चाबहार बंदरगाह
यह एडिटोरियल 23/08/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Reinvigorating the Chabahar port” लेख पर आधारित है। इसमें चाबहार बंदरगाह के विकास के संबंध में भारत के रणनीतिक और आर्थिक विज़न के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
चाबहार बंदरगाह दक्षिण-पूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी में स्थित है। यह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी समुद्र तक सीधी पहुँच है।
- यह मध्य-एशियाई देशों के साथ भारत, ईरान और अफगानिस्तान के व्यापार के लिये सुनहरे अवसरों के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है ।
- चाबहार बंदरगाह में वस्तुतः दो अलग-अलग बंदरगाह शामिल हैं जिन्हें ‘शाहिद कलंतरी’ और ‘शाहिद बेहेश्ती’ के रूप में जाना जाता है। भारतीय फर्म ‘इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड’ ने शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह पर परिचालन कार्य संभाला है। बंदरगाह के विकास को अलग घटना के रूप में नहीं बल्कि अन्य अवसरों के प्रिज़्म से देखा जाना चाहिये जो भारत इस उद्यम से प्राप्त कर सकता है।
- हालाँकि भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंध जटिल रहा है और भारतीय परिप्रेक्ष्य से चाबहार बंदरगाह की व्यवहार्यता के संबंध में किसी अनुमान के लिये अन्य अतिरिक्त घटकों पर भी विचार करने की आवश्यकता है।
चाबहार बंदरगाह का क्या महत्त्व है?
- अफगानिस्तान से प्रत्यक्ष संपर्क: यह भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनीतिक रूप से संवहनीय संपर्क की स्थापना सुनिश्चित करेगा। इससे दोनों देशों के बीच बेहतर आर्थिक संबंध बन सकेंगे।
- पाकिस्तान अफगानिस्तान जाने वाले भारतीय ट्रकों द्वारा अपने क्षेत्र का उपयोग करने में बाधाएँ उत्पन्न करता रहा है।
- चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान के लिये भी अन्य देशों के साथ व्यापार को सुगम बनाएगा।
- इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान पर अफगान निर्भरता कम होगी और इस प्रकार अफगान घरेलू राजनीति पर पाकिस्तानी प्रभाव कम होगा, जिससे भारत को रणनीतिक लाभ प्राप्त होगा।
- चीन का मुक़ाबला: चाबहार बंदरगाह भारतीय परिप्रेक्ष्य से अरब सागर क्षेत्र में चीन से मुक़ाबले के लिये भी उपयोगी सिद्ध होगा। उल्लेखनीय है कि चीन द्वारा चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के एक अंग के रूप में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के विकास के साथ अरब सागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
- ग्वादर बंदरगाह चाबहार बंदरगाह से महज 72 किमी. दूर अवस्थित है।
- व्यापार और वाणिज्य: चाबहार बंदरगाह के चालू होने से भारत में लौह अयस्क, चीनी और चावल के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
- भारत के लिये तेल की आयात लागत में भी पर्याप्त गिरावट आएगी।
- वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, चाबहार बंदरगाह INSTC के साथ भूमध्य-स्वेज़ मार्ग की तुलना में 30% कम लागतपूर्ण आयात को सक्षम करेगा।
- चाबहार बंदरगाह के माध्यम मध्य एशिया से भारत में प्राकृतिक गैस का निर्यात किया जा सकता है। भारत पहले से ही तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत (TAPI) पाइपलाइन जैसी परियोजनाओं का भागीदार है।
- इसके अलावा, ईरान पर पश्चिम द्वारा आरोपित प्रतिबंध को हटाए जाने के साथ भारत पहले ही ईरान से कच्चे तेल की अपनी खरीद बढ़ा चुका है।
- भारत के लिये तेल की आयात लागत में भी पर्याप्त गिरावट आएगी।
- लोकोपकारी अभियान: राजनयिक दृष्टिकोण से चाबहार बंदरगाह का उपयोग भारत द्वारा एक ऐसे बिंदु के रूप में भी किया जा सकता है जहाँ से मध्य और दक्षिण एशिया में लोकोपकारी कार्यों का समन्वय किया जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे से जुड़ाव: चाबहार बंदरगाह ईरान तक भारत की पहुँच का विस्तार करेगा जो अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (International North-South Transport Corridor- INSTC) का प्रमुख प्रवेश द्वार है। इस गलियारे के तहत भारत, रूस, ईरान, यूरोप और मध्य एशिया के बीच समुद्री, रेल और सड़क मार्ग स्थापित हैं।
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा
- यह 7,200 किलोमीटर लंबा मल्टी-मोडल परिवहन गलियारा है जो सड़क, रेल और समुद्री मार्गों के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) को मुंबई से जोड़ता है।
- यह गलियारा भारत को एक यूरेशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में रूस, ईरान और मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ सहयोग करने हेतु एक मंच प्रदान करता है।
- INSTC के पूर्णरूपेण कार्यान्वित हो जाने पर स्वेज़ नहर के डीप-सी रूट की तुलना में माल ढुलाई लागत में 30% और यात्रा के समय में 40% की कमी आने की उम्मीद है।
चाबहार बंदरगाह के विकास की दिशा में भारत के प्रयास में कौन-सी बाधाएँ मौजूद हैं?
