डेली न्यूज़ (08 Mar, 2024)



जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट

प्रिलिम्स के लिये:

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट, संपूर्ण-जीनोम अनुक्रमण, जीनोम अनुक्रमण के अनुप्रयोग।

मेन्स के लिये:

जीनोम अनुक्रमण की प्रक्रिया, जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट का लक्ष्य।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा वित्त पोषित एवं समन्वित परियोजना, जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट ने घोषणा की गई जिसने 10,000 भारतीय जीनोम अनुक्रमण किया गया है।

जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट क्या है?

  • DBT द्वारा 3 जनवरी 2020 को महत्त्वाकांक्षी जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GIP) शुरू किया। इसका नेतृत्व भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु स्थित मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र द्वारा किया जाता है, साथ ही इसमें 20 संस्थानों का सहयोग भी शामिल है।
  • इस परियोजना में भारतीय आबादी में रोग की प्रकृति को समझने एवं पूर्वानुमानित निदान चिह्नक विकसित करने के लिये 10,000 व्यक्तियों के संपूर्ण-जीनोम अनुक्रमण डेटा के साथ विश्लेषण भी शामिल है।
    • भारत की 1.3 बिलियन की आबादी में 4,600 से अधिक जनसंख्या समूह शामिल हैं, जिनमें से कई अंतर्विवाही (निकट जातीय समूहों में विवाह) हैं, जो आनुवंशिक विविधता एवं रोग उत्पन्न करने वाले उत्परिवर्तन में योगदान करते हैं।
  •  8 पेटाबाइट का यह विशाल डेटासेट फरीदाबाद में भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC) में संग्रहीत किया जाएगा।
    • वर्ष 2022 में उद्घाटन किया गया IBDC लाइफ साइंस डेटा के लिये भारत का पहला राष्ट्रीय भंडार है।
  • महत्त्व: 
    • भारत-विशिष्ट आनुवंशिक डेटाबेस महत्त्वपूर्ण है क्योंकि प्रारंभिक हृदय गति रुकने से जुड़े MYBPC3 जैसे उत्परिवर्तन वैश्विक स्तर की तुलना में स्थानीय स्तर पर अधिक प्रचलित हैं, जो भारतीय आबादी के 4.5% को प्रभावित करते हैं।
    • भारत, जिसके पास विश्व की सबसे बड़ी आनुवंशिक प्रयोगशाला है, देश के विस्तारित जीव विज्ञान क्षेत्र के विस्तार के लिये महत्त्वपूर्ण है, जिससे भारत के भविष्य के प्रक्षेप पथ को आकार देने और वर्ष 2014 में 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2024 में 130 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक होने की आशा है।

नोट: एक वैश्विक टीम की सहायता से प्रथम पूर्ण मानव जीनोम को अनुक्रमित किया गया। यह 13 वर्ष अवधि एवं 3 बिलियन डॉलर के बाद वर्ष 2003 में निर्मित हुआ था। भारत द्वारा प्रथम पूर्ण मानव जीनोम की घोषणा वर्ष 2009 में की गई थी।

  • हालाँकि वर्तमान में संपूर्ण मानव जीनोम को अनुक्रमित करने के साथ सभी प्रकार की गुणवत्ता जाँच करने में केवल 5 दिन का समय लगता है।

जीनोम अनुक्रमण क्या है?

