डेली न्यूज़ (28 May, 2024)



PoK में अशांति फैलाने वाले सामाजिक-आर्थिक कारक

प्रिलिम्स के लिये:

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा, पुलवामा हमला, नियंत्रण रेखा (LoC), अनुच्छेद 370, इंडो-पैसिफिक

मेन्स के लिये:

भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार व्यवधानों का प्रभाव, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK), पाकिस्तान में अस्थिरता, भारत के लिये अवसर और खतरे

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

बढ़ती कीमतों और आर्थिक संकट के कारण पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan-occupied Kashmir- PoK) में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं। क्षेत्र की अशांति के कारण हिंसक झड़पें हुईं, जिससे मौतें हुईं। उच्च मुद्रास्फीति से चिह्नित पाकिस्तान के आर्थिक संकट ने जीवन की स्थिति खराब कर दी है।

  • वर्ष 2019 पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तानी सामानों पर सीमा शुल्क बढ़ाने के बाद PoK में व्यापार प्रभावित हुआ, जिससे वित्तीय तनाव बढ़ गया।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था क्यों संघर्ष कर रही है?

  • उच्च मुद्रास्फीति: मई 2022 से उपभोक्ता मुद्रास्फीति 20% से ऊपर रही है, जो मई 2023 में 38% तक पहुँच गई है।
  • ऊर्जा लागत: पाकिस्तान में ऊर्जा की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे समग्र मुद्रास्फीति में योगदान हुआ है। इसका संपूर्ण अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
  • व्यापार व्यवधान: वर्ष 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया और उसका सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most Favored Nation- MFN) का दर्जा रद्द कर दिया तथा सूखे खजूर, सेंधा नमक, सीमेंट एवं जिप्सम जैसे पाकिस्तानी उत्पादों पर 200% आयात शुल्क लगा दिया।
    • भारत द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ सामान्य व्यापार गतिविधियों को फिर से शुरू करने में एक महत्त्वपूर्ण बाधा के रूप में कार्य करते हैं।
    • पुलवामा के बाद, भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद, तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप लगाया, जिसके कारण नियंत्रण रेखा (Line of Control- LoC) के पार व्यापार निलंबित हो गया।
    • इससे भारत में पाकिस्तान के निर्यात में भारी गिरावट आई, जो वर्ष 2018 में औसतन 45 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति माह से घटकर मार्च और जुलाई 2019 के बीच केवल 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति माह रह गया।
    • भारत को निर्यात में उल्लेखनीय कमी ने व्यापारियों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, विशेष रूप से PoK जैसे क्षेत्रों में, जिससे आर्थिक अस्थिरता में सहायक हुआ है।
      • भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को रद्द करने से स्थिति और जटिल हो गई है, क्योंकि पाकिस्तान इसे विवादित क्षेत्र पर हमले के रूप में देखता है।
    • वर्ष 2021 में पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने का प्रयास किया, लेकिन घरेलू दबाव और कश्मीर मुद्दे ने प्रगति रोक दी।
    • भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंधों की वर्तमान स्थिति वर्ष 2019 से निलंबित है।

भारत पाकिस्तान के साथ व्यापार संबंध फिर से शुरू क्यों नहीं करना चाहता?

  • पाकिस्तान के साथ भारत का व्यापार हमेशा इसके समग्र विदेशी व्यापार का एक छोटा सा हिस्सा रहा है, जो इसके निर्यात और आयात का 1% से भी कम है।
    • राजनीतिक अस्थिरता, कम विदेशी भंडार, सख्त वीज़ा नीतियाँ और भारत की तुलना में पाकिस्तान के छोटे बाज़ार का आकार पाकिस्तान के साथ व्यापार को भारत के लिये एक जोखिम भरा प्रस्ताव बनाता है।
  • भारत में कुछ लोगों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना से न्यूनतम खतरा, जो उसकी पश्चिमी सीमाओं पर व्यस्त है, व्यापार के माध्यम से विश्वास-निर्माण उपायों की आवश्यकता को कम कर देता है।

प्रतिबंध से पूर्व भारत-पाकिस्तान व्यापार:

  • वर्ष 1996 से पाकिस्तान को सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most-Favoured Nation- MFN) का दर्ज़ा प्राप्त है, लेकिन उसने 1,209 उत्पादों की एक नकारात्मक सूची बनाए रखी है, जिन्हें भारत से आयात करने की अनुमति नहीं है। 
    • हालाँकि, वाघा-अटारी सीमा से पाकिस्तान द्वारा 138 उत्पादों को आयात करने अनुमति दी गई। 
  • इसके बावजूद, भारत के पास पाकिस्तान पर एक महत्त्वपूर्ण व्यापार अधिशेष था, वह पाकिस्तान से आयात की तुलना में पाकिस्तान को अधिक सामान और सेवाएँ निर्यात करता था।
    • भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव ने व्यापार को अत्यधिक प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर व्यापार पर प्रतिबंध लगे तथा व्यापारिक गतिविधियाँ बाधित हुईं।
  • पाकिस्तान को भारतीय वस्तुओं का निर्यात: वर्ष 2018-19 में भारत द्वारा पाकिस्तान को निर्यात किये गए कुल माल का आधा भाग कपास और जैविक रसायनों का था। अन्य महत्त्वपूर्ण वस्तुओं में प्लास्टिक, टैनिंग/रंगाई के अर्क, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण शामिल थे। 
  • पाकिस्तान से भारतीय आयात: वर्ष 2018-19 में भारत ने पाकिस्तान से खनिज ईंधन और तेल, खाद्य फल एवं मेवे, नमक, सल्फर, पत्थर, लावा, राख तथा चमड़े का आयात किया।
    • प्रतिबंध के बाद कई वस्तुओं के आयातों में काफी कमी आई। एकमात्र वृद्धि फार्मास्युटिकल उत्पादों में हुई है, क्योंकि पाकिस्तान ने कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये दवा उत्पादों और जैविक रसायनों का आयात किया था।

भविष्य में भारत-पाकिस्तान व्यापार वार्ता की क्या संभावनाएँ हैं?

  • ऐतिहासिक रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच सफल वार्ताएँ अक्सर निजी और गोपनीय रूप से ही संपन्न हुई हैं और वर्ष 2024 के भारतीय आम चुनाव के बाद दोनों देश ‘शांत कूटनीति’ का विकल्प अपना सकते हैं।
    • LoC पर निरंतर युद्धविराम और पुलवामा के बाद से आतंकवादी घटनाओं की अनुपस्थिति भारत-पाकिस्तान संबंधों को फिर से शुरू करने के लिये एक अनुकूल आधार प्रदान करती है।
  • बिज़नेस-टू-बिज़नेस लिंक और पाकिस्तान द्वारा अपने क्षेत्र के माध्यम से अफगानिस्तान तथा मध्य एशिया में भारतीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने की क्षमता का लाभ द्विपक्षीय व्यापार की वकालत के लिये उठाया जा सकता है।
  • भारत-पाकिस्तान व्यापार संबंधों में सुधार से भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को भी बढ़ावा मिल सकता है, जो चीन के बढ़ते प्रभाव और भारत-प्रशांत पर भारत के फोकस के कारण कम हो रहा है।

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) क्या है?

  • ऐतिहासिक संदर्भ: PoK ऐतिहासिक रूप से जम्मू और कश्मीर रियासत का हिस्सा था, जो वर्ष 1947 में विभाजन के बाद भारत में शामिल हो गया था।
    • हालाँकि, वर्ष 1947 में पश्तूनी आदिवासियों और पाकिस्तानी सेना के आक्रमण के बाद इस क्षेत्र पर पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया गया था।
  • भौगोलिक विस्तार: PoK का क्षेत्रफल 13,297 वर्ग कि.मी. है और इसकी जनसंख्या 40 लाख से अधिक है। यह 10 ज़िलों में विभाजित है और इसकी राजधानी मुज़फ्फराबाद है। 
    • वर्ष 1963 में पाकिस्तान ने शक्सगाम क्षेत्र में इस भूमि का 5,000 वर्ग कि.मी. से अधिक भाग चीन को सौंप दिया।
  • गिलगित बाल्टिस्तान:
    • गिलगित बाल्टिस्तान (GB) PoK के उत्तर में और पाकिस्तानी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व में स्थित एक पृथक क्षेत्र है।
      • GB को अंग्रेज़ों ने जम्मू के डोगरा शासक को पट्टे पर दिया था और बाद में 1947 में पाकिस्तान को सौंप दिया गया था।
  • प्रशासनिक स्थिति: न तो PoK और न ही GB आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के चार प्रांतों के हिस्से के रूप में सूचीबद्ध हैं।
    • दोनों को सीधे इस्लामाबाद से शासित "स्वायत्त क्षेत्र" माना जाता है, जो कश्मीर विवाद पर अपनी अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को हानि पहुँचाने से बचने के लिये पाकिस्तान द्वारा बनाई गई एक कल्पना है।
  • भारत की स्थिति: भारत के लिये PoK और GB जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा हैं, जो वर्ष 1994 के संसदीय संकल्प के अनुसार देश का अभिन्न अंग है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न.  भारत और पाकिस्तान के बीच सीमावर्ती समुदायों पर व्यापार निलंबन का क्या प्रभाव पड़ेगा? व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने के संभावित लाभों और इसमें शामिल चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. सियाचिन हिमनद कहाँ स्थित है? (2020)

(a) अक्साई चिन के पूर्व में
(b) लेह के पूर्व में
(c) गिलगिट के उत्तर में
(d) नुब्रा घाटी के उत्तर में 

उत्तर: (d) 

  • सियाचिन ग्लेशियर हिमालय में पूर्वी काराकोरम रेंज में प्वाइंट NJ9842 के ठीक उत्तर-पूर्व में स्थित है, जहाँ भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा समाप्त होती है।
  • इसे ध्रुवीय और उपध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर सबसे बड़ा ग्लेशियर होने का गौरव प्राप्त है।
  • यह अक्साई चिन के पश्चिम में, नुब्रा घाटी के उत्तर में और गिलगित के लगभग पूर्व में स्थित है।

मेन्स:

प्रश्न. "भारत में बढ़ते हुए सीमापारीय आतंकी हमले और अनेक सदस्य-राज्यों के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान द्वारा बढ़ता हुआ हस्तक्षेप सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के भविष्य के लिये सहायक नहीं हैं।" उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिये। (2016)

प्रश्न. आतंकवादी गतिविधियों और परस्पर अविश्वास ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को धूमिल बना दिया है। खेलों और सांस्कृतिक आदान-प्रदानों जैसी मृदु शक्ति किस सीमा तक दोनों देशों के बीच सद्भाव उत्पन्न करने में सहायक हो सकती है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (2015)


बढ़ते कर्ज़ से घरेलू बचत पर संकट

प्रिलिम्स के लिये:

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, सकल घरेलू उत्पाद, उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति, नीति आयोग, मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय, सी. रंगराजन समिति।

मेन्स के लिये:

हाल के घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण की मुख्य बातें

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के मुकाबले अधिक ऋण लेने के कारण वर्ष 2022-23 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product - GDP) अनुपात की तुलना में घरेलू निवल बचत में आई गिरावट के मुद्दे पर बहस शुरू हुई है।

  • भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) ने इसकी व्याख्या घरेलू बचत की संरचना में बदलाव मात्र के रूप में की, जहाँ परिवारों को केवल उच्च भौतिक बचत (निवेश) के वित्तपोषण के लिये अधिक ऋण लेना पड़ता है।
  • हालाँकि, कुछ विशेषज्ञ असहमत हैं और उनका मानना है कि इस प्रवृत्ति के पीछे केवल लोगों की अत्यधिक खर्च करने की आदतें ही नहीं, बल्कि कई बड़े आर्थिक कारण भी हो सकते हैं।

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA):

  • ये सरकार को आर्थिक मामलों पर सलाह देते हैं और भारत का केंद्रीय बजट पेश होने से पूर्व संसद में पेश किये जाने वाले भारत के आर्थिक सर्वेक्षण की तैयारी के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
  • CEA भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग का प्रमुख होता है।
  • उसके पास भारत सरकार के सचिव का पद होता है।

नोट:

  • घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत: यह घरेलू आय के उस भाग को संदर्भित करता है जो ऋण एवं वित्तीय देनदारियों के बाद बचता है तथा वित्तीय परिसंपत्तियों, जैसे बैंक जमा, स्टॉक, बॉण्ड तथा अन्य वित्तीय उपकरणों में निवेश किया जाता है।
    • यह एक अवधि में परिवारों द्वारा रखी गई वित्तीय संपत्तियों में शुद्ध परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है।
    • उच्च शुद्ध वित्तीय बचत उच्च आर्थिक स्थिरता का संकेत देती है।
  • घरेलू बचत और GDP अनुपात: घरेलू बचत और GDP का अनुपात इसकी शुद्ध वित्तीय बचत एवं GDP अनुपात, भौतिक बचत तथा GDP अनुपात व सोने और आभूषणों का योग है।
    • गणितीय अभिव्यक्ति रूप में: घरेलू बचत = शुद्ध वित्तीय बचत + भौतिक बचत + (स्वर्ण और आभूषण)।

बचत पैटर्न में वर्तमान परिवर्तन क्या हैं?

  • बढ़ा हुआ उधार और संपत्ति में स्थिरता:
    • अधिक उधारी (2.5% तक) होने से शुद्ध वित्तीय बचत (-2.0% तक) कम हो गई है, लेकिन भौतिक बचत तथा निवेश में अधिक वृद्धि (केवल 0.3% तक) नहीं हुई है
      • यह सरकार के उस दृष्टिकोण का खंडन करता है कि अधिक उधार लेने (शुद्ध वित्तीय बचत में कमी) के कारण भौतिक बचत में वृद्धि हुई है।
    • घरेलू बचत और सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में 1.7% अंक की गिरावट आई, जबकि सोने की बचत व सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात काफी हद तक अपरिवर्तित रहा।

  • घरेलू वित्तीय संपत्ति और सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में गिरावट:
    • समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में परिवार निर्धन होते जा रहे हैं, साथ ही अधिक धन भी उधार ले रहे हैं। ऐसा इसलिये है क्योंकि घरेलू वित्तीय संपत्ति और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात तेज़ी से कम हुआ है, जबकि ऋण-से-निवल-मूल्य अनुपात बढ़ गया है।

  • ब्याज भुगतान बोझ, किसी निर्धारित ब्याज दर पर, ब्याज दर और ऋण-आय (DTI) के अनुपात का उत्पाद है।
    • ब्याज भुगतान बोझ में वृद्धि:  ब्याज भुगतान का बोझ किसी निर्धारित ब्याज दर पर, ब्याज दर और ऋण-आय (DTI) के अनुपात का उत्पाद है।
    • ऋण-से-आय (Debt-To-Income- DTI) अनुपात एक वित्तीय अनुपात है जो उधारकर्त्ता के कुल मासिक ऋण की तुलना उनकी कुल मासिक आय से करता है।
      • उच्च ऋण-से-आय अनुपात इंगित करता है कि किसी व्यक्ति को अपने ऋणों पर चूक का जोखिम हो सकता है, जबकि निम्न अनुपात दर्शाता है कि उनके पास अपने ऋण दायित्वों को कवर करने के लिये अधिक प्रयोज्य आय (Disposable Income) है।
    • हाल की अवधि इन दोनों चर (DTI और ब्याज भुगतान) में तीव्र वृद्धि से संबंधित है।
    • परिवारों का ऋण-आय अनुपात दो कारकों के कारण परिवर्तित हो सकता है।
      • उच्च शुद्ध उधार-आय अनुपात, जहाँ कुल उधार और ब्याज भुगतान के बीच का अंतर है।
        • यदि परिवार उच्च निवेश या उपभोग के वित्तपोषण को बढ़ाने का निर्णय लेता है।
      • ब्याज दरों में वृद्धि या नाममात्र आय (Nominal Income) वृद्धि दर में कमी।
        • यदि ब्याज भुगतान में वृद्धि आय वृद्धि से अधिक है, तो ऋण-आय अनुपात बढ़ता रहेगा। ऐसे तंत्रों को "फिशर डायनेमिक्स" (ब्याज दर और नाममात्र आय वृद्धि दर में परिवर्तन के संदर्भ में बढ़ते ऋण-आय अनुपात की घटना) के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
  • घरेलू आय वृद्धि उधार दर से पीछे:
    • 2019-20 से 2022-23 की अवधि के लिये घरेलू प्रयोज्य आय की वृद्धि दर का औसत मूल्य (2019-20 से 2021-22 में 8% और 2019-20 से 2022-23 में 9.3%) भारित औसत उधार दर (Weighted Average Lending Rate- WALR) (2019-22 में 9.3% और वर्ष 2019-23 में 9.4%) से कम रहा है।
      • इस अवधि के लिये उधार दर का औसत मूल्य भारतीय रिज़र्व बैंक के तिमाही आँकड़ों द्वारा तय किया गया है।

  • 2003-08 और 2019-22 के बीच बचत और निवेश में गिरावट:
    • वर्ष 2003-04 से 2007-08 तक औसत सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income- GNI) वृद्धि दर (14.5%) औसत उधार दर (11.5%) से अधिक थी।
      • इसका तात्पर्य यह था कि आय उधार लेने की लागत की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही थी।

  • फिशर डायनेमिक्स 2019-20 से सक्रिय है:
    • यह ब्याज दर और नाममात्र आय में परिवर्तन के कारण ऋण-आय अनुपात बढ़ने की घटना है।
    • वर्ष 2019-20 में आर्थिक मंदी के बाद से, भारतीय अर्थव्यवस्था ने फिशर डायनेमिक्स के संकेत दिखाए हैं।
    • कोविड-19 के बाद, परिवारों की आय की तुलना में ऋण की मात्रा में तीव्र वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण नाममात्र (Nominal) की आय वृद्धि दर है।
    • मछुआरों की गतिशीलता के उदय के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष 2 महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं:
      • बढ़ता आय-ऋण अंतर: इससे परिवारों को अधिक ब्याज भुगतान करना पड़ सकता है।
      • न्यूनतम खपत: अधिक ऋण परिवारों को खर्च में कटौती करने के लिये प्रेरित करता है। वर्ष 2023-24 में खपत और GDP अनुपात में गिरावट आई, जो इस प्रवृत्ति को दर्शाता है।

बढ़ते घरेलू ऋण बोझ के व्यापक आर्थिक निहितार्थ क्या हैं?

  • ऋण अदायगी: यदि आय वृद्धि की तुलना में ब्याज दरें तेज़ी से बढ़ती हैं तो यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इससे वित्तीय क्षेत्र पर दबाव पड़ सकता है क्योंकि उन्हें ऋण अदायगी के लिये संघर्ष कर रहे परिवारों से न्यूनतम ब्याज आय प्राप्त होती है। इसके परिणामस्वरूप व्यवसायों के लिये ऋण उपलब्धता कम हो सकती है।
  • उपभोग मांग: इसे उच्च घरेलू ऋण द्वारा भी नियंत्रित किया जा सकता है। यदि परिवार आर्थिक रूप से असुरक्षित महसूस करते हैं, तो वे अधिक बचत कर सकते हैं और खर्च में कमी कर सकते हैं, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी।
  • मुद्रास्फीति से बचाव हेतु उच्च ब्याज दर: यदि मुद्रास्फीति से निपटने के लिये ब्याज दरें बढ़ाई जाती हैं, तो इससे घरेलू ऋण का बोझ बढ़ सकता है और वे ऋण जाल से ग्रस्त हो सकते हैं। ऐसा इसलिये होगा क्योंकि उच्च ब्याज दरें होने से परिवारों द्वारा अपने ऋणों के लिये भुगतान की जाने वाली धनराशि में वृद्धि होगी।
  • अर्थव्यवस्था का वित्तीयकरण: घरेलू बैलेंस शीट में वित्तीय परिसंपत्तियों की ओर बदलाव से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था अधिक वित्तीय होती जा रही है। इसका तात्पर्य है कि आर्थिक गतिविधि का एक बड़ा हिस्सा वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के बजाय वित्तीय बाज़ारों पर केंद्रित है। यह अर्थव्यवस्था को अधिक नाज़ुक और वित्तीय संकटों के लिये प्रवण बना सकता है।
    • वित्तीयकरण उन अर्थव्यवस्थाओं में एक प्रवृत्ति को संदर्भित करता है जहाँ वित्तीय बाज़ार उत्पादन पर प्राथमिकता लेते हैं, जहाँ व्यक्ति धन संचय करने के लिये स्टॉक और बॉण्ड जैसी वित्तीय संपत्तियों की ओर रुख करते हैं।

आगे की राह 

  • आय वृद्धि और ऋण नियंत्रण पर ध्यान देना: ब्याज दरों और आय वृद्धि के बीच अंतर को कम करने की आवश्यकता है और आय की तुलना में घरेलू ऋण की वृद्धि को धीमा करने की आवश्यकता है।
  • आय वृद्धि को बढ़ावा देना: रोज़गार सृजन, वेतन वृद्धि और समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ एवं पहल महत्त्वपूर्ण हैं।
  • ऋण स्तर का प्रबंधन: उचित ऋण प्रथाओं को प्रोत्साहित करने और संभावित रूप से अत्यधिक उच्च ऋण दरों को विनियमित करने से, परिवारों को ऋण को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।
  • वेतन वृद्धि: यदि वेतन में वृद्धि, ब्याज दरों में होने वाली वृद्धि से अधिक है, तो परिवारों के पास ऋण का प्रबंधन करने और संभावित रूप से अधिक खर्च करने के लिये अधिक प्रयोज्य आय होगी।
  • ऋण प्रबंधन रणनीतियाँ: वित्तीय शिक्षा पहल और उचित ऋण देने की प्रथाएँ परिवारों को ऋण को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सहायता कर सकती हैं, जिससे खर्च के लिये कुछ आय शेष रह जाती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

भारत की घरेलू वित्तीय संपत्ति में गिरावट और उधार लेने की बढ़ती लागत पर चर्चा कीजिये। इस प्रवृत्ति से उत्पन्न होने वाली संभावित व्यापक आर्थिक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये और उनसे निपटने हेतु नीतिगत उपाय प्रस्तावित कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. एन.एस.एस.ओ. के 70वें चक्र द्वारा संचालित "कृषक-कुटुम्बों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण" के अनुसार निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. राजस्थान में ग्रामीण कुटुंबों में कृषि कुटुंबों का प्रतिशत सर्वाधिक है।
  2. देश के कुल कृषि कुटुम्बों में 60% से कुछ अधिक ओ.बी.सी. के हैं।
  3. केरल में 60% से कुछ अधिक कृषि कुटुंबों ने यह सूचना दी कि उन्होंने अधिकतम आय गैर कृषि स्रोतों से प्राप्त की है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 2 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3

उत्तर: c


प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत में कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं, क्योंकि (2019)

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है,
(b) कीमत-स्तर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है,
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है,
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणता अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होती है,

उत्तर: (b)


वर्ष 1991 में हुए राजनीतिक और आर्थिक सुधार

प्रिलिम्स के लिये:

टी. एन. शेषन चुनाव सुधार, आदर्श आचार संहिता, मतदाता फोटो पहचान पत्र, चुनाव आयोग, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (Liberation Tigers of Tamil Eelam- LTTE),

मेन्स के लिये:

टी. एन. शेषन चुनावी सुधार, उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (Liberalization, Privatization, and Globalization- LPG) सुधार

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

जैसा कि भारत 2024 के आम चुनाव की तैयारी कर रहा है, वर्ष 1991 के आम चुनावों के महत्त्व पर विचार करना प्रासंगिक है, जो देश के इतिहास में एक प्रमुख बदलाव था।

  • इन चुनावों से पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व और टी. एन. शेषन के नेतृत्व में प्रभावशाली चुनाव सुधारों के कारण व्यापक राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तन हुए।

टी. एन. शेषन द्वारा प्रस्तुत प्रमुख चुनावी सुधार क्या थे?

  • तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन (टी. एन. शेषन) को वर्ष 1990 से वर्ष 1996 तक मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner- CEC) नियुक्त किया गया था और उन्होंने महत्त्वपूर्ण सुधारों की एक शृंखला का नेतृत्व किया, जिसने भारतीय चुनावी प्रक्रिया को व्यापक रूप से बदल दिया।
  • प्रमुख सुधार:
    • मतदाता पहचान पत्र: जो निर्वाचक फोटो पहचान पत्र (Electors Photo Identity Card- EPIC) के रूप में जाना जाता है, इसे प्रतिरूपण और फर्ज़ी मतदान को रोकने के लिये उनके कार्यकाल में पेश किया गया था।
    • MCC का सख्त प्रवर्तन: वर्ष 1960 से विद्यमान आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct- MCC) चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के लिये दिशानिर्देशों की रूपरेखा तैयार करती है। शेषन ने सत्ता के दुरुपयोग और अनुचित लाभ पर अंकुश लगाते हुए इसे सख्ती से लागू किया।
    • चुनावी गड़बड़ियों पर अंकुश: शेषन के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने 150 गड़बड़ियों को सूचीबद्ध किया।
      • उन्होंने वोट खरीदने, रिश्वत देने, मतदाताओं को डराने-धमकाने, बूथ पर कब्ज़ा करने और बाहुबल के प्रयोग पर अंकुश लगाया।
      • उन्होंने चुनाव अभियानों के दौरान अत्यधिक खर्च और सार्वजनिक प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
    • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव: शेषन ने व्यवस्था बनाए रखने और हिंसा को रोकने के लिये केंद्रीय पुलिस बलों की तैनाती सुनिश्चित की। उन्होंने चुनाव आयोग को स्वायत्त दर्ज़ा देने की भी वकालत की।
  • शेषन के सुधारों का 1991 के चुनावों पर प्रभाव:
    • 1991 के चुनाव अभूतपूर्व सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता के साथ आयोजित किये गए, जिससे भविष्य के चुनावों के लिये नए मानक स्थापित हुए।
    • मौज़ूदा राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद, 56.73% मतदान दर्ज़ किया गया। यह वर्ष 1989 के 61.95% से कम था, लेकिन अनियमितताओं से ग्रस्त पिछले चुनावों की तुलना में अधिक वास्तविक भागीदारी को दर्शाता है।
  • दीर्घकालिक प्रभाव:
    • निर्वाचन आयोग को एक निष्क्रिय पर्यवेक्षक से चुनावी कानूनों के सक्रिय प्रवर्तक में परिवर्तित कर दिया गया।
    • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करते हुए निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता एवं अखंडता भी मज़बूत हुई।
  • मान्यता:

Electoral-Reforms

वर्ष 1991 के चुनावों का राजनीतिक संदर्भ:

  • मई 1991 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के एक आत्मघाती हमलावर द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी गई, जिसके कारण चुनावों के दौरान राजनीतिक रूप से आक्रोश का माहौल उत्पन्न हो गया। 
  • राजीव गांधी की मृत्यु के बाद, 21 जून, 1991 को पी.वी. नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

राव सरकार के तहत आर्थिक सुधार:

  • आर्थिक संकट: इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण भारत डिफॉल्ट होने की स्थिति में था। इसके साथ ही खाड़ी युद्ध (वर्ष 1991) के कारण स्थिति और खराब होने के कारण तेल की कीमतें बढ़ गईं तथा विदेशी श्रमिकों द्वारा होने वाले धन के प्रेषण में कमी आई। 
    • इस समय राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी के 8% तक बढ़ गया तथा चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.5% था। मुद्रास्फीति की दर दोहरे अंकों में थी, जिससे लोगों पर और अधिक बोझ बढ़ गया। 
    • इस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी कम हो गया, जो मुश्किल से दो सप्ताह के आयात को कवर करने के लिये ही पर्याप्त था।
  • संकट के समाधान हेतु तत्काल उपाय: 
    • रुपए का अवमूल्यन: 1 जुलाई 1991 को प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपए का 9% अवमूल्यन किया गया और उसके दो दिन बाद ही 11% का अतिरिक्त अवमूल्यन किया गया। इसका उद्देश्य भारतीय निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना था। 
      • राव ने राजनीतिक एवं आर्थिक असंतुलन को संतुलित करने के लिये चरणबद्ध अवमूल्यन का विकल्प चुना। 
    • स्वर्ण भंडार को गिरवी रखना: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने जुलाई 1991 में बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास अपना स्वर्ण भंडार गिरवी रखकर लगभग 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए।
      • मई 1991 में, राष्ट्रीय चुनावों के दौरान, यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड को 20 टन सोना बेचा गया, जिससे लगभग 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए गए।
      • वर्ष की शुरुआत में, सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आपातकालीन ऋण प्राप्त किया।
  • LPG सुधार:
    • वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ PM राव ने LPG सुधारों (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) की शुरुआत की, जिन्हें संकट से उबरने तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये भारत की आर्थिक रणनीति की आधारशिला के रूप में पेश किया गया था।
    • उदारीकरण:
      • नई व्यापार नीति: लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार और गैर-आवश्यक आयात को निर्यात से जोड़कर निर्यात को बढ़ावा देने के लिये पेश की गई।
      • एक्ज़िम स्क्रिप (Exim Scrips): सरकार ने निर्यात सब्सिडी हटा दी और इसके बजाय निर्यातकों के लिये निर्यात के मूल्य के आधार पर व्यापार योग्य एक्ज़िम स्क्रिप पेश की।
        • इस नीति ने आयात पर राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों के एकाधिकार को समाप्त कर दिया, जिससे निजी क्षेत्र स्वतंत्र रूप से सामान आयात करने में सक्षम हो गया।
      • लाइसेंस राज को समाप्त करना: नई औद्योगिक नीति ने लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया, व्यापार पुनर्गठन और विलय की सुविधा के लिये एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम के प्रावधानों में ढील दी।
        • इस नीति ने निवेश के स्तर पर ध्यान दिये बिना, 18 उद्योगों को छोड़कर सभी के लिये औद्योगिक लाइसेंसिंग को समाप्त कर दिया।
    • निजीकरण:
      • FDI सुधार: 50% की पिछली सीमा की तुलना में 51% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 
      • (Foreign Direct Investment- FDI) के लिये स्वचालित अनुमोदन पेश किया गया था।
      • सार्वजनिक क्षेत्र के एकाधिकार पर प्रतिबंध: सार्वजनिक क्षेत्र के एकाधिकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों तक सीमित करना।
      • खुले बाज़ार: इन परिवर्तनों ने भारत में व्यापार करना सरल बना दिया, जिससे बाद के वर्षों में विदेशी वस्तुओं और निवेशों में वृद्धि हुई।
    • वैश्वीकरण:
      • आर्थिक नीतियाँ: सुधारों का उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाज़ार के साथ एकीकृत करना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करना है।
      • निर्यात को बढ़ावा देना: रुपए के अत्यधिक अवमूल्यन और नई व्यापार नीतियों के साथ, भारतीय निर्यात विश्व स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो गया है।
  • LPG सुधारों का प्रभाव:
    • भारत में LPG सुधारों से उच्च आर्थिक विकास हुआ, सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 1991 के 270 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 में 2.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
      • FDI प्रवाह में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो वर्ष 1991 के 97 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 82 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। 
      • सुधारों ने लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया तथा आईटी, दूरसंचार और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया।
      • हालाँकि सुधारों ने नौकरियों का सृजन किया और निर्धनता को कम किया, फिर भी रोज़गार की गुणवत्ता और आय की असमानता के संबंध में चिंताएँ बनी हुई हैं। 
      • सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकृत कर दिया, जिससे व्यापार और निवेश प्रवाह में वृद्धि हुई तथा वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 1991 में 0.5% से बढ़कर वर्ष 2022 में लगभग 2% हो गई।

दृष्टि मुख्य प्रश्न:

प्रश्न. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में आदर्श आचार संहिता के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। MCC को सख्ती से लागू करने से चुनाव सुधारों में किस प्रकार योगदान मिला?

प्रश्न. वर्ष 1991 में भारत के समक्ष आए आर्थिक संकट को कम करने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए तत्काल उपायों का आकलन कीजिये। इन उपायों का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 1991 में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से क्या प्रभाव उत्पन्न हुआ है? (2017)

  1. सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की हिस्सेदारी में भारी वृद्धि हुई। 
  2. विश्व व्यापार में भारत के निर्यात का हिस्सा बढ़ा।
  3. FDI प्रवाह बढ़ा।
  4. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी वृद्धि हुई।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 4 
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2020)

  1. शहरी क्षेत्रों में श्रमिक उत्पादकता (2004-05 की कीमतों पर प्रति कार्यकर्त्ता रुपए) में वृद्धि हुई, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह घट गई। 
  2. कार्यबल में ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिशत हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि हुई। 
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई। 
  4. ग्रामीण रोज़गार में वृद्धि दर में कमी आई है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4 
(c) केवल 3 
(d) केवल 1, 2 और 4

उत्तर: (b)