विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारत के तकनीकी भविष्य रणनीतियाँ
यह एडिटोरियल 09/03/2025 को बिज़नेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित “India's tech startup boom: Are policy tweaks needed to drive growth?” पर आधारित है। यह लेख आर्थिक और सामाजिक विकास में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका का उल्लेख किया गया है, साथ ही भारत की चुनौतियों, जैसे विनियामक बाधाओं एवं अंगीकरण की बाधाओं को उजागर किया गया है।
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, UPI, आधार, IndiaAI मिशन, भारतजन, PLI (उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन) योजनाएँ, मेक इन इंडिया, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अंगीकरण एवं विनिर्माण (FAME) योजना, पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (PM E-DRIVE), डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (2023), भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) मेन्स के लिये:भारत की तकनीकी क्रांति के प्रमुख चालक, भारत की तकनीकी क्रांति से जुड़े प्रमुख मुद्दे। |
जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल युग में प्रवेश कर रही है, प्रौद्योगिकी अब केवल एक साधन नहीं रह गई है, बल्कि यह आर्थिक विकास, शासन और सामाजिक परिवर्तन की रीढ़ भी बन गई है। 120,000 से अधिक स्टार्टअप और UPI जैसे अग्रणी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ भारत इस परिवर्तन में सबसे आगे है। हालाँकि, विनियामक जटिलताओं और अंगीकरण की न्यून दर जैसी बाधाएँ सतत् विकास के लिये खतरा हैं। इसे नेविगेट करने के लिये, भारत को एक रणनीतिक कार्यढाँचा तैयार करने की आवश्यकता है जो भारत की तकनीकी क्रांति के विस्तार और लचीलापन सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा दे।
भारत की तकनीकी क्रांति के प्रमुख चालक कौन हैं?
- उत्प्रेरक के रूप में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI): UPI, आधार और ONDC सहित भारत की मज़बूत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) अभूतपूर्व पैमाने पर वित्तीय समावेशन, ई-कॉमर्स विस्तार एवं डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दे रही है।
- ये प्लेटफॉर्म लेन-देन की लागत कम करते हैं, अभिगम को बढ़ाते हैं तथा फिनटेक, स्वास्थ्य तकनीक एवं ई-गवर्नेंस में नवाचार के लिये आधार तैयार करते हैं।
- DPI मॉडल को अब विश्व स्तर पर मान्यता मिल चुकी है तथा भारत G20 में इसे अपनाने का समर्थन कर रहा है।
- उदाहरण के लिये, जनवरी 2025 में भारत में UPI लेन-देन 16.99 बिलियन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया, जिसका मूल्य 23.48 लाख करोड़ रुपए से अधिक था।
- ये प्लेटफॉर्म लेन-देन की लागत कम करते हैं, अभिगम को बढ़ाते हैं तथा फिनटेक, स्वास्थ्य तकनीक एवं ई-गवर्नेंस में नवाचार के लिये आधार तैयार करते हैं।
- स्टार्टअप इकोसिस्टम और गहन तकनीकी उन्नति: भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम, जो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम है, IT सेवाओं से आगे बढ़कर AI, सेमीकंडक्टर डिज़ाइन, अंतरिक्ष तकनीक एवं क्वांटम कंप्यूटिंग तक विविधता ला रहा है।
- बढ़ते निवेश, सरकारी प्रोत्साहन और नवाचार की संस्कृति भारत को महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर रही है।
- डीप टेक स्टार्टअप्स का उदय रक्षा, AI-संचालित स्वास्थ्य सेवा और ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट है।
