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डेली न्यूज़

  • 22 Apr, 2021
  • 42 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कुलभूषण जाधव मामला

चर्चा में क्यों?

पाकिस्तान ने भारत से कुलभूषण जाधव को मौत की सज़ा के संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के फैसले को लागू करने हेतु वकील नियुक्त करने का आग्रह किया है

प्रमुख बिंदु:

कुलभूषण जाधव मामला:

  • कुलभूषण जाधव को अप्रैल 2017 में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी।
  • भारत ने जाधव तक राजनयिक पहुँच सुनिश्चित करने (वियना कन्वेंशन) से इनकार करने और मौत की सजा को चुनौती देने पाकिस्तान के निर्णय के खिलाफ ICJ में संपर्क किया।
  • ICJ ने जुलाई 2019 में अपना निर्णय सुनाया कि पाकिस्तान को जाधव की सजा और दोषसिद्धि की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करना चाहिये तथा बिना देरी के भारत को राजनयिक पहुँच प्रदान करनी चाहिये।
    • इसने पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा जाधव को दी गई सज़ा के खिलाफ अपील के लिये एक उचित मंच प्रदान करने के लिये कहा था।

भारत के लिये 'प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार' के निहितार्थ:

  • प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार सामान्य समीक्षा से अलग है।
  • इसमें राजनयिक पहुँच प्रदान करना और अपने बचाव हेतु जाधव की मदद करना शामिल है।
  • इसका मतलब है कि पाकिस्तान को आरोपों का खुलासा करना होगा और उन साक्ष्यों को भी प्रस्तुत करना होगा जो अभी तक प्रस्तुत नहीं किये गए हैं।
  • पाकिस्तान को उन परिस्थितियों का भी खुलासा करना होगा जिनमें जाधव का कबूलनामा सेना द्वारा लिया गया था।
  • तात्पर्य यह है कि जो भी फोरम या अदालत जाधव के मामले की सुनवाई करती है, उसे  अपना बचाव करने का अधिकार होगा।

वियना कन्वेंशन:

  • राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो स्वतंत्र राज्यों के बीच राजनयिक संबंधों को परिभाषित करती है।
    • एक राजदूत (जो एक राजनयिक नहीं है), किसी मेज़बान देश में एक विदेशी राज्य का प्रतिनिधि होता है, जो अपने देशवासियों के हितों के लिये काम करता है।
  • वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद-36 में कहा गया है कि मेज़बान देश में गिरफ्तार या हिरासत में लिये गए विदेशी नागरिकों को उनकी गिरफ्तारी की सूचना दिये बिना उनके दूतावास या वाणिज्य दूतावास को बिना देरी के नोटिस दिया जाना चाहिये।
  • यदि हिरासत में लिया गया विदेशी नागरिक ऐसा अनुरोध करता है, तो पुलिस को दूतावास या वाणिज्य दूतावास को उस नोटिस को फैक्स करना चाहिये, जिसके द्वारा हिरासत में लिये गए व्यक्ति का सत्यापन किया जा सकता है।
    • दूतावास को यह नोटिस एक फैक्स के माध्यम से सरलतम रूप में दिया जा सकता है, जिसमें व्यक्ति का नाम, गिरफ्तारी का स्थान और यदि संभव हो तो गिरफ्तारी या हिरासत के कारणों के बारे में बताया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय

  • ICJ संयुक्त राष्ट्र (UN) का एक प्रमुख न्यायिक संगठन है। यह वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित किया गया था और इसने वर्ष 1946 में स्थायी न्यायालय के अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक उत्तराधिकारी के रूप में काम करना शुरू किया।
  • यह सदस्य देशों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाता है और संयुक्त राष्ट्र संगठन एवं अधिकृत विशिष्ट एजेंसियों को सलाहकारी राय देता है।
  • भारतीय न्यायाधीश दलवीर भंडारी अप्रैल 2012 से ICJ के सदस्य हैं।
  • ICJ नीदरलैंड के हेग के पीस पैलेस में स्थित है।

स्रोत- द हिंदू


शासन व्यवस्था

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी 180 देशों के ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index) 2021 में भारत फिर से 142वें स्थान पर है।

  • विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता के गैर-लाभकारी संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा जारी किया जाता है।

 प्रमुख बिंदु:

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के बारे में :