  • जीन और DNA: डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) वह अणु है जो सभी ज्ञात सजीवों और कई वायरस के विकास, कार्यप्रणाली, वृद्धि एवं प्रजनन के लिये आनुवंशिक निर्देश देता है।
    • जीन DNA के विशिष्ट खंड होते हैं जिनमें प्रोटीन के उत्पादन के निर्देश होते हैं, जो विभिन्न जैविक कार्यों के लिये आवश्यक होते हैं।
  • जीनोम: जीनोम किसी जीव की संपूर्ण वंशानुगत सूचना का प्रतिनिधित्व करता है, जो मादा-नर जनकों से विरासत में मिली जैविक निर्देश वंशावली के रूप में कार्य करता है।
    • चार न्यूक्लियोटाइड आधारों से बना: एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G) और थाइमिन (T) जीनोम में मनुष्यों में लगभग 3 बिलियन आधारभूत युग्म होते हैं।
    • यह जटिल अनुक्रम किसी व्यक्ति की शारीरिक विशेषताओं, रोगों के प्रति संवेदनशीलता और अन्य जैविक लक्षणों को नियंत्रित करने वाली आवश्यक सूचना को कूटबद्ध करता है।
  • जीनोम अनुक्रमण: जीनोम अनुक्रमण किसी जीव के जीनोम के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
    • संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण एक प्रयोगशाला प्रक्रिया है जो एक प्रक्रिया में किसी जीव के जीनोम में सभी चार आधारों का क्रम निर्धारित करती है।
  • जीनोम अनुक्रमण की प्रक्रिया:
    • सबसे पहले, शोधकर्त्ता एक सैंपल से DNA निकालते हैं, जो आमतौर पर रक्त से प्राप्त किया जाता है।
    • फिर, DNA को छोटे, अधिक प्रबंधनीय खण्डों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें फिर फ्लोरोसेंट मार्करों के साथ टैग किया जाता है।
      • इन टैग किये गए खंडों को DNA सीक्वेंसर नामक विशेष उपकरण का प्रयोग करके अनुक्रमित किया जाता है, जो न्यूक्लियोटाइड आधारों के अनुक्रम का आकलन करता है।
    • अंत में, कंप्यूटेशनल एल्गोरिदम को उत्पन्न डेटा से संपूर्ण आनुवंशिक अनुक्रम के पुनर्निर्माण के लिये नियोजित किया जाता है, जो व्यक्ति की आनुवंशिक संरचना में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • अनुप्रयोग:
    • बायोमेडिकल रिसर्च: जीनोम अनुक्रमण रोगों के आनुवंशिक आधार को समझने, रोग पैदा करने वाले उत्परिवर्तन का अभिनिर्धारण करने और संभावित दवा लक्ष्यों की खोज करने में सहायता करता है।
      • यह शोधकर्त्ताओं को कैंसर, मधुमेह और तंत्रिका संबंधी विकारों जैसी जटिल व्याधियों से संबंधित आनुवंशिक विविधताओं का अध्ययन करने में मदद करता है।
    • फार्माकोजेनोमिक्स: जीनोम अनुक्रमण रोगियों की आनुवंशिक संरचना के आधार पर विभिन्न दवाओं के सेवन से उनके शरीर की प्रतिक्रिया के संबंध में अनुमान करने में सहायता प्रदान करता है।
      • यह अनुमान औषधि के चयन, सेवन और उपचार रणनीतियों के अनुकूलन में मदद कर सकती है जिसके परिणामस्वरूप अधिक प्रभावी तथा व्यक्तिगत उपचार संभव हो सकते हैं।
    • कृषि जीनोमिक्स: रोग प्रतिरोधक क्षमता, उपज और फसल में पोषण सामग्री जैसे कारकों के लिये उत्तरदायी जीन की पहचान करने के लिये फसल सुधार कार्यक्रमों में जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जाता है।
      • यह कृषि में उन्नति के साथ उन्नत फसल किस्मों को विकसित करने के पादप प्रजनन प्रयासों में सहायता करता है।
    • विकासवादी जीव विज्ञान: जीनोम अनुक्रमण विकासवादी इतिहास और विभिन्न जातियों के अंतर्संबंध के विषय में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
      • यह विभिन्न जीवों में आनुवंशिक विविधता, जनसंख्या गतिशीलता और विकासवादी अनुकूलन का अध्ययन करने में मदद करता है।
    • संरक्षण जीव विज्ञान: जीनोम अनुक्रमण आनुवंशिक विविधता का आकलन कर, लुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान कर और प्रजातियों के संरक्षण तथा प्रबंधन के लिये रणनीति विकसित कर संरक्षण प्रयासों में सहायता करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले "जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सिक्वेंसिंग)" की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017) 

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।  
  2. यह तकनीक, फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है।  
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी रोगाणु-संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:   

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)


ताँबे की मांग में वृद्धि

प्रिलिम्स के लिये:

ताँबे के गुण और अनुप्रयोग, ताँबे की खनन विधियाँ, भारत में ताँबे के भंडार, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, चेल्कोपाइराइट, बोर्नाइट, चेल्कोसाइट

मेन्स के लिये:

