जैव विविधता और पर्यावरण
शहरों में वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य
प्रिलिम्स के लिये:स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्ल्यूएचओ के नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश, पार्टिकुलेट मैटर। मेन्स के लिये:शहरों में वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य रिपोर्ट, वायु प्रदूषण के प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शहरों में वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य (Air Quality and Health in Cities) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें वर्ष 2010 और 2019 के बीच दुनिया भर के 7,000 से अधिक शहरों में प्रदूषण और वैश्विक स्वास्थ्य प्रभावों का विश्लेषण किया गया था।
- अध्ययन में पाए गए दो प्रमुख वायु प्रदूषकों- फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) के आधार पर शहरों की रैंकिंग की गई।
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर
- स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) दुनिया भर में वायु गुणवत्ता के बारे में विश्वसनीय, सार्थक जानकारी प्रदान करने के लिये शोध और महत्त्वपूर्ण पहल है।
- अमेरिका स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ प्रोजेक्ट के सहयोग से, नागरिकों, पत्रकारों, नीति निर्माताओं तथा वैज्ञानिकों को वायु प्रदूषण जोखिम एवं इसके स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में उच्च गुणवत्ता, उद्देश्यपूर्ण जानकारी तक पहुँच प्रदान करता है।
प्रमुख बिंदु
- PM 2.5 का स्तर:
- जब PM 2.5 के स्तर की तुलना की गई तो शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली और कोलकाता पहले और दूसरे स्थान पर हैं।
- PM 2.5 वायुमंडलीय कण है जिसका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम है, जो मानव बाल के व्यास का लगभग 3% है। यह श्वास की समस्याओं का कारण बनता है और दृश्यता को कम करता है।
- जबकि PM2.5 प्रदूषण का जोखिम निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्थित शहरों में अधिक होता है, NO2 का जोखिम उच्च आय वाले शहरों के साथ-साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक होता है।
- जब PM 2.5 के स्तर की तुलना की गई तो शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली और कोलकाता पहले और दूसरे स्थान पर हैं।
- NO2 स्तर:
- जब NO2 के स्तर की तुलना की गई तो कोई भी भारतीय शहर शीर्ष 10 या शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों की सूची में नहीं आया।
- रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में NO2 का औसत स्तर 20-30 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच है।
- इस सूची में शंघाई को 41 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के औसत वार्षिक जोखिम के साथ शीर्ष पर देखा गया।
- NO2 मुख्य रूप से पुराने वाहनों, बिजली संयंत्रों, औद्योगिक सुविधाओं और आवासीय खाना पकाने और हीटिंग में ईंधन के जलने से उत्पन्न है।
- चूंँकि शहर के निवासी सघन यातायात वाली व्यस्त सड़कों के करीब रहते हैं, इसलिये वे अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों की तुलना में NO2 प्रदूषण के ज़्यादा संपर्क में आते हैं।
- उच्च NO2 स्तर वाले अन्य शहरों में मास्को, बीजिंग, पेरिस, इस्तांबुल और सियोल शामिल हैं।
- जब NO2 के स्तर की तुलना की गई तो कोई भी भारतीय शहर शीर्ष 10 या शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों की सूची में नहीं आया।
- होने वाली मौतें:
- बीजिंग में PM2.5 प्रदूषक से सर्वाधिक लोग बीमार होते हैं, प्रति 100,000 व्यक्तियों पर होने वाली 124 मौतों के लिये ये प्रदूषक प्रमुख करक हैं।
- प्रमुख 20 शहरों में चीन के 5 शहर शामिल हैं।
- दिल्ली प्रति 100,000 में 106 मौतों के साथ छठे और कोलकाता 99 मौतों के साथ आठवें स्थान पर रहा।
- बीजिंग में PM2.5 प्रदूषक से सर्वाधिक लोग बीमार होते हैं, प्रति 100,000 व्यक्तियों पर होने वाली 124 मौतों के लिये ये प्रदूषक प्रमुख करक हैं।
- कारण:
- वर्तमान में केवल 117 देशों में PM2.5 को ट्रैक करने के लिये जमीनी-स्तर की निगरानी प्रणाली मौज़ूद है और केवल 74 देश ही NO2 स्तर की निगरानी कर रहे हैं।