- पिछले 10 वर्षों में भारत में 120,000 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हुए हैं। साथ ही, भारत में डीप टेक स्टार्टअप्स ने वर्ष 2023 में लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का फंड जुटाया है।
- AI और स्वचालन द्वारा औद्योगिक विकास को बढ़ावा: विनिर्माण, बैंकिंग, शासन और स्वास्थ्य सेवा में AI के अंगीकरण से उत्पादकता और निर्णय लेने की प्रक्रिया में बदलाव आ रहा है।
- भारत की IT दिग्गज कंपनियाँ AI में भारी निवेश कर रही हैं, इसलिये घरेलू व्यवसाय लागत अनुकूलन और दक्षता में सुधार के लिये स्वचालन का लाभ उठा रहे हैं।
- सरकार के भारत-AI मिशन का उद्देश्य AI तक अभिगम को लोकतांत्रिक बनाना है तथा भारत को एथिकल AI विकास में वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित करना है।
- इसके अलावा, विश्व की पहली सरकारी वित्त पोषित मल्टीमॉडल LLM पहल, BharatGen को वर्ष 2024 में लॉन्च किया गया।
- इसका उद्देश्य भाषा, वाक् और कंप्यूटर दृष्टि में आधारभूत मॉडलों के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण एवं नागरिक सहभागिता को बढ़ाना है।
- 5G और भविष्य की दूरसंचार अवसंरचना: भारत में तेज़ी से हो रही 5G सेवा की शुरुआत, IoT, स्मार्ट शहरों और हाई-स्पीड इंटरनेट अभिगम में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, नए आयाम खोल रही है।
- 6G पर चल रहे अनुसंधान और सरकार द्वारा घरेलू दूरसंचार विनिर्माण पर ज़ोर दिये जाने के साथ भारत अगली पीढ़ी की कनेक्टिविटी में अग्रणी बनने के लिये तैयार है।
- रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी दूरसंचार दिग्गज कंपनियाँ डिजिटल पहुँच को बढ़ावा देने के लिये फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क का प्रभावी रूप से विस्तार कर रही हैं।
- देश में 5G एडॉप्शन की गति तेज़ हो रही है, अनुमान है कि वर्ष 2026 तक 330 मिलियन 5G ग्राहक हो जाएंगे।
- भारत 6G विज़न डॉक्यूमेंट में भारत को वर्ष 2030 तक 6G प्रौद्योगिकी के डिज़ाइन, विकास और परिनियोजन में अग्रणी योगदानकर्त्ता बनाने की परिकल्पना की गई है।
- नीतिगत सुधार और आत्मनिर्भरता के लिये सरकार का प्रयास: PLI (उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन) योजनाओं, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया अधिनियम (प्रस्तुत) जैसी पहलों के माध्यम से भारत की नीति पारिस्थितिकी तंत्र एक नवाचार-संचालित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है।
- रणनीतिक व्यापार नीतियों का उद्देश्य घरेलू उच्च तकनीक उत्पादन को प्रोत्साहित करते हुए चीनी आयात पर निर्भरता को कम करना है।
- डीप टेक स्टार्टअप्स और EV विनिर्माण के लिये नियमों का सरलीकरण वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।
- उदाहरण के लिये, सरकार की उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना के तहत, वित्त वर्ष 2025 तक एप्पल वैश्विक स्तर पर iPhone उत्पादन का 18% भारत में स्थानांतरित कर सकता है।
- हरित प्रौद्योगिकी और सतत् डिजिटल विकास: भारत की तकनीकी क्रांति तेज़ी से संवहनीयता को एकीकृत कर रही है, जिसमें ग्रीन डेटा सेंटर, नवीकरणीय ऊर्जा संचालित AI और पर्यावरण अनुकूल डिजिटल समाधान शामिल हैं।
- सरकार और निजी क्षेत्र ऊर्जा-कुशल चिप निर्माण, संधारणीय क्लाउड कंप्यूटिंग और AI-संचालित जलवायु समाधानों में निवेश कर रहे हैं ताकि तकनीकी विकास को पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ जोड़ा जा सके।
- उदाहरण के लिये, एयरटेल की डेटा सेंटर शाखा, Nxtra, जो भारत की अग्रणी डेटा सेंटर कंपनियों में से एक है, RE100 पहल में शामिल हो गई है तथा 100 प्रतिशत नवीकरणीय विद्युत का स्रोत बनाने के लिये प्रतिबद्ध है।
