प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट: 21 दिसंबर,2020
बंदर पुनर्वास केंद्र
Monkey Rehabilitation Centre
हाल ही में तेलंगाना में बंदरों के लिये एक बचाव और पुनर्वास केंद्र (Monkey Rehabilitation Centre) की स्थापना की गई है।
प्रमुख बिंदु:
- यह प्राइमेट के लिये देश में इस प्रकार का दूसरा ऐसा केंद्र है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश में ऐसा केंद्र स्थापित किया गया था।
- प्राइमेट के अंतर्गत ऐसे समूह के स्तनपायी आते हैं जिसमें लीमर (Lemurs), लॉरीज़ (Lorises), टार्सियर (Tarsiers), बंदर, वानर (Apes) और मनुष्य शामिल हैं।
- इससे पहले पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में बंदरों (रीसस मैकाक) को ‘वर्मिन’ घोषित किया था।
- इसके तहत स्थानीय अधिकारियों को एक वर्ष तक शिमला में कुछ चिह्नित गैर-वन क्षेत्रों में इस जानवर को मारने की अनुमति दी गई।
- राज्य सरकार ने जंगलों के बाहर इस प्रजाति की अधिकता के कारण बड़े पैमाने पर कृषि को क्षति पहुँचने सहित जीवन और संपत्ति के नुकसान की भी सूचना दी।
- रीसस मैकाक (Rhesus Macaque) बंदर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित है। यदि यह मानव जीवन या संपत्ति के लिये खतरा होता है, तो कानून एक विशिष्ट अवधि के लिये इसे ’वर्मिन’ घोषित करके इसका शिकार करने की अनुमति देता है।
- वर्मिन पशु:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 62 के अनुसार, राज्यों द्वारा केंद्र को वन्यजीवों की एक सूची भेजी जाती है, जिसमें यह अनुरोध किया जाता है कि चयनित पशु को वर्मिन घोषित कर उसके वध की अनुमति दी जाए।
- वन्यजीव कानून में प्रजातियों को I से V तक अनुसूचियों में विभाजित किया गया है। अधिनियम की अनुसूची 1 और अनुसूची 2 के दूसरे भाग वन्य जीवों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं. इसलिये इसमें कठोरतम सज़ा का प्रावधान है।
- जंगली सूअर, नीलगाय और रीसस मैकाक अनुसूची II और III के तहत संरक्षित हैं, परंतु विशिष्ट परिस्थितियों में इनका शिकार किया जा सकता है।
गोवा मुक्ति दिवस
Goa Liberation Day
प्रधानमंत्री ने गोवा के लोगों को गोवा मुक्ति दिवस (Goa Liberation Day) पर शुभकामनाएँ दीं, यह प्रत्येक वर्ष 19 दिसंबर को मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- वर्ष 1961 में भारतीय सशस्त्र बलों ने 450 साल के पुर्तगाली शासन से गोवा को मुक्त कराया था उसी की याद में यह दिवस मनाया जाता है।
- पुर्तगालियों ने वर्ष 1510 में भारत के कई हिस्सों पर अपना उपनिवेश स्थापित किया परंतु 19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में पुर्तगाली उपनिवेश केवल गोवा, दमन व दीव, दादरा एवं नगर हवेली और अंजेडिवा द्वीप तक ही सीमित रह गया।
- जैसे ही भारत ने 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की उसने पुर्तगालियों से अपने क्षेत्र को वापस लौटाने का अनुरोध किया परंतु पुर्तगालियों ने ऐसा करने से मना कर दिया।
- गोवा मुक्ति आंदोलन ने पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने की मांग की और यह आंदोलन छोटे पैमाने पर एक विद्रोह के साथ शुरू हुआ लेकिन वर्ष 1940 से 1960 के बीच यह अपने चरम पर पहुँच गया।
- राजनयिक प्रयासों की विफलता के बाद भारतीय नौसेना, वायु सेना और थल सेना द्वारा गोवा में ‘ऑपरेशन विजय' चलाकर 19 दिसंबर,1961 को यह राज्य पुर्तगालियों से मुक्त करा लिया गया।
- 30 मई, 1987 में गोवा को पूर्ण राज्य तथा दमन व दीव को केंद्रशासित प्रदेश का दर्ज़ा दिया गया।
- इसलिये 30 मई के दिन को गोवा के राज्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
गोवा के संबंध में:
- यह कोंकण क्षेत्र के भीतर भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित है, और भौगोलिक रूप से दक्कन उच्च भूमि से पश्चिमी घाट द्वारा अलग होता है।
- राजधानी: पणजी।
- आधिकारिक भाषा: कोंकणी।
- कोंकणी आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से एक है।
- इसे इस सूची में मणिपुरी और नेपाली के साथ वर्ष 1992 के 71वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
- सीमाएँ: यह उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व और दक्षिण में कर्नाटक से घिरा हुआ है तथा अरब सागर इसके पश्चिमी तट का निर्माण करता है।
- भौगोलिक विशेषताएँ:
- गोवा का उच्चतम बिंदु सोंसोगोर (Sonsogor) है।
- गोवा के उत्तर में तेरेखोल नदी बहती है जो गोवा को महाराष्ट्र से अलग करती है, राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में मांडवी, जुआरी, चपोरा, रखोल, गलगिबाग, कुम्बरजुआ नहर, तलपोना और साल आदि शामिल हैं।
- गोवा की अधिकांश मृदा का आवरण लेटराइट से बना है।
- वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान:
- डॉ सलीम अली पक्षी अभयारण्य
- महादेई वन्यजीव अभयारण्य
- नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य
- कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य
- भगवान महावीर अभयारण्य
- मोलेम नेशनल पार्क
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 दिसंबर, 2020
खुदीराम बोस
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। खुदीराम बोस का जन्म वर्ष 1889 में पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर ज़िले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। श्री अरबिंदो और भगिनी निवेदिता के व्याख्यानों से प्रेरित होकर खुदीराम बोस अपनी किशोरावस्था के शुरुआती वर्षों में ही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए थे। वर्ष 1905 में जब बंगाल का विभाजन हुआ तो उन्होंने सक्रिय रूप से ब्रिटिश हुकूमत के इस कदम का विरोध किया। 15 वर्ष की आयु में बोस अनुशीलन समिति में शामिल हो गए, यह 20वीं शताब्दी की उन प्रारंभिक संस्थाओं में से थी, जिसने बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया था। बोस के जीवन में निर्णायक क्षण वर्ष 1908 में तब आया, जब उन्हें उनके क्रांतिकारी साथी प्रफुल्ल चाकी के साथ मुज़फ्फरपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट, किंग्सफोर्ड की हत्या का काम सौंपा गया। ज्ञात हो कि मुज़फ्फरपुर को हस्तांतरित किये जाने से पूर्व किंग्सफोर्ड बंगाल के ज़िला मजिस्ट्रेट थे और क्रांतिकारियों तथा आम नागरिकों पर किये गए अत्याचार के कारण कई युवा क्रांतिकारियों के मन में उनके प्रति क्रोध था। दोनों ने किंग्सफोर्ड की हत्या के कई प्रयास किये और 30 अप्रैल, 1908 को किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका गया, यद्यपि इस हमले में वह बच निकला, किंतु इसमें एक अन्य अंग्रेज़ अफसर के परिजनों की मृत्यु हो गई। इसके बाद खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई। 11 अगस्त, 1908 को उन्हें फाँसी दे दी गई।
‘हाइपरसोनिक विंड टनल’ परीक्षण सुविधा
हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हैदराबाद में ‘हाइपरसोनिक विंड टनल’ (HWT) परीक्षण सुविधा का उद्घाटन किया, एस प्रकार अमेरिका और रूस के बाद भारत इस तरह की उन्नत तकनीक वाला तीसरा देश बन गया है। पूर्णरूप से भारत में विकसित यह प्रणाली भारतीय उद्योग जगत की समन्वित साझेदारी का परिणाम है। यह प्रैशर वैक्यूम संचालित एक अत्याधुनिक प्रणाली है, जो कि मैक 5 से मैक 12 का अनुकरण कर सकती है। मैक, वायु में ध्वनि की गति की तुलना में विमान की गति को बताता है, जिसमें मैक-1 ध्वनि की गति के बराबर होता है यानी प्रति सेकेंड 343 मीटर। इस तरह मैक 5 का अर्थ है ध्वनि की गति से पाँच गुना अधिक और मैक 12 का अर्थ है ध्वनि की गति से 12 गुना अधिक। हाइपरसोनिक प्रवाह के अनुकरण की क्षमता वाली यह प्रणाली भविष्य में अत्यधिक जटिल एयरोस्पेस और रक्षा प्रणालियों के कार्यान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाएगी।
भारत के लिये चार विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी
विश्व बैंक ने भारत की सतत् विकास पहलों का समर्थन करने के लिये तकरीबन 800 मिलियन डॉलर की चार विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। इन परियोजनाओं में छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण और त्वरित कृषि विकास परियोजना (CHIRAAG), नगालैंड: कक्षा शिक्षण और संसाधन परियोजना का विस्तार, बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना-2 (DRIP-2) तथा ‘भारत के कोविड-19 सामाजिक संरक्षण प्रतिक्रिया कार्यक्रम’ का दूसरा चरण शामिल हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य अर्थव्यवस्था का सतत् एवं लचीला विकास सुनिश्चित करने के प्रयासों में भारत का समर्थन करना है। ये परियोजनाएँ भारत के कई परिवारों को आय के बेहतर अवसर, शिक्षा, जल आपूर्ति और अन्य सामाजिक लाभ प्राप्त करने में मदद करेंगी। 400 मिलियन डॉलर की लागत वाले ‘भारत के कोविड-19 सामाजिक संरक्षण प्रतिक्रिया कार्यक्रम’ के दूसरे चरण में महामारी के कारण गंभीर रूप से प्रभावित गरीब और संवेदनशील परिवारों को सहायता मिल सकेगी। इसके अलावा 250 मिलियन डॉलर की लागत वाली ‘बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना’ के दूसरे चरण में भारत के विभिन्न राज्यों में मौजूद बाँधों की सुरक्षा और उनके प्रदर्शन में सुधार किया जाएगा। ‘नगालैंड: कक्षा शिक्षण और संसाधन परियोजना’ (68 मिलियन डॉलर) से राज्य के शिक्षकों का विकास सुनिश्चित किया जाएगा और सभी विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ने के लिये तकनीक प्रणाली का भी विकास किया जाएगा। 100 मिलियन डॉलर की लागत वाली छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण और त्वरित कृषि विकास परियोजना (CHIRAAG) से छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिये सतत् उत्पादन प्रणाली विकसित की जाएगी, जिससे राज्य के 180,000 परिवारों को लाभ मिलेगा।