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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

“साइबर सुरक्षित भारत”

  • 22 Jan 2018
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

भारत में साइबर सुरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाने की आवश्‍यकता महसूस करते हुए तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ के विज़न के अनुरूप, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा राष्‍ट्रीय ई-गवर्नेंस डिविज़न (एनईजीडी) एवं उद्योग जगत के सहयोग से साइबर सुरक्षित भारत पहल की घोषणा की गई।

विशेषताएँ

  • इसके माध्यम से सभी सरकारी विभागों में मुख्‍य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ) एवं अग्रिम पंक्ति के आईटी कर्मचारियों के लिये सुरक्षा उपायों हेतु क्षमता निर्माण करने एवं साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाएगा।
  • इस मिशन का परिचालन जागरूकता, शिक्षा एवं सक्षमता के तीन सिद्धांतों पर किया जाएगा।
  • इसमें साइबर सुरक्षा के महत्त्‍व पर एक जागरूकता कार्यक्रम, सर्वश्रेष्‍ठ प्रचलनों पर कार्यक्रम की एक श्रृंखला तथा साइबर खतरों को प्रबंधित करने तथा इनमें कमी लाने के लिये साइबर सुरक्षा हेल्‍थ टूल किट्स के साथ अधिकारियों की सक्षमता जैसे पक्षों को शामिल किया गया है।
  • साइबर सुरक्षित भारत अपनी तरह की पहली सार्वजनिक-निजी साझीदारी है और यह साइबर सुरक्षा में आईटी उद्योग की विशेषज्ञता का लाभ उठाएगा।

संस्थापक सदस्य

  • इस सहायता संघ के संस्‍थापक साझीदारों में आईटी क्षेत्र की अग्रणी कंपनियाँ माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, विप्रो, रेडहैट एवं डाइमेंशन डाटा शामिल हैं।
  • इसके अतिरिक्‍त, नॉलेज साझीदारों में सर्ट-इन, एनआईसी, नेसकॉम एवं एफआईडीओ अलायंस तथा कंसल्‍टेंसी क्षेत्र की अग्रणी कंपनियाँ डेलॉयट एवं ईवाई शामिल हैं।

अन्य मुख्य बिंदु

  • देश के साइबर स्‍पेस की सुरक्षा सुनिश्चित करना डिजिटल इंडिया के विज़न का सबसे अहम् पक्ष है। वस्तुतः इसका उद्देश्य यह है कि विकास का लाभ समाज के प्रत्‍येक व्‍यक्ति तक पहुँचना चाहिये।
  • जैसा की हम सभी जानते हैं कि डिजिटल इंडिया की वज़ह से अभिशासन प्रणाली में त्‍वरित रूपांतरण हुआ है। अत: सुशासन व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिये निश्चित रूप से निजी क्षेत्र की कपंनियों को आगे आना होगा, ताकि भविष्य के संदर्भ में इसकी राह को और अधिक दृढ बनाया जा सके।
  • वर्तमान में भारत में 118 करोड़ से अधिक आधार खाते मौजूद हैं जो लोगों को एक विशिष्‍ट पहचान उपलब्‍ध कराते हैं। जो इस बात को स्पष्ट करता है कि जैसे-जैसे हम आर्थिक संवृद्धि की तरफ बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे हमें निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करते जाना चाहिये कि हमारी डिजिटल व्यवस्था उसी के अनुरूप सुर‍क्षित रहे और हमारे डाटा की ठीक से हिफाज़त सुनिश्चित हो।
  • इस चिंता को ध्‍यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा साइबर सुरक्षित भारत पहल लॉन्च की गई है जिसका मुख्य उद्देश्‍य हमारे डाटा को भली-भाँ‍ति सुरक्षित रखना है।
  • हालाँकि, इसके लिये सरकार के साथ-साथ उद्योग जगत की सर्वश्रेष्‍ठ प्रतिभाओं को भी एकजुट होकर एक सुरक्षित साइबर स्‍पेस सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करना चाहिये।