- वर्ष 2019 में 7000 से अधिक शहरों में से 86% में प्रदूषकों का जोखिम WHO के मानक से अधिक था, इसने लगभग 2.6 बिलियन लोगों को प्रभावित किया है।
WHO के नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश:
- वर्ष 2021 के WHO के दिशा-निर्देश प्रमुख वायु प्रदूषकों के स्तर को कम करके, आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये नए वायु गुणवत्ता स्तरों की सिफारिश करते हैं, जिनमें से कुछ जलवायु परिवर्तन में भी योगदान करते हैं।
- WHO के नए दिशा-निर्देश 6 प्रदूषकों के लिये वायु गुणवत्ता के स्तर की सलाह देते हैं, जहाँ साक्ष्य जोखिम से स्वास्थ्य प्रभावों पर सबसे अधिक उन्नत हुए हैं।
- 6 सामान्य प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और 10), ओजोन (O3), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) शामिल हैं।
अनुशंसाएँ:
- विस्तारित वायु गुणवत्ता निगरानी टूलबॉक्स:
- वायु गुणवत्ता की निगरानी के विस्तार के प्रयासों से प्रदूषक स्तरों के अनुमानों की सटीकता और स्थानीय वायु गुणवत्ता प्रवृत्तियों की समझ में सुधार हो सकता है।
- हालाँकि प्रदूषकों के मापक उपकरण स्थापित करने के अलावा, इन उपकरणों से डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु जाँच और रखरखाव के लिये संसाधनों में निवेश करना महत्त्वपूर्ण है।
- स्वास्थ्य रिकॉर्ड एकत्रण और डिजिटाइज़ करना:
- स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के बोझ के आँकड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक प्रभाव दोनों के संदर्भ में हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- शहर-स्तरीय स्वास्थ्य डेटा को लगातार और व्यवस्थित रूप से एकत्र करना और उन्हें शोधकर्त्ताओं के लिये सुलभ बनाना महत्त्वपूर्ण है। यह शोधकर्त्ताओं को अधिक सटीक और स्थानीय विश्लेषण करने में मदद कर सकता है जो समुदायों और नीति निर्माताओं को जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये भारत द्वारा की गई पहल:
- वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली
- बेहतर वायु गुणवत्ता
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)
- BS-VI वाहन
- इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर जोर
- वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिये एक आपातकालीन उपाय के रूप में ऑड-ईवन नीति।
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु नवीन आयोग
- टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन
UPSC सिविल सेवा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न: हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मूल्य की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किस वायुमंडलीय गैस को ध्यान में रखा जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर के सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) व्याख्या:
मेन्स के लिये:Q.विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन करें। ये वर्ष 2005 में इसके पिछले अद्यतन से किस प्रकार भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्या बदलाव आवश्यक हैं? (2021) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना का विस्तार
प्रिलिम्स के लिये:आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, आत्मानिर्भर पैकेज, कोविड -19, एनबीएफसी, एमएसएमई। मेन्स के लिये:हॉस्पिटैलिटी/आतिथ्य और संबंधित क्षेत्रों में आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना की आवश्यकता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने आतिथ्य/हॉस्पिटैलिटी और संबंधित क्षेत्रों में उद्यमों के लिये आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) में वृद्धि को मंज़ूरी दी क्योंकि महामारी ने इन क्षेत्रों को बाधित कर दिया था।
- सरकार ने इन क्षेत्रों के लिये 50,000 करोड़ रुपए की राशि में 4.5 लाख करोड़ रुपए बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपए कर दिया है जो 31 मार्च, 2023 तक वैध रहेगा।
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना
- परिचय:
- ECLGS को वर्ष 2020 में कोविड-19 संकट के दौरान केंद्र के आत्मनिर्भर पैकेज के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य देशव्यापी तालाबंदी के कारण अपनी परिचालन देनदारियों को पूरा करने के लिये संघर्ष कर रहे छोटे व्यवसायों का समर्थन करना था।
- नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) द्वारा सदस्य ऋणदाता संस्थानों (MLI) - बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को 100% गारंटी प्रदान की जाती है।
- क्रेडिट उत्पाद जिसके लिये योजना के तहत गारंटी प्रदान की जाएगी, उसका नाम 'गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन (GECL)' रखा जाएगा।
- ECLGS 1.0:
- MSME, व्यावसायिक उद्यमों, मुद्रा उधारकर्त्ताओं और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये व्यक्तिगत ऋणों को 29 फरवरी, 2020 तक उनके बकाया ऋण के 20% की सीमा तक पूरी तरह से गारंटीकृत और संपार्श्विक मुक्त अतिरिक्त ऋण प्रदान करना।
- 25 करोड़ रुपए तक के बकाया और 100 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले MSME इसके पात्र थे।
- हालाँकि नवंबर 2020 में ECLGS 2.0 में संशोधन के बाद टर्नओवर सीमा को हटा दिया गया था।
- ECLGS 2.0:
- संशोधित संस्करण कामथ समिति द्वारा पहचाने गए 26 तनावग्रस्त क्षेत्रों में संस्थाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर केंद्रित है, जिन पर 29 फरवरी, 2020 तक 50 करोड़ रुपए से अधिक और 500 करोड़ रुपए तक का ऋण बकाया है।
- योजना में उधारकर्त्ता खातों को 29 फरवरी, 2020 तक देय 30 दिनों से कम या उसके बराबर होना अनिवार्य है अर्थात, उन्हें 29 फरवरी, 2020 तक किसी भी उधारदाता द्वारा SMA-1, SMA-2 या NPA के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिये था।
- SMA विशेष उल्लेख खाते होते हैं, जो उन शुरुआती दबाव का संकेत देते हैं, जिसमें कर्जदार ऋण चुकाने में डिफ़ॉल्ट करता है।
- SMA-0 खातों में 1-30 दिनों के लिये आंशिक या पूर्ण रूप से भुगतान अतिदेय हैं, जबकि SMA-1 और SMA-2 खातों में क्रमशः 31-60 दिनों और 61-90 दिनों के लिये भुगतान अतिदेय हैं।
- SMA विशेष उल्लेख खाते होते हैं, जो उन शुरुआती दबाव का संकेत देते हैं, जिसमें कर्जदार ऋण चुकाने में डिफ़ॉल्ट करता है।
- संशोधित योजना में ECLGS 1.0 में चार साल से पाँच वर्ष के रीपेमेंट विंडो का भी प्रावधान किया गया था।
- ECLGS 3.0:
- इसमें 29 फरवरी, 2020 तक सभी ऋणदाता संस्थानों में कुल बकाया ऋण का 40% तक का विस्तार शामिल है।
- ECLGS 3.0 के तहत दिये गए ऋणों की अवधि 6 वर्ष होगी, जिसमें 2 वर्ष की अधिस्थगन अवधि भी शामिल है।
- यह आतिथ्य, यात्रा और पर्यटन, अवकाश एवं खेल क्षेत्रों में व्यावसायिक उद्यमों को शामिल करता है, जिसकी अवधि 29 फरवरी, 2020 तक थी।
- इसमें कुल बकाया 500 करोड़ रुपए से अधिक नहीं और अतिदेय, यदि कोई हो तो 60 दिनों या उससे कम की अवधि के लिये था।
- ECLGS 4.0:
- अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लीनिकों, मेडिकल कॉलेजों को ऑन-साइट ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिये 5 प्रतिशत ब्याज दर के साथ 2 करोड़ रुपए तक के ऋण को कवर करने की 100 प्रतिशत गारंटी।
नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड:
- NCGTC एक निजी लिमिटेड कंपनी है, जिसे वर्ष 2014 में वित्तीय सेवा मंत्रालय के वित्त मंत्रालय द्वारा विनियमित कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित किया गया था, जो भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में कई क्रेडिट गारंटी फंड के लिये एक आम ट्रस्टी कंपनी के रूप में कार्य करती है।
- क्रेडिट गारंटी कार्यक्रम उधारदाताओं के उधार जोखिम को साझा करने हेतु डिज़ाइन किये गए हैं और बदले में संभावित उधारकर्त्ताओं के लिये वित्त तक पहुँच की सुविधा प्रदान करते हैं।
UPSC सिविल सेवा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का उद्देश्य है? (2016) (a) छोटे उद्यमियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाना उत्तर: (a) व्याख्या:
अत: विकल्प (a) सही उत्तर है प्रश्न: भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b)
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |
स्रोत: द हिन्दू
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल इंडिया मिशन, आधार, UPI, वेब 3.0, फंजिबल टोकन, विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi)। मेन्स के लिये:भारत में ब्लॉकचेन का महत्त्व और उपयोग। |
चर्चा में क्यों?
