एडिटोरियल (20 Jul, 2023)



PACS-FPO एकीकरण के अवसरों का आकलन

यह एडिटोरियल 17/07/2023 को ‘हिंदू बिज़नेसलाइन’ में प्रकाशित ‘‘Catalysing cooperation between PACS and FPO’’ लेख पर आधारित है। इसमें प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के समक्ष विद्यमान चुनौतियों और अवसरों के बारे में चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

ई-कॉमर्स, ई-लर्निंग, ई-हेल्थकेयर, जैविक कृषि, कृषि वानिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, चक्रीय अर्थव्यवस्था, जन सेवा केंद्र

मेन्स के लिये:

PACS-FPO के एकीकरण से संबंधित चुनौतियाँ और अवसर

भारत का कृषि क्षेत्र विशाल और विविध है, जिससे 13 करोड़ से अधिक किसान संलग्न हैं, जिनमें से अधिकांश लघु एवं सीमांत किसान हैं। इन किसानों को सशक्त बनाने और वित्त, बाज़ार एवं सेवाओं तक उनकी पहुँच में सुधार करने के लिये सरकार ने विभिन्न पहलें शुरू की हैं, जैसे प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (Primary Agriculture Cooperative Societies- PACS) का कम्प्यूटरीकरण और किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organizations- FPOs) का गठन। 

PACS-FPO एकीकरण निकायों और किसानों दोनों के लिये ही लाभ का सौदा है। यह सहयोग एवं सहकार्यता के ऐसे मॉडल का सृजन कर सकता है जो अन्य क्षेत्रों और भू-भागों को प्रेरित कर सकता है। 

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रूपांतरित करने और किसानों की आय एवं आजीविका बढ़ाने में ये दोनों निकाय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालाँकि अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिये उन्हें सहक्रियात्मक और सहयोगात्मक तरीके से मिलकर कार्य करने की ज़रूरत है।  

PACS और FPOs:

  • प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ (PACS): 
    • PACS सहकारी समितियाँ हैं जो अपने सदस्यों, जिनमें अधिकतर किसान हैं, को अल्पकालिक ऋण और अन्य सेवाएँ प्रदान करती हैं। 
    • वे भारत में सहकारी ऋण संरचना के ज़मीनी स्तर के संस्थान हैं। 
    • देश में लगभग 90,000 PACS हैं, 13 करोड़ किसान जिनके सदस्य हैं। 
    • कम्प्यूटरीकरण द्वारा PACS को रूपांतरित किया जा रहा है; वे बहुसेवा प्रदान कर रहे हैं, जन सेवा केंद्र(CSC) के रूप में बिजली, जल, दवाओं का वितरण और अन्य सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। 
  • किसान उत्पादक संगठन (FPOs): 
    • FPOs किसानों के समूह द्वारा गठित ऐसे विधिक निकाय हैं जो समान हित और लक्ष्य साझा करते हैं। 
    • वे विभिन्न विधिक रूपों—जैसे सहकारी समितियों, कंपनियों, ट्रस्ट या समितियों के तहत पंजीकृत होते हैं। 
    • FPOs का लक्ष्य छोटे और सीमांत किसानों की उपज और सौदेबाजी शक्ति का समूहन कर वित्त और बाज़ारों तक उनकी पहुँच को बेहतर बनाना है।  
    • वे अपने सदस्यों को तकनीकी सहायता, इनपुट आपूर्ति, मूल्यवर्द्धन और गुणवत्ता आश्वासन भी प्रदान करते हैं। 
    • देश में लगभग 7,500 FPOs कार्यरत हैं, जो विभिन्न एजेंसियों द्वारा पंजीकृत हैं। 

PACS-FPO एकीकरण की महत्ता: 

