बुरहानपुर के 3 प्राचीन स्मारक के संदर्भ में उच्च न्यायालय का निर्णय
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने घोषणा की कि बुरहानपुर में स्थित तीन प्राचीन स्मारक, जिनमें बीबी साहिबा की मस्जिद (बीबी की मस्जिद) भी शामिल है, वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं हैं।
- यह निर्णय, जो भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) के रुख का समर्थन करता है, इस दावे पर आधारित था कि ये स्थल प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत संरक्षित हैं।
विवादित स्थल कौन-कौन से हैं?
- शाह शुजा स्मारक: यह स्मारक मुगल सम्राट शाहजहाँ के बेटे शाह शुजा की पत्नी बेगम बिलकिस का मकबरा है। इसे खरबूजा महल के नाम से जाना जाता है, यह पत्थर से बना है जिसका शैल मोर्टार से प्लास्टर किया गया है और चित्रों से सजाया गया है।
- नादिर शाह का मकबरा: आठ मेहराबों पर बना यह विशाल मकबरा, जिसे गलती से 'नादिर शाह' का मकबरा बता दिया गया, वास्तव में यह फारुकी वंश के दसवें सुल्तान मुहम्मद शाह फारुकी द्वितीय (974-84/1566-76 ई.) का मकबरा है।
- बीबी साहिबा की मस्जिद (बीबी की मस्जिद): गुजरात के सुल्तान मुज़फ्फर शाह द्वितीय की बेटी रानी बेगम रोकैया ने लगभग 1529 ई. के आस-पास इसे पूरा करवाया था। इसे 15वीं शताब्दी के दौरान बुरहानपुर के उत्तरी भाग में घनी आबादी के कारण बनवाया गया था।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का तर्क क्या था?
- ASI ने तर्क दिया कि विचाराधीन स्थल प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत प्राचीन और संरक्षित स्मारक हैं।
- प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 11 के अनुसार, आयुक्त (Commissioner) स्मारक का संरक्षक होता है और सभी उचित समय पर देखभाल और निरीक्षण के लिये उस तक पहुँच रखता है।
- जब तक अधिनियम की धारा 14 के तहत संरक्षकता नहीं छोड़ी जाती, तब तक स्मारक को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता।
- ASI ने बल देते हुए कहा कि एक बार जब संपत्ति को प्राचीन और संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया जाता है, तो उसे वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता।
- प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 11 के अनुसार, आयुक्त (Commissioner) स्मारक का संरक्षक होता है और सभी उचित समय पर देखभाल और निरीक्षण के लिये उस तक पहुँच रखता है।
- ASI के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा वर्ष 2013 में की गई घोषणा एक भौतिक अवैधता थी, क्योंकि एक बार संरक्षित स्मारक बन जाने के बाद संपत्तियों को वक्फ के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने क्या निर्णय सुनाया?
