पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना
प्रिलिम्स के लिये:जगन्नाथ मंदिर, पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना, नि:शुल्क योजना, AMSAR अधिनियम। मेन्स के लिये: विरासत स्थलों का संरक्षण, उत्खनन परियोजनाओं में विवाद, भारत की मंदिर वास्तुकला, AMSAR अधिनियम। |
चर्चा में क्यों?
पुरी में ओडिशा सरकार की महत्त्वाकांक्षी मंदिर गलियारा परियोजना राजनीतिक विवाद का विषय बन गई है।
पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना:
- यह पुरी में जगन्नाथ मंदिर सहित एक अंतर्राष्ट्रीय विरासत स्थल बनाने के लिये ओडिशा सरकार की पुनर्विकास परियोजना है। हालाँकि इसकी कल्पना वर्ष 2016 में की गई थी, लेकिन इसका अनावरण दिसंबर 2019 में किया गया।
- इस अम्ब्रेला प्रोजेक्ट के तहत श्री जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर या श्री मंदिर परिक्रमा परियोजना के क्षेत्र आते हैं।
- इस परियोजना में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) भवन पुनर्विकास, एक 600-क्षमता वाला श्री मंदिर स्वागत केंद्र, पुरी झील, मूसा नदी पुनरुद्धार योजना आदि शामिल हैं।
- ओडिशा सरकार ने मंदिर के आसपास के क्षेत्र के सुधार के लिये तीन उद्देश्यों को सूचीबद्ध किया है- मंदिर की सुरक्षा, भक्तों की सुरक्षा और भक्तों के लिये धार्मिक माहौल का निर्माण।
- सरकार ने पुरी (ABADHA) योजना में बुनियादी सुविधाओं के विकास एवं विरासत और वास्तुकला के विकास से संबंधित परियोजना के लिये धन आवंटित किया है।
- ABADHA योजना में श्री जगन्नाथ मंदिर और उसके आसपास बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिये भूमि अधिग्रहण शुल्क/पुनर्वास और सड़क सुधार शामिल है।
परियोजना विवाद का विषय क्यों बन गई है?
- विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सदस्यों ने 12 वीं शताब्दी के मंदिर पर प्रतिकूल प्रभाव की संभावना का हवाला देते हुए खुदाई के लिये भारी मशीनरी के उपयोग पर आपत्ति जताई।
- इस बारे में सवाल उठाए जाने लगे कि क्या मंदिर के चारों ओर निर्माण के लिये उचित अनुमतियांँ और मंज़ूरी ली गई थी।
- जगन्नाथ मंदिर को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक नामित किया गया है और यह एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक है।
- मंदिर के 100 से 200 मीटर क्षेत्र के भीतर बड़े पैमाने पर विध्वंस और निर्माण कार्य हो रहे हैं जो प्राचीन स्मारक व पुरातात्त्विक स्थल और अवशेष (संशोधन एवं सत्यापन) अधिनियम (AMSAR), 2010 द्वारा निषिद्ध है।
प्राचीन स्मारक व पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (संशोधन एवं मान्यता) अधिनियम (AMSAR), 2010:
- AMSAR (संशोधन और मान्यता) अधिनियम के अनुसार, संरक्षित क्षेत्र के 100 मीटर की परिधि के भीतर निर्माण कार्य निषिद्ध है।
- स्मारक के चारों ओर 200 मीटर तक फैले क्षेत्र को विनियमित क्षेत्र कहा जाता है।
- AMSAR अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय के तहत वर्ष 2011 में स्थापित राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (NMA) पर ऐसी साइट की परिधि में निषिद्ध और विनियमित क्षेत्र का प्रबंधन करके ASI-संरक्षित साइटों की सुरक्षा एवं संरक्षण का प्रभार है।
- यदि एक विनियमित या निषिद्ध क्षेत्र में निर्माण कार्य किया जाना है, तो NMA से अनुमति लेना आवश्यक है।
- AMSAR अधिनियम में परिभाषित "निर्माण" शब्द में सार्वजनिक शौचालयों, मूत्रालयों और "समान सुविधाओं" का निर्माण शामिल नहीं है।
- इसमें पानी, बिजली की आपूर्ति या "प्रचार के लिये समान सुविधाओं का प्रावधान" के कार्य शामिल नहीं हैं।
- इसके अलावा यदि स्मारक का निर्मित क्षेत्र 5,000 वर्ग मीटर से अधिक है, तो स्मारक के चारों ओर विकास से पहले NMA द्वारा एक प्रभाव मूल्यांकन किया जाना भी आवश्यक है।
जगन्नाथ मंदिर की विशेषताएँ:
- ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश (Eastern Ganga Dynasty) के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था।
- पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर को ‘यमनिका तीर्थ’ भी कहा जाता है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पुरी में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण मृत्यु के देवता ‘यम’ की शक्ति समाप्त हो गई है।
