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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चेचक की उत्पत्ति पर नवीनतम शोध

  • 29 Jul 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

चेचक रोग के बारे में,  वायरस

मेन्स के लिये:

चिकित्सीय क्षेत्र में शोध का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में में शोधकर्त्ताओं के एक अंतर्राष्ट्रीय दल द्वारा किये गए अध्ययन में चेचक रोग (Smallpox Disease) की उत्पत्ति के बारे में नई जानकारी प्रस्तुत की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • शोधकर्त्ताओं द्वारा अपने अध्ययन में बताया गया कि चेचक रोग का अस्तित्व 8 वीं शताब्दी ई.पू. के वाइकिंग युग (Viking age) में भी विद्यामन था।
  • वाइकिंग युग मध्य युग के दौरान की वह अवधि थी जब नूरमेन्स (Norsemen) ने पूरे यूरोप में उपनिवेशीकरण, विजय और व्यापार किया तथा वह 9 वीं और 10 वीं शताब्दी में उत्तरी अमेरिका तक पहुँच गया था।
  • चेचक की उत्पत्ति के बारे में हमेशा ही अस्पष्टता की स्थिति बनी रही है।
  • अभी तक, लिखित रिकॉर्ड के आधारों पर 17 वीं शताब्दी के लिथुआनिया के एक बच्चे के प्राप्त ममीकृत अवशेषों में चेचक की  बीमारी का सबसे पहला प्रमाणित मामला सामने आया था।

चेचक:  

  • चेचक एक संक्रामक रोग है जो वैरियोला वायरस (Variola Virus-VARV) के कारण होता है।
  • प्रसार: यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाली बूंदों के माध्यम से प्रसारित होता है।
  • उन्मूलन: चेचक मानव जाति के लिये सबसे घातक ज्ञात बीमारियों में से एक है जिसे केवल टीकाकरण के द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है।
  • वर्ष 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नेतृत्व में वैश्विक चेचक टीकाकरण अभियान के बाद इसे पूरी तरह से समाप्त घोषित कर दिया गया था।
  • वैक्सीन: चेचक के लिये सबसे प्रभावी टीका/वैक्सीन की खोज वर्ष 1796 में एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) द्वारा की गई थी।

नवीनतम शोध के प्रमुख निष्कर्ष:

  • विषाणु के अनुक्रम का पता लगाना: वैरियोला वायरस अनुक्रम  को उत्तरी यूरोप के 13 व्यक्तियों से प्राप्त किया गया था जिसमें से 11 व्यक्ति 600–1050 CE से संबद्ध हैं। 
  • संपूर्ण यूरोप में वायरस की उपस्थित:  शुरुआती लिखित रिकॉर्ड के आधार पर 6 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में वायरस का अनुक्रम  दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप में सयुक्त रूप से महामारी के रूप में सभी यूरोपीय (Pan European) लोगों में चेचक के रूप में उपस्थित था।
    • अध्ययन के अनुसार, लगभग 1700 वर्ष पहले जब पश्चिमी रोमन साम्राज्य  का पतन हुआ तथा लोग द्वारा यूरेशिया में पलायन किया गया उस वख्त भी चेचक का वायरस लोगों के बीच मौज़ूद था।
  • अनुवांशिक संरचना: अध्ययन के अनुसार 11 व्यक्तियों से प्राप्त किये गए वायरस के स्ट्रेन की आनुवंशिक संरचना वायरस के आधुनिक/वर्तमान संस्करण से अलग है, जिसका उन्मूलन वर्ष 1979-80 में ही किया जा चुका है।
    • वायरस का वाइकिंग प्रकार पहले अज्ञात था लेकिन अब यह वायरस का एक विलुप्त समूह या क्लेड है।
    • क्लेड एक ऐसा समूह होता है जिसमें एक सामान्य पूर्वज और उस पूर्वज के सभी वंशज (जीवित और विलुप्त) शामिल होते हैं।.
    • आधुनिक चेचक तथा इसके प्राचीन वैरिएंट/प्रकार दोनों की उत्पत्ति समान पूर्वज से हुई है जिनमें 1700 वर्ष पूर्व अलगाव/विचलन हो गया था।

शोध का महत्त्व: 

  • वायरस के बारे में जानकारी: हालाँकि अध्ययन के परिणामों का COVID -19 महामारी के मौजूदा प्रसार पर कोई प्रभाव नहीं है। फिर भी यह इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है कि समय के साथ एक वायरस किस प्रकार घातक हो सकता है।
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चेचक उन कई अन्य बीमारियों के बीच नवीनतम बीमारी है जिसका इतिहास हाल के कुछ वर्षों में उनके प्राचीन डीएनए विश्लेषण के द्वारा फिर से लिखा गया है।
    • इससे पहले वर्ष 2015 में, एक अध्ययन में बताया गया कि मध्ययुगीन यूरोप में 3000 और 1000 ईसा पूर्व के बीच कांस्य युग में लाखों लोगों को मारने वाले प्लेग का पता लगाया गया है। 
    • दूसरी ओर वर्ष 2018 में, हेपेटाइटिस बी की उत्पत्ति भी कांस्य युग में ही देखी गई थी।
  • प्रसार के तरीके: अध्ययन के निष्कर्ष उन तरीकों को समझने में मदद करेंगे जिनसे बीमारियों ने अतीत में मानव आबादी को प्रभावित किया है।
    • डीएनए से प्राप्त तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्लेग और हेपेटाइटिस बी जैसे प्रमुख रोगों  की उत्पत्ति इनके प्रागैतिहासिक प्रवास/स्थानांतरण से संबंधित है। जो कि चेचक रोग के बारे में भी सत्य प्रतीक होती है।
    • यह अध्ययन इस बात को भी जानने में मदद करेगा कि क्या पलायन ने बीमारियों को नए क्षेत्रों में फैलाया है   या बीमारी के उदगम ने लोगों को स्थानांतरित करने के लिये प्रेरित किया है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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