  • किसानों को सशक्त करना: 
    • यह एकीकरण किसानों को एक व्यापक सहायता प्रणाली प्रदान कर सकता है जो क्रेडिट सेवाओं, विपणन अवसरों और तकनीकी सहायता को संयुक्त करता है। 
    • यह समग्र दृष्टिकोण किसानों की आय बढ़ाने और उनकी समग्र भलाई में सुधार करने में योगदान कर सकता है। 
  • बाज़ार तक पहुँच और मूल्यवर्द्धन: 
    • PACS के स्थापित बाज़ार संपर्कों और नेटवर्क से FPOs लाभ उठा सकते हैं तथा अपनी पहुँच के विस्तार के साथ ही अपनी सौदेबाजी शक्ति को बढ़ा सकते हैं। 
    • यह एकीकरण FPOs को बेहतर बाज़ारों तक पहुँच बनाने, अनुकूल मूल्यों के लिये सौदेबाजी कर सकने और अपनी कृषि उपज में मूल्यवर्द्धन कर सकने में सक्षम बना सकता है। 
  • ज्ञान साझेदारी और विशेषज्ञता: 
    • PACS ग्रामीण वित्त के मामले में अपने अनुभव और विशेषज्ञता के साथ, FPOs के साथ अपने ज्ञान एवं सर्वोत्तम अभ्यासों की साझेदारी कर सकते हैं। 
    • यह सहयोग FPOs को वित्तीय प्रबंधन, जोखिम मूल्यांकन और शासन जैसे क्षेत्रों में उनकी परिचालन दक्षता को सशक्त करने में मदद कर सकता है।  
  • ‘रिसोर्स पूलिंग’: 
    • इस एकीकरण से वित्तीय संसाधनों, अवसंरचना और तकनीकी विशेषज्ञता सहित संसाधन जुटाने या रिसोर्स पूलिंग (Resource Pooling) का लाभ प्राप्त हो सकता है। 
    • PACS और FPOs के बीच संसाधनों की साझेदारी से लागत को अनुकूलित किया जा सकता है, दक्षता बढ़ाई जा सकती है और तालमेल का निर्माण किया जा सकता है, जिससे दोनों संस्थाओं को लाभ होगा। 
  • नीति समर्थन और मान्यता: 
    • PACS और FPOs का एकीकरण सामूहिक कार्रवाई और किसान-केंद्रित पहलों के महत्त्व की ओर ध्यान आकर्षित कर सकता है। 
    • इससे ऐसे नीति समर्थन का विकास हो सकता है, जिससे एकीकृत मॉडल को और बढ़ावा देने तथा सशक्त करने के लिये अनुकूल नीतियाँ, प्रोत्साहन और योजनाएँ लाई जा सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिये वे FPOs जो ‘एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) से संबद्ध हैं और विश्व बैंक प्रायोजित ‘स्मार्ट’ (SMART) तथा केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, वे तुलनात्मक रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं; यहाँ तक कि एक करोड़ रुपए से अधिक के टर्नओवर को भी पार कर रहे हैं। 
  • नवाचार और प्रौद्योगिकी अपनाना: 
    • PACS और FPOs को एकीकृत करने से नवोन्मेषी अभ्यासों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सुविधा हो सकती है। 
    • इससे कृषि उत्पादकता में सुधार, कुशल आपूर्ति शृंखला और बेहतर बाज़ार पहुँच के परिणाम प्राप्त होंगे, जो कृषि क्षेत्र की समग्र वृद्धि और विकास में योगदान कर सकते हैं।  

PACS और FPOs की सामूहिक भूमिका: 

  • ऋण में सहयोग: 
    • PACS, FPOs और उनके सदस्यों को रियायती दरों एवं लचीली शर्तों पर ऋण एवं अन्य सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। इससे FPOs को अपनी वित्तीय बाधाओं को दूर करने और अपने परिचालन स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी। 
  • बेहतर नेटवर्किंग: 
    • FPOs अधिक किसानों और बाज़ारों तक पहुँच बनाने के लिये PACS के मौजूदा नेटवर्क और अवसंरचना का लाभ उठा सकते हैं। इससे FPOs को अपनी लेनदेन लागत कम करने और अपनी दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी। 
  • सामूहिक विपणन: 
    • PACS अपनी उपज के लिये बेहतर मूल्य और गुणवत्ता प्राप्त करके FPOs की सामूहिक विपणन और मूल्य संवर्द्धन गतिविधियों से लाभ उठा सकते हैं। इससे PACS को अपनी लाभप्रदता और स्थिरता में सुधार लाने में मदद मिलेगी। 
  • सामाजिक पूंजी का लाभ उठाना: 
    • FPOs अपने प्रशासन और निर्णयन में किसानों को शामिल करके PACS के पास मौजूद सामाजिक पूंजी एवं भरोसे से लाभ उठा सकते हैं। इससे FPOs को अपनी वैधता और जवाबदेही बढ़ाने में मदद मिलेगी। 
  • अन्य आर्थिक सहयोग: 
    • PACS और FPOs संयुक्त रूप से मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, गैर-कृषि गतिविधियों (हथकरघा, हस्तशिल्प, यात्रा, मीडिया, शिक्षा एवं स्वास्थ्य) जैसी उच्च आय सृजन करने वाली गतिविधियों पर संयुक्त रूप से कार्य कर सकते हैं। 

PACS-FPOs एकीकरण से संबंधित चुनौतियाँ:  

  • संगठनात्मक और सांस्कृतिक अंतर: 
    • PACS और FPOs एक-दूसरे से भिन्न संगठनात्मक संरचनाएँ, शासन प्रणाली और परिचालन प्रक्रियाएँ रखते हैं। 
    • दोनों निकायों को एकीकृत करने के लिये इन भिन्नताओं को दूर करने और एक ऐसे सामंजस्यपूर्ण ढाँचा स्थापित करने की आवश्यकता होगी जो दोनों को समायोजित करे। 
  • विश्वास और सहयोग: 
    • सफल एकीकरण के लिये PACS और FPOs के बीच विश्वास निर्माण और सहयोग को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। 
    • PACS के किसानों के साथ प्रायः दीर्घकालिक संबंध होते हैं और FPOs को स्वयं को विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है। किसी भी शुरुआती संदेह या प्रतिरोध पर काबू पाना इस सहयोग के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण होगा। 
  • विनियामक और कानूनी ढाँचे में सुधार: 
    • PACS और FPOs को नियंत्रित करने वाले नियामक और कानूनी ढाँचे को संरेखित करना चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है। 
    • किसी भी विसंगति को दूर करने, प्रवर्तनीय कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने और एकीकृत संचालन के लिये एक सहायक नियामक वातावरण का सृजन करने के लिये विधायी संशोधन या नीति परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है। 
  • वित्तीय एकीकरण: 
    • वित्तीय सेवाओं को एकीकृत करने और मौजूदा PACS अवसंरचना के तहत FPOs के लिये ऋण, बचत एवं अन्य वित्तीय उत्पादों तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करने के लिये सावधानीपूर्ण समन्वय एवं योजना निर्माण की आवश्यकता होगी। 