- बढ़ते ईरान-चीन संबंध: हाल के समय में ईरान चीन के अधिक करीब आ गया है।
- चीन ईरान के साथ संबंध बढ़ा रहा है जिसकी पुष्टि चीनी राष्ट्रपति की वर्ष 2016 की ईरान यात्रा से भी हुई। दोनों देश ‘ईरान और चीन के बीच सहयोग के लिये व्यापक योजना’ ('Comprehensive Plan for Cooperation between Iran and China) पर आगे बढ़ रहे हैं।
- चीन के साथ बहुप्रचारित रणनीतिक साझेदारी के मसौदे को ईरान ने मंज़ूरी प्रदान की है। इसके तहत दोनों देशों ने 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते के माध्यम से अपनी दीर्घकालिक साझेदारी को एक नए स्तर पर ले जाने का प्रस्ताव रखा है।
- ईरान-अमेरिका संघर्ष: चाबहार में प्रगति इस बात पर भी निर्भर हो सकती है कि ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।
- भारत ईरान के साथ अपने संबंधों के पुनरुद्धार की इच्छा रखता है, लेकिन इसके साथ ही उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्यता के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अवसर के लिये अमेरिका के समर्थन की भी आवश्यकता है।
- मध्य-पूर्वी देशों के साथ संबंध का संतुलन: चाबहार बंदरगाह का विकास स्वस्थ भारत-ईरान संबंधों पर निर्भर करता है।
- ईरान के साथ भारत के संबंधों में भारत को एक नाजुक संतुलन भी बनाए रखना होगा क्योंकि भारत के सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और इज़राइल जैसे देशों के साथ भी अच्छे संबंध हैं जबकि इन देशों का ईरान के साथ शत्रुतापूर्ण इतिहास रहा है।
आगे की राह
- G20 अध्यक्षता का लाभ उठाना: वर्ष 2023 में G20 की अध्यक्षता के साथ भारत के पास यह अवसर होगा कि वह अपने भू-राजनीतिक हितों के साथ भू-आर्थिक आवश्यकताओं को संलग्न कर सके।
- अभी तक भारत को एक ऐसी उभरती हुई शक्ति के रूप में देखा जाता है जो वैश्विक शक्ति बनने की महत्त्वाकांक्षा रखता है।
- वर्ष 2023 में भारत के पास उत्तर-दक्षिण पारगमन में सुधार के लिये चाबहार बंदरगाह के महत्त्व को स्पष्ट करने का अवसर होगा।
- भारत की वैश्विक उपस्थिति के टिकट के रूप में चाबहार: भारत स्वयं को दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रख सकता है और उसे एक विस्तारित पड़ोस (ईरान-अफगानिस्तान) से बहुत कुछ हासिल करना है। यह न केवल व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देगा, बल्कि वैश्विक महाशक्ति बनने की भारतीय आकांक्षाओं की पूर्ति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना: चाबहार बंदरगाह के सुचारू विकास और दोनों देशों की आर्थिक समृद्धि के लिये भारत और ईरान के बीच सुदृढ़ द्विपक्षीय राजनीतिक एवं आर्थिक संबंध होना महत्त्वपूर्ण है।
- भारत द्वारा हाल में ईरान में टिड्डियों के आक्रमण का मुक़ाबला करने में मदद करने के लिये कीटनाशक भेजने हेतु इस बंदरगाह का उपयोग किया गया है, जो इस दिशा में एक अच्छा कदम है।
- ईरान और अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित करना: भारत दोनों देशों के बीच एक संतुलनकारी कार्य कर सकता है और अपने दृढ़ राष्ट्रीय हित के अनुरूप शांति स्थापक के रूप में वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिये सक्रिय कदम उठा सकता है।
अभ्यास प्रश्न: ‘‘चाबहार बंदरगाह के विकास को अलग घटना के रूप में नहीं बल्कि अन्य अवसरों के प्रिज़्म से देखा जाना चाहिये जो भारत इस उद्यम से प्राप्त कर सकता है।’’ चर्चा करें।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)Q. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का क्या महत्त्व है? (वर्ष 2017) (A) अफ्रीकी देशों के साथ भारत के व्यापार में भारी वृद्धि होगी। उत्तर: (C) |