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एडिटोरियल

  • 20 Jun, 2024
  • 20 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय रेलवे प्रणाली की पुनर्कल्पना

यह एडिटोरियल 19/06/2024 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “West Bengal train accident highlights need for a thorough review of misplaced priorities of past two decades in Indian Railways” लेख पर आधारित है। इसमें 16 जून को पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी के पास हुए हालिया रेल हादसे की चर्चा की गई है और भारतीय रेलवे से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को उजागर किया गया है।

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रेलवे, भारत के लिए राष्ट्रीय रेल योजना (NRP) - 2030, रेलवे क्षेत्र में FDI, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, बालासोर ट्रेन टक्कर, मिशन रफ़्तार, वंदे भारत ट्रेनें, कवच प्रणाली, भारत गौरव, रेलवे सुरक्षा बल

मेन्स के लिये:

भारतीय रेलवे से संबंधित प्रमुख मुद्दे, भारत में रेलवे क्षेत्र में सुधार हेतु उपाय, रेलवे सुरक्षा बढ़ाने हेतु विभिन्न समितियों की सिफारिशें

सिलीगुड़ी के पास घटित दुखद रेल दुर्घटना—जहाँ एक मालगाड़ी सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई, ने एक बार फिर भारतीय रेलवे से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं की ओर गंभीर ध्यान आकृष्ट किया है। यह घटना पिछले दशकों में भारतीय रेलवे के लिये चिंताजनक घातक रेल दुर्घटनाओं की शृंखला में नवीनतम है, जहाँ वर्ष 1995 से अब तक सात बड़ी दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिनमें 1,600 से अधिक मौतें हुई हैं।

भारत जैसे सघन आबादी वाले देश के लिये परिवहन का एक महत्त्वपूर्ण साधन होने के बावजूद, भारतीय रेलवे लगातार नीतिगत परिवर्तनों, नेटवर्क विस्तार की अधूरी योजनाओं और दुर्घटनाओं को जन्म देने वाली परिसंपत्ति संबंधी विफलता की चिंताजनक प्रवृत्ति से ग्रस्त है।

इस संकट को संबोधित करने के लिये भारतीय रेलवे की प्राथमिकताओं की गहन समीक्षा करने, इसकी पुरानी हो चुकी अवसंरचना के आधुनिकीकरण पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने और यात्रियों एवं माल दोनों के लिये परिवहन के एक विश्वसनीय, कुशल एवं सुरक्षित साधन के रूप में इसकी स्थिति की पुनर्बहाली के लिये एक रणनीतिक रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता है।

भारतीय रेलवे का वर्तमान संगठनात्मक ढाँचा 

  • परिचय: भारतीय रेलवे की स्थापना वर्ष 1853 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है।
    • भारतीय उपमहाद्वीप में पहला रेलमार्ग बंबई से ठाणे तक (21 मील की दूरी) विकसित किया गया था।
    • अनुमान है कि वर्ष 2050 तक रेल गतिविधि में भारत की वैश्विक हिस्सेदारी 40% होगी।
  • राजस्व: वर्ष 2022-23 में भारतीय रेलवे ने अपने आंतरिक राजस्व का 69% माल ढुलाई से और 24% यात्री यातायात से अर्जित किया।
    • शेष 7% आय अन्य विविध स्रोतों, जैसे पार्सल सेवा, कोचिंग रसीद और प्लेटफ़ॉर्म टिकटों की बिक्री से अर्जित की गई।

संरचना:

  • रेल मंत्रालय:
    • उत्तरदायित्व:
      • समग्र रेलवे नीति तैयार करना और रणनीतिक दिशा निर्धारित करना।
      • भारतीय रेलवे के लिये बजटीय आवंटन की देखरेख करना।
      • प्रमुख रेलवे परियोजनाओं और विस्तार योजनाओं को मंज़ूरी देना।
      • रेलवे बोर्ड को नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करना।
    • बजट 2024-25 में रेलवे के विकास के लिये रेल मंत्रालय को 2.52 लाख करोड़ रुपए (30.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का पूंजीगत परिव्यय आवंटित किया गया है।
      • सरकार ने रेलवे क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति प्रदान की है।
  • रेलवे बोर्ड:
    • उत्तरदायित्व:
      • रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित नीतियों को क्रियान्वित करना।
      • भारतीय रेलवे के दिन-प्रतिदिन के कार्यों की देखरेख करना।
      • नेटवर्क विकास, आधुनिकीकरण और सुरक्षा सुधार के लिये दीर्घकालिक योजनाएँ तैयार करना।
      • क्षेत्रीय रेलवे को निर्देश एवं दिशानिर्देश जारी करना।
  • क्षेत्रीय रेलवे (Zonal Railways):
    • संख्या: 17 (जून 2024 तक); जबकि 18वाँ ज़ोन (दक्षिण तटीय रेलवे के रूप में) प्रस्तावित है 
    • संरचना:
      • क्षेत्रीय रेलवे को आगे मंडल या डिवीजन में विभाजित किया गया है, जिनका प्रबंधन मंडल रेलवे प्रबंधकों (DRMs) द्वारा किया जाता है।
      • प्रत्येक मंडल को विशिष्ट कार्यों (जैसे- कार्यशालाएँ, यातायात प्रबंधन आदि) के लिये छोटी इकाइयों में विभाजित किया गया है।
    • उत्तरदायित्व:
      • प्रत्येक क्षेत्र या ज़ोन अपने भौगोलिक क्षेत्र के कुशल एवं सुरक्षित परिचालन के लिये ज़िम्मेदार है।
      • यह क्षेत्र के भीतर पटरियों, रोलिंग स्टॉक (डब्बे एवं इंजन) और रेलवे अवसंरचना के रखरखाव की देखरेख करता है।
      • सुरक्षा विनियमनों और प्रक्रियाओं को क्रियान्वित करता है।
      • टिकट बिक्री और माल ढुलाई शुल्क के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करता है।

भारतीय रेलवे से संबंधित प्रमुख मुद्दे 

  • दुर्घटनाएँ और ट्रेनों का पटरी से उतरना: अवसंरचना के कमज़ोर रखरखाव और पुरानी पड़ चुकी संपत्तियों के कारण बार-बार दुर्घटना, ट्रेन के पटरी से उतरने और ट्रेनों के बीच टकराव जैसी घटनाएँ सामने आती रहती हैं।
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में सिग्नल विफलताओं और रेल फ्रैक्चर (rail fractures) की चिंताजनक प्रवृत्ति के बारे में गंभीर चिंता जताई गई है, जो दुर्घटनाओं में प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
  • वित्तीय निष्पादन में चुनौतियाँ: भारतीय रेलवे को अपने वित्तीय निष्पादन में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जहाँ विशेष रूप से इसके लाभदायक माल ढुलाई खंड और घाटे में चल रहे यात्री खंड के बीच तीव्र अंतराल पाया जाता है।
    • CAG की वर्ष 2023 की रिपोर्ट में यात्री सेवाओं में 68,269 करोड़ रुपए की भारी हानि को उजागर किया गया था, जिसकी भरपाई माल यातायात से होने वाले मुनाफे से की जानी थी।
  • बेहद धीमी यात्रा: मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत गति 50-51 किमी प्रति घंटा बनी हुई है, जो ‘मिशन रफ्तार’ के तहत किये गए वादे से कम है।
    • यह धीमी गति समय को लेकर संवेदनशील यात्राओं के लिये रेल यात्रा को अनाकर्षक बना देती है, विशेषकर जब इसकी तुलना द्रुत सड़क एवं हवाई यात्रा विकल्पों से की जाती है।
    • सेमी-हाई स्पीड वाले ‘वंदे भारत रेलगाड़ियों के प्रवेश के साथ फिलहाल पर्याप्त गति सुधार की अपेक्षा आलीशान आंतरिक साज-सज्जा को प्राथमिकता दी गई है और यह धीमी यात्रा अवधि के मूल मुद्दे को हल करने में विफल रही है।
  • उभरती प्रौद्योगिकियों का धीमा एकीकरण: भारतीय रेलवे उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने और उनका लाभ उठाने में अपेक्षाकृत सुस्त रही है, जिससे इसकी कार्यकुशलता, सुरक्षा और ग्राहक अनुभव को समृद्ध करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई है।
    • उदाहरण के लिये, ट्रेनों की टक्कर को रोक सकने की संभावित क्षमता के बावजूद भारत में कवच प्रणाली की तैनाती की गति मंद रही है। 
      • अब तक, इसे दक्षिण मध्य रेलवे में केवल 1,465 किमी ट्रैक और 139 इंजनों पर स्थापित किया गया है।
      • अतिरिक्त 3,000 किमी के लिये अनुबंध प्रदान कर दिए गए हैं, लेकिन तैनाती अभी भी लंबित है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल में निहित चुनौतियाँ: भारतीय रेलवे को अवसंरचना विकास, परिचालन और सेवा वितरण के लिये PPP मॉडल का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने में संघर्ष करना पड़ा है, जिससे निजी पूंजी और विशेषज्ञता जुटाने में बाधा उत्पन्न हुई है।
    • भारत गौरवके माध्यम से निजी रेलगाड़ी परिचालन की शुरूआत को राजस्व-साझाकरण मॉडल, परिचालन स्वायत्तता और नियामक अनिश्चितताओं से संबंधित चिंताओं के कारण पर्याप्त निजी भागीदारी आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
    • जटिल संविदात्मक ढाँचे, सीमित जोखिम-साझाकरण तंत्र और नौकरशाही बाधाओं जैसे कारकों ने निजी क्षेत्र की पर्याप्त भागीदारी को हतोत्साहित किया है।
  • अप्रभावी परिसंपत्ति उपयोग और रखरखाव रणनीतियाँ: भारतीय रेलवे को रोलिंग स्टॉक, अवसंरचना और भूमि संसाधनों सहित अपनी विशाल परिसंपत्ति आधार के उपयोग को अनुकूलित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसके परिणामस्वरूप अकुशलता एवं निम्न उपयोग की स्थिति बनी है।
    • उदाहरण के लिये, बिहार के रोहतास जिले के नासरीगंज के अमियावर गाँव से 500 टन वजन के एक परित्यक्त रेलवे पुल की चोरी की शर्मनाक घटना सामने आई।
      • बिहार के ही मधुबनी ज़िले में स्क्रैप डीलरों द्वारा कथित तौर पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF) कर्मियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए मूल्य की लगभग दो किलोमीटर लंबी रेलवे ट्रैक चोरी कर ली गई।

