भारतीय रेलवे में सुधार
प्रिलिम्स के लिये:नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG), कवच, वंदे भारत ट्रेन, हाइड्रोजन ट्रेन, समर्पित माल ढुलाई गलियारे (DFC), अतिरिक्त बजटीय संसाधन (EBR), मिशन रफ्तार, राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK)। मेन्स के लिये:भारत के लिये रेलवे का महत्त्व, भारतीय रेलवे से संबंधित मुद्दे और आगे की राह। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
रेल मंत्रालय पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट में भारतीय रेलवे के कामकाज में विभिन्न चिंताओं पर प्रकाश डाला गया है।
भारतीय रेलवे के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: भारत में विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है, जिसकी लंबाई 65,000 किलोमीटर से अधिक है।
- वर्ष 2022 में, भारतीय रेलवे ने 8 बिलियन यात्रियों, 1.4 बिलियन टन माल ढुलाई की, और वर्ष 2050 तक वैश्विक रेल गतिविधि में 40% योगदान देने की उम्मीद है।
- बुनियादी ढाँचे पर व्यय: सरकार ने बुनियादी ढाँचे में 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापक निवेश लक्ष्य (वर्ष 2019-2023) के हिस्से के रूप में वर्ष 2030 तक 750 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है।
- रेलवे क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति, वैश्विक भागीदारी को प्रोत्साहन।
- नवोन्मेष: भारत की अपनी ट्रेन कोलिज़न अवॉइडेंस सिस्टम, कवच, को 37,000 किलोमीटर रेलवे लाइनों पर तैनात किया जाएगा।
- 15,000 किलोमीटर पटरियों को स्वचालित सिग्नलिंग क्षेत्रों में परिवर्तित किया जाएगा, जिससे सुरक्षा और दक्षता बढ़ेगी।
- वंदे भारत ट्रेनों में त्वरित गति, स्वचालित दरवाजे, CCTV, जैव-शौचालय, GPS सूचना प्रणाली और ऑनबोर्ड इन्फोटेनमेंट की सुविधा है।
- वित्तीय प्रदर्शन: वर्ष 2023-24 में, भारतीय रेलवे ने यातायात राजस्व में 32.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर अर्जित किया, जो इसकी कुल आय का 99.8% है, जो मज़बूत दक्षता और सार्वजनिक निर्भरता को दर्शाता है।
- भविष्य की योजनाएँ:
- हाई-स्पीड रेल: मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन और अन्य सेमी-हाई स्पीड ट्रेनें।
- सिग्नलिंग एवं दूरसंचार: लगभग 15,000 किमी को स्वचालित सिग्नलिंग तथा 37,000 किमी को कवच के साथ अपग्रेड करने की योजना है।
- डिजिटलीकरण: रेलवे पूर्वानुमानित रखरखाव, परिसंपत्ति प्रबंधन और GPS सूचना प्रणाली पर ज़ोर देता है।
- अंतरमॉडल परिवहन: सुगम रसद के लिये रेल, सड़क और बंदरगाहों का एकीकरण।
- शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य: भारतीय रेलवे का लक्ष्य वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन करना है। शुरुआत में, इसकी योजना हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज कार्यक्रम के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की है।
भारतीय रेलवे का महत्त्व क्या है?
- राष्ट्र की जीवन रेखा: भारतीय रेल भारत के परिवहन का आधार है, जो किफायती, विश्वसनीय यात्रा उपलब्ध कराती है तथा राष्ट्रव्यापी आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देती है।
- औद्योगिक विस्तार: यह कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट और कृषि उत्पादों जैसी आवश्यक वस्तुओं के परिवहन को सक्षम बनाता है, जिससे निर्बाध औद्योगिक परिचालन सुनिश्चित होता है।
- समर्पित माल ढुलाई गलियारे (DFC) से लॉजिस्टिक्स लागत कम हो जाती है, जिससे भारतीय विनिर्माण वैश्विक बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्द्धी बन जाता है।
- रोज़गार: 1.2 मिलियन से अधिक कर्मचारियों के साथ, यह विश्व का 9वाँ सबसे बड़ा नियोक्ता है।
- क्षेत्रीय विकास: रेलवे ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी बाज़ारों से जोड़ने, अविकसित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और नौकरियों तक पहुँच में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- हरित परिवहन: ऊर्जा-कुशल इंजनों, हरित जैव-शौचालय और विद्युतीकृत मार्गों का उपयोग पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: पूर्वोत्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रणनीतिक रेल संपर्क राष्ट्रीय सुरक्षा और तीव्र गतिशीलता को बढ़ावा देते हैं।
भारतीय रेलवे से जुड़ी चिंताएँ क्या हैं?