  • यह 2002 से रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स (RSF) या रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है। RSF द्वारा जारी 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक' का प्रथम संस्करण वर्ष 2002 में प्रकाशित किया गया था।
  • पेरिस स्थित रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन है, जो सार्वजनिक हित में संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद, फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (OIF) और मानव अधिकारों पर अफ्रीकी आयोग के साथ सलाहकार की भूमिका निभाता है।
    •  OIF एक 54 फ्रेंच भाषी राष्ट्रों का समूह है।
  • यह सूचकांक पत्रकारों के लिये उपलब्ध स्वतंत्रता के स्तर के अनुसार 180 देशों और क्षेत्रों को रैंक प्रदान करता है। यह सार्वजनिक नीतियों की  रैंकिंग नहीं करता है, भले ही सरकारें स्पष्ट रूप से अपने देश की रैंकिंग पर एक बड़ा प्रभाव डालती हैं। हालाँकि यह पत्रकारिता की गुणवत्ता का सूचक नहीं है।
  • यह सूचकांक बहुलवाद के स्तर, मीडिया की स्वतंत्रता, मीडिया के लिये वातावरण और स्वयं-सेंसरशिप, कानूनी ढाँचे, पारदर्शिता के साथ-साथ समाचारों और सूचनाओं के लिये मौज़ूद बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता के आकलन के आधार पर तैयार किया जाता है।।

वैश्विक परिदृश्य:

  • पत्रकारिता सूची में शामिल लगभग 73% देश स्वतंत्र मीडिया से पूरी तरह से या आंशिक रूप से अवरुद्ध है।
  • सूचकांक  180 देशों में से केवल 12 (7%) में पत्रकारिता के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करने का दावा कर सकता है।
  • राष्ट्रों द्वारा कोविड-19 महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिये सूचना तंत्र का  उपयोग पूर्ण रूप से किया गया।
  • रिपोर्ट में मुख्य रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बारे में चिंता व्यक्त की गई है क्योंकि प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयास में कई राष्ट्रों ने 'राजद्रोह,' 'राष्ट्र की गोपनीयता' और 'राष्ट्रीय सुरक्षा' पर कठोर कानून बनाए हैं।
  • इस सूचकांक में नॉर्वे (Norway) लगातार पाँच वर्षों से पहले स्थान पर है, इसके अतिरिक्त दूसरा स्थान फिनलैंड (Finland) को और तीसरा स्थान डेनमार्क (Denmark) को प्राप्त हुआ है।
  • इरीट्रिया, सूचकांक में सबसे निचले स्थान (180) पर है, इसके बाद चीन 177वें, और उत्तरी कोरिया 179वें और तुर्कमेनिस्तान 178वें स्थान पर है।

भारत के  प्रदर्शन का विश्लेषण:

  • वर्ष 2020 में भी भारत 142वें स्थान पर था, इस प्रकार पत्रकारों को प्रदान किये जाने वाले वातावरण में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है।
  • भारत का अपने पड़ोसी देशों की तुलना में खराब प्रदर्शन रहा है। इस सूचकांक में नेपाल को 106वाँ, श्रीलंका को 127वाँ और भूटान को  65वाँ स्थान प्राप्त है, जबकि पाकिस्तान (145वें स्थान) भारत के करीब है।
  • भारत पत्रकारिता के लिये ‘खराब’ वर्गीकृत देशों में से है और पत्रकारों के लिये सबसे खतरनाक देशों में से एक के रूप में जाना जाता है, जो अपने काम को ठीक से करने की    कोशिश कर रहे हैं।
  • इस रिपोर्ट ने  चर्चित पत्रकारों के लिये राष्ट्रवादी सरकार द्वारा बनाए गए भययुक्त वातावरण को ज़िम्मेदार ठहराया है, जो अक्सर उन्हें राज्य विरोधी या राष्ट्र विरोधी करार देता है।
    • कश्मीर की स्थिति चिंताजनक है, जहाँ पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों द्वारा पत्रकारों के उत्पीड़न की घटनाएँ सामने आई हैं।

भारत के खराब प्रदर्शन के पीछे कारण:

  • पत्रकारों को इस तरह के हमले की पहचान  कराता है, जिसमें पत्रकारों के विरुद्ध पुलिस हिंसा राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा घात और आपराधिक समूहों या भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा उकसाए गए विद्रोह शामिल हैं।
  • पत्रकारों को अक्सर सामाजिक नेटवर्क पर  स्थापित समन्वित घृणा अभियानों के अधीन किया गया है। 
  • महिला पत्रकार की स्थिति में इस प्रकार के अभियान और अधिक गंभीर हो जाते हैं।

प्रेस की स्वतंत्रता:

  • संविधान, अनुच्छेद 19 के तहत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो वाक् स्वतंत्रता इत्यादि के संबंध में कुछ अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है।
  • प्रेस की स्वतंत्रता को भारतीय कानूनी प्रणाली द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं किया गया है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत संरक्षित है, जिसमें कहा गया है - "सभी नागरिकों को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा"।
  • वर्ष 1950 में रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव  प्रेस की स्वतंत्रता पर आधारित होती है।
  • हालाँकि प्रेस की स्वतंत्रता भी असीमित नहीं होती है। कानून इस अधिकार के प्रयोग पर केवल उन प्रतिबंधों को लागू कर सकता है, जो अनुच्छेद 19 (2) के तहत इस प्रकार हैं-
    • भारत की संप्रभुता और अखंडता से संबंधित मामले, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता या न्यायालय की अवमानना के संबंध में, मानहानि या अपराध को प्रोत्साहन।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार द्वारा स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (Startup India Seed Fund Scheme- SISFS) शुरू की गई है।

  • इस योजना की शुरुआत स्टार्टअप इंडिया पहल (Startup India initiative) के 5 वर्ष पूर्ण  होने के उपलक्ष्य में आयोजित 'प्रारंभ: स्टार्टअप इंडिया इंटरनेशनल समिट' (Prarambh: Startup India International Summit) में की गई थी।

प्रमुख बिंदु:  

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (SISFS) के बारे में:

  • उद्देश्य: योजना का उद्देश्य स्टार्टअप्स के प्रोटोटाइप का विकास, प्रूफ ऑफ कांसेप्ट, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • 945 करोड़ रूपए लागत की इस योजना को ‘उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) द्वारा लॉन्च किया गया है 
  • पात्रता हेतु आवश्यक शर्तें: 
    • DPIIT द्वारा केवल उसी स्टार्टअप, को मान्यता प्रदान की जाएगी जिसे आवेदन की अवधि से 2 वर्ष से अधिक का समय न हुआ हो।
    • स्टार्टअप द्वारा केंद्र या राज्य सरकार की किसी भी योजना के तहत 10 लाख से अधिक की वित्तीय सहायता प्राप्त न की जा रही हो। 
  • विशेषताएँ:
    • अगले 4 वर्षों में 300 इन्क्यूबेटर्स (Incubators) के माध्यम से लगभग 3,600 उद्यमियों का समर्थन किया जाएगा।
    • DPIIT द्वारा गठित एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (Experts Advisory Committee- EAC) योजना के समग्र निष्पादन और निगरानी हेतु  ज़िम्मेदार होगी।
    • समिति द्वारा चयनित पात्र इन्क्यूबेटरों को 5 करोड़ रुपए तक की अनुदान राशि प्रदान की जाएगी।
    • चयनित इनक्यूबेटर्स को स्टार्टअप्स के प्रोटोटाइप का विकास, प्रूफ ऑफ  कांसेप्ट, उत्पाद परीक्षण हेतु 20 लाख रूपए तक की अनुदान राशि प्रदान की जाएगी। 
    • स्टार्टअप्स को बाजार में प्रवेश, व्यवसायीकरण या परिवर्तनीय डिबेंचर या ऋण से जुड़े उपकरणों हेतु 50 लाख रुपए तक का निवेश प्रदान किया जाएगा।  
  • अपेक्षित लाभ:
    • यह टियर 2 और टियर 3 क्षेत्रों में एक मज़बूत स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करने में मददगार साबित होगा, क्योंकि भारत में छोटे शहरों को अक्सर उपयुक्त धन मुहैया नहीं कराया जाता है।

स्टार्टअप इंडिया इनिशिएटिव के बारे में:

  • इसे 2016 में लॉन्च किया गया था यह देश में नवाचार के पोषण और नवोदित उद्यमियों को अवसर प्रदान करने हेतु एक मज़बूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की परिकल्पना प्रस्तुत करता है। 
  • यह निम्नलिखित तीन क्षेत्रों पर केंद्रित है:
    • सरलीकरण और हैंडहोल्डिंग।
    • वित्तपोषण सहायता और प्रोत्साहन।
    • उद्योग-अकादमी भागीदारी और इन्क्यूबेशन।

संबंधित सरकारी पहलें: 