रेलवे सुरक्षा की वृद्धि के लिये विभिन्न समितियों ने क्या सिफ़ारिशें की हैं?

  • काकोदकर समिति (2012):
    • एक संविधिक रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना करना।
    • सुरक्षा परियोजनाओं के लिये 5 वर्ष की अवधि के लिये 1 लाख करोड़ रुपए के साथ एक गैर-व्यपगत राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK) का गठन करना।
    • ट्रैक रखरखाव और निरीक्षण के लिये उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
    • मानव संसाधन विकास और प्रबंधन को बढ़ाना।
    • स्वतंत्र दुर्घटना जाँच सुनिश्चित करना।
  • बिबेक देबरॉय समिति (2014):
    • रेल बजट को आम बजट से अलग करना।
    • गैर-प्रमुख गतिविधियों की आउटसोर्सिंग करना।
    • ‘भारतीय रेलवे अवसंरचना प्राधिकरण’ की स्थापना करना।
  • विनोद राय समिति (2015):
    • सांविधिक शक्तियों के साथ एक स्वतंत्र ‘रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण’ की स्थापना करना।
    • निष्पक्ष जाँच के लिये ‘रेलवे दुर्घटना जाँच बोर्ड’ का गठन करना।
    • रेलवे परिसंपत्तियों के स्वामित्व और रखरखाव के लिये एक पृथक रेलवे अवसंरचना कंपनी की स्थापना करना।
    • रेलवे कर्मचारियों के लिये प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन योजना लागू करना।
  • राकेश मोहन समिति (2010)
    • भारतीय GAPP (Generally Accepted Accounting Principles) के अनुरूप बनाने के लिये लेखांकन प्रणाली में सुधार करना।
    • FMCG, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, आईटी, कंटेनराइज्ड कार्गो और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में रेलवे की उपस्थिति का विस्तार करना।
    • लंबी दूरी एवं अंतर-शहर परिवहन, गति उन्नयन और यात्री सेवाओं के लिये हाई-स्पीड रेल गलियारों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • उद्योग संकुलों और प्रमुख बंदरगाहों तक कनेक्टिविटी में सुधार करना।
    • प्रमुख नेटवर्क केंद्रों पर लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित करना।

भारत में रेलवे क्षेत्र में सुधार के लिये कौन-से उपाय किये जा सकते हैं?