भारत ने डिजिटल समाज बनने के लिये कई प्रयास किये हैं जिसमें सरकार की मदद से एक बड़े पैमाने पर नागरिकों के लिये एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांँचे का निर्माण करना शामिल है।
सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना:
- परिचय:
- यह डिजिटल समाधानों को संदर्भित करता है जो सार्वजनिक और निजी सेवा वितरण, अर्थात सहयोगी, वाणिज्य और शासन के लिए आवश्यक बुनियादी कार्यों को सक्षम करता है।
- भारतीय पहल:
- भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) व्यक्तियों, बाज़ारों और सरकार के बीच बातचीत की गति को बढ़ाने के लिये सरलीकरण तथा पारदर्शिता को बढ़ावा दे रहे हैं।
- वर्ष 2015 में डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत के साथ, भुगतान, भविष्य निधि, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, क्रॉसिंग टोल, और भूमि रिकॉर्ड की जाँच सभी को आधार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और इंडिया स्टैक पर निर्मित मॉड्यूलर अनुप्रयोगों के साथ बदल दिया गया है।
- भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) व्यक्तियों, बाज़ारों और सरकार के बीच बातचीत की गति को बढ़ाने के लिये सरलीकरण तथा पारदर्शिता को बढ़ावा दे रहे हैं।
- परिसिमन:
- आपस में जुड़ा नहीं:
- मौजूदा विभिन्न डिजिटल अवसंरचनाएँ एक डिज़ाइन के रूप में परस्पर जुड़ी नहीं हैं।
- अंतर-संचालनीय नहीं:
- तकनीकी एकीकरण की आवश्यकता है ताकि उन्हें संवादी और अंतर-संचालनीय बनाया जा सके।
- अक्षम:
- आज सूचना कई प्रणालियों में फैलती है और वे ज़्यादातर सीमित निजी डेटाबेस पर भरोसा करती हैं जो इसे और अधिक जटिल बना देता है, जैसे-जैसे नेटवर्क बढ़ता है, यह लागत बढ़ाता है और अक्षमता पैदा करता है।
- आपस में जुड़ा नहीं:
अन्य कुशल डिजिटल प्रणालियाँ
वेब 3.0 :
- परिचय:
- वेब 3.0 एक विकेंद्रीकृत इंटरनेट है जिसे ब्लॉकचेन तकनीक पर चलाया जाता है, जो उपयोग में आने वाले संस्करणों, वेब 1.0 और वेब 2.0 से भिन्न होगा।
- वेब 1.0 में इंटरनेट पर ज़्यादातर स्थिर वेब पेज थे जहाँ उपयोगकर्त्ता किसी वेबसाइट पर जाते थे और फिर स्थैतिक सूचना को पढ़ते और इंटरैक्ट करते थे। वेब 0 में उपयोगकर्त्ता मुख्य रू प से एक सोशल मीडिया प्रकार की बातचीत सामग्री बना सकते हैं।
- वेब 3 में उपयोगकर्त्ताओं के पास प्लेटफॉर्म और एप्लीकेशन में स्वामित्व हिस्सेदारी होगी जो तकनीकी प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करते हैं।
- वेब 3.0 एक विकेंद्रीकृत इंटरनेट है जिसे ब्लॉकचेन तकनीक पर चलाया जाता है, जो उपयोग में आने वाले संस्करणों, वेब 1.0 और वेब 2.0 से भिन्न होगा।
- महत्त्व:
- वेब 3.0 समावेशी टोकन आधारित अर्थशास्त्र, पारदर्शिता और विकेंद्रीकरण को शामिल करते हुए इंटरनेट प्रोटोकॉल का एक नया संस्करण स्थापित करता है।
- यह न केवल क्रिप्टोकरेंसी बल्कि एनएफटी या फंजिबल टोकन भी है, जो भौतिक संपत्ति या डिजिटल ट्विन्स का प्रतिनिधित्त्व करता है।
- एक उपयोगकर्त्ता वितरित टोकन का उपयोग करके सभी पारिस्थितिक तंत्र लाभों तक पहुँच सकता है जहाँ वे स्वामित्व, टैक्स हिस्ट्री और भुगतान साधनों का प्रमाण दिखा सकते हैं।
- ब्लॉकचेन रिकॉर्ड वास्तविक समय में नियामकों द्वारा दृश्यमान, संकलित और ऑडिट किये जा सकते हैं.
