सामाजिक न्याय
महिला अधिकारियों को ‘स्थायी कमीशन
- 11 Jul 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:शॉर्ट सर्विस कमीशन मेन्स के लिये:सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सेना में शामिल ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ (Short Service Commission-SSC) महिला अधिकारियों को ‘स्थायी कमीशन’ (Permanent commission) देने के मामले में सरकार को आदेश लागू करने के लिये एक महीने की समय-सीमा दी गई है।
प्रमुख बिंदु:
- केंद्र सरकार द्वारा COVID-19 महामारी के कारण भारतीय सेना में महिलाओं को ‘स्थायी कमीशन’ (Permanent commission) देने तथा कमांड पोस्ट में उनकी तैनाती के संबंध में प्रावधान तैयार करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय से 6 महीने के अतिरिक्त समय की मांग की गई है।
- इसी संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार को एक माह का और समय दिया गया है।
स्थायी कमीशन:
- अभी तक सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती शार्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से होती है।
- शार्ट सर्विस कमीशन से भर्ती होने के बाद वो 14 साल तक सेना में नौकरी करती थीं।
- 14 वर्ष के बाद उन्हें रिटायर कर दिया जाता था।
- सेना में पेशन पाने के लिये 20 वर्ष तक नौकरी पूरी करने का नियम है।
- स्थायी कमिशन के तहत कोई अधिकारी रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में कार्य कर सकता है और इसके बाद वह पेंशन का हकदार भी होगा।
- स्थायी कमीशन से महिला अधिकारी 20 वर्षों तक कार्य कर सकती है ।
पृष्ठभूमि:
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में सरकार को आदेश दिया था कि महिलाओं को लड़ाकू इकाइयों से बाहर रखने के नीतिगत फैसले को बरकरार रखते हुए सभी शॉर्ट-सर्विस कमीशन महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए।
- 17 फरवरी 2020 में सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में यह कहकर याचिका दायर कि गई थी कि महिलाएँ शारीरिक रूप से पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कमज़ोर होती है।
- 17 फरवरी, 2020 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया कि उन सभी महिला अफसरों को तीन महीने के अंदर सेना में स्थायी कमीशन दिया जाए जो इस विकल्प को चुनना चाहती हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला अधिकारी सेना में स्थायी आयोग और कमांड पदों के लिये योग्य हैं, चाहे उनकी सर्विस की समयावधि कितनी भी हो।
निर्णय का सवैधानिक आधार:
- न्यायालय के अनुसार, महिलाओं को केवल शाॅर्ट सर्विस कमीशन तक सीमित रखना अर्थात स्थायी कमीशन न देना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा, जो कि देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान करता है।
सीमाएँ:
- सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय कॉम्बैट विंग में लागू नहीं किया जाएगा।
- सेना में कॉम्बैट विंग वो विंग होता है जो युद्ध के दौरान फ्रंटफुट पर होता है।
निर्णय का महत्त्व:
- महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन प्रदान करना देश में विद्यमान लैंगिक असमानता को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
- इससे महिलाओं को उनकी उचित स्थिति और अधिकार प्राप्त करने में मदद मिलेगी
- जो सामाजिक पदानुक्रम में उनकी स्थिति को बढ़ाने में मददगार साबित होगा।
- यह निर्णय सैन्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी/संख्या को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है ।