- न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि शाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और बुरहानपुर में बीबी साहिबा की मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति का हिस्सा नहीं हैं।
- निर्णय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन संपत्तियों को वक्फ अधिनियम के लागू होने से बहुत पहले ही प्राचीन स्मारक घोषित कर दिया गया था और इसलिये इन्हें मौजूदा वक्फ संपत्तियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
- न्यायमूर्ति के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा इन स्थानों को वक्फ संपत्ति घोषित करना और याचिकाकर्त्ता को उन्हें छोड़ने का निर्देश देना एक भौतिक अवैधता है।
- निहितार्थ: यह निर्णय प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत प्राचीन स्मारकों के संरक्षण को सुदृढ़ करता है।
- यह स्पष्ट करता है कि पहले से ही सरकारी स्वामित्व और संरक्षण में मौजूद संपत्तियों को वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्तियों के रूप में पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
- यह ASI द्वारा इन ऐतिहासिक स्थलों के निरंतर देखभाल और संरक्षण को सुनिश्चित करता है।
नोट:
राज्य/संघ शासित प्रदेश (UT) वक्फ बोर्ड, वक्फ अधिनियम 1995 के तहत प्रत्येक राज्य/संघ शासित प्रदेश में स्थापित संगठन हैं, जो उस राज्य/संघ शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिये हैं।
- राज्य/संघ शासित प्रदेश वक्फ बोर्ड मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन से संबंधित है।
- केंद्रीय वक्फ परिषद अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना वक्फ अधिनियम, 1954 में दिये गए प्रावधान के अनुसार वक्फ बोर्डों के कामकाज से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार के सलाहकार निकाय के रूप में वर्ष 1964 में की गई थी।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण
- संस्कृति मंत्रालय के तहत ASI, पुरातात्त्विक अनुसंधान और राष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
- राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों एवं अवशेषों की देखभाल ASI का प्रमुख दायित्व है।
- इसके अलावा, यह प्राचीन स्मारक और प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल तथा अवशेष, अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार देश में सभी पुरातात्त्विक गतिविधियों को नियंत्रित करता है। यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी नियंत्रित करता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्ज़ेंडर कनिंघम को ‘भारतीय पुरातत्त्व के जनक’ के रूप में भी जाना जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:Q. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
राज्यपाल की नियुक्ति
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रपति ने छह नए राज्यपालों की नियुक्ति की है तथा तीन अन्य में फेरबदल किया है।
राज्यपाल की नियुक्ति प्रक्रिया क्या है?
- परिचय:
- राज्यपाल, राज्य का कार्यकारी प्रमुख होता है।
- राज्यपाल का कार्यालय कनाडाई मॉडल से अनुकूलित है।
- परंपरा के अनुसार, वह उस राज्य से संबंधित न हो जहाँ उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त रह सके।
- इसके अलावा, जब राज्यपाल की नियुक्ति हो तब राष्ट्रपति के लिये आवश्यक हो कि वह राज्य के मामले में मुख्यमंत्री से परामर्श करे ताकि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित हो।
- राज्यपाल न तो जनता द्वारा सीधे चुना जाता है और न ही अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति की तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत उसका निर्वाचन होता है।
- उसकी नियुक्त राष्ट्रपति के मुहर लगे आज्ञापत्र के माध्यम से होती है।
- वह राष्ट्रपति की इच्छा पर पद धारण करता है और राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है।
- सूर्य नारायण बनाम भारत संघ मामले, 1982 में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि राष्ट्रपति की प्रसन्नता न्यायोचित नहीं है।