- इस मंदिर को "सफेद पैगोडा" कहा जाता था और यह चारधाम तीर्थयात्रा (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का हिस्सा है।
- मंदिर के चार (पूर्व में ‘सिंह द्वार’, दक्षिण में 'अश्व द्वार’, पश्चिम में 'व्याघरा द्वार' और उत्तर में 'हस्ति द्वार’) मुख्य द्वार हैं। प्रत्येक द्वार पर नक्काशी की गई है।
- इसके प्रवेश द्वार के सामने अरुण स्तंभ या सूर्य स्तंभ स्थित है, जो मूल रूप से कोणार्क के सूर्य मंदिर में स्थापित था।
ओडिशा के अन्य महत्त्वपूर्ण स्मारक:
- कोणार्क सूर्य मंदिर (यूनेस्को विश्व विरासत स्थल)
- तारा तारिणी मंदिर
- लिंगराज मंदिर
- उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएँ
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ):प्रश्न. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये: सूची I (प्रसिद्ध मंदिर) सूची II (राज्य) A. विद्याशंकर मंदिर 1. आंध्र प्रदेश नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: A B C D (a) 2 4 3 1 उत्तर: (a) |
स्रोत: द हिंदू
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)-2021
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)-2021, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 45, अनुच्छेद 39 (F), राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP), RTE) अधिनियम, 2009, 42वांँ संशोधन , 2002 में 86वांँ संशोधन, अनुच्छेद 21-A। मेन्स के लिये:शिक्षा, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)- 2021 रिपोर्ट जारी की।
- यह त्रैवार्षिक सर्वेक्षण नवंबर 2021 में आयोजित किया गया था।
- NAS-2021 में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के 720 ज़िलों के 1.18 लाख स्कूलों के लगभग 34 लाख छात्रों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS)-2021:
- परिचय:
- यह शिक्षा प्रणाली के सीखने के परिणामों और स्वास्थ्य का आकलन करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है।
- यह पूरे भारत में आयोजित सबसे बड़ा, राष्ट्रव्यापी, नमूना-आधारित शिक्षा सर्वेक्षण है।
- यह शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आयोजित किया जाता है।
- NAS-2021 का आयोजन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा किया गया।
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने NAS-2021 के लिये एक मूल्यांकन रूपरेखा व उपकरण तैयार किये हैं।
- यह स्कूली शिक्षा की प्रभावशीलता पर एक प्रणाली-स्तरीय प्रतिबिंब प्रदान करता है।
- यह प्रासंगिक पृष्ठभूमि के घटकों, जैसे- स्कूल पर्यावरण, शिक्षण प्रक्रियाओं और छात्रावास तथा पृष्ठभूमि के कारकों पर जानकारी एकत्र करता है।
- यह संपूर्ण भारत के सरकारी स्कूलों (राज्य और केंद्र सरकार दोनों), सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों तथा निजी स्कूलों सहित स्कूलों के पूरे विस्तार को कवर करता है।
- यह शिक्षा प्रणाली के सीखने के परिणामों और स्वास्थ्य का आकलन करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है।
- माध्यम और श्रेणी:
- NAS-2021 शिक्षा के 22 माध्यमों जिसमें अंग्रेज़ी, असमिया, बांग्ला, गुजराती, कन्नड़, हिंदी, मलयालम, मराठी, मणिपुरी, मिज़ो, पंजाबी, ओड़िया, तेलुगू, तमिल, बोडो, उर्दू, गारो, कोंकणी, खासी, भूटिया, नेपाली और लेप्चा शामिल हैं, आयोजित किया गया था।
- यह अलग-अलग श्रेणी के लिये अलग-अलग विषयों में आयोजित किया गया था। विषय और श्रेणी के अनुसार विवरण निम्नलिखित हैं:
- श्रेणी 3 और श्रेणी 5: भाषा, EVS और गणित
- श्रेणी 8: भाषा, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान
- श्रेणी 10: भाषा, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेज़ी
- उद्देश्य:
- शिक्षा प्रणाली की दक्षता के संकेतक के रूप में बच्चों की प्रगति और सीखने की दक्षतां का मूल्यांकन करना, ताकि विभिन्न स्तरों पर उपचारात्मक कार्यों के लिये उचित कदम उठाया जा सकें।
- महत्त्व:
- यह सीखने के अंतराल की समस्या को सुलझाने में मदद करेगा और सीखने के स्तर में सुधार करने हेतु दीर्घकालिक, मध्यावधि और अल्पकालिक हस्तक्षेप विकसित करने में राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों का समर्थन करेगा तथा NAS-2021 के आंँकड़ों के आधार पर विभिन्न योजनाओं की तरफ उन्मुख होगा।
- NAS-2021 के अनुसार, उन परिणामों का व्यवस्थित ढंग से निदान करने में मदद मिलेगी जिनका असर स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने के कारण छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास के संदर्भ में सीखने पर पड़ा है।
- NAS के अनुसार, ये शिक्षकों, शिक्षा के प्रसार में शामिल अधिकारियों के लिये क्षमता निर्माण में मदद करेंगे।
NAS-2021 की मुख्य विशेषताएंँ:
- राष्ट्रीय औसत:
- कक्षा तीन के लिये छात्रों का राष्ट्रीय औसत प्रतिशत 59% था, जो कक्षा पांँच में 10% की गिरावट के साथ 49% रह गया है।
- इसमें कक्षा आठ में 41.9% और फिर कक्षा 10 में 37.8% तक गिरावट आई।
- प्रदर्शन में लगभग सभी विषयों में गिरावट दर्ज की गई।
- उदाहरण के लिये राष्ट्रीय स्तर पर गणित का स्कोर कक्षा तीन में 57% था, पांँचवी में लगभग 10% से 44% तक कमी आई, वही कक्षा आठवीं में 36% और कक्षा 10वीं में 32% तक की कमी दर्ज़ की गई।
- राष्ट्रीय स्तर पर भाषा का स्कोर कक्षा तीन में 62% था लेकिन कक्षा पांँच में 52% एवं कक्षा आठ में 53% तक की गिरावट हुई।
- विज्ञान के लिये राष्ट्रीय स्कोर कक्षा आठ में 39% से घटकर कक्षा 10 में 35% हो गया।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्र:
- ग्रामीण स्कूलों का प्रदर्शन उन्हीं राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) के शहरी स्कूलों की तुलना में "बहुत पीछे" रहा।
- सामाजिक-समूहों का प्रदर्शन:
- अनुसूचित जाति (SC)/अनुसूचित जनजाति (ST)/अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणियों के छात्रों का प्रदर्शन सामान्य श्रेणी के छात्रों की तुलना में कम रहा।
- लिंग-वार प्रदर्शन:
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर लड़कियों का औसत प्रदर्शन कक्षाओं में लगभग सभी विषयों में लड़कों की तुलना में बेहतर रहा।
- सीखने के बारे में छात्रों की धारणा:
- महामारी के दौरान स्कूल बंद रहने की अवधि में घर पर सीखने के बारे में छात्रों की धारणा के अनुसार 78% छात्रों ने इसे बहुत सारे असाइनमेंट के साथ बोझ बताया।
- कम-से-कम 38% छात्रों को घर पर सीखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जबकि 24% ने कहा कि उनके पास घर पर डिजिटल उपकरण नहीं हैं।
राज्यों का प्रदर्शन:
- अधिकांश राज्यों ने समग्र राष्ट्रीय स्कोर से काफी नीचे के स्तर पर प्रदर्शन किया, जबकि कुछ राज्यों जैसे केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र और पंजाब ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया।
- राष्ट्रीय औसत की तुलना में आठवीं और दसवीं कक्षा में दिल्ली का प्रदर्शन बेहतर था।
- पंजाब ने कक्षा 3, 5 और 8 के सभी विषयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त किये हैं।
भारत में शिक्षा की स्थिति:
- संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान के भाग IV राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 39 (F) में राज्य द्वारा वित्तपोषित होने के साथ-साथ समान एवं सुलभ शिक्षा का प्रावधान है।
- वर्ष 1976 में संविधान के 42वें संशोधन ने शिक्षा को राज्य से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया।
- वर्ष 2002 में 86वें संशोधन ने अनुच्छेद 21-A के तहत शिक्षा को प्रवर्तनीय अधिकार बना दिया।
- संबंधित कानून:
- शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना है।
- यह समाज के वंचित वर्गों के लिये 25% आरक्षण को भी अनिवार्य करता है।
- शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना है।
- सरकारी पहल:
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अमेरिका-ताइवान संबंध
प्रिलिम्स के लिये :भारत और उसके पड़ोसी मेन्स के लिये:भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
जापान मे क्वाड शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन द्वारा आक्रमण की स्थिति में ताइवान को सैन्य सहायता प्रदान करने के संबंध में एक सवाल के जवाब में विवादास्पद बयान दिया है।