भारत की ताँबे की आवश्यकता, आर्थिक संकेतक के रूप में ताँबा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

जैसे ही वित्त वर्ष 2013 में ताँबे की मांग में सालाना 16% की वृद्धि हुई, नीति निर्माताओं और निगमों ने आर्थिक विकास को गति देने में ताँबे की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर अपना ध्यान केंद्रित किया है।

ताँबे से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: ताँबा एक आघातवर्धनीय, तन्य धातु है जो अपनी उत्कृष्ट ताप और विद्युत चालकता के लिये जाना जाता है। इसमें संक्षारण प्रतिरोध और रोगाणुरोधी गुण होते हैं।
    • आघातवर्धनीयता किसी पदार्थ को संकुचित करने या बिना टूट-दरार की पतली शीट में परिवर्तित करने की क्षमता को संदर्भित करता है।
    • तन्यता किसी पदार्थ का वह गुण है जिसमें वह अपनी शक्ति/गुण खोए बिना या टूटे बिना एक पतले तार के रूप में खींचने की अनुमति देता है।
  • अनुप्रयोग: इसका व्यापक रूप से निर्माण, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ, परिवहन और औद्योगिक विनिर्माण में उपयोग किया जाता है।
  • व्याप्ति/उपस्थिति एवं संरचना: यह प्राकृतिक रूप से भू-पर्पटी में विभिन्न रूपों में पाया जाता है।
    • यह सल्फाइड निक्षेप में (चेल्कोपाइराइट, बोर्नाइट, चेल्कोसाइट, कोवेलाइट के रूप में), कार्बोनेट निक्षेप में (अज़ूराइट और मैलाकाइट के रूप में), सिलिकेट निक्षेप में (क्राइसीकोला और डायोप्टेज़ के रूप में) और शुद्ध ताँबे के रूप में पाया जा सकता है।
    • अधिकांश वाणिज्यिक ताँबे के अयस्क भंडार में औसतन 0.8% ताँबा पाया जाता है जबकि भारत में ताँबे के अयस्क में यह औसत मात्रा लगभग 1% होती है।
  • खनन विधियाँ: ताँबे के खनन की दो प्राथमिक विधियाँ हैं जिनमें विवृत खनन (Open-Pit) और भूमिगत खनन शामिल हैं।
    • ताँबे का खनन प्रमुख रूप से विवृत खनन से संबंधित है। कुल वैश्विक ताँबा खनन में विवृत खनन का योगदान 80% है।
  • भारत में ताँबे के भंडार: ताँबे के भंडार मुख्य रूप से सिंहभूम (झारखंड), बालाघाट (मध्य प्रदेश) और झुंझुनू तथा अलवर (राजस्थान) ज़िलों में स्थित हैं।
    • अग्निगुंडला (आंध्र प्रदेश), चित्रदुर्ग और हसन (कर्नाटक) तथा दक्षिण अर्कोट (तमिलनाडु) जैसे ज़िलों में ताँबे के लघु भंडार पाए जाते हैं।
  • भारत की ताँबे की मांग: विभिन्न बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं, नवीकरणीय ऊर्जा पहल और शहरीकरण के कारण भारत में ताँबे की मांग बढ़ रही है।
    • इसके बावजूद सीमित घरेलू भंडार के कारण भारत ताँबे के आयात पर अत्यधिक निर्भर है।
    • इसका समाधान करने के लिये सरकार स्मेल्टरों और रिफाइनरियों में निवेश को प्रोत्साहन प्रदान कर रही है जबकि भारतीय मूल की कंपनियाँ स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों पर निर्भरता कम करने के लिये विदेशों में ताँबे की खदानों का क्रय कर रही हैं
      • हाल ही में खान मंत्रालय ने दक्षिणी अफ्रीकी देश में संभावित ताँबे की खोज और खनन परियोजनाओं पर चर्चा करने के लिये ताँबा समृद्ध जाम्बिया में एक भारतीय उद्योग प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रस्ताव दिया।
    • ताँबे की महत्ता को पहचानते हुए, सरकार ने आयात निर्भरता को कम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए इसे महत्त्वपूर्ण खनिजों की सूची में शामिल किया है।

  • हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL): कंपनी अधिनियम के तहत वर्ष 1967 में स्थापित यह भारत सरकार के खान मंत्रालय के अधीन संचालित श्रेणी-I का मिनीरत्न उद्यम है।
    • इसका गठन राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड की ताँबे की सभी खोज और दोहन परियोजनाओं को समेकित करने के लिये किया गया था।
    • HCL भारत की एकमात्र उर्ध्वा कार एकीकृत (Vertically Integrated) ताँबा उत्पादक कंपनी है।
  • ताँबे के प्रमुख अनुप्रयोग:
    • आर्थिक संकेतक के रूप में ताँबा: ताँबे की कीमतें मांग तथा आपूर्ति की गतिशीलता, मौद्रिक बाज़ार एवं सट्टेबाज़ी को दर्शाती हैं, जिससे यह एक वैश्विक आर्थिक संकेतक बन जाता है।
      • क्षेत्र-विशिष्ट वस्तुओं के विपरीत ताँबा सभी आर्थिक क्षेत्रों में अभिन्न अंग है।
    • ऊर्जा दक्षता के लिये ताँबा: इमारतों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिये ताँबा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
      • इसकी उत्कृष्ट तापीय एवं विद्युत चालकता इसे वायरिंग, हीट एक्सचेंजर्स के साथ-साथ छत के लिये आदर्श भी बनाती है, जिससे हीटिंग, कूलिंग एवं प्रकाश व्यवस्था के लिये ऊर्जा की खपत कम हो जाती है।
      • ताँबा इमारत की ऊर्जा की आवश्यकता को कम करके अधिक सतत् भविष्य के लिये योगदान प्रदान कर सकता है।

नोट: 

  • विश्व के कुल ताँबा उत्पादन के 27 प्रतिशत के साथ, चिली विश्व में अग्रणी उत्पादक है। विश्व की दो सबसे बड़ी खदानें, एस्कोन्डिडो तथा कोलाहुआसी दोनों ही चिली में ही स्थित हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के खनिज संसाधनों के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2010)

 खनिज    -     90% प्राकृतिक स्रोत

  1. ताँबा       -   झारखंड
  2. निकिल    -   ओडिशा 
  3. टंग्स्टन    -   केरल

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम  प्रतिशत का योगदान देता है। चर्चा कीजिये। (2021)


PVTG के लिये प्रधानमंत्री-जनमन आवास

प्रिलिम्स के लिये:

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह, PM-जनमन योजना, जनजातीय गौरव दिवस, विकसित भारत संकल्प यात्रा, PM PVTG मिशन, PM गति शक्ति पोर्टल

मेन्स के लिये:

PVTG के लिये सतत् आजीविका, आबादी के कमज़ोर वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) के आवास घटक, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के लिये आवास प्रदान करना है, को इसके सुचारु कार्यान्वयन में बाधा डालने वाली महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

PM-JANMAN के कार्यान्वयन में बाधक चुनौतियाँ क्या हैं?