- वह केंद्र सरकार द्वारा नामित व्यक्ति हैं।
- हालाँकि हरगोविंद पंत बनाम रघुकुल तिलक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि किसी राज्य में राज्यपाल का कार्यालय केंद्र सरकार के अधीन रोज़गार नहीं है।
- यह एक स्वतंत्र संवैधानिक कार्यालय है।
- राज्यपाल कार्यालय की शर्तें:
- बिना किराये के उसे राजभवन (आधिकारिक निगम) उपलब्ध होगा।
- वह संसद द्वारा निर्धारित सभी प्रकार की उपलब्धियों, विशेषाधिकारों और भत्तों के लिये अधिकृत होगा।
- यदि वह व्यक्ति दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त होता है, तो ये उपलब्धियाँ और भत्ते राष्ट्रपति द्वारा तय मानकों के हिसाब से राज्य मिलकर प्रदान करेंगे।
- उसके कार्यकाल के दौरान उसकी आर्थिक उपलब्धियों व भत्तों को कम नहीं किया जा सकता।
- विशेषाधिकार:
- अनुच्छेद 361 के तहत, उसे अपने शासकीय कृत्यों के लिये विधिक दायित्व से निजी उन्मुक्ति प्राप्त होती हैं।
- अपने कार्यकाल के दौरान, उसे आपराधिक कार्यवाही (चाहे वह व्यक्तिगत क्रियाकलाप हो) की सुनवाई से उन्मुक्ति प्राप्त है।
- उसे गिरफ्तार कर कारावास में नहीं डाला जा सकता है।
- यद्यपि दो महीने के नोटिस देने पर व्यक्तिगत क्रियाकलापों पर उनके विरुद्ध नागरिक कानून संबंधी कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है।
- शपथ:
- कार्यभार ग्रहण करने से पहले राज्यपाल सत्यनिष्ठा की शपथ लेना है।
- अपनी शपथ में राज्यपाल प्रतिज्ञा करते हैं-
- निष्ठापूर्वक दायित्वों का निर्वहन करेगा।
- संविधान और विधि की रक्षा संरक्षण व प्रतिरक्षा करेगा।
- स्वयं को राज्य की जनता के हित व सेवा में समर्पित करेगा।
- राज्यपाल को शपथ, संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिलवाते हैं। उनकी अनुपस्थिति में उपलब्ध वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलवाते हैं।
राज्यपाल से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिये एक राज्यपाल होगा।
- अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिये एक राज्यपाल होगा।
- एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों (सरकारिया आयोग द्वारा अनुशंसित) का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
- राज्यपाल केंद्र सरकार का एक मनोनीत सदस्य होता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- अनुच्छेद 157 और 158: राज्यपाल के पद के लिये पात्रता संबंधी आवश्यकताओं को निर्दिष्ट किया गया है।
- अनुच्छेद 163: राज्यपाल को उसके कार्यों के निर्वहन में सहायता और सलाह देने के लिये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिपरिषद होती है, सिवाय कुछ स्थितियों के जहाँ विवेकाधिकार की अनुमति होती है।
और पढ़ें: राज्यपाल, राज्यपाल की भूमिका: चुनौतियाँ और सुधार प्रस्ताव, सुर्खियों में राज्यपाल: भारत में सुधार का आह्वान, राज्य विधानमंडल में राज्यपाल की भूमिका
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी विवेकाधीन शक्तियाँ किसी राज्य के राज्यपाल को दी गई हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2013) (a) भारत में एक ही व्यक्ति को एक ही समय में दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त नहीं किया जा सकता है। उत्तर: (c) |
IPEF ने भारत को आपूर्ति शृंखला परिषद का उपाध्यक्ष चुना
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारत को आपूर्ति शृंखला परिषद का उपाध्यक्ष चुना गया है, जो 14 सदस्यीय इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) ब्लॉक द्वारा स्थापित तीन निकायों में से एक है।
आपूर्ति शृंखला परिषद क्या है?
- परिचय:
- भारत और 13 अन्य इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) भागीदारों ने एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, आपूर्ति शृंखला लचीलेपन से संबंधित महत्त्वपूर्ण इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) समझौते के तहत तीन आपूर्ति शृंखला निकायों की स्थापना की है।
