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एडिटोरियल

  • 10 Feb, 2023
  • 17 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

आधारभूत संरचना पर भारत का ज़ोर

यह एडिटोरियल 07/02/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “An infrastructure push for the people” लेख पर आधारित है। इसमें केंद्रीय बजट 2023-24 में आधारभूत संरचना पर भारत के ज़ोर और आगे की चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

आधारभूत संरचना को सार्वभौमिक रूप से विकास के प्रमुख चालक के रूप में स्वीकार किया जाता है। हालाँकि ‘आधारभूत संरचना’ (Infrastructure) शब्द आमतौर पर सड़क, बंदरगाह, बिजली पारेषण लाइन जैसी भौतिक संपत्तियों से संबद्ध किया जाता है, हाल के वर्षों में भारत की विकास गाथा न केवल भौतिक, बल्कि सामाजिक एवं डिजिटल आधारभूत संरचना पर भी गंभीरता से ध्यान देने के साथ गहनता से जुड़ी रही है।

बजट 2023 आधारभूत संरचना विकास के इन तीनों आयामों पर बल देता है, जो संयुक्त रूप से समावेशी विकास को गति प्रदान करते हैं। लक्षित निवेश न केवल महत्त्वपूर्ण भौतिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर कनेक्टिविटी में सुधार लाएँगे (जिससे यात्रियों और माल की आवाजाही में तेज़ी आएगी), बल्कि रोज़गार भी उत्पन्न करेंगे, निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा साथ ही वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के विरुद्ध एक सुरक्षा भी प्राप्त होगी।

बजट 2022-23 में भारत ने विभिन्न आधारभूत संरचना परियोजनाओं में निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था को आवश्यक गति देने पर ध्यान केंद्रित किया है। आगामी बजट में आधारभूत संरचना क्षेत्र को समान राशि प्राप्त होगी ताकि वर्ष 2025 तक भारत के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर सुचारू रूप से आगे बढ़ा जा सके।

वर्ष 2023-24 के बजट में प्रस्तावित आवंटन

  • भारत का पूंजीगत व्यय:
    • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में भारत का पूंजीगत व्यय वर्ष 2014 में 1.7% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में लगभग 2.9% हो गया है।
    • आधारभूत संरचना के लिये वर्ष 2023-24 के बजट में 10 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 3.3%) आवंटित किया गया, जो वर्ष 2019 की तुलना में तीन गुना अधिक है।
  • सबसे बड़ा आवंटन:
    • रेल मंत्रालय को अब तक का सर्वाधिक 2.4 लाख करोड़ रुपए का आवंटन प्राप्त हुआ है, जो वर्ष 2013-14 के आवंटन का लगभग नौ गुना है।
    • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के बजट आवंटन में 36% की वृद्धि हुई है और इसे 2.7 लाख करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं।
  • राज्यों के लिये ब्याज मुक्त ऋण का विस्तार:
    • केंद्र द्वारा प्रत्यक्ष पूंजी निवेश को राज्य सरकारों के लिये 50-वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण में एक वर्ष के विस्तार के साथ पूरकता प्रदान की गई है ताकि 1.3 लाख करोड़ रुपए के उल्लेखनीय रूप से बढ़ाए गए परिव्यय के साथ आधारभूत संरचना निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके और पूरक नीतिगत कार्रवाइयों को बढ़ावा दिया जा सके ।
      • इससे विभिन्न भू-भागों में शहरी और परिधि-शहरी क्षेत्रों में विकेंद्रीकृत आधारभूत संरचना का विकास होगा।
      • प्रधानमंत्री आवास योजना के लिये 66% अधिक आवंटन से न केवल ग्रामीण श्रमिकों को आवास प्रदान किया जाएगा, बल्कि रोज़गार भी सृजित होगा।

आधारभूत संरचना पर भारत के बल से संबद्ध चुनौतियाँ

  • भौतिक अवसंरचना:
    • भूमि अधिग्रहण: भौतिक अवसंरचना निर्माण से संबद्ध सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक भूमि अधिग्रहण है, क्योंकि इसमें प्रायः लोगों के पुनर्वास और मुआवजे के मुद्दे शामिल होते हैं।
    • वित्तपोषण: बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं का वित्तपोषण भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इसके लिये सरकार के पास पर्याप्त संसाधनों की कमी हो सकती है और आर्थिक एवं नियामक बाधाओं के कारण सीमित निजी निवेश प्राप्त हो सकता है।
    • प्रौद्योगिकी की कमी: जटिल अवसंरचना परियोजनाओं के लिये आवश्यक प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता की उपलब्धता के मामले में भी भारत चुनौतियों का सामना करता है।
  • सामाजिक अवसंरचना:
    • अपर्याप्त मानव संसाधन: कुशल कामगारों, इंजीनियरों और प्रबंधकों की कमी सामाजिक अवसंरचना परियोजनाओं के विकास में बाधक बन सकती है।
    • सार्वजनिक समर्थन का अभाव: स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी सामाजिक अवसंरचना परियोजनाओं के लिये सार्वजनिक समर्थन और ‘बाय-इन’ (buy-in) की आवश्यकता होती है, जिसे एक जटिल राजनीतिक वातावरण में सुनिश्चित करना कठिन हो सकता है।
    • योजना-निर्माण और कार्यान्वयन की अनुपयुक्तता: खराब योजना-निर्माण और कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप गुणवत्ताहीन सुविधाओं एवं संवहनीयता की कमी जैसी स्थिति बन सकती है, जो अंततः आधारभूत संरचना पर बल देने के प्रभाव को कम कर सकती है।
  • डिजिटल अवसंरचना:
    • ‘डिजिटल डिवाइड’: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और इंटरनेट तक सीमित पहुँच के साथ भारत में एक डिजिटल डिवाइड की स्थिति मौजूद है, जो डिजिटल अवसंरचना के विकास में बाधा बन सकती है।
    • साइबर सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग ने साइबर सुरक्षा और गोपनीयता के बारे में भी चिंताओं की वृद्धि की है, जिससे सुदृढ़ विनियमन एवं आधारभूत संरचना का होना आवश्यक हो गया है।
    • मानकीकरण का अभाव: डिजिटल अवसंरचना क्षेत्र में मानकीकरण का अभाव और क्षेत्र के विभिन्न खिलाड़ियों के बीच समन्वय की कमी उपयोगकर्ताओं के लिये समस्याएँ पैदा कर सकती है तथा विकास एवं नवाचार की क्षमता को सीमित कर सकती है।

संबंधित पहलें

  • डिजिटल अवसंरचना के लिये:
  • सामाजिक अवसंरचना:
    • सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिये मिशन:
      • केंद्रीय बजट 2023-24 में सरकार ने वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिये एक मिशन की घोषणा की है।
    • पीएम पोषण शक्ति निर्माण या पीएम पोषण:
      • यह दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा स्कूल आहार कार्यक्रम है, जिसमें सरकारी स्कूलों में नामांकित कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को शामिल किया गया है।
    • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ:
      • इसे वर्ष 2015 में लिंग चयनात्मक गर्भपात और घटते बाल लिंग अनुपात (जो वर्ष 2011 में प्रत्येक 1000 बालकों पर 918 बालिकाओं के रूप में दर्ज किया गया था) को संबोधित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
  • भौतिक अवसंरचना:
    • पीएम गति शक्ति योजना:
      • इसका उद्देश्य अगले चार वर्षों में आधारभूत संरचना परियोजनाओं का एकीकृत योजना-निर्माण और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है, जिसमें ज़मीनी कार्यों में तेज़ी लाने, लागत की बचत और रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • भारतमाला योजना:
      • वर्ष 2022 में भारत में राजमार्गों के निर्माण पर विशेष बल दिया गया जहाँ 5000 किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ।
      • भारतमाला योजना के तहत राजमार्गों के लक्षित विकास ने आर्थिक गलियारों के विकास में अवसंरचना के अंतर को पाटने में मदद की है।

आगे की राह

  • सामाजिक अवसंरचना में निवेश:
    • सामाजिक अवसंरचना में निवेश से अधिक उत्पादक एवं कुशल कार्यबल, मृत्यु दर में कमी, वेस्टिंग एवं स्टंटिंग स्तर में कमी, सामाजिक गतिशीलता में वृद्धि और जीवन की उच्च गुणवत्ता जैसे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
      • सामाजिक अवसंरचना में शिक्षा एवं कौशल, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पोषण, पेयजल एवं स्वच्छता जैसे विषय शामिल हैं।
    • ये कारक एक सुदृढ़ और अधिक समावेशी अर्थव्यवस्था तथा समग्र विकास में योगदान करते हैं।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) में वृद्धि:
    • सरकार अवसंरचना परियोजनाओं के वित्त, डिज़ाइन, निर्माण और संचालन के लिये निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी कर सकती है।
  • बेहतर परियोजना निर्माण और कार्यान्वयन:
    • सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये परियोजना निर्माण और कार्यान्वयन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर सकती है कि परियोजनाएँ समय पर और आवंटित बजट के भीतर पूरी हों।
  • अभिनव वित्तीय समाधानों का कार्यान्वयन:
    • सरकार अवसंरचना विकास के लिये अतिरिक्त धन जुटाने के लिये अवसंरचना बॉण्ड जैसे नवीन वित्तपोषण समाधानों का पता लगा सकती है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहित करना:
    • सरकार अवसंरचना विकास में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिये विनियमों को सरल बना सकती है और अनुकूल वातावरण प्रदान कर सकती है।
  • मानव पूंजी का निर्माण:
    • सरकार कुशल श्रम और तकनीकी विशेषज्ञता के रूप में मानव पूंजी के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।
      • अवसंरचना विकास का समर्थन करने के लिये मानव पूंजी निर्माण के कुछ तरीके:
        • कार्यबल विकास कार्यक्रमों में निवेश करना जो नौकरी प्रशिक्षण, शिक्षुता आदि प्रदान करें।
        • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक पहुँच प्रदान करना
        • अवसंरचना से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार का समर्थन करना
        • मानव पूंजी विकास में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना
    • मानव पूंजी निर्माण और अवसंरचना विकास का समर्थन करने वाली योजनाओं में शामिल हैं: स्किल इंडिया, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
  • प्रभावी विनियमन:
    • सरकार अवसंरचना परियोजनाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी विनियमों की स्थापना एवं कार्यान्वयन कर सकती है।
    • वे विषय जहाँ विनियमन मदद कर सकते हैं:
      • विनियमन सामग्री, कारीगरी की गुणवत्ता के लिये मानक निर्धारित कर सकते हैं
      • विनियमन अग्नि सुरक्षा, निकास योजनाओं (evacuation plans) और अभिगम्यता मानक जैसी सुरक्षा आवश्यकताओं को भी निर्दिष्ट कर सकते हैं, जिन्हें आम लोगों और परियोजना में शामिल श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये पूरा किया जाना चाहिये।
      • स्वतंत्र निरीक्षण और परीक्षण जो किसी भी ऐसे मुद्दे या समस्याओं की पहचान करने में मदद करेगा जिन्हें अवसंरचना के उपयोग में लाने से पहले संबोधित करने की आवश्यकता है।

अभ्यास प्रश्न: भारत में अवसंरचना क्षेत्र के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियाँ कौन-सी हैं और उन्हें दूर करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)  

प्रारंभिक परीक्षा:

प्रश्न 1. 'राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी अवसंरचना कोष' के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?  (वर्ष 2017)

  1. यह नीति आयोग का एक अंग है।
  2. वर्तमान में इसके पास `4,00,000 करोड़ का कोष है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

 (A) केवल 1
 (B) केवल 2
 (C) 1 और 2 दोनों
 (D) न तो 1 और न ही 2

 उत्तर: (D)


प्रश्न 2. भारत में "सार्वजनिक रूप से महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना" शब्द का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है (वर्ष 2020)

(A) डिजिटल सुरक्षा बुनियादी अवसंरचना
(B) खाद्य सुरक्षा बुनियादी अवसंरचना
(C) स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा हेतु बुनियादी अवसंरचना
(D) दूरसंचार और परिवहन बुनियादी अवसंरचना

उत्तर: (A)


मुख्य परीक्षा

प्रश्न. अधिक तीव्र और समावेशी आर्थिक विकास के लिए बुनियादी अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के आलोक में चर्चा कीजिये। (वर्ष 2021)


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