- वर्ष 2070 तक नेट-शून्य उत्सर्जन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के साथ, डिजिटल विस्तार भी ऊर्जा-कुशल होना चाहिये।
- चयनित सोलर PV मॉड्यूल निर्माताओं के लिये PLI योजना और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन तकनीकी क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा अंगीकरण का समर्थन करते हैं।
- सरकार और निजी क्षेत्र ऊर्जा-कुशल चिप निर्माण, संधारणीय क्लाउड कंप्यूटिंग और AI-संचालित जलवायु समाधानों में निवेश कर रहे हैं ताकि तकनीकी विकास को पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ जोड़ा जा सके।
भारत की तकनीकी क्रांति से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- विनियामक अनिश्चितता और अनुपालन बोझ: बार-बार नीतिगत बदलाव, अनुमोदन में विलंब और अनुपालन जटिलताएँ भारत के तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार और निवेश में बाधा डालती हैं।
- उदाहरण के लिये, इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अंगीकरण एवं विनिर्माण (FAME) योजना को वर्ष 2024 में पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (PM E-DRIVE) योजना द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (2023) एक कानूनी कार्यढाँचा प्रदान करता है, लेकिन इसमें सीमा पार डेटा प्रवाह और नियामक ओवरलैप पर स्पष्टता का अभाव है।
- विश्व बैंक की डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट (DBR), 2020 में भारत 63वें स्थान पर है, जो नियामक बाधाओं को उजागर करता है।
- इसके अलावा, हाल ही में SEBI द्वारा अपंजीकृत वित्तीय प्रभावशाली व्यक्तियों पर की गई कार्रवाई के कारण ब्रांड सौदों में 40-60% की तीव्र गिरावट आई है।
- डिजिटल डिवाइड और असमान इंटरनेट सुलभता: डिजिटल विस्तार के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट सुलभता कम बनी हुई है, जिसके कारण असमान तकनीकी क्रांति हो रही है।
- डिजिटल अवसंरचना की उच्च लागत और उपकरण सामर्थ्य में अंतर के कारण एकसमान अभिगम में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे टियर-3 और ग्रामीण क्षेत्रों में फिनटेक, ई-लर्निंग और ई-गवर्नेंस का अंगीकरण सीमित हो जाता है।
- शहरी-ग्रामीण इंटरनेट डिवाइड आर्थिक असमानता को बढ़ाता है तथा डिजिटल वित्तीय समावेशन को धीमा करता है।
- वर्ष 2023 तक भारतीय जनसंख्या का 45% या लगभग 665 मिलियन नागरिक इंटरनेट का उपयोग नहीं कर पाएंगे।
- PM WANI वाई-फाई योजना का कार्यान्वयन धीमा रहा है।
- उभरती हुई तकनीक में अनुसंधान को बढ़ावा देने और कुशल कार्यबल की कमी: भारत ने वर्ष 2022 में अनुसंधान एवं विकास पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.65% खर्च किया।
- इसके अलावा, शोध-पत्र योगदान के मामले में भारत मात्र 1.4% (वर्ष 2018-2023) की वैश्विक हिस्सेदारी के साथ AI अनुसंधान में 14वें स्थान पर है।
- भारत को AI, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर डिज़ाइन में प्रतिभा की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है, जिससे तकनीक-संचालित आर्थिक विस्तार प्रभावित हो रहा है।
- यद्यपि STEM शिक्षा सुदृढ़ है, फिर भी गहन प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास भूमिकाओं में कुशल श्रमिकों की उद्योग जगत में मांग, आपूर्ति से कहीं अधिक है।
- साइबर सुरक्षा खतरे और डेटा गोपनीयता चुनौतियाँ: जैसे-जैसे भारत का डिजिटल फूटप्रिंट बढ़ता है, साइबर अरेस्ट, डेटा उल्लंघन और साइबर सुरक्षा जागरूकता की कमी व्यवसायों एवं शासन के लिये गंभीर जोखिम उत्पन्न करती है।