- आपूर्ति शृंखला परिषद: राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक कल्याण के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों तथा वस्तुओं के लिये आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत करने हेतु लक्षित कार्रवाई-उन्मुख कार्य करना।
- संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क: आपातकालीन या आसन्न व्यवधानों के लिये सामूहिक आपातकालीन प्रतिक्रिया हेतु एक मंच प्रदान करना।
- श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड: क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखलाओं में श्रम अधिकारों और कार्यबल विकास को मज़बूत करने के लिये श्रमिकों, नियोक्ताओं एवं सरकारों को एक साथ लाता है।
- भारत और 13 अन्य इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) भागीदारों ने एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, आपूर्ति शृंखला लचीलेपन से संबंधित महत्त्वपूर्ण इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) समझौते के तहत तीन आपूर्ति शृंखला निकायों की स्थापना की है।
- हाल की नियुक्तियाँ:
- बैठकों के दौरान, तीनों आपूर्ति शृंखला निकायों में से प्रत्येक ने एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया, जो दो वर्ष की अवधि के लिये कार्य करेंगे। निर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हैं:
- आपूर्ति शृंखला परिषद: अमेरिका (अध्यक्ष) और भारत (उपाध्यक्ष)
- संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क: कोरिया गणराज्य (अध्यक्ष) और जापान (उपाध्यक्ष)
- श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड: संयुक्त राज्य अमेरिका (अध्यक्ष) और फिजी (उपाध्यक्ष)
- बैठकों के दौरान, तीनों आपूर्ति शृंखला निकायों में से प्रत्येक ने एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया, जो दो वर्ष की अवधि के लिये कार्य करेंगे। निर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हैं:
- महत्त्व:
- आपूर्ति शृंखला परिषद (SCC), संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क (CRN) और श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड (LRAB) की उद्घाटन वर्चुअल बैठकों के आयोजन से आपूर्ति शृंखला में लचीलेपन को सुदृढ़ करने के लिये भागीदार देशों के बीच सहयोग के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण कदम के साथ आगे बढ़े हैं।
- आपूर्ति शृंखला परिषद ने संदर्भ की शर्तें अपनाईं और आरंभिक कार्य प्राथमिकताओं पर चर्चा की, जिन पर आपूर्ति शृंखला शिखर सम्मेलन के दौरान सितंबर 2024 में वाशिंगटन, डीसी में होने वाली अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक में आगे चर्चा की जाएगी।
- संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क ने निकट और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं पर चर्चा की, जिसमें टेबल टॉप अभ्यास आयोजित करना शामिल है तथा आपूर्ति शृंखला शिखर सम्मेलन के साथ-साथ अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक की योजना बनाई।
- श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड ने IPEF आपूर्ति शृंखलाओं में श्रम अधिकारों को मज़बूत करने की प्राथमिकताओं पर चर्चा की। यह आयोजन न केवल श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड के कार्य को आगे बढ़ाएगा, बल्कि IPEF स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौते में श्रम प्रावधानों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
IPEF क्या है?
- परिचय:
- IPEF की शुरुआत मई 2022 में टोक्यो जापान में की गई थी, जिसमें 14 देश शामिल हैं। IPEF का उद्देश्य क्षेत्र में विकास, आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव व सहयोग को मज़बूत करना है।
- IPEF 4 मुख्य स्तंभों पर आधारित है:
- ढाँचा व्यापार: इसका उद्देश्य क्षेत्र में आर्थिक विकास, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देना है।
- आपूर्ति शृंखला लचीलापन: आपूर्ति शृंखलाओं को अधिक लचीला, मज़बूत और अच्छी तरह से एकीकृत बनाने का प्रयास करता है।
- स्वच्छ अर्थव्यवस्था (नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन में कमी): इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों पर सहयोग को आगे बढ़ाना है।
- निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (कर और भ्रष्टाचार विरोधी नीतियाँ): प्रभावी भ्रष्टाचार विरोधी और कर उपायों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
- भारत IPEF के स्तंभ-II से IV में शामिल हो गया है, जबकि इसने स्तंभ-I में पर्यवेक्षक की भूमिका का निर्वाहन किया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं ? (a) 2 और 4 उत्तर: (c) प्रश्न. भारत सरकार मेगा फूड पार्क की अवधारणा को किस/किन उद्देश्य/उद्देश्यों से प्रोत्साहित कर रही है? (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अत: विकल्प B सही है। मेन्स:प्रश्न. लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाई की अल्प स्वीकार्यता के क्या कारण हैं? खाद्य प्रक्रमण इकाई गरीब किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने में किस प्रकार सहायक होगी? (2017) |
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशेष लोक अदालत का आयोजन
स्रोत: द हिंदू
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी 75वीं वर्षगाँठ (हीरक जयंती) के उपलक्ष्य में लंबे समय से लंबित विवादों को हल करने के लिये एक सप्ताह तक चलने वाला विशेष लोक अदालत अभियान शुरू किया है।
- इस पहल का उद्देश्य लंबित मामलों से निपटना और त्वरित न्याय प्रदान करना है।
- इस पहल में सर्वोच्च न्यायालय की पहली सात पीठें शामिल हैं, जिसमें मुख्य न्यायाधीश पाँच सदस्यीय पैनल का नेतृत्व करते हैं, जिसमें प्रमुख न्यायाधीश और कानूनी पेशेवर शामिल हैं।
- कवर किये गए मामले: इसमें वैवाहिक विवाद, संपत्ति विवाद, मोटर दुर्घटना दावे, भूमि अधिग्रहण, मुआवज़ा और सेवा एवं श्रम मुद्दे शामिल हैं।
- लंबित मामलों वाले नागरिकों को सौहार्दपूर्ण और त्वरित समाधान के लिये भाग लेने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
- इस अभियान में विवाद समाधान को सुविधाजनक बनाने के लिये एक अनौपचारिक, प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान का उपयोग किया जाता है, जिससे यह प्रक्रिया जनता के लिये अधिक सुलभ और कुशल हो जाती है।
- लोक अदालत गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित अनौपचारिक, स्वैच्छिक और सुलहनीय विवाद समाधान मंच हैं, जिन्हें विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक समर्थन प्राप्त है।
- यह वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) प्रणाली का एक घटक है जो आम लोगों को अनौपचारिक, सस्ता और शीघ्र न्याय प्रदान करता है।
और पढ़ें: सर्वोच्च न्यायालय की हीरक जयंती
भारत-अमेरिका सांस्कृतिक संपदा समझौता
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत और अमेरिका ने सांस्कृतिक कलाकृतियों की अवैध तस्करी से निपटने तथा पुरावस्तुओं को उनके मूल स्थान पर वापस लौटाने को सुनिश्चित करने के लिये पहली बार सांस्कृतिक संपदा समझौते (Cultural Property Agreement- CPA) पर हस्ताक्षर किये।
- यह समझौता सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व हस्तांतरण के निषेध एवं रोकथाम के साधनों पर यूनेस्को कन्वेंशन के 1970 के अनुच्छेद 9 के अनुरूप है।
- CPA 1.7 मिलियन वर्ष पूर्व से लेकर वर्ष 1947 तक की कुछ पुरातात्त्विक और नृवंशविज्ञान संबंधी सामग्रियों के अमेरिका में आयात पर प्रतिबंध लगाता है। आयात के लिये प्रतिबंधित ऐसी वस्तुओं की सूची अमेरिकी सरकार द्वारा प्रख्यापित की जाएगी।
- अमेरिका, भारत को नामित सूची में शामिल किसी भी वस्तु या सामग्री को वापस करने की पेशकश करेगा, जो अमेरिकी सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गई हो।
- इसी प्रकार के समझौते अमेरिका और अल्जीरिया, कंबोडिया, चीन, मिस्र और इटली जैसे देशों के बीच भी हैं।
- यह समझौता G20 बैठकों के दौरान शुरू की गई साल भर की द्विपक्षीय चर्चाओं का परिणाम है। भारत की G20 अध्यक्षता के तहत, सांस्कृतिक संपत्ति की सुरक्षा पर ध्यान सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
- काशी कल्चर पाथवे और वर्ष 2023 में नई दिल्ली नेताओं की घोषणा (New Delhi Leaders’ Declaration- NDLD) ने अवैध तस्करी से लड़ने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