- इसने सवाल उठाया है कि क्या अमेरिका ताइवान पर रणनीतिक अस्पष्टता की अपनी दीर्घकालिक नीति से रणनीतिक स्पष्टता की ओर स्थानांतरित हो रहा है।
- क्वाड समूह में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं।
ताइवान का मुद्दा:
- चीन-ताइवान संबंध:
- ताइवान, ताइवान जलडमरूमध्य में एक द्वीपीय क्षेत्र है, जो मुख्य भूमि चीन के तट पर स्थित है।
- 1945-1949 के चीनी गृहयुद्ध में कम्युनिस्ट ताकतों द्वारा पराजित होने के बाद चीन की सत्तारूढ़ कुओमितांग (राष्ट्रवादी सरकार) ताइवान भाग गई।
- गृहयुद्ध में चीन और ताइवान के विभाजन के बाद चीन गणराज्य (ROC) सरकार को ताइवान में स्थानांतरित कर दिया गया था। दूसरी ओर, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) ने मुख्य भूमि में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) की स्थापना की।
- PRC ने ताइवान को एक विश्वासघाती प्रांत के रूप में देखा है, हालाँकि वह ताइवान के साथ शांतिपूर्ण पुन: एकीकरण की प्रतीक्षा कर रहा है।
- इसके साथ ही ROC द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपनी स्थायी सीट बनाए रखने के लिये संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता ज़ारी रखी गई।
- शीत युद्ध में PRC यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) और ROC संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ था। इसने चीन-ताइवान संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया।
- नतीजतन, 1950 के दशक में ताइवान में दो जलडमरूमध्य संकट हुए।
- चीन के साथ अमेरिका का सामंजस्य और उसके बाद की घटनाएंँ:
- अमेरिका और चीन ने 1970 के दशक में शीत युद्ध की बदलती भू-राजनीति के कारण सामंजस्य स्थापित किया, ताकि USSR के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला किया जा सके।
- इसके बाद 1972 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने PRC की यात्रा की।
- बाद में ROC को संयुक्त राष्ट्र में आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में PRC द्वारा विस्थापित कर दिया गया।
- इसके बाद ही "एक-चीन सिद्धांत (One-Chine- Principle)” सामने आया।
- एक-चीन सिद्धांत और इसका प्रभाव:
- इसका मतलब यह है कि जो राष्ट्र PRC के साथ राजनयिक संबंध रखना चाहते हैं, उन्हें चीन के रूप में PRC को मान्यता देनी होगी न कि ROC को।
- इसके साथ ही चीन अपनी आर्थिक प्रणाली में सुधार के साथ-साथ एक बहु-दलीय लोकतंत्र के रूप में विकसित हुआ।
- तब से दोनों देश आर्थिक रूप से उलझ गए और लगातार प्रतिस्पर्द्धा करते रहे हैं।
ताइवान मुद्दे पर अमेरिका का रुख:
- अमेरिका के रुख का विकास::
- शंघाई कम्युनिक (1972), नॉर्मलाइज़ेशन कम्युनिक (1979) और 1982 कम्युनिक ताइवान के संबंध में अमेरिका-चीन की आपसी समझ को रेखांकित करने वाले तीन दस्तावेज़ हैं।
- 1979 की विज्ञप्ति के अनुसार, अमेरिका ताइवान को चीन का एक हिस्सा मानते हुए 'एक चीन सिद्धांत' को स्वीकार करता है।
- हालाँकि अमेरिका ने दोनों देशों के लोगों के नाम पर ताइवान के साथ अनौपचारिक संबंध बनाए रखना शुरू कर दिया।
- 1982 की विज्ञप्ति में चीन ने ताइवान संबंध अधिनियम, 1979 के प्रावधानों के अनुसार, अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियारों की निरंतर आपूर्ति की संभावना पर अपनी चिंता व्यक्त की।
- इस तरह अमेरिका ने ताइवान की चिंताओं के साथ-साथ PRC की अपनी मान्यता को संतुलित किया है।
- ताइवान पर प्रभाव:
- ताइवान में डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी (DPP) स्वतंत्र निर्वाचन क्षेत्र का समर्थन करने वाली ताइवान की सबसे शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति बन गई है।
- DPP चीन के प्रभाव रहित स्वयं के आर्थिक संबंधों का विस्तार करना चाहती है।
- चीन, ताइवान को उच्च भू-राजनीतिक महत्त्व वाला क्षेत्र मानता है क्योंकि यह जापान और दक्षिण चीन सागर के बीच प्रथम द्वीप शृंखला में केंद्रीय रूप से स्थित है।
- इस पूरे क्षेत्र में अमेरिका की सैन्य चौकियांँ हैं। इसलिये ताइवान पर नियंत्रण चीन के लिये एक महत्त्वपूर्ण सफलता होगी।
