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डेली न्यूज़


शासन व्यवस्था

बजटीय वित्त पोषण और उपयोगिता में कमी

  • 09 Mar 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

समग्र शिक्षा योजना

मेन्स के लिये:

भारत में शिक्षा प्रणाली, शिक्षा प्रणाली के विकास हेतु प्रयास, चुनौतियाँ एवं समाधान

चर्चा में क्यों?

शिक्षा पर एक संसदीय पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, देश के लगभग आधे सरकारी स्कूलों में बिजली सुविधा या खेल के मैदान नहीं हैं, साथ ही बजटीय वित्तपोषण और उसके उपयोग दोनों में कमी देखी गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • संसदीय स्थायी समिति ने शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तावित वित्तीय वर्ष 2020-2021 के बजटीय आवंटन में 27% की कटौती पाई, 82,570 करोड़ रुपए के प्रस्ताव में केवल 59,845 करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
  • केंद्रीय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं में भी 27% की कटौती देखी गई।
  • पैनल ने सिफारिश की है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Human Resource Development Ministry -HRD) को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme-MGNREGS) के साथ मिलकर चारदीवारी का निर्माण करना चाहिये एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (the Ministry of New and Renewable Energy) के साथ मिलकर सौर ऊर्जा एवं अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का प्रबंधन करना चाहिये जिससे स्कूलों में बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।

शिक्षा के लिये एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (Unified District Information System for Education-UDISE), 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार:

  • भारत में केवल 56% स्कूलों में बिजली उपलब्ध है एवं मणिपुर और मध्य प्रदेश में 20% से भी कम स्कूलों में बिजली उपलब्ध है।
  • 57% से कम स्कूलों में खेल के मैदान हैं, जिनमें ओडिशा, जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में 30% से कम खेल के मैदान हैं।
  • लगभग 40% स्कूलों में चाहरदीवारी नहीं होने के कारण छात्रों और स्कूलों की संपत्ति की सुरक्षा को खतरा है।

संसदीय पैनल की रिपोर्ट के अनुसार निराशाजनक प्रगति:

  • वित्तीय वर्ष 2019-20 के पहले नौ महीनों में स्वीकृत 2,613 परियोजनाओं में से केवल तीन ही पूर्ण हो पाए।
  • 31 दिसंबर, 2019 तक सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में एक भी अतिरिक्त कक्षा नहीं बनाई गई, जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिये 1,021 अतिरिक्त कक्षाएँ स्वीकृत की गई थीं।
  • 1,343 प्रयोगशालाओं हेतु स्वीकृत कोष के बावजूद केवल तीन प्रयोगशालाओं -भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान का निर्माण किया गया।
  • 135 पुस्तकालयों और 74 कला/शिल्प/संस्कृति के लिये कक्षाों को मंज़ूरी दी गई थी, लेकिन इनमे से एक का भी निर्माण नही हुआ।
  • माध्यमिक विद्यालयों का रिकॉर्ड बेहतर है, जहाँ दिसंबर तक 70-75% तक सुविधाएँ पूर्ण की जा चुकी थीं, हालाँकि विकलांग छात्रों के लिये रैंप और विशेष शौचालय की सुविधा का कुल कार्य 5% पूर्ण हो चुका था।
  • प्राथमिक स्कूलों में 90-95% अवसंरचना का काम पूरा हुआ।
  • समग्र शिक्षा योजना के तहत विभाग ने 31 दिसंबर, 2019 तक संशोधित अनुमानों का केवल 71% खर्च किया।

समग्र शिक्षा योजना (Samagra Shiksha Scheme):

  • इस योजना का लक्ष्य पूर्व-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है।
  • योजना का केंद्र बिंदु अंग्रेजी के टी शब्द – टीचर्स और टेक्नोलॉजी का एकीकरण करके सभी स्तरों पर गुणवत्ता में सुधार लाना है।

प्रमुख विशेषताएँ:

  • शिक्षा के लिये समग्र दृष्टिकोण।
  • प्रशासनिक सुधार।
  • शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देना।
  • डिजिटल शिक्षा पर ध्यान देना।
  • विद्यालयों का सुदृढ़ीकरण।
  • बालिकाओं की शिक्षा पर ध्यान देना।
  • समावेश पर ध्यान।
  • कौशल विकास पर ध्यान देना।
  • खेल और शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देना।
  • क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना।

स्रोत: द हिंदू

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