डेली न्यूज़ (17 Aug, 2024)



स्वतंत्रता दिवस वीरता पुरस्कार 2024

प्रिलिम्स के लिये:

भारत के राष्ट्रपति, वीरता पुरस्कार, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन स्नो लेपर्ड, ऑपरेशन सहायता, वीरता के लिये राष्ट्रपति पदक

मेन्स के लिये:

विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियाँ ​​और उनके अधिदेश, 'विकसित भारत' विज़न तथा भारत के विकास लक्ष्य

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

15 अगस्त, 2024 को भारत ने अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया तथा इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कार्मिकों को प्रतिष्ठित वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया।

  • इसके अतिरिक्त, पुलिस, अग्निशमन, होमगार्ड एवं नागरिक सुरक्षा तथा सुधार सेवाओं के कार्मिकों को असाधारण बहादुरी एवं सेवा के लिये 1,037 पुलिस पदक प्रदान किये गए।
  • प्रधानमंत्री ने भारत के भविष्य को आकार देने के लिये महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों का भी अनावरण किया, जिसमें सुरक्षा बलों और विकास के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया है।

नोट: 

  • वर्ष 2024 के लिये भारत के स्वतंत्रता दिवस की विषयवस्तु 'विकसित भारत' है, जो वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के दृष्टिकोण का प्रतीक है।

78वें स्वतंत्रता दिवस पर दिये जाने वाले वीरता पुरस्कार क्या हैं?