  • डेटा विसंगतियाँ:
    • केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों और राज्यों द्वारा अभिनिर्धारित किये गए आँकड़ों के बीच विसंगतियाँ सामने आई हैं। डेटा में यह असमानता संभावित लाभार्थियों के सटीक अभिनिर्धारण करने में एक बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करती है।
    • केंद्र ने 75 PVTG की कुल आबादी का अनुमान लगाने के लिये PM गति शक्ति पोर्टल पर भरोसा किया, जिसके परिणामस्वरूप अलग-अलग आँकड़े सामने आए।
      • थोड़े ही समय में अनुमान 28 लाख से बढ़कर 44.64 लाख हो गया, जो डेटा संग्रह में विसंगतियों का संकेत देता है।
    • राज्य सरकारों को अपने सर्वेक्षण करने के लिये सीमित समय-सीमा दी गई, जिसके कारण डेटा संग्रह प्रक्रियाएँ जल्दबाज़ी में और अधूरी रह गईं।
      • केरल, मध्य प्रदेश और त्रिपुरा जैसे राज्यों ने डेटा में विसंगतियों के कारण लाभार्थियों के छूट जाने को लेकर चिंता जताई है।
        • उदाहरण के लिये, मध्य प्रदेश को केंद्र द्वारा अधिसूचित गाँवों के बाहर 50,000 अतिरिक्त पात्र परिवार मिले हैं।
  • धीमी प्रगति:
    • लाभार्थी डेटा के एक साथ संग्रह और परियोजना कार्यान्वयन के कारण PM-JANMAN के आवास घटक में विलंब हुआ है। लक्षित 5 लाख घरों में से केवल 1.59 लाख को मंज़ूरी दी गई है, जो प्रारंभिक लक्ष्य से काफी पीछे है।
  • चुनावी साल का दबाव:
    • योजना को तीव्र गति से कार्यान्वित किया जा रहा है, विशेष रूप से आगामी आम चुनाव वर्ष 2024 को देखते हुए। प्रगति दर्शाने की शीघ्रता संपूर्ण योजना और निष्पादन से समझौता कर सकती है, जो संभावित रूप से आवास वितरण की गुणवत्ता तथा समावेशिता को प्रभावित कर सकती है।
  • भौगोलिक चुनौतियाँ:
    • सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों में पात्र लाभार्थियों का अभिनिर्धारण करना तार्किक चुनौतियाँ उत्पन्न करता है। जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे और संचार नेटवर्क की कमी डेटा संग्रह प्रयासों में बाधा डाल सकती है तथा आवास योजना के कार्यान्वयन में देरी कर सकती है।
  • आवागमन जनसंख्या गतिशीलता: 
    • जनजातीय आबादी, विशेष रूप से PVTG, प्रायः रोज़गार और आजीविका के अवसरों की तलाश में प्रवासी पैटर्न प्रदर्शित करते हैं।
      • जनसंख्या आवागमन की यह गतिशील प्रकृति पात्र लाभार्थियों का सटीक अनुमान लगाने और उनकी पहचान करने के कार्य को जटिल बनाती है, जिसके लिये व्यापक कवरेज सुनिश्चित करने के लिये अनुकूली रणनीतियों की आवश्यकता होती है।

PM-JANMAN क्या है?

  • परिचय:
    • 15 नवंबर 2023 को जनजातीय गौरव दिवस पर लॉन्च किया गया PM-JANMAN, PVTG के सामाजिक-आर्थिक कल्याण में सुधार के लिये 9 मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेपों पर केंद्रित है।
    • PM-JANMAN में PVTG की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिये केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाएँ शामिल हैं।
    • इस योजना का कुल परिव्यय तीन वर्ष की अवधि में 24,104 करोड़ रुपए खर्च किया जाना है, जिसमें से लगभग 80% केवल घरों और सड़कों के निर्माण के लिये है।
      • PM-JANMAN के आवास घटक को लागू करने हेतु अनुसूचित जनजातियों के लिये विकास कार्य योजना (DAPST) के तहत अगले तीन वर्षों के लिये 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
  • दूरदर्शिता:
    • PM-जनमन स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका में अंतर को पाटकर PVTG की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने की परिकल्पना करता है।
      • नौ मंत्रालयों/विभागों की मौजूदा योजनाओं के साथ तालमेल बिठाते हुए PVTG समुदायों, बस्तियों और परिवारों में बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • लक्ष्य:
    • मिशन का प्राथमिक लक्ष्य PVTG की आवश्यक सुविधाओं और सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करके उनकी जीवन स्थितियों को व्यापक रूप से बढ़ाना है। जिसमें ये भी शामिल हैं:              

