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डेली न्यूज़

  • 22 Feb, 2023
  • 37 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

सकल घरेलू जलवायु जोखिम रैंकिंग

प्रिलिम्स के लिये:

सकल घरेलू जलवायु जोखिम रैंकिंग, RCP8.5

मेन्स के लिये:

जलवायु जोखिम, अनुकूलन और शमन

चर्चा में क्यों?

क्रॉस डिपेंडेंसी इनिशिएटिव (Cross Dependency Initiative- XDI) की सकल घरेलू जलवायु जोखिम रैंकिंग के अनुसार, भारत के 50 सबसे अधिक जोखिम वाले राज्यों में नौ राज्य- पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, गुजरात, केरल और असम शामिल हैं।

  • XDI एक वैश्विक संगठन है जो क्षेत्रों, बैंकों और कंपनियों हेतु जलवायु जोखिम विश्लेषण में विशेषज्ञता रखता है। 

रिपोर्ट के संदर्भ में: 

  • सूचकांक में वर्ष 2050 तक दुनिया भर में 2,600 राज्यों और प्रांतों में इमारतों और संपत्तियों जैसे निर्मित परिवेश के 'भौतिक जलवायु जोखिम' का विश्लेषण किया गया है।
  • सूचकांक ने प्रत्येक क्षेत्र हेतु समग्र क्षति अनुपात (Aggregated Damage Ratio- ADR) निर्दिष्ट किया है, जो वर्ष 2050 तक क्षेत्र में पर्यावरण को होने वाली क्षति की कुल मात्रा को दर्शाता है। उच्च ADR अधिक जोखिम को दर्शाता है। 

प्रमुख बिंदु 

  • भेद्यता (Vulnerabilities): 
    • 8 जलवायु आपदाओं के कारण उत्पन्न जोखिम: नदी और सतह की बाढ़, तटीय बाढ़, अत्यधिक गर्मी, वनाग्नि, मृदा संचलन (सूखा संबंधित), पवन तथा बर्फ का तेज़ी से पिघलना एवं जमना आदि सभी चरम मौसमी घटनाओं के उदाहरण हैं।
      • विश्व स्तर पर निर्मित बुनियादी ढाँचे को सबसे अधिक क्षति "नदी और सतह की बाढ़ या तटीय बाढ़ के साथ संयुक्त बाढ़" के कारण होती है। 
  • वैश्विक निष्कर्ष:  
    • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक अपने भौतिक बुनियादी ढाँचे हेतु उच्चतम जलवायु जोखिम का सामना करने वाले 50 प्रांतों में से अधिकांश (80%) चीन, अमेरिका और भारत में हैं।
    • चीन की दो सबसे बड़ी उप-राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाएँ जियांगसू और शेडोंग वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर हैं, इसके बाद अमेरिका का स्थान है जिसके 18 क्षेत्र शीर्ष 100 की सूची में हैं।
    • इस सूची में एशिया महाद्वीप के शीर्ष 200 क्षेत्रों में से 114 क्षेत्र हैं, जिसमें पाकिस्तान, इंडोनेशिया और अधिकांश दक्षिण-पूर्व एशियाई देश शामिल हैं। 
      • वर्ष 2022 में विनाशकारी बाढ़ ने पाकिस्तान के 30% क्षेत्र को प्रभावित किया और सिंध प्रांत में 9 लाख से अधिक घरों को आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया।
  • भारत विशिष्ट निष्कर्ष: 
    • प्रतिनिधि संकेंद्रण मार्ग (Representative Concentration Pathway- RCP) 8.5 जैसे उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत उच्च जोखिम वाले प्रांतों में वर्ष 2050 तक क्षतिकारक जोखिम में औसतन 110% की वृद्धि देखी जाएगी।
      • वर्तमान में तापमान में 0.8 डिग्री की वृद्धि के साथ भारत के 27 राज्य और इसके तीन-चौथाई से अधिक ज़िले चरम घटनाओं के केंद्र हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद में 5% की हानि हेतु ज़िम्मेदार हैं।
    • यदि ग्लोबल वार्मिंग 2-डिग्री तापमान की सीमा/थ्रेशोल्ड तक सीमित नहीं रही, तो भारत के जलवायु-संवेदनशील राज्यों के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product- GSDP) में 10% की गिरावट हो सकती है।
    • अन्य भारतीय राज्यों में बिहार, असम और तमिलनाडु का SDR सबसे अधिक है। असम, विशेष रूप से जलवायु जोखिम में अधिकतम वृद्धि का सामना करेगा, जिसका जलवायु जोखिम वर्ष 2050 तक 330% तक बढ़ जाएगा।
      • असम ने वर्ष 2011 के बाद से बाढ़ की घटनाओं में एक घातांकीय वृद्धि देखी है तथा इसमें जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील भारत के 25 ज़िलों में से 15 शामिल हैं।
    • महाराष्ट्र के 36 में से 11 ज़िले चरम मौसमी घटनाओं, सूखे और घटती जल सुरक्षा के प्रति "अत्यधिक संवेदनशील" पाए गए।