  • कीर्ति चक्र: तीन मरणोपरांत सहित चार कीर्ति चक्र प्रदान किये गए।
    • वीरता के लिये कीर्ति चक्र पुरस्कार पहली बार वर्ष 1952 में अशोक चक्र श्रेणी-II के रूप में शुरू किया गया था और वर्ष 1967 में इसे कीर्ति चक्र के रूप में पुनः नामित किया गया।
      • यह पदक गोलाकार होता है तथा मानक चाँदी से निर्मित होता है। इसके अग्रभाग पर कमल की माला से घिरे अशोक चक्र की उभरी हुई प्रतिकृति है।
      • इसका रिबन हरे रंग का होता है तथा दो नारंगी ऊर्ध्वाधर रेखाओं द्वारा तीन बराबर भागों में विभाजित होता है।
      • यह पदक प्रतिपक्षी के विरुद्ध असाधारण वीरता के प्रदर्शन हेतु दिया जाता है तथा यह मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है।
  • शौर्य चक्र: चार मरणोपरांत सहित 18 शौर्य चक्र प्रदान किये गए।
    • शौर्य चक्र की स्थापना वर्ष 1952 में अशोक चक्र श्रेणी-III के रूप में की गई थी और वर्ष 1967 में इसका नाम बदलकर शौर्य चक्र कर दिया गया। यह वीरता के अलावा शत्रु के विरुद्ध किये गए अन्य कार्यों के लिये प्रदान किया जाता है।
      • यह पदक गोलाकार होता है और कांस्य से निर्मित है। पदक के अग्र भाग पर मध्य में अशोक चक्र की प्रतिकृति बनी होती है तथा उसके चारों ओर कमल की माला बनी होती है।
      • हरे रंग का रिबन तीन ऊर्ध्वाधर रेखाओं द्वारा चार बराबर भागों में विभाजित होता है।
      • यदि चक्र का कोई प्राप्तकर्त्ता पुनः वीरता का ऐसा कार्य करता है जो उसे चक्र प्राप्त करने के योग्य बनाता है, तो वीरता का ऐसा आगे का कार्य चक्र को लटकाने वाले रिबन पर लगी एक पट्टी द्वारा दर्ज किया जाएगा।
        • प्रदान किये जाने वाले प्रत्येक बार के लिये, चक्र की एक लघु प्रतिकृति को अकेले पहने जाने पर रिबन में जोड़ा जाएगा।
      • चक्र प्रतिपक्षी के विरुद्ध वीरता के अलावा अन्य किसी भी प्रकार के साहस के लिये प्रदान किया जाता है। यह सम्मान मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है।
  • सेना पदक (वीरता): एक बार टू सेना पदक (वीरता) तथा दो मरणोपरांत सहित 63 सेना पदक (वीरता) प्रदान किये गए।
    • बार टू सेना पदक (वीरता) भारतीय सेना के उन कार्मिकों को दिया जाता है, जिन्हें पूर्व में सेना पदक (वीरता) प्राप्त हो चुका है तथा उसके बाद भी बहादुरी या असाधारण सेवा के कार्य किये हैं।
  • नौसेना पदक: 11 नौसेना पदक (वीरता) प्रदान किये गए।
    • नौसेना पदक भारतीय नौसेना कार्मिकों के लिये एक वीरता पुरस्कार है, जो असाधारण कर्त्तव्यनिष्ठा या साहस हेतु दिया जाता है।
  • वायु सेना पदक: 6 वायु सेना पदक (वीरता) प्रदान किये गए।
    • वायु सेना पदक की स्थापना वर्ष 1960 में वायु सेना कर्मियों द्वारा असाधारण कर्त्तव्यनिष्ठा या साहसपूर्ण कार्यों को मान्यता देने के लिये की गई थी।
    • यह पुरस्कार कर्त्तव्य या साहस के प्रति असाधारण समर्पण के व्यक्तिगत कार्यों के लिये दिया जाता है जिसका वायु सेना हेतु विशेष महत्त्व होता है। VM (वीरता) साहस के कार्यों के लिये दिया जाता है और VM (कर्त्तव्य के प्रति समर्पण) कर्त्तव्य के प्रति असाधारण समर्पण हेतु दिया जाता है।
      • प्रत्येक आगामी पुरस्कार के लिये एक बार दिया जाता है तथा यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
  • मेंशन-इन-डिस्पैच: राष्ट्रपति ने 39 मेंशन-इन-डिस्पैच को भी मंज़ूरी दी है, जिसमें विभिन्न सैन्य अभियानों में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये आर्मी डॉग केंट (मरणोपरांत) को दिया गया मेंशन-इन-डिस्पैच भी शामिल है।
    • इन ऑपरेशनों में परेशन रक्षक, ऑपरेशन स्नो लेपर्ड, ऑपरेशन सहायता, ऑपरेशन हिफाजत, ऑपरेशन ऑर्किड और ऑपरेशन कच्छल शामिल हैं।
      • ऑपरेशन रक्षक जम्मू और कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा चलाया जा रहा एक आतंकवाद-रोधी तथा उग्रवाद-रोधी अभियान है। यह जून 1990 में उस समय शुरू हुआ था जब इस क्षेत्र में उग्रवाद अपने चरम पर था।
      • पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) पर चीनी सेना के साथ गतिरोध के जवाब में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन स्नो लेपर्ड शुरू किया गया था।
        • यह अभियान वर्ष 2020 में तब शुरू हुआ जब चीन इस क्षेत्र में यथास्थिति बहाल करने में विफल रहा।
      • ऑपरेशन सहायता एक भारतीय ऑपरेशन है जो मानवीय सहायता और आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief- HADR) सहायता प्रदान करता है।
      • ऑपरेशन ऑर्किड भारतीय सेना द्वारा नगालैंड के नागा हिल्स और तुएनसांग क्षेत्र में चलाया गया एक आतंकवाद विरोधी अभियान था।
      • ऑपरेशन हिफाजत भारतीय सेना द्वारा नगालैंड-मणिपुर-अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में चलाया गया एक आतंकवाद विरोधी अभियान है।
    • मेंशन-इन-डिस्पैच, परिचालन क्षेत्रों में विशिष्ट और सराहनीय सेवा तथा वीरता के ऐसे कार्यों के लिये प्रदान किया जाता है, जो वीरता पुरस्कार प्रदान करने के लिये पर्याप्त उच्च कोटि के नहीं होते हैं। 
      • सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी कार्मिक तथा अन्य विधिवत् गठित सशस्त्र बल, नर्सिंग सेवाओं के सदस्य तथा सशस्त्र बलों के अधीन या उनके साथ काम करने वाले नागरिक पात्र हैं।
    • नाम मरणोपरांत भी शामिल किये जा सकते हैं तथा किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक डिस्पैच में उल्लेखित किया जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को एक प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है, जहाँ उसका नाम डिस्पैच में उल्लेखित होता है।