- फिनटेक, बैंकिंग और आधार से जुड़े डेटाबेस प्राथमिक लक्ष्य बने हुए हैं (जैसे: डिजिटल अरेस्ट में वृद्धि ), साथ ही डेटा स्थानीयकरण व नागरिक गोपनीयता पर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
- छोटे व्यवसायों एवं स्टार्टअप्स में कमज़ोर एन्क्रिप्शन मानक डिजिटल अर्थव्यवस्था की कमज़ोरियों को और उजागर करते हैं।
- अकेले वर्ष 2023 में, भारत में 79 मिलियन से अधिक साइबर अटैक हुए, जिसमें AIIMS रैनसमवेयर अटैक (वर्ष 2022) ने लाखों रोगियों के रिकॉर्ड को उजागर कर दिया।
- वर्ष 2024 में, भारत को डिजिटल अरेस्ट घोटालों से भारी नुकसान का सामना करना पड़ा, जिसमें प्रारंभिक चार महीनों में ₹1,777 करोड़ का नुकसान हुआ।
- विदेशी तकनीक और सेमीकंडक्टर आयात पर अत्यधिक निर्भरता: भारत का डिजिटल क्रांति बहुत हद तक आयातित सेमीकंडक्टर, क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं विदेशी AI मॉडल पर निर्भर है, जिससे वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में कमज़ोरी आ रही है।
- घरेलू चिप निर्माण में विलंबित प्रगति और एनवीडिया AI चिप्स, गूगल क्लाउड व AWS के स्वदेशी विकल्पों की कमी भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को सीमित करती है।
- भू-राजनीतिक तनाव से आपूर्ति में व्यवधान की चिंता और बढ़ गई है।
- उदाहरण के लिये, हालिया सरकारी आँकड़ों के अनुसार भारत में सेमीकंडक्टर आयात सत्र 2023-24 में 18.5% बढ़कर 1.71 लाख करोड़ रुपए हो गया।
- माइक्रोन सेमीकंडक्टर प्लांट का लक्ष्य स्थानीय उत्पादन शुरू करना है, लेकिन निर्माण में अंतराल बना हुआ है।
- AI और स्वचालन के नैतिक और सामाजिक निहितार्थ: शासन, भर्ती और कानून प्रवर्तन में अनियमित AI अंगीकरण से पूर्वाग्रह, नौकरी छूटने और बड़े पैमाने पर निगरानी की चिंताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट के अनुमानों के अनुसार स्वचालन के कारण वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर 400 से 800 मिलियन नौकरियाँ खत्म हो सकती हैं।
- डीपफेक प्रौद्योगिकी, गलत सूचना और एल्गोरिथम संबंधी भेदभाव AI-संचालित निर्णय लेने में जनता के विश्वास को खतरे में डालते हैं।
- उदाहरण के लिये, वर्ष 2024 के आम चुनावों के दौरान कई फर्ज़ी राजनीतिक घोटालों ने मतदाताओं को गुमराह किया, जिससे AI गवर्नेंस में जोखिम उजागर हुआ।
- डिजिटल एकाधिकार और प्लेटफार्म प्रतिस्पर्द्धा का अभाव: भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था पर कुछ बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है, जिससे छोटी प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्द्धा एवं नवाचार में बाधा उत्पन्न हो रही है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग, ई-कॉमर्स और AI सेवाओं में बड़ी टेक कंपनियों के तेज़ी से विस्तार से डेटा एकाधिकार एवं प्रतिस्पर्द्धा-रोधी प्रथाओं को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं।
- ONDC (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) जैसी नीतियों के बावजूद, स्टार्टअप्स के लिये स्थापित तकनीकी अग्रणियों को चुनौती देने में बाधाएँ बनी हुई हैं।
- अमेज़न और फ्लिपकार्ट भारत के आधे से अधिक ई-कॉमर्स बाज़ार पर नियंत्रण रखते हैं, जिससे छोटे खुदरा विक्रेताओं को संघर्ष करना पड़ रहा है।
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने एंड्रॉइड ऐप इकोसिस्टम पर एकाधिकार करने के लिये वर्ष 2023 में गूगल पर ₹1,337 करोड़ का जुर्माना लगाया।
भारत अपनी तकनीकी क्षमताओं को और दृढ़ करने के लिये क्या उपाय लागू कर सकता है?