  • एकीकृत मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स समाधान: माल और यात्रियों के कुशल डोर-टू-डोर आवागमन के लिये रेल, सड़क एवं हवाई परिवहन मोड को सहजता से संयोजित करने वाले एकीकृत लॉजिस्टिक्स समाधानों का विकास करना।
    • इंटरमॉडल कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाने और लास्ट-माइल संबंधी अकुशलताओं को कम करने के लिये प्रमुख औद्योगिक संकुलों एवं शहरी केंद्रों के पास लॉजिस्टिक्स पार्क और मल्टीमॉडल हब स्थापित करना।
  • नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण: भारतीय रेलवे को स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर, पवन और बायोमास) की ओर ले जाने के लिये एक व्यापक नवीकरणीय ऊर्जा रणनीति विकसित करना।
    • ट्रैक्शन और गैर-ट्रैक्शन उद्देश्यों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु स्टेशनों की छतों, खाली भूमि खण्डों और रेलवे पटरियों के किनारे बड़े पैमाने पर सौर पैनलों की स्थापना करना।
    • रोलिंग स्टॉक्स और ऑक्जिलरी पावर यूनिट (APU) के लिये बैटरी-इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन फ्यूल सेल प्रौद्योगिकियों की तैनाती की संभावनाएँ तलाशना, ताकि रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट और पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके।
  • इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (ITS): ‘कवच’ के माध्यम से उन्नत आईटीएस समाधानों (जैसे रियल-टाइम यातायात प्रबंधन प्रणाली, स्वचालित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली और इंटेलिजेंट सिग्नलिंग सिस्टम) को लागू करना, ताकि नेटवर्क क्षमता को इष्टतम किया जा सके और सुरक्षा में सुधार किया जा सके।
    • भारत जर्मनी के ‘ड्यूश बान’ (Deutsche Bahn) से प्रेरणा ग्रहण कर सकता है, जो अपनी समयनिष्ठता और परिचालन दक्षता के लिये प्रसिद्ध है।
  • भूमि विकास से मूल्य अधिग्रहण करना: रेलवे स्टेशनों के निकट भूमि परिसंपत्तियों का उपयोग मॉल या कार्यालय स्थलों जैसी वाणिज्यिक विकास परियोजनाओं के लिये किया जाना, जिससे टिकट बिक्री से परे भी राजस्व के स्रोत उत्पन्न किये जा सकें।
  • ‘डिजिटल ट्विन्स’ और ‘प्रीडिक्टिव एनालिटिक्स’ का लाभ उठाना: सिमुलेशन, परीक्षण और अनुकूलन के लिये वर्चुअल प्रतिकृतियों के निर्माण के लिये अवसंरचना, रोलिंग स्टॉक और परिचालन प्रणालियों सहित संपूर्ण रेलवे नेटवर्क के डिजिटल ट्विन्स (Digital Twins) का विकास करना।
    • अग्रसक्रिय रखरखाव को सक्षम करने, परिसंपत्ति उपयोग को इष्टतम करने और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिये सेंसर, कैमरा एवं अन्य स्रोतों से प्राप्त रियल-टाइम डेटा का विश्लेषण करने के लिये प्रीडिक्टिव एनालिटिक्स (Predictive Analytics) और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को क्रियान्वित करना।
      • भारत इस संबंध में नीदरलैंड के नीदरलैंडसे स्पूर्वेगेन (Nederlandse Spoorwegen) से प्रेरणा ग्रहण कर सकता है।
  • डेटा-संचालित निर्णय-निर्माण और अग्रसक्रिय जोखिम प्रबंधन को सक्षम करने के लिये डिजिटल ट्विन्स एवं प्रीडिक्टिव एनालिटिक्स को निर्णय समर्थन प्रणालियों के साथ एकीकृत किया जाना। 

अभ्यास प्रश्न: हाल के वर्षों में भारतीय रेलवे के समग्र प्रदर्शन और चुनौतियों पर विचार कीजिये तथा इसके सुधार के लिये प्रभावी रणनीतियाँ सुझाइये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न: भारतीय रेलवे द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले जैव शौचालयों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015))

  1. जैव-शौचालय में मानव अपशिष्ट का अपघटन एक कवक इनोकुलम द्वारा शुरू किया जाता है।
  2.  इस अपघटन में अमोनिया और जलवाष्प ही एकमात्र अंतिम उत्पाद हैं जो वायुमंडल में छोड़े जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? 

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (d)


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