पुलिस पदक के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

  • वीरता के लिये राष्ट्रपति पदक (PMG): बहादुरी के लिये सर्वोच्च पुलिस सम्मान, जीवन और संपत्ति को बचाने, अपराध को रोकने, या अपराधियों को गिरफ्तार करने में विशिष्ट वीरता के कार्यों के लिये दिया जाता है।
    • 1 PMG तेलंगाना पुलिस के हेड कांस्टेबल श्री चादुवु यादैया को चेन-स्नेचिंग और हथियारों के सौदे में शामिल अपराधियों के साथ हिंसक मुठभेड़ के दौरान उनकी असाधारण बहादुरी के लिये दिया गया।
  • वीरता के लिये पदक (GM): 213 GM को वीरता के कार्यों के लिये सम्मानित किया गया, जिसमें अग्निशमन और नागरिक सुरक्षा कर्मियों के लिये सजावट शामिल हैं।
  • विशिष्ट सेवा के लिये राष्ट्रपति पदक (PSM): पुलिस कार्य में असाधारण और विशिष्ट सेवा हेतु 94 राष्ट्रपति पदक (PSM) दिये गए।
  • उत्कृष्ट सेवा के लिये पदक (MSM): 729 उत्कृष्ट सेवा के लिये पदक (MSM) संसाधनशीलता और कर्त्तव्य के प्रति समर्पण की विशेषता वाली मूल्यवान सेवा के लिये दिये गए।

भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा बताए गए महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य क्या हैं?

  • जीवन की सुगमता: बेहतर बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के माध्यम से शहरी जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि।
  • नालंदा भावना का पुनरुद्धार: प्रधानमंत्री ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की भावना को पुनर्जीवित करने की मांग की, र्ष 2024 में नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन के आधार पर उच्च शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया।
  • सेमीकंडक्टर उत्पादन: आयात निर्भरता को कम करना और सेमीकंडक्टर विनिर्माण में अग्रणी होना।
  • कौशल भारत: बजट 2024 का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत के युवाओं को प्रशिक्षित करने और इसे विश्व की कौशल राजधानी बनाने हेतु  ऐतिहासिक पहलों पर प्रकाश डाला।
  • औद्योगिक विनिर्माण: भारत को एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना
  • भारत में डिज़ाइन: घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों के लिये उत्पाद बनाना।
  • ग्रीन जॉब्स और हाइड्रोजन: हरित हाइड्रोजन में वैश्विक अभिकर्त्ता बनने और पर्यावरण संरक्षण एवं नवीकरणीय ऊर्जा में स्थायी नौकरियाँ सृजित करने के लिये भारत की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
  • जलवायु परिवर्तन लक्ष्य: वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के भारत के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को दोहराया गया, यह देखते हुए कि भारत जी20 देशों में पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने वाला एकमात्र देश रहा है।
  • राजनीति में युवा: भाई-भतीजावाद और जातिवाद से लड़ने के लिये 100,000 नए युवाओं को राजनीति में लाना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. वीरता पुरस्कारों के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। ये पुरस्कार असाधारण बहादुरी को सम्मानित करने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को कैसे दर्शाते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021) 

  1. भारत रत्न और पद्म पुरस्कार भारत के संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अंतर्गत उपाधियाँ हैं।  
  2.  वर्ष 1954 में प्रारंभ किये गए पद्म पुरस्कारों को केवल एक बार निलंबित किया गया था।  
  3.  किसी वर्ष-विशेष में भारत रत्न पुरस्कारों की अधिकतम संख्या पाँच तक सीमित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही नहीं है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


भारत में कुक्कुट उद्योग की स्थिति

प्रिलिम्स के लिये:

पशुधन क्षेत्र, पर्यावरण प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन

मेन्स के लिये:

भारत में  मुर्गीपालन और कुक्कुट उद्योग की स्थिति, चुनौतियाँ, मुर्गीपालन से संबंधित मुद्दे और आगे की राह।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत में ब्रॉयलर चिकन उद्योग पारंपरिक, छोटे पैमाने की कृषि पद्धति से बदलकर एक अत्यधिक संगठित और एकीकृत कृषि व्यवसाय में परिवर्तित हो गया है।

  • इस विकास ने छोटे किसानों को भी वाणिज्यिक मुर्गीपालन में भाग लेने में सक्षम बनाया है, जिससे उत्पादकता और लाभप्रदता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

ब्रायलर मुर्गियाँ क्या हैं?

