अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत, तुर्कमेनिस्तान द्विपक्षीय बैठक
- 04 Apr 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:तुर्कमेनिस्तान और मध्य एशियाई राष्ट्रों की भौगोलिक स्थिति, तापी पाइपलाइन, अश्गाबात समझौता। मेन्स के लिये:भारत और संबंधित चुनौतियों के लिये मध्य एशियाई देशों का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय राष्ट्रपति द्वारा पहली बार तुर्कमेनिस्तान की यात्रा की गई जहांँ उन्होंने वित्तीय, खुफिया और आपदा प्रबंधन सहित चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये तथा बहुआयामी साझेदारी को और अधिक मज़बूती प्रदान करने के लिये द्विपक्षीय व्यापार एवं ऊर्जा सहयोग का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की।
- इससे पहले आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और तुर्कमेनिस्तान के मध्य एक समझौता ज्ञापन ((MoU) पर हस्ताक्षर किये गए थे।
प्रमुख बिंदु
द्विपक्षीय बैठक की मुख्य विशेषताएंँ:
- द्विपक्षीय बैठक में अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North South Transport Corridor- INSTC) और अंतर्राष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारे को लेकर अश्गाबात समझौते (Ashgabat Agreement) के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
- ईरान में भारत द्वारा निर्मित चाबहार बंदरगाह का उपयोग भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार में सुधार के लिते किया जा सकता है।
- तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (Turkmenistan-Afghanistan-Pakistan-India- TAPI) पाइपलाइन पर चर्चा करते हुए भारत ने सुझाव दिया कि तकनीकी और विशेषज्ञ स्तर की बैठकों में पाइपलाइन की सुरक्षा एवं प्रमुख व्यावसायिक सिद्धांतों से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया जा सकता है।
- भारत ने डिजिटलीकरण की दिशा में अपने अभियान में तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी करने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि दोनों देशों के मध्य अंतरिक्ष पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का एक अन्य क्षेत्र हो सकता है।
- द्विपक्षीय बैठक में एक-दूसरे के क्षेत्र में नियमित रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के महत्त्व को रेखांकित किया गया क्योंकि दोनों देश सदियों पुरानी सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों को साझा करते हैं।
- दोनों देशों द्वारा अपने-अपने देशों की आबादी को प्रभावित करने वाली कोविड-19 महामारी के प्रभावी प्रबंधन पर बारीकी से सहयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।
- दोनों देश भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की रूपरेखा के तहत और सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
- सुधारित और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के साथ-साथ वर्ष 2021-22 की अवधि के लिये UNSC में भारत के अस्थायी सदस्य के रूप में तुर्कमेनिस्तान द्वारा समर्थन करने हेतु भारत ने तुर्कमेनिस्तान के प्रति आभार व्यक्त किया।
- दोनों देश अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर एक व्यापक 'क्षेत्रीय सहमति' साझा करते हैं, जिसमें एक वास्तविक प्रतिनिधि और समावेशी सरकार का गठन, आतंकवाद का मुकाबला करना एवं मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका, अफगानिस्तान के लोगों के लिये तत्काल मानवीय सहायता और संरक्षण प्रदान करना तथा महिलाओं, बच्चों तथा अन्य राष्ट्रीय जातीय समूहों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण शामिल है।
भारत-तुर्कमेनिस्तान संबंध:
- तुर्कमेनिस्तान उत्तर में कज़ाखस्तान, उत्तर व उत्तर-पूर्व में उज़्बेकिस्तान, दक्षिण में ईरान तथा दक्षिण-पूर्व में अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है।
- भारत की 'कनेक्ट सेंट्रल एशिया' नीति 2012 में इस क्षेत्र के साथ गहरे पारस्परिक संबंधों की परिकल्पना की गई है जो ऊर्जा संबंधी नीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
- भारत अश्गाबात समझौते में शामिल है, जिसमें व्यापार और निवेश को महत्त्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाने हेतु मध्य एशिया को फारस की खाड़ी से जोड़ने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
- भारत तापी (TAPI) पाइपलाइन (तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत) को तुर्कमेनिस्तान के साथ अपने आर्थिक संबंधों में एक 'प्रमुख स्तंभ' मानता है।
- वर्ष 2015 में ‘फ्रीडम इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड लैंग्वेजेज़’, अश्गाबात में हिंदी पीठ की स्थापना की गई, जहांँ विश्वविद्यालय में छात्रों को हिंदी पढ़ाई जाती है।
- भारत ITEC (भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग) कार्यक्रम के तहत तुर्कमेनिस्तान के नागरिकों को प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- तुर्कमेनिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करता है।
- तुर्कमेनिस्तान 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था है, लेकिन भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार इसकी क्षमता से कम है। भारत तुर्कमेनिस्तान में विशेष रूप से सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) क्षेत्र में अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ा सकता है। इससे भविष्य के व्यापार संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
- हाल ही में भारत-मध्य एशिया वार्ता की तीसरी बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
- यह भारत और मध्य एशियाई देशों जैसे- कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान के बीच एक मंत्री स्तरीय संवाद है।
- तुर्कमेनिस्तान के पास प्राकृतिक गैस का बहुत बड़ा भंडार है।
- तुर्कमेनिस्तान भी रणनीतिक रूप से मध्य एशिया में स्थित है तथा भारत को लगता है कि कनेक्टिविटी के संबंध में तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी भारत के लिये लाभदायक सिद्ध होगी।
विगत वर्षों के प्रश्न:निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019)
उयुक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं? (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (b)
|