- यह वैश्विक विकास रणनीति में बदलाव का प्रतीक है, जो वर्ष 2030 के बाद के विकास ढाँचे में संस्कृति को एक स्वतंत्र लक्ष्य के रूप में महत्त्व देता है।
और पढ़ें: G20 संस्कृति मंत्री स्तरीय बैठक और B20 शिखर सम्मेलन 2023
अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा LNG आपूर्तिकर्त्ता बना
स्रोत: बिज़नेस लाइन
वर्ष 2023 में, संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के लिये तरलीकृत प्राकृतिक गैस (Liquefied Natural Gas- LNG) का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता बनकर उभरा, जिसने वर्ष 2023 में 3.09 मिलियन टन (MT) की आपूर्ति करते हुए संयुक्त अरब अमीरात को पीछे छोड़ दिया। कतर 2023 में शिपमेंट के साथ सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता बना रहा। यह बदलाव वैश्विक LNG बाज़ार की बदलती परिस्थितियों और विकसित व्यापार गतिशीलता से प्रेरित है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर LNG की कमज़ोर होती कीमतें तथा केप ऑफ गुड होप के माध्यम से भारत की भौगोलिक निकटता ने अमेरिकी एलएनजी को उत्तरी एशिया सहित अन्य आपूर्तिकर्त्ताओं की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्द्धी बना दिया है।
- वैश्विक स्तर पर चौथे सबसे बड़े LNG आयातक भारत में वर्ष 2022 में बढ़ती कीमतों के कारण LNG आयात में गिरावट देखी गई, लेकिन भारत को अमेरिकी निर्यात वर्ष 2022 में 2.16 मीट्रिक टन से बढ़कर 2023 में 3.09 मीट्रिक टन हो गया।
- पिछले वर्षों में गिरावट के बाद वर्ष 2023 में भारत को UAE का LNG निर्यात 2.85 मीट्रिक टन तक पहुँच गया।
- LNG प्राकृतिक गैस है, जिसे लगभग -260°F पर तरल अवस्था में ठंडा किया जाता है, तरल अवस्था में प्राकृतिक गैस की मात्रा गैसीय अवस्था में इसकी मात्रा से लगभग 600 गुना कम होती है। इस प्रक्रिया से प्राकृतिक गैस को उन जगहों पर पहुँचाना संभव हो जाता है जहाँ पाइपलाइन नहीं पहुँच पाती। टर्मिनलों पर LNG को वापस गैस में परिवर्तित किया जाता है और पाइपलाइनों के माध्यम से वितरित किया जाता है।
- प्राकृतिक गैस पारंपरिक हाइड्रोकार्बन की तुलना में अधिक स्वच्छ और किफायती विकल्प है, जिसमें 70-90% मीथेन होता है, जो भारत के हरित ऊर्जा की ओर संक्रमण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
विश्व रेंजर दिवस 2024
स्रोत: इंटरनेशनल रेंजर फेडरेशन
प्रत्येक वर्ष 31 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व रेंजर दिवस, प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा की रक्षा करने वाले रेंजरों के लिये समर्पित है। यह दिन ड्यूटी के दौरान घायल हुए या वीरगति को प्राप्त हुए लोगों का स्मरण कराता है और संरक्षण प्रयासों में रेंजरों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
- विश्व रेंजर दिवस- 2024 की थीम: ‘30×30’ जैव-विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (COP15)- 2022 के साथ संरेखित है, जो वर्ष 2030 तक पृथ्वी पर कम से कम 30% भूमि और समुद्री क्षेत्रों को संरक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित करता है।
- संरक्षण लक्ष्यों को प्राप्त करने, सुरक्षा, निगरानी, कानून प्रवर्तन और सामुदायिक समर्थन जैसे कार्यों को संभालने में रेंजर की भूमिका महत्त्वपूर्ण हैं।
- ‘30×30’ लक्ष्य को पूरा करने के लिये रेंजरों को पर्याप्त संसाधन और प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
- पहला विश्व रेंजर दिवस वर्ष 2007 में अंतर्राष्ट्रीय रेंजर फेडरेशन (IRF) की स्थापना की 15वीं वर्षगांठ पर मनाया गया था। इसका गठन 31 जुलाई 1992 को हुआ था और विश्व रेंजर दिवस प्रत्येक वर्ष 31 जुलाई को मनाया जाता है।
- भारत में रेंजर्स, जिन्हें वन रक्षक या ग्रीन सोल्जर के रूप में भी जाना जाता है, भारत के किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के भीतर वन रेंज के वन, पर्यावरण और वन्यजीव-संबंधी मुद्दों के लिये ज़िम्मेदार हैं।
और पढ़ें: भारत के वन सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा