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उत्तर प्रदेश

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960

  • 31 May 2022
  • 1 min read

चर्चा में क्यों?

30 मई, 2022 को उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि जो भी व्यक्ति अनुपयोगी हो गए पशु को छोड़ेगा, उसके विरुद्ध पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • इस अधिनियम का उद्देश्य ‘जानवरों को अनावश्यक दर्द पहुँचाने या पीड़ा देने से रोकना’ है, जिसके लिये अधिनियम में जानवरों के प्रति अनावश्यक क्रूरता और पीड़ा पहुँचाने के लिये दंड का प्रावधान किया गया है।
  • 1962 में इस अधिनियम की धारा 4 के तहत भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) की स्थापना की गई थी।
  • यह अधिनियम जानवरों और जानवरों के विभिन्न रूपों को परिभाषित करने के साथ ही वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिये जानवरों पर प्रयोग (experiment) से संबंधित दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
  • यह अधिनियम 3 महीने की सीमा अवधि प्रदान करता है, जिसके बाद इस अधिनियम के तहत किसी भी अपराध के लिये कोई अभियोजन नहीं होगा।
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