  • ब्रॉयलर मुर्गियाँ: ब्रॉयलर मुर्गियाँ एक प्रकार की मुर्गियाँ हैं जिन्हें विशेष रूप से मांस उत्पादन के लिये पाला जाता है। मुर्गियों का पालन कुक्कुट उद्योग के अंतर्गत आता है।
    • लाभ:
      • तीव्र वृद्धि दर: ब्रॉयलर को आनुवंशिक रूप से इस प्रकार निर्मित किया जाता है कि वे असाधारण तीव्र गति से विकसित होकर अपेक्षाकृत कम अवधि (आमतौर पर 4 से 6 सप्ताह) में वध योग्य वज़न तक पहुँच जाते हैं।
      • मांस-हड्डी अनुपात: इनका चयन बड़े स्तन की मांसपेशियों को विकसित करने के लिये किया गया है, जो उपभोक्ताओं के लिये मुर्गियों का सबसे वांछित हिस्सा है।
      • कुशल फीड परिवर्तन: ब्रॉयलर कुशलतापूर्वक चारे को मांस में परिवर्तित कर देते हैं, जिससे वे व्यावसायिक उत्पादन के लिये आर्थिक रूप से व्यवहार्य हो जाते हैं।
  • कुक्कुट पालन: कुक्कुट पालन और अंडे के उत्पादन के उद्देश्य से पक्षियों, मुख्य रूप से मुर्गियों, बत्तखों, टर्की तथा हंस को पालतू बनाने एवं पालने की प्रथा है। यह दुनिया भर में कृषि क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।

भारत में कुक्कुट उद्योग की स्थिति:

  • वैश्विक रैंकिंग और उत्पादन: खाद्य और कृषि संगठन कॉर्पोरेट सांख्यिकीय डेटाबेस (FAOSTAT) उत्पादन डेटा (2020) के अनुसार, भारत विश्व में अंडा उत्पादन में तीसरा तथा मांस उत्पादन में 8वें स्थान पर है।
    • देश में अंडा उत्पादन वित्तीय वर्ष 2014-15 में 78.48 बिलियन से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2021-22 में 129.60 बिलियन नग हो गया है। देश में मांस का उत्पादन वित्तीय वर्ष 2014-15 में 6.69 मिलियन टन से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2021-22 में 9.29 मिलियन टन हो गया है।
    • देश में ब्रॉयलर मांस का उत्पादन सालाना लगभग 5 मिलियन टन (MT) होने का अनुमान है।
  • कुक्कुट चारा उत्पादन: वर्ष 2022 में, भारत का कुल कुक्कुट चारा उत्पादन प्रतिवर्ष 27 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुँच गया
  • विकास का रुझान: भारत में कुक्कुट उद्योग ने प्रभावशाली वृद्धि दर्शायी है, जिसमें कुक्कुट मांस उत्पादन 8% की औसत वार्षिक दर से वृद्धि प्रदर्शित कर रहा है और वित्तीय वर्ष 2014-15 तथा वित्तीय वर्ष 2021-22 के बीच अंडे का उत्पादन 7.45% की वृद्धि हुई है।
  • बाज़ार का आकार और निर्यात: भारतीय कुक्कुट बाज़ार वर्ष 2023 में 2,099.2 बिलियन रुपए तक पहुँच गया और वर्ष 2024 से वर्ष 2032 तक 8.9% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से वृद्धि का अनुमान है।
    • वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, भारत ने 64 देशों को कुक्कुट और कुक्कुट उत्पादों का निर्यात किया, जिससे 134 मिलियन अमेरीकी डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ।
  • शीर्ष अंडा उत्पादक राज्य: आंध्र प्रदेश (20.13%), तमिलनाडु (15.58%), तेलंगाना (12.77%), पश्चिम बंगाल (9.93%) और कर्नाटक (6.51%) हैं।

भारत में पोल्ट्री उद्योग के तेज़ी से विकास के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख कारक क्या हैं? 