साइबर अपराध 

  • ये ऐसे गैर-कानूनी कार्य हैं जिनमें कंप्यूटर एवं इंटरनेट नेटवर्क का प्रयोग एक साधन अथवा लक्ष्य अथवा दोनों के रूप में किया जाता है। ऐसे अपराधों में हैकिंग, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी, साइबर स्टॉकिंग, सॉफ्टवेयर पाइरेसी, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, फिशिंग आदि को शामिल किया जाता हैं। 

साइबर अपराधों से निपटने की दिशा में भारत के प्रयास

  • भारत में ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000’ पारित किया गया जिसके प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के प्रावधान सम्मिलित रूप से साइबर अपराधों से निपटने के लिये पर्याप्त हैं। 
  • इसके अंतर्गत 2 वर्ष से लेकर उम्रकैद तथा दंड अथवा जु़र्माने का भी प्रावधान है। सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013’ जारी की गई जिसके तहत सरकार ने अति-संवेदनशील सूचनाओं के संरक्षण के लिये ‘राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure protection centre-NCIIPC) का गठन किया। 
  • सरकार द्वारा ‘कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In)’ की स्थापना की गई जो कंप्यूटर सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय स्तर की मॉडल एजेंसी है। 
  • विभिन्न स्तरों पर सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में मानव संसाधन विकसित करने के उद्देश्य से सरकार ने ‘सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता’ (Information Security Education and Awareness: ISEA) परियोजना प्रारंभ की है।
  • भारत सूचना साझा करने और साइबर सुरक्षा के संदर्भ में सर्वोत्तम कार्य प्रणाली अपनाने के लिये अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों के साथ समन्वय कर रहा है। 
  • अंतर-एजेंसी समन्वय के लिये ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (Indian Cyber Crime Co-ordination Centre-I4C) की स्थापना की गई है।

बुडापेस्ट कन्वेंशन क्या है?
Budapest Convention on cyber crime

  • हाल ही में साइबर अपराध के संबंध में बुडापेस्ट कन्वेंशन (Budapest Convention on cyber crime) पर हस्ताक्षर करने के लिये गृह मंत्रालय द्वारा साइबर अपराध (cyber crime), क्रांतिकारीकरण (radicalization) और डेटा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है।
  • बुडापेस्ट कन्वेंशन साइबर क्राइम पर एक कन्वेंशन है, जिसे साइबर अपराध पर बुडापेस्ट कन्वेंशन या बुडापेस्ट कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है। 
  • यह अपनी तरह की पहली ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय कानूनों को सुव्यवस्थित करके, जाँच-पड़ताल की तकनीकों में सुधार करके तथा इस संबंध में विश्व के अन्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने हेतु इंटरनेट और कंप्यूटर अपराधों पर रोक लगाने संबंधी मांग की गई है।
  • इस कन्वेंशन में 56 सदस्य हैं, जिनमें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी शामिल हैं।

सीसीटीएनएस क्या है? 
Crime and Criminal Tracking Network and Systems (CCTNS)

  • जून 2009 में शुरू किया गया सीसीटीएनएस एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसका उद्देश्य पुलिस स्टेशनों के स्तर पर पुलिस की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने हेतु एक व्यापक और एकीकृत प्रणाली तैयार करना है।
  • सीसीटीएनएस (CCTNS-Crime and Criminal Tracking Network & Systems) सभी स्तरों पर, विशेष रूप से पुलिस स्टेशन स्तर पर दक्षता और प्रभावी पुलिस कार्रवाई करने के लिये ई-शासन के सिद्धांतों को अपनाते हुए एक व्यापक और एकीकृत प्रणाली पर आधारित व्यवस्था है।
  • सीसीटीएनएस सरकार की राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (National e-Governance Plan of Govt) के अंतर्गत एक मिशन मोड प्रोजेक्ट (Mission Mode Project -MMP) है।
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