ब्लॉकचेन:
- परिचय:
- ब्लॉकचेन एक वितरित डेटाबेस या लेज़र है जिसे कंप्यूटर नेटवर्क के नोड्स के बीच साझा किया जाता है।
- एक डेटाबेस के रूप में एक ब्लॉकचेन डिजिटल प्रारूप में इलेक्ट्रॉनिक रूप से जानकारी संग्रहीत करता है।
- ब्लॉकचेन को क्रिप्टोकुरेंसी सिस्टम में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिये जाना जाता है जैसे कि बिटकॉइन लेनदेन का एक सुरक्षित और विकेंद्रीकृत रिकॉर्ड बनाए रखने के लिये।
- एक ब्लॉकचेन का नवाचार यह है कि यह डेटा के रिकॉर्ड की निष्ठा और सुरक्षा की गारंटी देता है और एक विश्वसनीय तृतीय पक्ष की आवश्यकता के बिना विश्वास उत्पन्न करता है।
- वैश्विक स्वीकृति:
- एस्टोनिया दुनिया की ब्लॉकचेन राजधानी, आम जनता को दी जाने वाली सभी ई-गवर्नेंस सेवाओं को सत्यापित और संसाधित करने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग कर रही है।
- चीन ने क्लाउड में ब्लॉकचेन तकनीक को सुव्यवस्थित दर पर तैनात करने के लिये बीएसएन (ब्लॉकचेन -आधारित सर्विस नेटवर्क) लॉन्च किया।
- ब्रिटेन सेंटर फॉर डिजिटल बिल्ट ब्रिटेन द्वारा निर्मित वातावरण में डिजिटल ट्विन्स के मालिकों और डेवलपर्स के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय डिजिटल ट्विन प्रोग्राम (NDTp) चला रहा है।
- ब्राज़ील सरकार ने हाल ही में भाग लेने वाले संस्थानों को शासन और तकनीकी प्रणाली में लाने के लिए ब्राज़ीलियाई ब्लॉकचेन नेटवर्क लॉन्च किया है जो जनता के लिये समाधान में ब्लॉकचेन अपनाने की सुविधा प्रदान करता है।
- अनुप्रयोग:
- वे अच्छी तरह से स्थापित विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi) प्लेटफॉर्म हैं जो ब्लॉकचेन तकनीक पर निर्भर हैं।
- इन मंचो की बहु-देशीय उपस्थिति और उपयोग है, साथ ही ये किसी विशेष नियामक दायरे में नहीं आते हैं।
- DeFi उपयोगकर्त्ताओं को एल्गोरिथम द्वारा निर्धारित दरों पर अल्पकालिक आधार पर क्रिप्टोकरेंसी उधार लेने और उधार देने की अनुमति देता है।
- DeFi उपयोगकर्त्ताओं को टोकन के साथ पुरस्कृत किया जाता है जो शासन के अधिकार प्रदान करते हैं, जो प्रोटोकॉल बोर्ड की सीटों के समान होते हैं।
- उदाहरण:
- ब्लॉकचेन प्रदाता सोलाना ने हार्डवेयर और सुरक्षा के साथ प्रोटोटाइप स्मार्टफोन लॉन्च किया जो क्रिप्टो वॉलेट, वेब 3.0 और NFTs में रुचि रखने वाले लोगों के लिये विकेंद्रीकृत ऐप का समर्थन कर सकता है।
ब्लॉकचेन से भारत को लाभ:
- पारस्परिकता का निर्माण:
- फिनटेक, अकादमिक, थिंक टैंक और संस्थानों सहित भारतीय डिजिटल समुदाय को मानकों, इंटरऑपरेबिलिटी/पारस्परिकता और वितरित प्रौद्योगिकियों के साथ मौजूदा ज्ञात मुद्दों के कुशल संचालन में अनुसंधान का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- उदाहरण के लिये मापनीयता और प्रदर्शन, आम सहमति तंत्र और कमज़ोरियों का स्वत: पता लगाना।
- फिनटेक, अकादमिक, थिंक टैंक और संस्थानों सहित भारतीय डिजिटल समुदाय को मानकों, इंटरऑपरेबिलिटी/पारस्परिकता और वितरित प्रौद्योगिकियों के साथ मौजूदा ज्ञात मुद्दों के कुशल संचालन में अनुसंधान का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- विनियमन:
- वर्तमान समय में ब्लॉकचेन मॉडल आंशिक रूप से अनुमत हैं या एथेरियम की तरह सार्वजनिक हैं जो अनियमित है और आंतरिक मानकों पर निर्भर है।
- ब्लॉकचेन पर राष्ट्रीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाना:
- विकेंद्रीकृत प्रौद्योगिकियों के अधिकांश ज्ञात मुद्दों को हल करने का आदर्श समाधान मध्य पथ में निहित है, यानी स्तर-1 (L-1) पर काम करने वाला राष्ट्रीय मंच जो ब्लॉकचैन (अनुमति प्राप्त और सार्वजनिक दोनों), अनुप्रयोग प्रदाताओं (विकेंद्रीकृत अनुप्रयोगों - dApps और मौजूदा), टोकन सेवा प्रदाताओं एवं बुनियादी ढाँचे के प्रबंधकों को जोड़ता है।
- साथ में वे भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये विश्वसनीय और कुशल नेटवर्क बना सकते हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र बहुत कम लागत और प्रयास के लिये स्तर-2 (L-2) पर प्रासंगिक और उद्देश्य-विशिष्ट अनुप्रयोगों को और अधिक तैनात कर सकता है।
- इसके अलावा इस सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे पर सभी शृंखलाएँ एक-दूसरे के साथ संबंधित होंगी, इस प्रकार मौजूदा भारतीय डिजिटल बुनियादी ढाँचे के लिये इंटरनेट पर संचार (एक-दूसरे के साथ जटिल एकीकरण की आवश्यकता से बचने) को दोहराएगी।
UPSC सिविल सेवा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रिलिम्स के लिये:प्रश्न:“ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। मेन्स:Q. क्रिप्टोकरेंसी क्या है? यह वैश्विक समाज को कैसे प्रभावित करता है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रहा है? (2021) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2022 का मसौदा
