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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंध की समाप्ति

  • 13 Dec 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चाबहार बंदरगाह परियोजना, ग्वादर बंदरगाह, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा

मेन्स के लिये:

भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने संसद में जवाब दिया है कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का भारत की चाबहार बंदरगाह परियोजना पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है और बंदरगाह अच्छी तरह से कार्य कर रहा है।

  • सामरिक चाबहार बंदरगाह परियोजना के लिये भारत ने अमेरिका से अलग अपवाद वाला दृष्टिकोण अपनाया है।

प्रमुख बिंदु

  • चाबहार बंदरगाह के बारे में:

    • यह ईरान के सिस्तान प्रांत में हिंद महासागर में स्थित है।
    • चाबहार बंदरगाह को मध्य एशियाई देशों के साथ भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा व्यापार के सुनहरे अवसरों का प्रवेश द्वार माना जाता है।
    • बंदरगाह, जो भारत के पश्चिमी तट से आसानी से पहुँचा जा सकता है, को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के काउंटर के रूप में देखा जा रहा है जिसे चीन के निवेश के साथ विकसित किया जा रहा है।
  • भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का महत्त्व:

    • वैकल्पिक मार्ग: चाबहार बंदरगाह सभी को वैकल्पिक आपूर्ति मार्ग का विकल्प प्रदान करता है, इस प्रकार व्यापार के संबंध में पाकिस्तान के महत्त्व को कम करता है।
    • सामरिक आवश्यकताएँ: यह ओमान की खाड़ी पर स्थित है और पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह से केवल 72 किमी दूर है जिसे चीन द्वारा विकसित किया गया है।
      • वन बेल्ट वन रोड (One Belt One Road- OBOR) परियोजना के तहत चीन अपने आक्रामक रूप से स्वयं के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को आगे बढ़ा रहा है।
    • कनेक्टिविटी: भविष्य में चाबहार परियोजना और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (International North South Transport Corridor) रूस तथा यूरेशिया के साथ भारतीय संपर्क/कनेक्टिविटी का अनुकूलन कर एक दूसरे के पूरक होंगे।
      • साथ ही यह भारत को अफगानिस्तान और अन्य मध्य एशियाई गणराज्यों तक सीधी पहुंँच प्रदान करता है
  • अमेरिकी प्रतिबंधों में अपवाद के कारण:

    • अफगानिस्तान के हित में: अमेरिका स्वीकार करता है कि चाबहार बंदरगाह परियोजना न केवल भारत या ईरान के रणनीतिक हित में है बल्कि अफगानिस्तान के रणनीतिक हित में भी है।
      • अफगानिस्तान एक भू-आबद्ध देश है जो व्यापार के लिये पाकिस्तान पर निर्भर है। इसका सारा व्यापार बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी बंदरगाहों से होता है।
      • पाकिस्तान अक्सर अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार के लिये भारत को पारगमन से इनकार करता है।
      • यह परियोजना अफगानिस्तान को एक रणनीतिक विकल्प प्रदान करती है और इसे भूमि से घिरे होने के बावजूद मदद करती है।
    • पाकिस्तान को बायपास करना: यदि भविष्य में अमेरिका और ईरान के बीच के मसले सुलझ जाते हैं तो चाबहार बंदरगाह अमेरिका को पाकिस्तान को बायपास करने में सक्षम बनाएगा।
      • पाकिस्तान अभी भी उन सभी प्रशासनिक मार्गों को नियंत्रित करता है जिनके द्वारा अफगानिस्तान को आपूर्ति की जा सकती है।
      • इसके कारण अमेरिका हमेशा से ही आतंकवादियों, विशेषकर अफगान तालिबानों पर कार्रवाई करने से हिचकिचाता रहा है। चाबहार बंदरगाह अमेरिका को ऐसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का विकल्प देता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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