- लेकिन शांतिपूर्ण एकीकरण की संभावना बहुत कम है।
- साथ ही रूस-यूक्रेन संघर्ष के समानांतर तनाव बढ़ रहा है।
आगे की राह
- रूस-यूक्रेन संघर्ष की पृष्ठभूमि में चीन के धैर्य और ताइवान के तेज़ी से स्वतंत्रता समर्थक झुकाव को देखते हुए विरोधियों के लिये एक मज़बूत संदेश आवश्यक हो जाता है। हो सकता है कि यह उस बिंदु पर पहुँच गया हो जहांँ सामरिक अस्पष्टता सामरिक स्पष्टता के लिये अपनी प्रासंगिकता खो रही हो
- हालाँकि एक और प्रशंसनीय व्याख्या यह हो सकती है कि इस संदेश का उद्देश्य अमेरिका द्वारा प्रतिक्रिया प्राप्त करना और भारत-प्रशांत के लिये चीन के गेम प्लान का अनुभव प्राप्त करने के लिये जल का परीक्षण करना हो।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ):प्रश्न्र. 'ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
स्रोत: द हिंदू
भारत-जापान द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग
प्रिलिम्स के लिये:भारत-जापान संबंध, क्वाड समूह। मेन्स के लिये:द्विपक्षीय समूह और समझौते। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और जापान रक्षा विनिर्माण सहित द्विपक्षीय सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने हेतु सहमत हुए।
बैठक की मुख्य बातें:
- दोनों पक्षों को अगले पांँच वर्षों में जापान से भारत में सार्वजनिक एवं निजी निवेश तथा वित्तपोषण हेतु 5 ट्रिलियन येन के अपने निर्णय को क्रियान्वित करने के लिये संयुक्त रूप से काम करना चाहिये।
- भारत ने 'गति शक्ति' पहल के माध्यम से व्यापार करने में आसानी और रसद में सुधार के लिये उठाए गए कदमों पर ज़ोर दिया तथा जापान से भारत में जापानी निवेश में वृद्धि हेतु आग्रह किया।
- इस तरह के निवेश लचीली आपूर्तिृ शृंखला बनाने में मदद करेंगे और पारस्परिक रूप से फायदेमंद होंगे।
- भारत ने इस बात की सराहना की कि जापानी कंपनियांँ भारत में अपना निवेश बढ़ा रही हैं और 24 जापानी कंपनियों ने विभिन्न उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजनाओ के तहत सफलतापूर्वक आवेदन किया है।
- दोनों देशों ने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना के कार्यान्वयन में प्रगति को देखा तथा इस परियोजना के लिये ऋण की तीसरी किश्त केे आदान-प्रदान पत्र पर हस्ताक्षर किये।
- अगली पीढ़ी की संचार प्रौद्योगिकियों के विकास में दोनों पक्षों में निजी क्षेत्रों के बीच अधिक सहयोग को प्रोत्साहित करने पर सहमति हुई।
- साथ ही वे हरित हाइड्रोजन सहित स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने पर भी सहमत हुए।
- विनिर्दिष्ट कुशल कामगार (SSW) कार्यक्रम के कार्यान्वयन में हुई प्रगति पर ध्यान दिया गया तथा लोगों के बीच जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिये इस कार्यक्रम को और बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
- दोनों ही इस बात से सहमत हैं कि भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देने में उपयोगी रहा।
भारत और जापान के बीच अन्य हालिया घटनाक्रम:
- मार्च 2022 में जापान के प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच होने वाले 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिये भारत की आधिकारिक यात्रा की थी।
- इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री ने गुजरात में अहमदाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन (AMA) में एक जापानी 'ज़ेन गार्डन - काइज़न अकादमी' का उद्घाटन किया।
- भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया द्वारा हाल ही में चीन के आक्रामक राजनीतिक एवं सैन्य व्यवहार के मद्देनज़र चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिये एक त्रिपक्षीय ‘सप्लाई चेन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव’ (SCRI) शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
- वर्ष 2020 में भारत और जापान ने एक रसद समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जो दोनों देशों के सशस्त्र बलों को सेवाओं और आपूर्ति में समन्वय स्थापित करने की अनुमति देगा। इस समझौते को ‘अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते’ (ACSA) के रूप में जाना जाता है।
