अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चाबहार बंदरगाह
- 30 Jul 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:शंघाई सहयोग संगठन (SCO), चाबहार बंदरगाह, ओमान की खाड़ी, इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)। मेन्स के लिये:क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने में चाबहार बंदरगाह का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान भारत ने इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में चाबहार बंदरगाह की एक बड़ी भूमिका पर ज़ोर दिया।
- भारत अगले वर्ष SCO की अध्यक्षता संभालेगा।
अन्य बिंदु:
- इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत ने अफगानिस्तान को भुखमरी और खाद्य असुरक्षा से लड़ने में मदद करने के लिये मानवीय सहायता प्रदान की।
- यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न ऊर्जा संकट और खाद्य संकट की समस्याओं को उठाया गया।
- आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- संगठन में ईरान के प्रवेश की भी सराहना की गई।
- ईरान के शामिल होने से SCO फोरम मज़बूत होगा क्योंकि अब सभी सदस्य देशों को ईरान में चाबहार बंदरगाह की सुविधाओं का उपयोग करने का अवसर मिलेगा।
चाबहार बंदरगाह:
- परिचय:
- चाबहार बंदरगाह दक्षिणपूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी में स्थित है।
- यह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी समुद्र तक सीधी पहुँच है।
- यह ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है।
- चाबहार बंदरगाह को मध्य एशियाई देशों के साथ भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा व्यापार के सुनहरे अवसरों का प्रवेश द्वार माना जाता है।
- महत्त्व:
- चाबहार बंदरगाह सभी को वैकल्पिक आपूर्ति मार्ग का विकल्प प्रदान करता है, इस प्रकार व्यापार के संबंध में पाकिस्तान के महत्त्व को कम करता है।
- यह भारत को समुद्री-भूमि मार्ग का उपयोग करके अफगानिस्तान में माल के परिवहन में पाकिस्तान को बायपास करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- वर्तमान में पाकिस्तान, भारत को अपने क्षेत्र से अफगानिस्तान तक यातायात की अनुमति नहीं देता है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे को गति प्रदान करेगा, जिसमें दोनों रूस के साथ प्रारंभिक हस्ताक्षरकर्त्ता हैं।
- ईरान इस परियोजना का प्रमुख प्रवेश द्वार है।
- यह अरब में चीनी उपस्थिति का मुकाबला करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC):
- परिचय:
- यह सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईरान, रूस और भारत द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग में 12 सितंबर, 2000 को स्थापित एक बहु-मॉडल परिवहन परियोजना है।
- अज़रबैजान आर्मेनिया, कजाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्की, यूक्रेन, बेलारूस, ओमान, सीरिया और बुल्गारिया पर्यवेक्षक हैं।
- यह माल परिवहन के लिये जहाज़, रेल और सड़क मार्ग के 7,200 किलोमीटर लंबे मल्टी-मोड नेटवर्क को लागू करता है, जिसका उद्देश्य भारत और रूस के बीच परिवहन लागत को लगभग 30% कम करना तथा पारगमन समय को 40 दिनों के आधे से अधिक कम करना है।
- यह कॉरिडोर इस्लामिक गणराज्य ईरान के माध्यम से हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को कैस्पियन सागर से जोड़ता है तथा रूसी संघ के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग एवं उत्तरी यूरोप से जुड़ा हुआ है।
- इस मार्ग से मुख्य रूप से भारत, ईरान, अज़रबैजान और रूस से माल ढुलाई शामिल है।
- यह सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईरान, रूस और भारत द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग में 12 सितंबर, 2000 को स्थापित एक बहु-मॉडल परिवहन परियोजना है।
- उद्देश्य:
- कॉरिडोर का उद्देश्य मुंबई, मॉस्को, तेहरान, बाकू, अस्त्रखान आदि जैसे प्रमुख शहरों के बीच व्यापार संपर्क बढ़ाना है।
- महत्त्व:
- इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के व्यवहार्य और उचित विकल्प के रूप में प्रदान किया जाएगा।
- इसके अलावा यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा।
आगे की राह
- यह परियोजना व्यापार को बढ़ावा देगी क्योंकि भारत को अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, कज़ाखस्तान, रूस और यूरोप से आगे तक पहुँच प्राप्त होगी।
- यह परियोजना अरब सागर में चीनी उपस्थिति का मुकाबला करने में भी महत्त्वपूर्ण है।
- इसके अलावा यह इस क्षेत्र में लोगों के बीच संपर्क और व्यापार एवं निवेश को भी बढ़ावा देगा, भविष्य में इसे यूरोपीय संघ या आसियान जैसे बाज़ार में आकार दिया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:Q. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह विकसित करने का क्या महत्त्व है?(2017) (a) अफ्रीकी देशों से भारत के व्यापार में अपार वृद्धि होगी। उत्तर: C
मेन्स:Q. आप 'द स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' से क्या समझते हैं? यह भारत को कैसे प्रभावित करता है? इसका मुकाबला करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों की संक्षिप्त रूपरेखा तैयार कीजिये। (2013) |