- वित्त से परे डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को सुदृढ़ करना: DPI मॉडल को UPI और आधार से परे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं कृषि जैसे क्षेत्रों तक विस्तारित किया जाना चाहिये, जिससे आवश्यक सेवाओं तक निर्बाध डिजिटल एक्सेस सुनिश्चित हो सके।
- कल्याणकारी वितरण को अनुकूलित करने, लीकेज को कम करने और वास्तविक काल नीति कार्यान्वयन में सुधार करने के लिये AI-संचालित शासन कार्यढाँचे का विकास किया जाना चाहिये।
- एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये स्वास्थ्य रिकॉर्ड, शिक्षा प्रमाण-पत्र और डिजिटल पहचान प्रणालियों के बीच अंतर-संचालन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- स्केलेबल DPI समाधानों के सह-विकास के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) स्थापित की जानी चाहिये।
- स्वदेशी सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देना: 76,000 करोड़ रुपए की सेमीकंडक्टर PLI योजना के तहत घरेलू चिप उत्पादन में तेज़ी लाने की आवश्यकता है, जिससे कारखानों की तेज़ी से स्थापना और पारिस्थितिकी तंत्र का विकास सुनिश्चित हो सके।
- आयात पर निर्भरता कम करने के लिये उच्च स्तरीय प्रोसेसर, सेंसर और फोटोनिक्स में चिप डिज़ाइन स्टार्टअप तथा अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित करने के लिये स्वदेशी IP विकसित करते हुए वैश्विक सेमीकंडक्टर अभिकर्त्ताओं के साथ सहयोग को मज़बूत किया जाना चाहिये।
- निर्माण क्षमता को पूरा करने के लिये मिश्रित अर्द्धचालक और पैकेजिंग इकाइयों का विस्तार किया जाना चाहिये।
- भारत-केंद्रित AI और क्लाउड अवसंरचना का विकास: गूगल क्लाउड और AWS जैसे विदेशी प्लेटफॉर्मों पर निर्भरता कम करने के लिये संप्रभु AI मॉडल व क्लाउड कंप्यूटिंग में निवेश किया जाना चाहिये।
- अनुसंधान, स्टार्टअप और उद्यमों को समर्थन देने के लिये राष्ट्रीय AI कंप्यूटिंग पहल के तहत AI सुपरकंप्यूटिंग क्लस्टर लॉन्च किया जाना चाहिये।
- संतुलित विनियामक दृष्टिकोण के साथ डेटा स्थानीयकरण अधिदेश स्थापित किया जाना चाहिये, जो नवाचार को बाधित किये बिना सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- भारतीय भाषाओं और शासन आवश्यकताओं के अनुरूप ओपन-सोर्स AI फ्रेमवर्क को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- साइबर सुरक्षा और डिजिटल रेज़िलिएंस को बढ़ावा: बैंकिंग, शासन और रक्षा में साइबर खतरों को सक्रिय रूप से कम करने के लिये मौजूदा राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (NCCC) को सुदृढ़ किया जाना चाहिये।
- डिजिटल रूप से सुरक्षित कार्यबल के निर्माण के लिये स्कूलों और उद्यमों में साइबर हाइजीन एजुकेशन को अनिवार्य बनाया जाना चाहिये।
- समर्पित वित्त पोषण और सरकारी खरीद नीतियों के माध्यम से स्वदेशी साइबर सुरक्षा स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- भारत की अंतरिक्ष-तकनीक और उपग्रह क्षमताओं को मज़बूत करना: IN-SPACe कार्यढाँचे के तहत कम लागत वाले उपग्रह निर्माण और निजी क्षेत्र की भागीदारी का विस्तार किया जाना चाहिये।
- ग्रामीण कनेक्टिविटी को बढ़ाने, डिजिटल डिवाइड को न्यूनतम करने तथा इंटरनेट एक्सेस के लिये विदेशी उपग्रहों पर निर्भरता कम करने के लिये उपग्रह-आधारित ब्रॉडबैंड का विस्तार किया जाना चाहिये।
- सुरक्षित नेविगेशन और रक्षा अनुप्रयोगों के लिये भू-स्थानिक खुफिया उपकरण विकसित किया जाना चाहिये।
- जलवायु निगरानी, आपदा प्रबंधन और सटीक कृषि के लिये AI-एकीकृत रिमोट सेंसिंग समाधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- गहन-तकनीकी अनुसंधान एवं विकास तथा उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देना: राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के तहत क्वांटम कंप्यूटिंग, जैव प्रौद्योगिकी और उन्नत सामग्रियों के लिये समर्पित गहन-तकनीकी अनुसंधान केंद्र बनाए जाने चाहिये।