PACS-FPOs एकीकरण से उभरने वाले संभावित बिजनेस मॉडल हैं: 

  • ‘प्लेटफॉर्म को-ऑपरेटिव’ (Platform Cooperatives): 
    • ये सहकारी समितियाँ उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करती हैं और अपने सदस्यों द्वारा सृजित डेटा का उपयोग करके ई-कॉमर्स, ई-लर्निंग, ई-हेल्थकेयर जैसी सेवाएँ प्रदान कर सकती हैं। 
  • सतत सहकारी समितियाँ (Sustainable Cooperatives): 
    • ये ऐसी सहकारी समितियाँ हैं जो अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और अपने सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने के लिये जैविक कृषि, कृषि वानिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन जैसे सतत/संवहनीय अभ्यासों को अपनाती हैं। 
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy): 
    • PACS और FPOs बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग, जैविक कचरे की कम्पोस्टिंग, पोषक तत्वों की पुनर्प्राप्ति आदि के माध्यम से चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को अपना सकते हैं। 
  • पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture): 
    • PACS और FPOs नो-टिलिंग (no-till), कवर क्रॉप्स (cover crops), फसल चक्र (crop rotation), मल्चिंग (mulching) आदि तकनीकों का उपयोग कर पुनर्योजी कृषि का अभ्यास कर सकते हैं। 
  • ‘कस्टम हायरिंग सेंटर’ (Custom Hiring Centres):
    • ये उन किसानों को किराये पर कृषि मशीनरी और उपकरण (ड्रोन, सेंसर, सिंचाई उपकरण आदि) प्रदान करते हैं जो उन्हें खरीदने या रखरखाव करने में सक्षम नहीं  होते हैं। 

PACS और FPOs को एकीकृत करने हेतु उठाए जाने वाले संभावित कदम:

  • सरकार और अन्य एजेंसियों की भूमिका: 
    • नीति परिवेश का निर्माण करना: PACS और FPOs के एकीकरण के समर्थन के लिये अनुकूल नीतियाँ और विनियमन प्रदान किया जाए। 
    • क्षमता निर्माण और मार्गदर्शन सहायता: एकीकरण के विभिन्न पहलुओं पर PACS और FPOs को प्रशिक्षण, मार्गदर्शन एवं सहायता प्रदान किया जाए। 
    • भागीदारीपूर्ण लर्निंग प्लेटफॉर्म और इन्क्यूबेशन सेंटर: ऐसे मंच और केंद्र बनाए जाएँ जहाँ PACS और FPOs एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकें, सर्वोत्तम अभ्यासों की साझेदारी कर सकें और नवाचार समर्थन तक पहुँच बना सकें। 
  • PACS और FPOs की भूमिका: 
    • विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोग: अपनी क्षमताओं और पहुँच को बढ़ाने के लिये गैर-सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र, अनुसंधान संस्थानों, मीडिया आदि अन्य अभिकर्ताओं के साथ साझेदारी एवं सहयोग को बढ़ावा देना। 
    • किसानों के बीच नवाचार और उद्यमिता: किसानों को नए विचारों, उत्पादों, सेवाओं और उद्यमों को विकसित करने के लिये प्रोत्साहन एवं समर्थन दिया जाए जिससे उनकी उपज और आय का मूल्यवर्द्धन हो सके। 

अभ्यास प्रश्न: प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के एकीकरण से एक ऐसे मॉडल का निर्माण हो सकता है जिससे दोनों निकायों की क्षमता का पूरा लाभ मिलने के साथ किसानों की समस्याओं को हल करने हेतु तार्किक समाधान प्राप्त होंगे। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. कृषि क्षेत्र को अल्पकालिक ऋण प्रदान करने के संदर्भ में ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCBs), अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तुलना में अधिक ऋण प्रदान करते हैं। 
  2. DCCB का एक सबसे प्रमुख कार्य प्राथमिक कृषि साख समितियों को निधि उपलब्ध कराना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत में 'शहरी सहकारी बैंकों' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. उनका पर्यवेक्षण और विनियमन राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय बोर्डों द्वारा किया जाता है। 
  2. वे इक्विटी शेयर और वरीयता शेयर जारी कर सकते हैं। 
  3. उन्हें 1966 में एक संशोधन के माध्यम से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के दायरे में लाया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

मेन्स:

प्रश्न. "गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर ऋण संगठन का कोई भी ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।" - अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में इस कथन पर चर्चा कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्त संस्थाओं को किन बाधाओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है?” (2014)