  • स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज: यह किसी भी स्टार्टअप के लिये अपने नेटवर्किंग और फंड जुटाने के प्रयासों का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर है।
  • नेशनल स्टार्टअप अवार्ड्स: यह उत्कृष्ट स्टार्टअप्स (Outstanding Startups) और इकोसिस्टम एनाब्लर्स (Ecosystem Enablers) की पहचान करने और उन्हें  पुरस्कृत करने से संबंधित है जो नवाचार और इंजेक्शनिंग प्रतियोगिता के माध्यम से आर्थिक गतिशीलता में योगदान दे रहे हैं।
  • स्टार्टअप इकोसिस्टम के आधार पर राज्यों की रैंकिंग: यह एक विकसित मूल्यांकन उपकरण है जिसका उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अपना पूर्ण सहयोग देकर उन्हें स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र के रूप में विकसित करना है।
  • SCO स्टार्टअप फोरम:  अक्तूबर 2020 में सामूहिक पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने और उसमें सुधार हेतु पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) स्टार्टअप फोरम  को शुरू किया गया था।
  • प्रारंभ: प्रारंभ ’शिखर सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक स्टार्टअप और युवा विचारों एवं आविष्कारों को  एक  साथ एक मंच प्रदान करना है।

सीड फंडिंग 

  • सीड फंडिंग का उपयोग किसी उद्यम या व्यवसाय के प्रारंभिक दौर में किया जाता है।
  • यह एक कंपनी को उसके शुरुआती दौर में  वित्त सहायता प्रदान करने में मदद करती है, जिसमें बाज़ार अनुसंधान और उत्पाद विकास जैसी पहलें शामिल होती हैं।
  • सीड फंडिंग कई संभावित निवेशकों द्वारा की जा सकती है जिसमें संस्थापक, दोस्त, परिवार, इनक्यूबेटर, उद्यम पूंजी कंपनियांँ (Venture Capital Companies) आदि शामिल होती हैं। एंजेल निवेशक (Angel Investor) सीड फंडिंग में भाग लेने वाले सबसे सामान्य निवेशकों में से एक हैं।
    • एंजेल निवेशक जोखिम भरे उपक्रमों में निवेश करते हैं और निवेश के बदले कंपनी में इक्विटी हिस्सेदारी प्राप्त करते हैं।

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग:

  • उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने हेतु  इस विभाग को पहले औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग कहा जाता था। जनवरी 2019 में इसका नाम बदलकर DPIIT कर दिया गया।
  • यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है। 
  • वर्ष 2018 में ई-कॉमर्स से संबंधित मामलों को DPIIT विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया तथा वर्ष 2019 में आंतरिक व्यापार, व्यापारियों के कल्याण और उनके कर्मचारियों और स्टार्टअप से संबंधित मामलों का  प्रभार भी विभाग को सौप दिया गया।
  • DPIIT की भूमिका नई और आगामी प्रौद्योगिकी, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment) और उद्योगों के संतुलित विकास हेतु निवेश में सहायता प्रदान कर देश के औद्योगिक विकास को बढ़ावा/गति प्रदान करना है।
  • DPIIT की प्रमुख  सहभागिता: 

स्रोत: पी.आई.बी 


जैव विविधता और पर्यावरण

वैश्विक जलवायु स्थिति- 2020: डब्ल्यूएमओ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) ने वर्ष 2020 के लिये अपनी वार्षिक वैश्विक जलवायु स्थिति (State of the Global Climate) रिपोर्ट जारी की।

  • इस रिपोर्ट को अमेरिका द्वारा आयोजित लीडर्स समिट ऑन क्लाइमेट (Leaders Summit on Climate) से पहले जारी किया गया था।
  • वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के साथ ही चरम मौसमी घटनाएँ लाखों लोगों के लिये दोहरा झटका थी। हालाँकि महामारी से संबंधित आर्थिक मंदी जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों को रोके रखने में विफल रही।

प्रमुख बिंदु

वैश्विक तापमान:

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 ला-नीना (La Niña) की स्थिति के बावजूद अब तक के तीन सबसे गर्म वर्षों में से एक था।
    • वैश्विक औसत तापमान जनवरी-अक्तूबर 2020 की अवधि में पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
    • वर्ष 2016 और वर्ष 2019 अन्य दो सबसे गर्म वर्ष थे।
  • वर्ष 2015 के बाद के छः वर्ष सबसे गर्म रहे हैं।
    • वर्ष 2011-2020 सबसे गर्म दशक था।

ग्रीनहाउस गैसें:

  • वर्ष 2019-2020 में ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gas) का उत्सर्जन बढ़ा है।
    • यह उत्सर्जन वर्ष 2021 में और अधिक हो जाएगा।
  • वर्ष 2019-2020 में हवा में प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों की सघनता में वृद्धि जारी रही।
  • वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सघनता का औसत पहले ही 410 ppm (Parts Per Million) से अधिक हो चुका है। इस रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि अगर सघनता का यह रुझान पिछले वर्षों की तरह जारी रहा तो वर्ष 2021 में 414 ppm तक पहुँच सकता है या इससे भी अधिक हो सकता है।
    • मोल फ्रैक्शन (Mole Fraction) किसी दिये गए मिश्रण में किसी विशेष घटक के अणुओं की संख्या को मिश्रण के कुल अणुओं की संख्या से विभाजित करके दर्शाता है। यह किसी विलयन की सघनता को व्यक्त करने का एक तरीका है।

महासागर:

  • महासागरों में वर्ष 2019 में सबसे अधिक समुद्री हीट वेव (Marine Heat Wave) दर्ज की गई थी, लेकिन वर्ष 2020 में इससे भी अधिक हीट वेव दर्ज हुई। वर्ष 2020 में लगभग 80 प्रतिशत महासागरीय सतह (Ocean Surfaces) पर कम-से-कम एक बार समुद्री हीट वेव दर्ज की गई।
    • समुद्री हीट वेव के दौरान समुद्र के पानी का तापमान लगातार कम से कम 5 दिनों तक सामान्य से अधिक बना रहता है।
  • वर्ष 2020 में मज़बूत समुद्री हीट वेव (Strong MHW) की घटनाएँ अधिक (43 प्रतिशत) थीं, जबकि मध्यम समुद्री हीट वेव (Moderate MHW) की घटनाएँ तुलनात्मक रूप से कम (28 प्रतिशत) थीं।

समुद्र स्तर में बढ़ोतरी:

  • उपग्रह द्वारा वर्ष 1993 से ही समुद्र स्तर की निगरानी की जा रही है, जिससे पता चलता है कि इसका जलस्तर बढ़ रहा है। यह घटना ला-नीना प्रेरित शीतलन के बावजूद हो रही है।
  • समुद्र का जलस्तर ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ की चादरों के पिघलने से उच्च दर से बढ़ रहा है।

आर्कटिक और अंटार्कटिका:

  • आर्कटिक समुद्री बर्फ की सीमा वर्ष 2020 में दूसरे निम्नतम स्तर पर आ गई।
    • आर्कटिक समुद्री बर्फ की न्यूनतम सीमा वर्ष 2020 में 3.74 मिलियन वर्ग किलोमीटर थी, वर्ष 2012 के बाद ऐसा दूसरी बार हुआ कि यह सीमा 4 मिलियन वर्ग किलोमीटर से कम हो गई।
  • साइबेरियाई आर्कटिक के एक बड़े क्षेत्र में वर्ष 2020 में तापमान औसत से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
    • रूस के शहर वेर्खोयंस्क (Verkhoyansk) में 38 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था।
  • अंटार्कटिक (Antarctic) समुद्री बर्फ की सीमा लंबे समय तक औसत के करीब बनी रही।
    • हालाँकि अंटार्कटिक बर्फ की चादर में वर्ष 1990 के दशक के उत्तरार्द्ध से अधिक कमी दर्ज की गई।
    • यह प्रवृत्ति पश्चिम अंटार्कटिका और अंटार्कटिक प्रायद्वीप में प्रमुख ग्लेशियरों की बढ़ती प्रवाह दर के कारण वर्ष 2005 के आसपास और वर्तमान में तेज हो गई, अंटार्कटिका प्रतिवर्ष लगभग 175 से 225 गीगाटन बर्फ की चादर खो देता है।

भारत में चरम मौसम की घटनाएँ:

  • भारत वर्ष 1994 के बाद से ही मानसून में परिवर्तन का अनुभव कर रहा है, जिससे यहाँ गंभीर बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति देखी गई है।
  • मई 2020 में कोलकाता के तट से टकराने वाला चक्रवात अम्फन (Amphan) को उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र का सबसे महँगा उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में नामित किया गया है, जिससे लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था।

जलवायु प्रभाव:

  • चरम मौसम की स्थिति:
    • पूरे विश्व में लोग महामारी के साथ-साथ तूफान, चक्रवात, भारी वर्षा और अत्यधिक गर्मी जैसे चरम मौसमी घटनाओं का सामना कर रहे हैं।
    • कोविड-19 महामारी के कारण चक्रवात, तूफान और इसी तरह के अन्य चरम मौसमी घटनाओं से प्रभावित लोगों की उबरने की प्रक्रिया बाधित हुई।
  • मानव गतिशीलता के मुद्दे:
    • कोविड-19 महामारी के कारण आवाजाही संबंधी प्रतिबंधों और आर्थिक मंदी ने घनी बस्ती में रहने वाली कमज़ोर तथा विस्थापित आबादी तक मानवीय सहायता पहुँचाने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया।
    • इस महामारी ने मानव आवाजाही की चिंताओं को और अधिक बढ़ा दिया तथा जलवायु जोखिम को समझने तथा कमज़ोर आबादी पर इसके प्रभाव को कम करने के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के विषय में:

  • यह संगठन 192 देशों और क्षेत्रों की सदस्यता वाला एक अंतर सरकारी संगठन है। भारत इसका सदस्य है।
  • इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (International Meteorological Organization) से हुई थी, जिसे वर्ष 1873 में वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सम्मेलन के बाद स्थापित किया गया था।

स्थापना:

  • WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन से 23 मार्च, 1950 को स्थापित यह संगठन मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), जल विज्ञान तथा संबंधित भूभौतिकीय विज्ञान के लिये संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की विशेष एजेंसी बन गया।

मुख्यालय:

  • जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चाड के राष्ट्रपति इदरिस डेबी का निधन

चर्चा में क्यों?

चाड के राष्ट्रपति इदरिस डेबी देश के उत्तरी इलाके में विद्रोहियों के साथ हुए संघर्ष में मारे गए हैं।

  • वे 'FACT'  (फ्रंट फॉर चेंज एंड कॉनकॉर्ड इन चाड) समूह से संबंधित विद्रोहियों से जूझ रहे थे।

प्रमुख बिंदु:

चाड के राष्ट्रपति:

  • राष्ट्रपति पद के चुनाव में विजेता घोषित किये जाने के कुछ ही दिन बाद उनकी मृत्यु की खबर आई, यह उनका छठा कार्यकाल था।
  • वह वर्ष 1990 से तख्तापलट के बाद सत्ता पर काबिज हुए तब से वह चाड के राष्ट्रपति थे।
    • इदरिस डेबी समर्थित विद्रोही ताकतों ने तत्कालीन राष्ट्रपति हिसने हेबर को सत्ता से वंचित कर दिया, जिन्हें बाद में सेनेगल में एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण में मानवाधिकारों के हनन का दोषी ठहराया गया था।
  • डेबी को अफ्रीका में इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख फ्राँसीसी सहयोग प्राप्त था,  फ्राँसीसी सैन्य ऑपरेशन की मेजबानी और उत्तरी माली में शांति के प्रयास में फ्राँस सैनिकों की आपूर्ति करता था।

FACT समूह:

  • ‘फ्रंट फॉर चेंज एंड कॉनकॉर्ड इन चाड’ (FACT) चाड के उत्तर में एक राजनीतिक और सैन्य संगठन है, जिसका लक्ष्य चाड सरकार को उखाड़ फेंकना है।

चाड के कुछ स्थानीय पहलू:

Chad

  • यह उत्तर-मध्य अफ्रीका में स्थित स्थलरुद्ध राज्य है।
  • इसका नाम चाड झील के नाम पर रखा गया है।
    • यह अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी झील है (विक्टोरिया झील के बाद) और इसका बेसिन नाइजीरिया, नाइजर, चाड और कैमरून के कुछ हिस्सों में विस्तृत है।
  • सहारा रेगिस्तान इस देश के लगभग एक-तिहाई हिस्से को कवर करता है।
  • इसके दक्षिण में जंगली सवाना और वुडलैंड्स का विस्तार है।
  • चाड साहेल क्षेत्र का भी हिस्सा है।
    • साहेल पश्चिमी और उत्तर-मध्य अफ्रीका का एक अर्द्ध-विस्तृत क्षेत्र है, जो सेनेगल पूर्व से सूडान तक फैला हुआ है।
    • यह उत्तर में शुष्क सहारा (रेगिस्तान) और दक्षिण में आर्द्र सवाना के बीच स्थित एक संक्रमणकालीन क्षेत्र है।
  • चाड वर्ष 2003 में एक तेल-उत्पादक राष्ट्र बन गया, जब इसके तेल क्षेत्रों को अटलांटिक तट पर टर्मिनलों से जोड़ा गया।

भारत-चाड संबंध:

  • चाड अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), भारत-फ्राँस पहल का एक सदस्य देश है।
  • चाड TEAM-9 पहल (अफ्रीकी आंदोलन के लिये तकनीकी आर्थिक दृष्टिकोण) का एक सदस्य है, जिसमें आठ पश्चिमी और मध्य अफ्रीकी देश शामिल हैं, जो भारत के साथ सहयोग के माध्यम से तकनीकी और आर्थिक क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करना चाहते हैं।
  • चाड से कच्चे तेल के आयात में वृद्धि (2018-19 में 513.59 मिलियन अमेरिकी डॉलर) द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि का मुख्य कारण है।
  • भारत ने Ndjamena में ‘सोलर पीवी मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट’ की स्थापना के लिये 27.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण की पेशकश की है।
  • भारत ने वर्ष 2012 से वर्ष 2018 तक छह अफ्रीकी देशों- बेनिन, बुर्किना फासो, चाड, मलावी, नाइजीरिया और युगांडा में कपास के लिये एक तकनीकी सहायता कार्यक्रम  शुरू किया।
  • भारतीय तकनीकी आर्थिक सहयोग के तहत चाड के कई नागरिकों और लोक सेवकों के लिये विभिन्न पाठ्यक्रमों की पेशकश कर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

स्रोत- द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

काइमेरा (Chimera) रिसर्च : बंदर के भ्रूण में मानव कोशिकाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका में स्थित सॉल्क जैविक अध्ययन संस्थान के शोधकर्त्ताओं ने एक शोध में कहा है कि काइमेरा रिसर्च (Chimera Research) द्वारा पहली बार मानव कोशिकाओं को बंदर के भ्रूण में विकसित किया गया है।

 प्रमुख बिंदु:

रिसर्च के बारे में:

  • मैकाक बंदरों के भ्रूण में मानव कोशिकाओं को एकीकृत करके एक काइमेरिक उपकरण बनाया गया है।
    • काइमेरस ऐसे जीव हैं जो दो अलग-अलग प्रजातियों की कोशिकाओं से बने होते हैं , जैसे : मानव और बंदर।
    • उदाहरण के लिये यदि किसी हाइब्रिड भ्रूण को बंदर के गर्भ में रखा जाए तो यह संभवतः एक नए प्रकार के जीव में विकसित हो सकता है (हालाँकि यह इस अध्ययन का उद्देश्य नहीं है)।

अनुसंधान का उद्देश्य: 

  • मानव विकास और औषधि मूल्यांकन को समझना:
    • दो अलग-अलग प्रजातियों की कोशिकाओं को एक साथ विकसित करने की क्षमता वैज्ञानिकों को अनुसंधान और चिकित्सा के लिये एक शक्तिशाली उपकरण प्रदान करती है, जो प्रारंभिक मानव विकास, रोगों की पहचान और प्रगति तथा समयावधि के बारे में वर्तमान में समझ को विकसित करती है।
    • यह दवा मूल्यांकन के साथ-साथ अंग प्रत्यारोपण की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की पहचान कर सकता है।
  •  रोगों के अध्ययन के लिये नया मंच प्रदान करता है:
    • काइमेरिक उपकरण यह अध्ययन करने के लिये एक नया मंच प्रदान करते हैं कि  बीमारियाँ कैसे उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिये एक विशेष जीन जो एक निश्चित प्रकार के कैंसर से जुड़ा होता है, को मानव कोशिका में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
    • एक काइमेरिक मॉडल में अभियांत्रिक कोशिकाओं का उपयोग करके रोग की उत्पत्ति और विकास संबंधी जानकारी का अध्ययन करने में मदद प्राप्त की सकती है, जो उन्हें पशु मॉडल से प्राप्त परिणामों की तुलना में रोगों के बारे में अधिक जानकारी प्रदान कर सकता है।

मैकाक को चुनने का कारण:

  • 2017 के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मानव कोशिकाओं को सूअर के ऊतकों में एकीकृत किया। क्योंकि सूअर, जिसके अंग और शारीरिक ढाँचा मनुष्यों के समान है, वे उन अंगों को बनाने में मदद कर सकते हैं जिन्हें अंततः मनुष्यों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
  • चूँकि सूअर और मानव (लगभग 90 मिलियन वर्ष) के बीच विकासवादी चरण में अंतर के कारण प्रयोग विफल हो गया, शोधकर्त्ताओं ने एक ऐसी प्रजाति को चुनने का फैसला किया, जो मानव से अधिक निकटता से संबंधित हो, इसलिये मैकाक बंदरों को चुना गया था।

चिंताएँ:

  • अप्राकृतिक और अस्तित्व का मुद्दा:
    • कुछ दुर्लभ हाइब्रिड जानवर स्वाभाविक रूप से मौजूद हैं जो संभवतः विभिन्न प्रजातियों के जानवरों के बीच अनचाही क्रॉस ब्रीडिंग का परिणाम थे ।
      • 2014 में जीप (Geep) (बकरी + भेड़) नामक एक दुर्लभ हाइब्रिड जानवर का जन्म एक आयरिश नस्ल में हुआ था। जीप एक हाइब्रिड प्रजाति थी जो बकरी और भेड़ के बीच प्रजनन क्रिया द्वारा पैदा हुई थी।
      • सामान्यतौर पर विभिन्न प्रजातियाँ क्रॉस-ब्रीड नहीं करती हैं और यदि वे ऐसा करती हैं, तो उनकी संतान लंबे समय तक जीवित नहीं रहती है तथा बाँझपन का खतरा उत्पन्न होता है।
  • बाँझपन:
    • खच्चर एक हाइब्रिड जानवर है जो नर गधे (जैक) और मादा घोड़े (घोड़ी) के बीच क्रॉस-ब्रीडिंग द्वारा उत्पन्न होता है।
      • अमेरिकी खच्चर संग्रहालय के अनुसार, ये हाइब्रिड जानवर मानव द्वारा किये गए कृत्रिम प्रजनन का परिणाम हैं जिसका प्रयोग सर्वप्रथम प्राचीन काल में किया गया था।
    • जबकि खच्चर  एक लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं, वे बंध्य होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि नहीं कर सकते हैं।
  • मानवीय लाभ के लिये जानवरों के साथ अन्याय
    • यद्यपि शोधकर्त्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि मैकाक बंदरों के साथ बनाए गए काइमेरस का उपयोग मानव अंगों के लिये नहीं किया जाएगा, किंतु इसके बावजूद कई विशेषज्ञों ने यह संदेह ज़ाहिर किया है कि ‘काइमेरा रिसर्च’ का एक उद्देश्य उन अंगों का निर्माण करना है, जिन्हें मनुष्यों में प्रत्यारोपित किया जा सकेगा।
    • इस तरह यह कहा जा सकता है कि ‘काइमेरा रिसर्च’ में जानवरों के साथ होने वाले अन्याय को बढ़ावा देने की क्षमता है और यह मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये जानवरों के उपयोग की अवधारणा को और अधिक मज़बूती प्रदान करेगा।
      • वर्ष 2018 में चीन के एक वैज्ञानिक ने जीन एडिटिंग तकनीक CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पालिंड्रोमिक रिपीट) का उपयोग करके आनुवंशिक रूप से संशोधित शिशुओं के जन्म का दावा किया था, हालाँकि चीन में उस वैज्ञानिक को अवैध चिकित्सा पद्धति के प्रयोग के लिये 3 मिलियन युआन (लगभग 3 करोड़ रुपए) के जुर्माने के साथ तीन वर्ष के लिये कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।

हाइब्रिड जानवरों पर भारतीय कानून:

  • भारत में वर्ष 1985 से ही हाइब्रिड जानवरों के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (GMOs) और उत्पादों को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अधिसूचित ‘खतरनाक सूक्ष्मजीवों, आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों या कोशिकाओं के निर्माण, उपयोग, आयात, निर्यात और भंडारण नियम, 1989’ के तहत विनियमित किया जाता है।
    • ये नियम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वित किये जाते हैं।
    • वर्ष 1989 के इन नियमों के साथ अनुसंधान, बायोलॉजिक्स, सीमित क्षेत्र परीक्षण, खाद्य सुरक्षा मूल्यांकन और पर्यावरण जोखिम मूल्यांकन आदि पर दिशा-निर्देशों की एक शृंखला भी जारी की गई है।

आगे की राह

  • ‘काइमेरा रिसर्च’ जैसे आनुवंशिक संशोधन अध्ययन वैज्ञानिकों के बीच प्रमुख बहस का विषय बने हुए हैं। भारत जैसे विकासशील देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें भी विवादास्पद विषय हैं।
  • मानव में आनुवंशिक कोड के साथ छेड़छाड़ करना अथवा उसमें परिवर्तन करना और भी अधिक विवादास्पद विषय है, क्योंकि कई जानकार मानते हैं कि इसके परिणामस्वरूप किसी प्रतिकूल परिवर्तन को भविष्य की पीढ़ियों को स्थानांतरित किया जा सकता है, जो कि एक पूरी पीढ़ी के लिये हानिकारक होगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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