प्रारंभिक परीक्षा
पीएम E-ड्राइव में इलेक्ट्रिक कारों को शामिल न करना
- 23 Sep 2024
- 6 min read
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना में इलेक्ट्रिक कारों को किसी भी प्रत्यक्ष सब्सिडी से बाहर रखा गया है।
- सरकार का मानना है कि इलेक्ट्रिक कारों के लिये न्यूनतम वस्तु एवं सेवा कर जैसे अन्य उपाय इस क्षेत्र को समर्थन देने के लिये पर्याप्त हैं।
पीएम ई-ड्राइव योजना क्या है?
- पीएम ई-ड्राइव योजना का परिचय: इसका उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देना है, जिसके लिये दो वर्षों में 10,900 करोड़ रुपए का वित्तीय परिव्यय निर्धारित किया गया है।
- इसे FAME II के स्थान पर लॉन्च किया गया है।
- दायरा: यह मांग प्रोत्साहन के माध्यम से लगभग 25 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों, 3 लाख इलेक्ट्रिक तीन पहिया वाहनों और 14,000 इलेक्ट्रिक बसों को राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करता है।
- वाहन निर्माता, पिछली FAME-II योजना के समान, पात्र इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की बिक्री के लिये प्रतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं।
- हालाँकि इलेक्ट्रिक कारों को सब्सिडी से बाहर रखा गया है।
- अन्य प्रावधान: चयनित शहरों और चयनित राजमार्गों पर इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (EVPCS) की स्थापना।
- ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिये नवीन और उभरती प्रौद्योगिकियों से निपटने के लिये टेस्टिंग एजेंसियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
FAME योजना क्या थी?
- FAME (हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तीव्र गति से अपनाना और उनका विनिर्माण) नीति का उद्देश्य वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना, ईंधन की खपत में कमी लाना और सतत् परिवहन को प्रोत्साहित करना है।
- इसे वर्ष 2015 में नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) के तहत पेश किया गया था।
प्रमुख चरण:
- फेम I (वर्ष 2015-2019): इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की खरीद के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का समर्थन किया गया।
- इसका उद्देश्य सार्वजनिक और निज़ी क्षेत्रों में स्वच्छ गतिशीलता को बढ़ावा देना था।
- फेम II (वर्ष 2019-2024): इसके दायरे का विस्तार किया गया है, विशेष रूप से सार्वजनिक परिवहन (ई-बसों, दोपहिया और तीन पहिया वाहनों) में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिये 1.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किये गए हैं।
- इसमें मज़बूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर भी बल दिया गया तथा कॉमर्सियल फ्लीट्स से उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखा गया।
इलेक्ट्रिक कारों के प्रचार से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- पीएम ई-ड्राइव में इलेक्ट्रिक कारों को शामिल न करने का प्रभाव: फेम-II की समाप्ति के पश्चात् राजकोषीय प्रोत्साहनों के अभाव के कारण इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में गिरावट आई है।
- अप्रैल और अगस्त 2024 के बीच इलेक्ट्रिक कारों के पंजीकरण में FAME-II के सक्रिय होने से पूर्व के माह की तुलना में 9% की गिरावट आई।
- अपर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के अनुसार, भारत में 46 लाख पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये लगभग 25,000 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन मौज़ूद हैं।
- वर्तमान में प्रति चार्जिंग स्टेशन 184 इलेक्ट्रिक वाहन का अनुपात ई-मोबिलिटी को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने वाले अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक है।
सब्सिडी से परे सहायक उपाय:
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ: सरकार ऑटो कंपोनेंट्स और उन्नत सेल रसायन (ACC) बैटरियों के लिये PLI योजनाओं के माध्यम से EV क्षेत्र को समर्थन दे रही है।
- ये प्रोत्साहन स्तरीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर, विशेष रूप से EV आपूर्ति शृंखला में, उत्पादन लागत को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
- न्यूनतम GST और राज्य स्तरीय छूट: इलेक्ट्रिक कारों को 5% का न्यून वस्तु एवं सेवा कर (GST) दर का लाभ मिलता रहेगा, जबकि हाइब्रिड और CNG वाहनों पर यह दर 28% तथा इंटरनल कंबशन इंजन व्हीकल्स पर 49% है।