प्रिलिम्स के लिये:भारत में प्रमुख बंदरगाह, प्रमुख बंदरगाह और छोटे बंदरगाह। मेन्स के लिये:भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2022 का मसौदा, भारतीय बंदरगाह कानून, 1908 और मेजर पोर्ट ट्रस्ट एक्ट, 1963। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2022 का मसौदा तैयार किया है।
- भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2022 का मसौदा मौजूदा भारतीय बंदरगाह अधिनियम 1908 को निरस्त करने और बदलने का प्रयास करता है जो कि 110 वर्ष से अधिक पुराना है, यह अनिवार्य हो गया है कि अधिनियम को वर्तमान ढाँचे को प्रतिबिंबित करने के लिये नया रूप दिया जाए।
विधेयक में प्रस्ताव:
- यह समुद्री संधियों और अंतर्राष्ट्रीय उपकरणों के तहत जिसमें भारत एक पक्षकार है, देश के दायित्व का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये बंदरगाहों पर प्रदूषण की रोकथाम तथा नियंत्रण हेतु बंदरगाहों से संबंधित कानूनों में संशोधन करना चाहता है।
- यह भारत में गैर-प्रमुख बंदरगाहों के प्रभावी प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन के लिये राज्य समुद्री बोर्डों को सशक्त बनाने तथा स्थापित करने का प्रयास करता है।
- इसका उद्देश्य बंदरगाह से संबंधित विवादों के निवारण के लिये न्यायिक तंत्र प्रदान करना और बंदरगाह क्षेत्र के संरचित वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय परिषद की स्थापना करना है।
- यह भारत के समुद्र तट का आवश्यकतानुसार सहायक एवं प्रासंगिक मामलों या उससे जुड़े मामलों के लिये इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करेगा।
भारत हेतु बंदरगाहों का महत्त्व:
- भारत में 7,500 किमी. लंबी तटरेखा, 14,500 किमी. संभावित नौगम्य जलमार्ग और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों पर रणनीतिक स्थान है।
- भारत का लगभग 95% व्यापार मात्रा के अनुसार से और 65% मूल्य के अनुसार से बंदरगाहों द्वारा सुगम समुद्री परिवहन के माध्यम से किया जाता है।
भारतीय बंदरगाह पारिस्थितिकी तंत्र
- परिचय:
- भारत में बंदरगाह क्षेत्र बाहरी व्यापार में उच्च वृद्धि से प्रेरित है।
- केंद्र सरकार ने बंदरगाह निर्माण और रखरखाव परियोजनाओं के लिये स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी है।
- कानूनी प्रावधान:
- प्रमुख बंदरगाह भारतीय संविधान की संघ सूची के अंतर्गत आते हैं तथा भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 और प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के तहत प्रशासित होते हैं।
- भारत के प्रमुख बंदरगाह:
- देश में 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 गैर-प्रमुख बंदरगाह (छोटे बंदरगाह) हैं।
- प्रमुख बंदरगाहों में दीनदयाल (पूर्ववर्ती कांडला), मुंबई, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, मरमुगाओ, न्यू मैंगलोर, कोचीन, चेन्नई, कामराजर (पहले एन्नोर), वी. ओ. चिदंबरनार, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित) शामिल हैं।
- देश में 12 प्रमुख बंदरगाह और 200 गैर-प्रमुख बंदरगाह (छोटे बंदरगाह) हैं।
- प्रमुख बंदरगाह बनाम छोटे बंदरगाह:
- भारत में बंदरगाहों को भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के तहत परिभाषित केंद्र और राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के अनुसार प्रमुख एवं छोटे बंदरगाहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है
- सभी 12 बंदरगाह, प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के तहत शासित हैं और केंद्र सरकार के स्वामित्व और प्रबंधन में हैं।
- सभी छोटे बंदरगाह, भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के तहत शासित हैं और राज्य सरकारों के स्वामित्व और प्रबंधन में हैं।
- भारत में बंदरगाहों को भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के तहत परिभाषित केंद्र और राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के अनुसार प्रमुख एवं छोटे बंदरगाहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है
- प्रमुख बंदरगाहों का प्रशासन:
- प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह भारत सरकार द्वारा नियुक्त न्यासी बोर्ड द्वारा शासित है।
- न्यास भारत सरकार के नीति निर्देशों और आदेशों के आधार पर कार्य करते हैं।
आगे की राह:
- बंदरगाहों में चल रहे विकास और प्रतिबद्ध निवेश (सार्वजनिक और निजी) को वैज्ञानिक और परामर्शी योजना द्वारा सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है, जिसमें सुरक्षा और पर्यावरण के मुद्दों में लगातार वृद्धि हो रही है।
स्रोत: पीआईबी
शासन व्यवस्था
VLC मीडिया प्लेयर पर प्रतिबंध
प्रिलिम्स के लिये:सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम 2000, सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2009, धारा 69A, कंटेंट पर प्रतिबंध लगाने में कार्यकारी की शक्तियाँ, साइबर सुरक्षा मेन्स के लिये:सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधान, कंटेंट को विनियमित करने में सरकार की शक्तियाँ, साइबर सुरक्षा के लिये सरकार की पहल |
चर्चा में क्यों?