  • PM-JANMAN की मूलभूत विशेषताएँ:
    • अंतर-मंत्रालयी अभिसरण:
      • एक अनूठे दृष्टिकोण में, भारत सरकार के 9 मंत्रालय जनजातीय कार्य मंत्रालय के नेतृत्व में सहयोग करते हैं।
        • प्रत्येक मंत्रालय सामूहिक रूप से सबसे कमज़ोर आदिवासी समुदायों के व्यापक कवरेज और कल्याण को सुनिश्चित करते हुए अपनी योजनाओं के कार्यान्वयन की देखरेख करता है।
    • योजनाओं/कार्यक्रमों का संरेखण:
      • जनजातीय समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये संबंधित मंत्रालयों के भीतर योजनाओं के मौजूदा मानदंडों को संशोधित किया गया है।
        • प्रस्तुत किये गए कार्यक्रमों में PM-जनमन के उद्देश्यों का प्रभावी ढंग से एकीकरण सुनिश्चित करने हेतु संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।
    • योजना का कवरेज:
      • PM-जनमन का लक्ष्य 18 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश के शैक्षिक, स्वास्थ्य और आजीविका के सामाजिक-आर्थिक आयामों में पिछड़े 75 PVTG का कल्याण करना है।
        • योजना के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका सहित विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों को समग्र सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • अंतराल की पहचान:
      • राज्य सरकारों द्वारा किये गए सर्वेक्षणों के माध्यम से, प्रत्येक लक्षित क्षेत्र में विद्यमान अंतराल की पहचान की जाती है।
        • सर्वेक्षण से प्राप्त डेटा को PM गति-शक्ति पोर्टल पर अपडेट किया जाता है जो सटीकता और पूर्णता सुनिश्चित करने के लिये संबंधित मंत्रालयों और राज्य विभागों द्वारा क्रॉस-सत्यापन को सक्षम बनाता है।
    • निधि का प्रावधान:
      • कुल 11 हस्तक्षेपों में से प्रत्येक हस्तक्षेप के लिये निधि का स्रोत संबंधित मंत्रालयों/विभागों को PM-जनमन द्वारा कवर की गई उनकी पहचानी गई योजनाओं के तहत आवंटित DAPST अनुदान है।
        • मिशन के सफल कार्यान्वयन के लिये समर्पित धन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये DAPST तंत्र अनुकूलन की अनुमति प्रदान करता है।
    • प्रोत्साहन तंत्र:
      • प्रदर्शन संकेतकों में मासिक वृद्धिशील परिवर्तनों के आधार पर ज़िलों की रैंकिंग के माध्यम से प्रदर्शन मूल्यांकन किया जाता है।
      • इसका उद्देश्य ज़िला टीमों के बीच प्रतिस्पर्द्धा की भावना को बढ़ावा देना है। शीर्ष तीन ज़िलों और मंत्रालयों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये मान्यता दी जाएगी तथा पुरस्कृत किया जाएगा।

नोट:

  • DAPST भारत में जनजातीय विकास के लिये एक रणनीति है। जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा 41 अन्य मंत्रालय एवं विभाग DAPST के तहत जनजातीय विकास परियोजनाओं के लिये धन आवंटित करते हैं।
    • इन परियोजनाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़कें, आवास, विद्युतीकरण तथा रोज़गार शामिल हैं।

PVTGs के लिये अन्य पहलें क्या हैं?

आगे की राह

  • डेटा सटीकता सुनिश्चित करने के लिये मानकीकृत डेटा संग्रह पद्धति लागू करना।
    • गुणवत्ता से समझौता किये बिना डेटा संग्रह तथा प्रोजेक्ट निष्पादन में तेज़ी लाने हेतु सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं को लागू करना।
  • समावेशिता एवं प्रभावशीलता बढ़ाने हेतु योजना के कार्यान्वयन में जनजातीय समुदायों को शामिल करना।
  • डेटा संग्रह एवं योजना कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिये आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ संचार नेटवर्क में निवेश करना।
    • जनजातीय समूहों के बीच गतिशील जनसंख्या वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अनुकूली रणनीतियाँ विकसित करना और साथ ही पात्र लाभार्थियों का व्यापक कवरेज सुनिश्चित करना।
  • दक्षता एवं प्रभावशीलता बढ़ाने हेतु डेटा संग्रह तथा योजना कार्यान्वयन में शामिल हितधारकों के लिये प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रदान करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. PVTG 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में निवास करते हैं। 
  2. स्थिर या कम होती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारण के मानदंडों में से एक है। 
  3. देश में अब तक 95 PVTG आधिकारिक तौर पर अधिसूचित हैं। 
  4. PVTGs की सूची में ईरूलर और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?

(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013)

 जनजाति       -     राज्य

  1. लिंबू (लिम्बु)   -     सिक्किम
  2. कार्बी            -        हिमाचल प्रदेश
  3. डोंगरिया कोंध  -    ओडिशा
  4. बोंडा            -     तमिलनाडु

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा सही सुमेलित है?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (ST) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गई दो प्रमुख विधिक पहलें क्या हैं? (2017)

प्रश्न. क्या कारण है कि भारत में जनजातियों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ कहा जाता है? भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित उनके उत्थान के लिये प्रमुख प्रावधानों को सूचित कीजिये। (2016)