  • वर्टिकल इंटीग्रेशन: कंपनियाँ अनुबंध कृषि मॉडल का प्रयोग करती हैं, किसानों को एक दिन के चूजे (Day-old chick: DOC), चारा और तकनीकी सहायता प्रदान करती हैं।
    • यह दृष्टिकोण सुव्यवस्थित संचालन, कम जोखिम और प्रजनन से लेकर विपणन तक पूरी आपूर्ति शृंखला पर बेहतर नियंत्रण में सहायता करता है, जिससे निरंतर गुणवत्ता तथा दक्षता सुनिश्चित होती है।
  • तकनीकी उन्नति: स्वचालित फीडिंग और जलवायु नियंत्रण प्रणालियों के साथ पर्यावरण नियंत्रित (EC) शेड के उपयोग से विकास दक्षता में सुधार हुआ है तथा मृत्यु दर में कमी आई है।
    • इसके अतिरिक्त, उन्नत प्रजनन तकनीकों ने ब्रॉयलर मुर्गियों में विकास दर और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया है।
  • कुक्कुट/पॉल्ट्री उत्पादों की बढ़ती मांग: शहरी आबादी में वृद्धि और आहार संबंधी प्राथमिकताओं में बदलाव, जिसमें अधिक प्रसंस्कृत तथा खाने के लिये तैयार पॉल्ट्री उत्पादों की ओर रुझान शामिल है, ने प्रोटीन स्रोत के रूप में चिकन की बढ़ती मांग को बढ़ावा दिया है।
  • सरकारी सहायता और नीतियाँ: परिवहन और कोल्ड स्टोरेज के लिये सरकारी पहल, सब्सिडी व बेहतर अवसंरचना ने पॉल्ट्री क्षेत्र में निवेश एवं विकास को बढ़ावा दिया है, जिससे आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में वृद्धि हुई है।
  • किसानों के लिये वित्तीय प्रोत्साहन: अनुबंध कृषि मॉडल गारंटीकृत भुगतान एवं प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन प्रदान करता है, जिससे किसानों के लाभ मार्जिन में वृद्धि होती है और व्यापक संचालन को प्रोत्साहन मिलता है। 
    • इसके अतिरिक्त, वित्तीय संस्थानों से उधार एवं ऋण सुविधाएँ पॉल्ट्री फार्मिंग निवेश का समर्थन करती हैं।
  • निर्यात के अवसर: अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कुक्कुट/पॉल्ट्री उत्पादों के निर्यात की संभावना भारतीय पॉल्ट्री उद्योग के लिये एक गतिशील अवसर प्रस्तुत करती है। 
    • हालाँकि यह वैश्विक बाज़ार की स्थितियों, व्यापार नीतियों और अन्य निर्यातक देशों से प्रतिस्पर्द्धा से भी प्रभावित होता है।

भारत में कुक्कुट उद्योग से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • दूषित वातावरण: बैटरी पिंजरों में मुर्गियों के उच्च घनत्व वाले मुर्गी पालन के परिणामस्वरूप खराब वायु गुणवत्ता, अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याएँ और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन जैसी स्थिति उत्पन्न होती है। 
    • 5,000 से अधिक पक्षियों वाली कुक्कुट इकाइयों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा प्रदूषणकारी उद्योगों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसके लिये सख्त नियामक अनुपालन की आवश्यकता है।
  • फीड मूल्य अस्थिरता: मकई और सोयाबीन जैसे फीड/चारा अवयवों की कीमतों में उतार-चढ़ाव कुक्कुट पालन की लाभप्रदता को प्रभावित कर सकता है। इस चुनौती का समाधान करने के लिये एक स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना और वैकल्पिक फीड स्रोतों की खोज़ करना आवश्यक है। 
  • पशुओं के साथ क्रूर व्यवहार: औद्योगिक कुक्कुट उद्योग संचालन में प्रायः अमानवीय व्यवहार शामिल होते हैं जैसे कि अंग-भंग, भुखमरी और अतिप्रजन, जो पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 का उल्लंघन करते हैं। 
  • वित्तीय और परिचालन संबंधी चुनौतियाँ: उद्योग को बड़े ऋण, अनौपचारिक सुविधाओं पर निर्भरता और जटिल अनुबंध कृषि व्यवस्था जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ता है। बाज़ार की अस्थिरता और उद्योग के भागीदारों के दबाव के कारण किसानों को प्रायः काफी नुकसान उठाना पड़ता है। 
  • अन्य प्रोटीन स्रोतों से प्रतिस्पर्द्धा: कुक्कुट बाज़ार को वनस्पति आधारित प्रोटीन जैसे अन्य प्रोटीन स्रोतों से प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है, जो स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण लोकप्रिय हो रहे हैं। 
  • आपूर्ति शृंखला की अक्षमताएँ: परिवहन, कोल्ड स्टोरेज और वितरण नेटवर्क सहित आपूर्ति शृंखला में अपर्याप्तता, बर्बादी का कारण बन सकती है तथा पॉल्ट्री उत्पादों की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है, जिससे बाज़ार की वृद्धि में बाधा आ सकती है। 
  • अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे: कुक्कुट उद्योग मीथेन, CO2, जल अपशिष्ट और ठोस अपशिष्ट सहित महत्त्वपूर्ण अपशिष्ट उत्पन्न करता है, जिससे मृदा एवं जल प्रदूषण होता है। 
    • अत्यधिक खाद का संचय भूमि की क्षमता से अधिक हो जाता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और मक्खियों तथा मच्छरों जैसे रोगवाहकों के लिये प्रजनन स्थल बनते हैं।