वीडियोलैन क्लाइंट (VLC) मीडिया प्लेयर की वेबसाइट को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
- जबकि VLC का कहना है कि उसके आँकड़ों के अनुसार भारत में फरवरी 2022 से उसकी वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
VLC और उस पर आरोपित प्रतिबंध:
- VLC:
- VLC ने 90 के दशक के उत्तरार्ध में भारत में लोकप्रियता हासिल की जब सूचना प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण भारत में पर्सनल कंप्यूटर का प्रवेश हुआ।
- एक मुक्त और खुला स्रोत होने के अलावा, VLC आसानी से अन्य प्लेटफॉर्म्स और स्ट्रीमिंग सेवाओं के साथ एकीकृत हो जाता है एवं अतिरिक्त कोडेक की आवश्यकता के बिना सभी फाइल स्वरूपों का समर्थन करता है।
- VLC पर प्रतिबंध:
- VLC वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, फिर भी VLC ऐप गूगल और ऐप्पल स्टोर्स पर डाउनलोड के लिये उपलब्ध है।
- VLC वेबसाइट पर प्रतिबंध के संबंध में नागरिक समाज संगठनों ने कई बार सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के पास दायर किये हैं।
- हालाँकि इन आवेदनों उत्तर में मंत्रालय ने "किसी भी प्रकार की जानकारी उपलब्ध न होने" की बात कही है।
- जब वेबसाइट को पहले एक्सेस किया गया था, तो उस पर "सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश के अनुसार वेबसाइट को अवरुद्ध कर दिया गया है" का संदेश प्रदर्शित किया गया था।
- प्रतिबंध के कारण:
- चीन का दखल :
- अप्रैल 2022 में साइबर सुरक्षा फर्म, सिमेंटेक की रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि कथित तौर पर चीन द्वारा समर्थित एक हैकर समूह, सिकाडा मैलवेयर को सक्रिय करने के लिये वीएलसी मीडिया प्लेयर का उपयोग कर रहा है।
- सुरक्षित सर्वर:
- VLC वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है; इसका ऐप, ऐप स्टोर के सर्वर के रूप में डाउनलोड के लिये उपलब्ध है, जहाँ मोबाइल ऐप होस्ट किये जाते हैं, यह उन सर्वरों की तुलना में सुरक्षित माने जाते हैं जहाँ डेस्कटॉप संस्करण होस्ट किये जाते हैं।
- चीन का दखल :
सरकार जनता के लिये ऑनलाइन कंटेंट पर कब प्रतिबंध लगा सकती है?
- ऐसे दो मार्ग हैं जिनके माध्यम से कंटेंट को ऑनलाइन अवरुद्ध किया जा सकता है:
- कार्यपालिका:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A:
- धारा 69 A सरकार को किसी मध्यस्थ को भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों या सार्वजनिक व्यवस्था के हित में या किसी भी संज्ञेय अपराध के कमीशन के लिये उकसाने से रोकने के लिये किसी भी कंप्यूटर संसाधन में उत्पन्न, प्रेषित, प्राप्त, संग्रहीत या होस्ट की गई किसी भी जानकारी को "जनता द्वारा पहुंँच के लिये अवरुद्ध" करने का निर्देश देती है।
- धारा 69A संविधान के अनुच्छेद 19 (2) से अपनी शक्ति प्राप्त करती है जो सरकार को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देती है।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A:
- न्यायपालिका:
- भारत में न्यायालयों के पास पीड़ित/वादी को प्रभावी उपचार प्रदान करने के लिये मध्यस्थों को भारत में कंटेंट को अनुपलब्ध बनाने का निर्देश देने की शक्ति है।
- उदाहरण के लिये, न्यायालय इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को उन वेबसाइटों को ब्लॉक करने का आदेश दे सकती हैं जो पायरेटेड कंटेंट तक पहुँच प्रदान करती हैं और वादी के कॉपीराइट का उल्लंघन करती हैं।
- भारत में न्यायालयों के पास पीड़ित/वादी को प्रभावी उपचार प्रदान करने के लिये मध्यस्थों को भारत में कंटेंट को अनुपलब्ध बनाने का निर्देश देने की शक्ति है।
- कार्यपालिका:
कंटेंट को ऑनलाइन ब्लॉक करने की प्रक्रिया क्या है?