- कर छूट और वित्तीय सहायता के माध्यम से अग्रणी प्रौद्योगिकियों में निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- नेक्स्ट-जेन सॉल्यूशन के सह-विकास के लिये IIT, IISc और वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गजों के बीच सहयोग को सुदृढ़ किया जाना चाहिये।
- अनुसंधान नवाचारों के व्यावसायीकरण के लिये PhD-से-स्टार्टअप मार्ग को क्रियान्वित किया जाना चाहिये।
- फिनटेक और डिजिटल वित्तीय समावेशन के दायरे का विस्तार: भारत को डिजिटल भुगतान अवसंरचना में अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिये सीमा पार UPI और CBDC एडॉप्शन को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- वित्तीय अभिगम में सुधार के लिये MSME और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये AI-संचालित क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल विकसित किया जाना चाहिये।
- धोखाधड़ी की रोकथाम और पारदर्शी लेन-देन के लिये ब्लॉकचेन-आधारित नियामक तकनीक (RegTech) को सुदृढ़ किया जाना चाहिये।
- कृषि, स्वास्थ्य सेवा और सूक्ष्म उद्यम पारिस्थितिकी तंत्र में एम्बेडेड वित्त समाधान का विस्तार किया जाना चाहिये।
- नवाचार के लिये प्रौद्योगिकी नीति और विनियामक परिदृश्य में सुधार: स्टार्टअप्स और डीप-टेक परियोजनाओं के लिये एकल-खिड़की डिजिटल मंजूरी प्रणाली के साथ प्रौद्योगिकी नीति-निर्माण को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिये।
- नवाचार को बढ़ावा देते हुए नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिये क्षेत्र-विशिष्ट AI विनियम विकसित किया जाना चाहिये।
- वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के लिये भारतीय SaaS, फिनटेक और क्लाउड स्टार्टअप्स पर अनुपालन बोझ को कम करने की आवश्यकता है।
- स्थायी, दीर्घकालिक डिजिटल नीतियों को सुनिश्चित किया जाना चाहिये जो राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए विदेशी निवेश को आकर्षित करें।
- भविष्य के लिये तैयार कार्यबल का विकास करना: स्कूलों और विश्वविद्यालयों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व गणित कार्यक्रमों को सुदृढ़ किया जाना चाहिये।
- AI, साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन और सेमीकंडक्टर में पाठ्यक्रम प्रदान किये जाने चाहिये।
- इंडस्ट्री 4.0 की तैयारी के लिये स्किल इंडिया के अंतर्गत बड़े पैमाने पर डिजिटल कौशल कार्यक्रमों को लागू किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
भारत की तकनीकी क्रांति को एक दूरदर्शी नीति कार्यढाँचे द्वारा संचालित किया जाना चाहिये जो नवाचार को बढ़ावा दे, डिजिटल अनुकूलन को सुदृढ़ करे तथा विनियामक एवं अवसंरचनात्मक अंतराल को कम कर दे। स्वदेशी सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ाकर, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का विस्तार करके और एथिकल AI गवर्नेंस सुनिश्चित करके, भारत संधारणीय एवं समावेशी तकनीकी नेतृत्व प्राप्त कर सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत डिजिटल बुनियादी अवसंरचना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वदेशी नवाचार द्वारा संचालित एक तेज़़ तकनीकी क्रांति का साक्ष्य बन रहा है। समावेशी और संधारणीय तकनीकी विकास सुनिश्चित करने में प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) प्रश्न 2. ‘‘ब्लॉकचेन तकनीकी’’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये- (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न 1. कोविड-19 महामारी ने विश्वभर में अभूतपूर्व तबाही उत्पन्न की है। तथापि, इस संकट पर विजय पाने के लिये प्रौद्योगिकीय प्रगति का लाभ स्वेच्छा से लिया जा रहा है। इस महामारी के प्रबंधन के सहायतार्थ प्रौद्योगिकी की खोज़ कैसे की गई, उसका एक विवरण दीजिये। (2020) |