रिपोर्ट का महत्त्व:

  • यह रैंकिंग डेटा निवेशकों के लिये भी महत्त्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि व्यापक निर्मित क्षेत्र, आर्थिक गतिविधियों और धन- संपत्ति के उच्च स्तर के साथ ओवरलैप करते हैं। 
    • यह राज्य और प्रांतीय सरकारों द्वारा किये गए अनुकूलन उपायों एवं बुनियादी ढाँचा योजनाओं के संयोजन के साथ जलवायु लचीला निवेश को संबोधित कर सकता है।
  • वित्त उद्योग, वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की भेद्यता की जाँच के लिये एक समान पद्धति का उपयोग कर मुंबई, न्यूयॉर्क और बर्लिन जैसे वैश्विक औद्योगिक केंद्रों की सीधे तुलना कर सकता है। 

जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत द्वारा उठाए गए कदम:

  • वैश्विक नेतृत्त्व:
  • परिवहन क्षेत्र में सुधार:
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को भारत का समर्थन:
    • भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जो वैश्विक ‘EV30@30 अभियान’ का समर्थन करते हैं, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक नए वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को कम-से-कम 30% करना है।  
    • ग्लासगो में आयोजित COP26 में जलवायु परिवर्तन शमन के लिये भारत द्वारा पाँच तत्त्वों (जिसे ‘पंचामृत’ कहा गया है) की वकालत इसी दिशा में जताई गई प्रतिबद्धता है। 
  • सरकारी योजनाओं की भूमिका:
  • कम कार्बन संक्रमण में उद्योगों की भूमिका:
    • भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र पहले से ही जलवायु चुनौती के समाधान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जो ग्राहक एवं निवेशक जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ नियामक तथा प्रकटीकरण आवश्यकताओं में मदद करते हैं। 
  • हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन:
    • हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित। 
  • प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT):
    • यह बड़े ऊर्जा-गहन उद्योगों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने के साथ-साथ प्रोत्साहित करने के लिये एक बाज़ार-आधारित तंत्र है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत सरकार के 'हरित भारत मिशन' के उद्देश्य का सबसे अच्छा वर्णन करता है? (2016)

  1. पर्यावरणीय लाभों और लागतों को संघ एवं राज्य के बजट में शामिल करके 'ग्रीन एकाउंटिंग' को लागू करना।
  2. कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिये दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत करना ताकि भविष्य में सभी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  3. अनुकूलन और शमन उपायों के संयोजन द्वारा वन आवरण को बहाल करना और बढ़ाना तथा जलवायु परिवर्तन का उत्तर देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

