकारक होते हैं जबकि कुछ वायरस के लिये जीवित रहना आसान बनाते हैं।
  • SARS-CoV-2 (कोरोना) वायरस तेजी से विकसित हो रहा है क्योंकि इसने बड़े पैमाने पर दुनिया भर में लोगों को संक्रमित किया है। इसके परिसंचरण के उच्च स्तर का मतलब है कि वायरस में बदलाव आसान है क्योंकि यह तेजी से उत्परिवर्तन हेतु सक्षम है।
  • मूल महामारी वायरस (प्राथमिक संस्करण) Wu.Hu.1 (वुहान वायरस) था। इसके कुछ ही महीनों में वेरिएंट D614G उभरा और विश्व स्तर पर प्रभावी हो गया।
  • जीनोमिक्स पर भारतीय SARS-CoV-2 कंसोर्टियम (Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics- INSACOG), SARS-CoV-2 में जीनोमिक विविधताओं की निगरानी के लिये एक बहु-प्रयोगशाला, बहु-एजेंसी एवं अखिल भारतीय नेटवर्क है।
  •  इन्फ्लुएंजा से संबंधित सभी डेटा साझा करने पर वैश्विक पहल (Global Initiative on Sharing All Influenza Data- GISAID) विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा वर्ष  2008 में देशों के जीनोम अनुक्रम साझा करने के लिये शुरू किया गया एक सार्वजनिक मंच है।
    • GISAID सभी प्रकार के इन्फ्लूएंजा वायरस अनुक्रमों, मानव वायरस से संबंधित नैदानिक ​​​​और महामारी विज्ञान डेटा और भौगोलिक तथा साथ ही एवियन एवं अन्य पशु वायरस से जुड़े प्रजातियों-विशिष्ट डेटा के अंतर्राष्ट्रीय साझाकरण को बढ़ावा देती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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