अंतर्राष्ट्रीय संबंध
FATF और पाकिस्तान
- 08 Sep 2020
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संदर्भ
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force- FATF) के ब्लैक लिस्ट में जाने का खतरा झेल रहे पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र परिषद द्वारा जारी की नई सूची का अनुपालन करते हुए 88 आतंकवादियों को प्रतिबंधित किया है। प्रतिबंधित आतंकवादियों में हाफिज़ सईद, मसूद अज़हर एवं दाऊद इब्राहिम शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि जून 2018 में पेरिस स्थित ने FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालते हुए पाकिस्तान को वर्ष 2019 के अंत तक इसपर कार्य-योजना लागू करने के लिए कहा। बाद में इस अवधि को वैश्विक महामारी COVID-19 को ध्यान में रखते हुए बढ़ा दिया गया।
18 अगस्त, 2020 को पाकिस्तान सरकार ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम, जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अज़हर एवं जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज़ सईद जैसे आतंकी संगठनों के प्रमुख नेताओं पर प्रतिबंध की घोषणा करते हुए दो सूची जारी की।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF)
- FATF की स्थापना वर्ष 1989 में एक अंतर-सरकारी निकाय के रूप में G7 के पहल पर हुई थी।
- FATF का सचिवालय पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग विकास संगठन (OECD) के मुख्यालय में स्थित है।
- इसका उद्देश्य मनी लॉड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण जैसे खतरों से निपटना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिये अन्य कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
- FATF की सिफारिशों को वर्ष 1990 में पहली बार लागू किया गया था। उसके बाद 1996, 2001, 2003 और 2012 में FATF की सिफारिशों को संशोधित किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे प्रासंगिक और अद्यतन रहें, तथा उनका उद्देश्य सार्वभौमिक बना रहे।
- किसी भी देश का FATF की ‘ग्रे’ लिस्ट में शामिल होने का अर्थ होता है कि वह देश आतंकवादी फंडिंग और मनी लॉड्रिंग पर अंकुश लगाने में विफल रहा है।
- किसी भी देश का FATF की ‘ब्लैक’ लिस्ट में शामिल होने का अर्थ होता है कि उस देश को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाएगी।
- वर्तमान में FATF में भारत समेत 37 सदस्य देश और 2 क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं। भारत वर्ष 2010 से FATF सदस्य है।
जून 2018 में FATF ने पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों हेतु वित्तपोषण के नियंत्रण में असफल रहने के कारण ग्रे लिस्ट शामिल किया गया था। इसके पश्चात पाकिस्तान FATF द्वारा एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण को अनियंत्रित करने वाले देशों की सूची अर्थात् ब्लैक लिस्ट में शामिल होने से बचने की पूरी कोशिश कर रहा है। अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में शामिल हो जाता है तो इससे उसकी अर्व्यवस्था को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
FATF द्वारा जारी की जाने वाली 'ग्रे लिस्ट’ और ‘ब्लैक लिस्ट’:
- ग्रे लिस्ट: जिस देश पर यह संदेह होता है कि वह ऐसी कार्यवाही नहीं कर रहा है जिससे आतंकवादी संगठन को मिलने वाला वित्तपोषण बाधित हो तथा वो देश जो अपने यहाँ AML/CTF (Anti Money Laundaundering/ Combating the financing of Terrorism) व्यवस्था को पूरी तरह नियंत्रिण नहीं कर पाए है किंतु वो इसे नियंत्रित करने हेतु किसी कार्य-योजना के प्रति प्रतिबद्ध हैं। तो उसे ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा जाता है।
- ब्लैक लिस्ट: यदि यह साबित हो जाए कि किसी देश से आतंकी संगठन को फंडिंग हो रही है और जो कार्यवाही उसे करनी चाहिये वह नहीं कर रहा है तो उसका नाम ‘ब्लैक लिस्ट’ में डाल दिया जाता है।
किसी देश का ब्लैक लिस्ट शामिल होने के परिणाम:
- यदि किसी देश को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है तो उस देश की अर्थव्यवस्था को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उस देश में अन्य देश निवेश करना बंद कर देते हैं साथ ही देश को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग मिलना भी बंद हो जाता है।
- विदेशी कारोबारियों और बैंकों का उस देश में कारोबार करना मुश्किल हो जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ ब्लैक लिस्ट में शामिल देश से अपना कारोबार समेट सकती हैं।
- ब्लैक लिस्ट में शामिल देश को विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) और यूरोपियन यूनियन जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज़ मिलना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा रेटिंग कंपनियाँ जैसे - मूडीज़, स्टैंडर्ड एंड पूअर और फिंट उसकी रेटिंग भी घटा सकती हैं।
पाकिस्तान को संभवत: अभी ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा क्योंकि वह आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण को रोकने एवं दोषियों को दंडित करने में विफल रहा।
इस वर्ष फरवरी में हुई FATF की बैठक में पाकिस्तान को बताया गया कि ग्रे लिस्ट से बाहर आने की उनकी सभी समय सीमा समाप्त चुकी है। अगर वो जून तक वित्तपोषित आतंकवादियों को दण्डित नहीं करता एवं मुकदमा नहीं चलाता है तो FATF उसपर कार्रवाई करेगा।
FATF ने जून 2018 में पाकिस्तान को 27 प्वाइंट कार्य-योजना दिया था जिसे पूरा करने के लिये एक साल की समय सीमा दी गई थी, जो सितम्बर 2019 को समाप्त हो गई। पाकिस्तान इस 27 प्वाइंट कार्य-योजना को पूरा नहीं कर पाया। इस बात पर FATF ने पाकिस्तान की असफलता पर गंभीर चिंता व्यक्त किया था।
FATF ने पाकिस्तान को अपने निगरानी सूची में रखने का निश्चय क्यों किया?
- पाकिस्तान वर्ष 2012- 2015 तक इसी सूची अर्थात् ग्रे लिस्ट में मौजूद था।
- पाकिस्तान सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा प्रतिबंधित समूहों, जैसे-लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद एवं हक्कानी नेटवर्क पर कानूनी कार्रवाई करने में असफल रहा।
- हाफिज़ सईद एवं मसूद अजहर जैसे उनके नेता लगातार सार्वजनिक रैलियां आयोजित करते हैं एवं स्वतंत्र रूप से गार्नर सपोर्ट और उपहार प्रदान करते है।
- लश्कर-ए-तैयबा एवं जैश-ए-मोहम्मद दोनों भारत में होने वाले आतंकवादी हमलों का श्रेय लेते हैं और भारत में होने वाले इस प्रकार के आतंकवादी हमलों की प्रशंसा भी करते हैं। इन संगठनों ने पाकिस्तान में अपना बेस या कैंप मुरीदके एवं बहावलपुर किले जैसे मुख्यालय के रूप में स्थापित किये है, लेकिन इन मुख्यालयों पर पाकिस्तान सरकार उचित कार्रवाई नहीं कर रही है।
निष्कर्ष
ग्रे लिस्ट में रहना पाकिस्तान के लिए नई बात नहीं है। इससे पहले भी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रह चुका है एवं दिखावे के लिए कई कार्य-योजना लाता रहा है जो अंतत: केवल एक कागज़ी कार्रवाई सिद्ध होती है।
अभ्यास प्रश्न - FATF द्वारा जारी की जाने वाली सूचियों एवं उसके निहितार्थ को समझाते हुए इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।