  • ग्रीन इंडिया के लिये राष्ट्रीय मिशन, जिसे ग्रीन इंडिया मिशन (GIM) के रूप में भी जाना जाता है, जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्ययोजना के तहत उल्लिखित आठ मिशनों में से एक है। इसे फरवरी 2014 में लॉन्च किया गया था। 
  • 5 मिलियन हेक्टेयर की सीमा तक वन/वृक्ष आच्छादन में वृद्धि करना और अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर वन/गैर-वन भूमि पर वन/वृक्ष आच्छादन की गुणवत्ता में सुधार करना। मौजूद विभिन्न वन प्रकारों एवं पारिस्थितिक तंत्रों (जैसे, आर्द्रभूमि, घास का मैदान, घने जंगल आदि) के लिये अलग-अलग उप-लक्ष्य निर्धारित करना। अतः कथन 3 सही है। 

प्रश्न. वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होनी चाहिये। यदि वैश्विक तापमान पूर्व औद्योगिक स्तर से 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ जाता है, तो विश्व पर इसका संभावित प्रभाव क्या हो सकता है? (2014)

  1. स्थलीय जीवमंडल शुद्ध कार्बन स्रोत की ओर उन्मुख होंगे।
  2. व्यापक प्रवाल मृत्यु दर घटित होगी।
  3. सभी वैश्विक आर्द्रभूमियाँ स्थायी रूप से लुप्त हो जाएंगी।
  4. विश्व में कहीं भी अनाज की खेती संभव नहीं होगी। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. भारत के वन संसाधनों की स्थिति और जलवायु परिवर्तन पर इसके परिणामी प्रभाव की जाँच कीजिये। (2020)

प्रश्न. "विभिन्न प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्रों और हितधारकों के बीच नीतिगत विरोधाभासों के परिणामस्वरूप पर्यावरण के अपर्याप्त 'संरक्षण एवं गिरावट की रोकथाम' हुई है।" प्रासंगिक दृष्टांतों के साथ टिप्पणी कीजिये। (2018) 

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

मूलभूत चरण के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, NEP, शिक्षा का अधिकार

मेन्स के लिये:

भारत में शिक्षा प्रणाली और संबंधित मुद्दे, NEP 2020

चर्चा में क्यों? 

हाल ही शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत मूलभूत चरण में अध्ययन-शिक्षण सामग्री लॉन्च की और इस अवसर पर जादुई पिटारा पेश किया गया

जादुई पिटारा:

  • जादुई पिटारा 3-8 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिये तैयार एक खेल आधारित अध्ययन-शिक्षण सामग्री है। 
  • इसमें प्लेबुक, खिलौने, पहेलियाँ, पोस्टर, फ्लैश कार्ड, स्टोरी बुक्स, वर्कशीट के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, सामाजिक संदर्भ को दर्शाया गया है, साथ ही भाषा के प्रति जिज्ञासा बढ़ाने एवं मूलभूत चरण में शिक्षार्थियों की विविध आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।  
  • जादुई पिटारा को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (National Curriculum Framework- NCF) के तहत विकसित किया गया है और यह 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।  
  • इसका उद्देश्य अध्ययन-शिक्षण हेतु उपयुक्त वातावरण तैयार करना और इसे अमृत पीढ़ी के लिये अधिक बाल-केंद्रित, जीवंत एवं आनंदायक बनाना है जैसा कि NEP 2020 में कल्पना की गई है। 

 राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF):

  • परिचय: 
    • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, NEP 2020 के प्रमुख घटकों में से एक है, जो NEP 2020 के उद्देश्यों, सिद्धांतों और दृष्टिकोण के अनुरूप बदलाव लाने में सक्षम है। 
  • NCF के चार खंड: 
    • स्कूली शिक्षा के लिये NCF
    • बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिये NCF(आधारभूत चरण)
    • शिक्षक शिक्षा हेतु NCF
    • प्रौढ़ शिक्षा हेतु NCF
  • NCFFS: 
    • NEP 2020 के विज़न के आधार पर बुनियादी चरण हेतु NCF (NCFFS) विकसित किया गया है। 
      • बुनियादी चरण भारत में विविध संस्थानों की पूरी शृंखला में 3 से 8 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को संदर्भित करता है। 
    • यह NEP 2020 की परिकल्पना के अनुसार स्कूली शिक्षा के 5+3+3+4 पाठ्यचर्या और शैक्षणिक पुनर्गठन का पहला चरण है।
    • NCFFS को NCERT द्वारा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ ज़मीनी स्तर तथा विभिन्न संस्थानों एवं संगठनों के साथ एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से विकसित किया गया है। 
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करना है, जैसा कि NEP 2020 में शिक्षाशास्त्र सहित पाठ्यक्रम में सकारात्मक बदलावों की परिकल्पना की गई थी।
    • साथ ही भारत के संविधान द्वारा परिकल्पित एक समान, समावेशी और बहुल समाज को साकार करने के उद्देश्य के अनुरूप सभी बच्चों हेतु उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 

  • परिचय: 
    • NEP 2020 भारत में शिक्षा सुधार हेतु एक व्यापक रूपरेखा है जिसे वर्ष 2020 में अनुमोदित किया गया था, जिसका उद्देश्य शिक्षा के लिये समग्र और बहु-विषयक दृष्टिकोण प्रदान कर भारत की शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाना है।
  • NEP 2020 की विशेषताएँ: 
    • प्राथमिक स्कूली शिक्षा से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण।
    • छात्रों के संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास पर आधारित एक नई शैक्षणिक एवं पाठ्यचर्या संरचना का परिचय।
    • प्राथमिक शिक्षा में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक कौशल के विकास पर ज़ोर।
    • शिक्षा में अनुसंधान और विकास पर अधिक ध्यान।

Pedagogical

शैक्षिक सुधारों से संबंधित अन्य सरकारी पहलें:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के अनुसार, राज्य में शिक्षक के रूप में नियुक्ति हेतु पात्र होने के लिये व्यक्ति को संबंधित राज्य शिक्षक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने की आवश्यकता होगी।
  2. RTE अधिनियम के अनुसार, प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने के लिये एक उम्मीदवार को राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद के दिशा-निर्देशों के अनुसार आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है। 
  3. भारत में 90% से अधिक शिक्षा संस्थान सीधे राज्य सरकारों के अधीन हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)  केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)


प्रश्न: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सतत् विकास लक्ष्य-4 (वर्ष 2030) के अनुरूप है। यह भारत में शिक्षा प्रणाली के पुनर्गठन और पुनर्रचना का इरादा रखती है। कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2020)

स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

वोस्त्रो अकाउंट

प्रिलिम्स के लिये:

विदेश व्यापार, मुद्रा मूल्यह्रास और अभिमूल्यन, वैश्विक प्रतिबंध, भुगतान संतुलन

मेन्स के लिये:

रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण, भारत की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक प्रतिबंधों का प्रभाव, रुपए में व्यापार करने के लाभ और चुनौतियाँ, अर्थव्यवस्था में सरकार का हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

भारत और रूस के बीच व्यापारिक लेन-देन के भुगतान का निपटान रुपए में करने के लिये 20 रूसी बैंकों ने भारतीय साझेदार बैंकों के साथ विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते (Special Rupee Vostro Accounts- SRVA) खोले हैं।

  • इसके साथ ही सभी प्रमुख घरेलू बैंकों ने व्यवस्था के तहत निर्यातकों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को हल करने हेतु अपने नोडल अधिकारियों को सूचीबद्ध किया है।

पृष्ठभूमि:

  • जुलाई 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने वैश्विक व्यापार विकास को बढ़ावा देने हेतु रुपए में अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के निपटान के लिये तंत्र शुरू किया था, जिसमें भारत से निर्यात पर ज़ोर दिया गया था, साथ ही रुपए को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में बढ़ावा दिया गया था।
    • रूस जैसे प्रतिबंध-प्रभावित देशों के साथ व्यापार को सक्षम करने की भी उम्मीद है। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित तंत्र के अनुसार, भागीदार देशों के बैंक विशेष रुपया वास्ट्रो खाते खोलने हेतु भारत में अधिकृत डीलर बैंकों से संपर्क कर सकते हैं। अधिकृत डीलर बैंक को ऐसी व्यवस्था के विवरण के साथ केंद्रीय बैंक से अनुमोदन लेना होगा।

SRVA व्यवस्था:

  • परिचय:  
    • वोस्ट्रो खाता वह खाता है जिसमें घरेलू बैंक विदेशी बैंकों के लिये घरेलू मुद्रा रखते हैं, इस मामले में रुपया
      • घरेलू बैंक इसका उपयोग अपने उन ग्राहकों को अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने हेतु करते हैं जिनको वैश्विक बैंकिंग की ज़रूरत है।   
    • SRVA मौजूदा प्रणाली के लिये एक अतिरिक्त व्यवस्था है जो स्वतंत्र रूप से परिवर्तनीय मुद्राओं का उपयोग करती है और एक मानार्थ (Complimentary) प्रणाली के रूप में काम करती है।
      • मौजूदा प्रणालियों को व्यापार की सुविधा के लिये अमेरिकी डॉलर और पाउंड जैसी मुद्राओं में संतुलन और अपनी स्थिति बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
  • ढाँचा: 
    • तीन महत्त्वपूर्ण घटक- इनवॉइस, विनिमय दर और निपटान हैं।
      • सभी निर्यात और आयात भारतीय राष्ट्रीय रुपए में होना चाहिये और इसी मुद्रा (INR) में भुगतान किया जाना चाहिये।
      • ट्रेडिंग पार्टनर देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाज़ार-आधारित होगी।
      • अंतिम भुगतान भी भारतीय रुपए में किया जाना चाहिये।
  • कार्य: 
    • ट्रेडिंग पार्टनर देशों के संपर्की बैंकों (Correspondent Bank) के लिये SRVA खाते अधिकृत घरेलू डीलर बैंकों द्वारा खोला जाना चाहिये।
    • घरेलू आयातकों को अंतर्राष्ट्रीय विक्रेता/आपूर्तिकर्त्ता से वस्तुओं अथवा सेवाओं की आपूर्ति के लिये बिलों का भुगतान (INR में) संपर्की बैंक के SRVA खाते में करना होगा।
    • इसी तरह भागीदार देश के संपर्की बैंक के निर्दिष्ट खाते में शेष राशि का उपयोग घरेलू निर्यातकों को निर्यात आय (INR में) का भुगतान करने के लिये किया जाता है।
    • उपरोक्त रूप से रुपए भुगतान तंत्र के तहत भारतीय निर्यातकों को निर्यात के लिये विदेशी खरीदारों से भारतीय रुपए में अग्रिम भुगतान मिल सकता है।
    • फिर भी यह सुनिश्चित करने के लिये घरेलू बैंक की पहली प्राथमिकता होनी चाहिये कि उपलब्ध धन का उपयोग वर्तमान भुगतान दायित्त्वों को पूरा करने के लिये किया जाता है, जैसे कि पहले से ही निष्पादित निर्यात ऑर्डर्स अथवा आगामी निर्यात भुगतान।
    • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 यह निर्धारित करता है कि वर्तमान नियमों के अनुरूप सभी सीमा पार लेन-देन की सूचना दी जानी चाहिये।
  • बैंकों के लिये पात्रता मानदंड: 
    • SRVA खोलने के लिये भागीदार देशों के बैंकों से संपर्क के बाद अधिकृत घरेलू बैंक व्यवस्था का विवरण प्रदान करते हुए शीर्ष बैंकिंग नियामक से अनुमोदन प्राप्त करना होगा।
    • यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी घरेलू बैंक की है कि संपर्की बैंक वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) के उच्च जोखिम और गैर-सहकारी न्यायालयों की सूची में उल्लिखित देश से नहीं है। 
    • अधिकृत बैंक एक ही देश के विभिन्न बैंकों के लिये कई SRV खाते खोल सकते हैं।

व्यवस्था का उद्देश्य:

  • विदेशी मुद्रा की मांग कम करना: आर्थिक सर्वेक्षण (2022-23) ने तर्क दिया था कि व्यवस्था काफी हद तक "चालू खाते से संबंधित व्यापार प्रवाह के निपटान के लिये विदेशी मुद्रा की शुद्ध मांग" को कम कर सकती है। 
  • विदेशी मुद्रा की मांग कम होने से यह रुपए की गिरावट को रोकेगा।
  • बाह्य आघात के प्रति कम भेद्यता: विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम होने से देश बाह्य आघातों के प्रति कम संवेदनशील होगा। 
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में रुपया: रुपए के निपटान तंत्र की सफलता के बाद दीर्घावधि में यह रुपए को एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में बढ़ावा देगा।
    • बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के त्रिवार्षिक केंद्रीय बैंक सर्वेक्षण, 2022 के अनुसार, सभी ट्रेडों में अमेरिकी डॉलर का हिस्सा 88% है और रुपए की हिस्सेदारी 1.6% थी। 
  • स्वीकृत देशों के साथ व्यापार:
    • जब से रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, भुगतान समस्याओं के कारण देश के साथ व्यापार लगभग ठप हो गया है। 
    • RBI द्वारा शुरू किये गए व्यापार सुविधा तंत्र के परिणामस्वरूप हम रूस के साथ भुगतान समस्याओं को कम होते हुए देख रहे हैं। 

नोस्ट्रो खाता:

  • नोस्ट्रो खाता एक बैंक द्वारा किसी अन्य बैंक में खोला गया खाता है। यह ग्राहकों को दूसरे बैंक के खाते में पैसा जमा करने की अनुमति देता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी बैंक की विदेश में कोई शाखा न हो। नोस्ट्रो एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है "हमारा"। 
    • मान लें कि बैंक "A" की रूस में कोई शाखा नहीं है, लेकिन बैंक "B" है। अब रूस में जमा राशि प्राप्त करने के लिये "B" के साथ "A" नोस्ट्रो खाता खोलेगा।
    • अब यदि रूस में कोई ग्राहक "A" को पैसा भेजना चाहता है, तो वह "B" में A के खाते में इसे जमा कर सकता है। "B" उस पैसे को "A" में स्थानांतरित कर देगा।
  • डिपॉज़िट अकाउंट और नोस्ट्रो अकाउंट के मध्य मुख्य अंतर यह है कि डिपॉज़िट अकाउंट व्यक्तिगत जमाकर्त्ताओं के पास होता है, जबकि नोस्ट्रो विदेशी संस्थानों के पास होता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. रुपए की परिवर्तनीयता का अर्थ है: (2015)

(a) रुपए के नोटों को सोने में बदलने में सक्षम होना
(b) रुपए के मूल्य को बाज़ार की शक्तियों द्वारा तय करने की अनुमति देना
(c) रुपए को अन्य मुद्राओं में बदलने की स्वतंत्र रूप से अनुमति देना और इसके विपरीत अन्य मुद्राओं को रुपए में     बदलने की अनुमति देना
(d) भारत में मुद्राओं के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार का विकास करना

उत्तर: (c)

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र (UN), भाषा संगम, नमथ बसई, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020।

मेन्स के लिये:

स्वदेशी भाषाओं की रक्षा के लिये भारत की पहल।

चर्चा में क्यों?  

21 फरवरी, 2023 को मनाए गए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर यह पता चला कि आधुनिकीकरण एवं वैश्वीकरण, विशेष रूप से शिक्षा की कमी के कारण भारत अपनी कई भाषाओं को खो रहा है।

  • वर्ष 2023 की थीम "बहुभाषी शिक्षा - शिक्षा को बदलने की आवश्यकता" (Multilingual education– a necessity to transform education) है

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस:

  • परिचय  
    • यूनेस्को ने वर्ष 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया और वर्ष 2000 से संपूर्ण विश्व में यह दिवस मनाया जा रहा है। 
    • यह दिन बांग्लादेश द्वारा अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष को भी रेखांकित करता है। 
      • कनाडा में रहने वाले एक बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था।

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  • उद्देश्य:
    • यूनेस्को ने भाषायी विरासत के संरक्षण हेतु मातृभाषा आधारित शिक्षा के महत्त्व पर ज़ोर दिया है तथा सांस्कृतिक विविधता की रक्षा के लिये स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय दशक शुरू किया गया है। 
      • विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृतियों एवं बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना है। 
  • चिंता:  
    • संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, हर दो सप्ताह में एक भाषा विलुप्त हो जाती है और विश्व एक पूरी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत खो देता है।
    • भारत में यह विशेष रूप से उन जनजातीय क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है जहाँ बच्चे उन विद्यालयों में सीखने के लिये संघर्ष करते हैं जिनमें उनको मातृ भाषा में निर्देश नहीं दिया जाता है।
      • ओडिशा में केवल 6 जनजातीय भाषाओं में एक लिखित लिपि है, जिससे बहुत से लोग साहित्य और शैक्षिक सामग्री तक पहुँच से वंचित हैं।

भाषाओं के संरक्षण के लिये वैश्विक प्रयास:

  • संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2022 और वर्ष 2032 के मध्य की अवधि को स्वदेशी भाषाओं के अंतर्राष्ट्रीय दशक के रूप में नामित किया है।
  • वर्ष 2018 में चांगशा (चीन) में यूनेस्को द्वारा की गई यूलु (Yuelu) उद्घोषणा, भाषायी संसाधनों और विविधता की रक्षा के लिये विश्व भर के देशों एवं क्षेत्रों के प्रयासों का मार्गदर्शन करने में केंद्रीय भूमिका निभाती है। 

स्वदेशी भाषाओं की रक्षा के लिये भारत की पहल:

  • भाषा संगम: सरकार ने "भाषा संगम" कार्यक्रम शुरू किया है, जो छात्रों को अपनी मातृभाषा सहित विभिन्न भाषाओं को सीखने और समझने के लिये प्रोत्साहित करता है।  
  • कार्यक्रम का उद्देश्य बहुभाषावाद और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना भी है। 
  • केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान: सरकार ने केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान भी स्थापित किया है, जो भारतीय भाषाओं के अनुसंधान और विकास हेतु समर्पित है।
  • वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (Commission for Scientific and Technical Terminology- CSTT): CSTT क्षेत्रीय भाषाओं में विश्वविद्यालय स्तर की पुस्तकों के प्रकाशन हेतु प्रकाशन अनुदान प्रदान कर रहा है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1961 में सभी भारतीय भाषाओं में तकनीकी शब्दावली विकसित करने के लिये की गई थी।
  • राज्य-स्तरीय पहलें: मातृभाषाओं की रक्षा हेतु कई राज्य-स्तरीय पहलें भी हैं। उदाहरण के लिये ओडिशा सरकार ने "अमा घर (Ama Ghara)" कार्यक्रम शुरू किया है, जो आदिवासी बच्चों को आदिवासी भाषाओं में शिक्षा प्रदान करता है।
    • इसके अलावा केरल राज्य सरकार की नमथ बसई (Namath Basai) पहल आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा के माध्यम के रूप में स्थानीय भाषाओं को अपनाकर शिक्षित करने में काफी प्रभावी साबित हुई है

आगे की राह

वर्तमान विकट स्थिति के बावजूद भारत मातृभाषाओं हेतु आशा है क्योंकि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के शुरुआती चरणों से लेकर उच्च शिक्षा तक मातृभाषा आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करता है। इससे इन भाषाओं को दीर्घावधि तक बने रहने में मदद मिल सकती है, हालाँकि भाषायी न्याय के सवाल का समाधान करना और यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि भाषा शिक्षा के लिये बाधा नहीं है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1.  यूनिसेफ द्वारा 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित किया गया।
  2. पाकिस्तान की संविधान सभा में यह मांग रखी गई कि राष्ट्रीय भाषाओं में बांग्ला को भी सम्मिलित किया जाए।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


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