- परिचय:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत तैयार की गई सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना की पहुँच को अवरुद्ध करने के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा) नियम, 2009 (आईटी नियम, 2009) द्वारा कंटेंट को अवरुद्ध करने की विस्तृत प्रक्रिया प्रदान की गई है।
- केवल केंद्र सरकार मध्यस्थों को सीधे ऑनलाइन कंटेंट तक पहुँच को अवरुद्ध करने के निर्देश देने की शक्ति का प्रयोग कर सकती है न कि राज्य सरकार।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत तैयार की गई सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना की पहुँच को अवरुद्ध करने के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा) नियम, 2009 (आईटी नियम, 2009) द्वारा कंटेंट को अवरुद्ध करने की विस्तृत प्रक्रिया प्रदान की गई है।
- प्रक्रिया:
- केंद्र या राज्य एजेंसियांँ एक "नोडल अधिकारी" नियुक्त करती हैं जो केंद्र सरकार के "नामित अधिकारी" को प्रतिबंधित करने के आदेश को अग्रेषित करेगा।
- एक समिति के हिस्से के रूप में नामित अधिकारी नोडल अधिकारी के अनुरोध की जाँच करता है।
- समिति में कानून और न्याय मंत्रालय, सूचना और प्रसारण, गृह मामलों और CERT-IN के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- विचाराधीन कंटेंट के निर्माता/होस्ट को स्पष्टीकरण और उत्तर प्रस्तुत करने के लिये एक नोटिस दिया जाता है।
- इसके बाद समिति सिफारिश करती है कि नोडल अधिकारी के अनुरोध को स्वीकार किया जाना चाहिये या नहीं।
- यदि इस सिफारिश को MEITY द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो नामित अधिकारी कंटेंट को हटाने के लिए मध्यस्थ को निर्देश दे सकता है।
साइबर सुरक्षा के लिये सरकार की पहल:
- साइबर सुरक्षित भारत पहल
- साइबर स्वच्छता केंद्र
- ऑनलाइन साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC)
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020
आगे की राह
- पारदर्शिता:
- आईटी नियम, 2009 के नियम 16 में प्रावधान है कि आईटी नियम, 2009 के तहत किसी भी अनुरोध या कार्रवाई के संबंध में सख्त गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिये।
- इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिये और पारदर्शिता का एक तत्त्व पेश किया जाना चाहिये क्योंकि इस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि VLC को क्यों अवरुद्ध किया गया है।
- आईटी नियम, 2009 के नियम 16 में प्रावधान है कि आईटी नियम, 2009 के तहत किसी भी अनुरोध या कार्रवाई के संबंध में सख्त गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिये।
- जवाब देने का अवसर:
- निर्माता/मेजबान द्वारा स्पष्टीकरण/जवाब प्रस्तुत करने के अवसर की कमी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।
- निर्माता/मेजबान को संबंधित प्राधिकारी के सामने अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिये उचित समय दिया जाना चाहिये।
- निर्माता/मेजबान द्वारा स्पष्टीकरण/जवाब प्रस्तुत करने के अवसर की कमी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है।
- समीक्षा समिति प्रभावशीलता:
- यह देखा गया है कि समीक्षा समिति जिसे आदेशों की समीक्षा के लिये प्रत्येक दो महीने में बैठक करनी होती है समिति के किसी भी निर्णय से असहमत नहीं है।.
- इसे समिति के आदेशों की गहन विश्लेषण के साथ समीक्षा करने और उचित सिफारिशें प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये।
- इसे समिति के आदेशों की गहन विश्लेषण के साथ समीक्षा करने और उचित सिफारिशें प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये।
- यह देखा गया है कि समीक्षा समिति जिसे आदेशों की समीक्षा के लिये प्रत्येक दो महीने में बैठक करनी होती है समिति के किसी भी निर्णय से असहमत नहीं है।.
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ):प्रिलिम्स के लिये:प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d)
प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2021) प्रश्न. विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों और खतरे से लड़ने के लिये आवश्यक उपायों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020) प्रश्न. बढ़ते साइबर अपराधों के कारण डिजिटल दुनिया में डेटा सुरक्षा ने महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया है। न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट डेटा सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को संबोधित करती है। आपके विचार में साइबर स्पेस में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा से संबंधित रिपोर्ट की ताकत और कमज़ोरियाँ क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2018) |