- वर्ष 2014 में भारत और जापान ने 'विशेष रणनीतिक व वैश्विक भागीदारी' के क्षेत्र में अपने संबंधों को उन्नत किया था।
- अगस्त 2011 में लागू ‘भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता’ (CEPA) वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं तथा व्यापार से संबंधित अन्य मुद्दों को शामिल करता है।
- जापान, भारत का 12वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है तथा दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा के मामले में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार का सिर्फ पाँचवाँ हिस्सा है।
- रक्षा अभ्यास: भारत और जापान के रक्षा बल द्विपक्षीय अभ्यासों की ्शृंखला आयोजित करते हैं, जैसे कि जिमेक्स (नौसेना), शिन्यू मैत्री (वायुसेना) और अभ्यास धर्म गार्जियन आदि। दोनों देश संयुक्त राज्य अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास) में भी भाग लेते हैं।
- भारत और जापान दोनों ही क्वाड, जी20 और जी-4 के सदस्य हैं।
- वे अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) के सदस्य देश भी हैं।
आगे की राह
- मेक इन इंडिया में अपार संभवनाएँ विद्यमान हैं। जापानी डिजिटल प्रौद्योगिकी को भारतीय कच्चे माल और श्रम के साथ संयोजित करके संयुक्त उद्यमों की स्थापना जा सकती है।
- भौतिक और साथ ही डिजिटल स्पेस में एशिया तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती भूमिका का मुकाबला करने के लिये घनिष्ठ सहयोग सबसे अच्छा उपाय है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ):निम्नलिखित में से कौन से समूह में G20 के सदस्य सभी चार देश शामिल हैं? (2020) (a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण
प्रिलिम्स के लिये:वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI). मेन्स के लिये:वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI), वृद्धि एवं विकास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) के अनंतिम परिणाम जारी किये गए।
- यह सर्वेक्षण ASI वेब पोर्टल के माध्यम से अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 के दौरान आयोजित किया गया था।
वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण:
- ASI, भारत में औद्योगिक आँकड़ों का प्रमुख स्रोत, संगठित विनिर्माण पर सबसे व्यापक डेटा है।
- इसमें बिजली का उपयोग करके 10 या अधिक श्रमिकों को नियोजित करने वाले सभी कारखानों और बिजली का उपयोग किये बिना 20 या अधिक श्रमिकों को नियोजित करने वाले सभी कारखाने शामिल हैं।
सर्वेक्षण की विशेषताएँ:
- कारखानों में वृद्धि:
- 2019-20 में देश में कारखानों की संख्या 1.7% बढ़कर 2.46 लाख हो गईं, जिसमें कुल 1.3 करोड़ कर्मचारी कार्यरत थे।
- सकल स्थायी पूंजी निर्माण:
- सकल स्थायी पूंजी निर्माण, निवेश का एक संकेतक है, जो 2019-20 में संगठित विनिर्माण क्षेत्र में 20.5 प्रतिशत बढ़कर 4.15 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 10.2 प्रतिशत बढ़कर 3.44 लाख करोड़ रुपए था।
- इसकी तुलना 2018-19 में कारखानों की संख्या में 1.98% की वृद्धि के साथ 2.42 लाख और 2017-18 के विमुद्रीकरण के बाद के वर्ष में 1.2% की वृद्धि के साथ की जाती है।
- ये संख्याएँ महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये कोविड-19 महामारी की शुरुआत से पहले वर्ष 2019-20 के सामान्य वर्ष के परिणाम हैं, जिसने रोज़गार वृद्धि को प्रभावित किया।
- अचल पूंजी, लेखा वर्ष के समापन दिन पर कारखाने के स्वामित्व वाली अचल संपत्तियों के मूल्यह्रास मूल्य का प्रतिनिधित्व करती है तथा इसमें वह भूमि शामिल है जिसमें लीज-होल्ड भूमि, भवन, संयंत्र और मशीनरी, फर्नीचर तथा सैनिटरी वस्तुएँ, परिवहन उपकरण, जल प्रणाली एवं सड़क मार्ग शामिल है। अन्य अचल संपत्ति जैसे- अस्पताल, स्कूल आदि का उपयोग कारखाने के श्रमिकों के लिये किया जाता है।
- सकल स्थायी पूंजी निर्माण, निवेश का एक संकेतक है, जो 2019-20 में संगठित विनिर्माण क्षेत्र में 20.5 प्रतिशत बढ़कर 4.15 लाख करोड़ रुपए हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 10.2 प्रतिशत बढ़कर 3.44 लाख करोड़ रुपए था।
कॉर्पोरेट क्षेत्र में रोज़गार:
- कॉर्पोरेट क्षेत्र:
- कॉर्पोरेट क्षेत्र में रोज़गार, जिसमें सार्वजनिक और निजी, सरकारी तथा गैर-सरकारी कंपनियाँ शामिल हैं, 2019-20 में 5.5% बढ़कर 97.03 लाख हो गया, जबकि व्यक्तिगत स्वामित्व में यह 3.1% घटकर 11.36 लाख हो गया।
- साझेदारी में:
- साझेदारी के क्षेत्र में रोज़गार 2019-20 में 11.7% घटकर 18.58 लाख हो गया, जबकि सीमित देयता साझेदारी के लिये यह 42% बढ़कर 1.22 लाख हो गया।
- श्रमिकों का रोज़गार:
- राज्यों में तमिलनाडु में 2019-20 में श्रमिकों के रोज़गार की सबसे अधिक संख्या थी, इसके बाद महाराष्ट्र और गुजरात का स्थान है।
- कुल मज़दूरी का भुगतान:
- 2019-20 में श्रमिकों को भुगतान की गई कुल मज़दूरी में 6.3% की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 11.9% की मज़दूरी वृद्धि हुई थी।
- 2019-20 में कॉर्पोरेट क्षेत्र में कारखाने के श्रमिकों के लिये मज़दूरी में 7.7% की वृद्धि हुई।
- कामगारों के आंँकड़ों में उन सभी व्यक्तियों को शामिल किया जाता है जो सीधे या किसी भी एजेंसी के माध्यम से नियोजित होते हैं, यानी वे मज़दूर हों या नहीं लेकिन किसी भी विनिर्माण प्रक्रिया में लगे हुए हों या विनिर्माण प्रक्रिया के लिये उपयोग की जाने वाली मशीनरी या परिसर के किसी भी हिस्से की सफाई में लगे हुए हों या विनिर्माण प्रक्रिया से जुड़े किसी अन्य प्रकार के कार्य में लगे हुए हों।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सशस्त्र बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व
प्रिलिम्स के लिये:सेना विमानन कोर, लघु सेवा आयोग मेन्स के लिये:सेना में महिलाओं का प्रतिनिधित्व, पृष्ठभूमि और महत्त्व, महिलाओं से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कैप्टन अभिलाषा बराक ने कॉम्बैट एविएटर (पायलट) के रूप में सेना विमानन कोर (Army Aviation Corps- AAC) में शामिल होने वाली पहली महिला अधिकारी बनकर इतिहास रच दिया।
- वर्तमान में उड्डयन विभाग में महिलाओं को केवल ट्रैफिक कंट्रोल और ग्राउंड ड्यूटी की ज़िम्मेदारी दी जातीै थी, लेकिन अब अभिलाषा बराक पायलट की ज़िम्मेदारी संभालेंगी।
- कैप्टन बराक को ध्रुव एडवांस्डलाइट हेलीकॉप्टर (ALH) संचालित करने वाली 2072आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन की दूसरी उड़ान के लिये नियुक्त किया गया है।
- भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना में महिला अधिकारी जहाँ लंबे समय से हेलीकॉप्टर उड़ा रही हैं, वहीं भारतीय सेना ने 2021 में 'आर्मी एविएशन कोर्स' शुरू करके महिला पायलटों के लिये मार्ग प्रशस्त किया।
सेना विमानन कोर:
- ‘सेना विमानन कोर’ भारतीय सेना का एक घटक है जिसका गठन 1 नवंबर, 1986 को किया गया था।
- सेना विमानन कोर का नेतृत्व नई दिल्ली में स्थित सेना मुख्यालय के महानिदेशक द्वारा किया जाता है।
- ‘सेना विमानन कोर’ को इसके गठन के साथ ही 'ऑपरेशन पवन' में शामिल किया गया जो इस नवगठित कोर के लिये एक महत्त्वपूर्ण परीक्षा थी।
- भारतीय सेना की सेना विमानन वाहिनी मुख्य रूप से उच्च ऊंँचाई वाले क्षेत्रों में अभियानों या स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान घायल सैनिकों की निकासी करती है।
- विमानन वाहिनी के हेलिकॉप्टरों का उपयोग अवलोकन, टोही, हताहत निकासी, लड़ाकू अनुसंधान एवं बचाव और आवश्यक लोड ड्रॉप के लिये भी किया जाता है।
सेना में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति:
- पृष्ठभूमि:
- थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने 1992 में महिलाओं को शॉर्ट-सर्विस कमीशन (SSC) अधिकारियों के रूप में शामिल करना शुरू किया।
- यह पहली बार था जब महिलाओं को चिकित्सा के बाहर सेना में शामिल होने की अनुमति दी गई थी।
- सेना में महिलाओं के लिये महत्त्वपूर्ण समय 2015 में आया जब भारतीय वायु सेना (IAF) ने उन्हें लड़ाकू इकाई में शामिल करने का फैसला किया।
- सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने 2020 में केंद्र सरकार को सेना की गैर-लड़ाकू सहायता इकाइयों में महिला अधिकारियों को उनके पुरुष समकक्षों के समान स्थायी कमीशन (PC) देने का निर्देश दिया।
- ससर्वोच्च न्यायालय ने महिला अधिकारियों की शारीरिक सीमाओं के सरकार के रुख को "लैगिक रूढ़िवादिता" और "महिलाओं के खिलाफ लैगिक भेदभाव" पर आधारित होने के रूप में खारिज कर दिया था।
- महिला अधिकारियों को उन सभी दस शाखाओं में भारतीय सेना में PC प्रदान किया गया है जहांँ महिलाओं को SSC के लिये शामिल किया गया है।
- महिलाएँ अब पुरुष अधिकारियों के समान सभी कमांड नियुक्तियों में पद ग्रहण करने के लिये पात्र हैं, जो उनके लिये उच्च पदों पर आगे पदोन्नति का रास्ता खोलेगा।
- वर्ष 2021 की शुरुआत में भारतीय नौसेना ने लगभग 25 वर्षों के अंतराल के बाद चार महिला अधिकारियों को युद्धपोतों पर तैनात किया।
- भारत के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) और बेड़े के टैंकर आईएनएस शक्ति (INS Shakti) एकमात्र ऐसे युद्धपोत हैं जिन्हें 1990 के दशक के बाद से अपनी पहली महिला चालक दल सौंपी गई है।
- मई 2021 में सेना ने कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस में महिलाओं के पहले बैच को शामिल किया, यह पहली बार था जब महिलाएँ गैर-अधिकारी कैडर में सेना में शामिल हुईं।
- हालाँकि महिलाओं को अभी भी इन्फैंट्री और आर्म्ड कॉर्प्स जैसे लड़ाकू हथियारों के प्रयोग वाले बेड़ों पर नियुक्ति करने की अनुमति नहीं है।
- थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने 1992 में महिलाओं को शॉर्ट-सर्विस कमीशन (SSC) अधिकारियों के रूप में शामिल करना शुरू किया।
- संख्या में वृद्धि:
- पिछले छह वर्षों में यह संख्या लगभग तीन गुना बढ़ गई है और महिलाओं के लिये स्थिर गति से अधिक रास्ते खोले जा रहे हैं।
- वर्तमान में 9,118 महिलाएँ थल सेना, नौसेना और वायु सेना में सेवारत हैं।
- वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार, विश्व की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना में महिलाओं की संख्या केवल 3.8% है जबकि वायु सेना में इनकी संख्या 13% और नौसेना में 6% है।
- महत्त्व:
- लैंगिकता बाधक नहीं: यदि आवेदक किसी पद के लिये योग्य है तो लैंगिकता उसकी योग्यता में बाधा नहीं बन सकती। आधुनिक उच्च प्रौद्योगिकी युद्धक्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञता और निर्णय लेने के कौशल साधारण शक्ति की तुलना में अधिक मूल्यवान होते जा रहे हैं।
- सैन्य तैयारी: मिश्रित लैंगिक बल की अनुमति देने से सेना मज़बूत रहती है। वर्तमान में रिटेंशन और भर्ती दरों में गिरावट से सशस्त्र बल गंभीर रूप से परेशान हैं। महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में अनुमति देकर इस परेशानी को कम किया जा सकता है।
- प्रभावशीलता: महिलाओं पर पूर्ण प्रतिबंध, सेना में कमांडरों की नौकरी के लिये सबसे सक्षम व्यक्ति को चुनने की क्षमता को सीमित करता है।
- परंपरा: युद्ध इकाइयों में महिलाओं के एकीकरण की सुविधा के लिये प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। समय के साथ संस्कृतियाँ बदलती हैं और इससे मातृ उपसंस्कृति भी विकसित हो सकती है।
- वैश्विक परिदृश्य: जब वर्ष 2013 में महिलाओं को आधिकारिक तौर पर अमेरिकी सेना में लड़ाकू पदों के लिये योग्य माना गया तो इसे व्यापक रूप से लिंग समानता की दिशा में एक और कदम के रूप में देखा गया। वर्ष 2018 में यूके की सेना ने महिलाओं के लिये करीबी युद्धक भूमिकाओं में सेवा करने पर प्रतिबंध हटा दिया, जिससे उनके लिये विशिष्ट बलों में सेवा करने की राह आसान हुई।
आगे की राह
- महिलाओं को इस कारण से कमांड पोस्ट से बाहर रखा जा रहा था कि बड़े पैमाने पर रैंक और कमांडिंग ऑफिसर के रूप में महिलाओं के साथ समस्या होगी। इस प्रकार न केवल सेना की रैंक और फाइल बल्कि बड़े पैमाने पर समाज की संस्कृति, मानदंडों और मूल्यों में परिवर्तन होगा। इन परिवर्तनों को लाने की ज़िम्मेदारी वरिष्ठ सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका, इज़रायल, उत्तर कोरिया, फ्राँस, जर्मनी, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की सेना उन वैश्विक सेनाओं में से हैं जो युद्ध की स्थिति में महिलाओं को अग्रिम पंक्ति में नियुक्त करती हैं।
- हर महिला को अपनी पसंद के व्यवसाय को चुनने और शीर्ष पर पहुँचने का अधिकार है क्योंकि समानता का अधिकार एक संवैधानिक गारंटी है।