भारत में पोल्ट्री उद्योग की पहल क्या हैं?

  • पोल्ट्री वेंचर कैपिटल फंड (PVCF): पशुपालन और डेयरी विभाग राष्ट्रीय पशुधन मिशन के “उद्यमिता विकास तथा रोज़गार सृजन” (EDEG) के तहत इसे कार्यान्वित कर रहा है।
  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM): NLM के तहत विभिन्न कार्यक्रम जिसमें ग्रामीण बैकयार्ड पोल्ट्री डेवलपमेंट (RBPD) और इनोवेटिव पोल्ट्री प्रोडक्टिविटी प्रोजेक्ट (IPPP) को लागू करने के लिये राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • पशु रोगों के नियंत्रण के लिये राज्यों को सहायता (ASCAD) योजना: "पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण" (Livestock Health and Disease Control-LH&DC) के तहत ASCAD, जिसमें आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पोल्ट्री रोगों जैसे रानीखेत रोग, संक्रामक बर्सल रोग, फाउल पॉक्स आदि के टीकाकरण को शामिल किया गया है, जिसमें एवियन इन्फ्लूएंज़ा जैसे आकस्मिक तथा विदेशी रोगों के नियंत्रण और रोकथाम भी शामिल है।

आगे की राह

  • व्यावसायिक वातावरण को बेहतर बनाना: कुक्कुट उत्पाद निर्यात से संबंधित चुनौतियों का समाधान करके और अनौपचारिक क्षेत्र की इकाइयों को एकीकृत करके कारोबार को आसान बनाना।
  • अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना: कुक्कुट क्षेत्र में नवाचार और प्रगति को बढ़ावा देने के लिये अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाना।
  • पर्यावरणीय निगरानी को मज़बूत करना: कड़े पर्यावरणीय नियमों को लागू करना, विशेष रूप से CPCB द्वारा कुक्कुट उद्योग को अत्यधिक प्रदूषणकारी 'ऑरेंज श्रेणी' क्षेत्र के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने के आलोक में।
    • यह वर्तमान चुनौतियों, जैसे बर्ड फ्लू संकट से निपटने तथा व्यापक जलवायु आपातकाल को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • पर्यावरण और पशु कल्याण विनियमों को संरेखित करना: सुनिश्चित करना कि भारत के पर्यावरण कानून और विनियमन सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों से सीखे गए सबक को एकीकृत करते हुए वन हेल्थ सिद्धांत को प्रतिबिंबित करें।
    • पशु कल्याण, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र अखंडता और जैवविविधता संरक्षण के बीच संबंध पर ज़ोर देना।
  • सामाजिक जागरूकता अभियान: सरकार को "सामाजिक जागरूकता अभियान" के माध्यम से जागरूकता उत्पन्न करने के लिये धनराशि निर्धारित करना चाहिये, जिससे मुर्गीपालन/पोल्ट्री फार्मिंग से संबंधित प्रमुख पहलुओं पर समुदायों और आबादी को संवेदनशील बनाया जा सके।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में मुर्गीपालन की स्थिति क्या है? इसकी चुनौतियाँ क्या हैं और आगे का रास्ता क्या है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सी 'मिश्रित खेती' की प्रमुख विशेषता है? (2012)

(a) नकदी और खाद्य दोनों सस्यों की साथ-साथ खेती 
(b) दो या दो से अधिक सस्यों को एक ही खेत में उगाना  
(c) पशुपालन और सस्य उत्पादन को एक साथ करना  
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न 2. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषीतर रोज़गार और आय का प्रबंध करने में पशुधन पालन की बड़ी संभाव्यता है। भारत में इस क्षेत्रक की प्रोन्नति करने के उपयुक्त उपाय सुझाते हुए चर्चा कीजिये। (2015)