- उच्च परिचालन अनुपात: सत्र 2024-2025 के लिये परिचालन अनुपात (ओआर) 98.2 रुपए अनुमानित है, जो 2023-2024 में 98.7 रुपए से थोड़ा बेहतर है, लेकिन वर्ष 2016 में 97.8 रुपये से निम्न है।
- उच्च OR (100 रुपए कमाने के लिये व्यय की गई राशि) के कारण पूंजीगत व्यय के लिये कम संसाधन बचते हैं और रेलवे को बजटीय सहायता एवं अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (EBR) पर अधिक निर्भर बनाता है।
- धीमा बुनियादी ढाँचा विकास: DFC (वर्ष 2005 में प्रस्तावित) में से केवल पूर्वी DFC ही पूरी तरह से चालू है और पश्चिमी DFC पूरा होने के करीब है।
- पूर्वी तट, पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण उप-गलियारा DFC अभी योजना चरण में हैं।
- भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्याओं के कारण मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना वर्ष 2023 से 2028 तक विलंबित हो गई है।
- अपर्याप्त सुरक्षा प्रौद्योगिकियाँ: हालाँकि कवच स्वचालित ब्रेकिंग और अलर्ट के माध्यम से टकरावों को रोक सकता है, लेकिन इसका सीमित रोलआउट इसके समग्र प्रभाव को कम कर देता है।
- फरवरी 2024 तक, इसे केवल 1,465 मार्ग किमी. पर स्थापित किया गया था, जो कुल रेलवे नेटवर्क का केवल 2% है।
- धीमी यात्रा: मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें अभी भी मात्र 50-51 किमी. प्रति घंटे की औसत गति से चल रही हैं, जो मिशन रफ्तार के तहत निर्धारित लक्ष्यों से कम है।
- मिशन रफ़्तार (सत्र 2016-17 बजट) का लक्ष्य 5 वर्षों के भीतर मालगाड़ियों की गति को दोगुना करना और यात्री ट्रेनों की गति को 25 किमी प्रति घंटा बढ़ाना है।
रेलवे में सुधार के लिये विभिन्न समितियों ने क्या सिफारिशें की हैं?
- राकेश मोहन समिति (वर्ष 2010): हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर सहित लंबी दूरी और अंतर-शहर परिवहन के विकास पर ज़ोर दिया गया।
- राष्ट्रीय परिवहन अवसंरचना वित्त का गठन, गतिशीलता, संधारणीयता और समावेशन लक्ष्यों के संबंध में तटस्थता सुनिश्चित करना।
- काकोदकर समिति (वर्ष 2012): एक वैधानिक रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण के गठन का आह्वान किया गया।
- सुरक्षा संबंधी परियोजनाओं के लिये 5 वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपए का गैर-समाप्ति योग्य राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK) प्रस्तावित किया गया।
- बिबेक देबरॉय समिति (वर्ष 2014): सरकार को प्रतिस्पर्द्धा, दक्षता और मितव्ययिता को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिये एक सलाहकार निकाय के रूप में रेलवे अवसंरचना प्राधिकरण के निर्माण की सिफारिश की गई।
- भारतीय रेलवे पर कार्यकुशलता बढ़ाने और परिचालन भार कम करने के लिये गैर-प्रमुख गतिविधियों (जैसे: स्कूल, अस्पताल) को आउटसोर्स करने का सुझाव दिया गया।
आगे की राह
- माल ढुलाई पोर्टफोलियो का विस्तार: उच्च मूल्य और संवेदनशील वस्तुओं जैसे फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और शीघ्र खराब होने वाले सामान के लिये विशेष माल ढुलाई समाधान पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- हाई-स्पीड रेलवे: 160-200 किमी/घंटा की गति के लिये रेलवे के बुनियादी अवसंरचना को उन्नत करने से यात्रा के समय में काफी कमी आ सकती है, जिससे प्रमुख अंतर-शहरी मार्गों पर रेल, हवाई यात्रा का एक सुदृढ़ विकल्प बन सकता है।
- मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स अवसंरचना: एकीकृत मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये, जिसमें उच्च दक्षता के लिये स्वचालन, स्मार्ट इन्वेंट्री सिस्टम और सुचारू इंटरमॉडल स्थानान्तरण की सुविधा हो।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: भारतीय रेलवे को रोलिंग स्टॉक, खानपान और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिये।
- व्यस्त मार्गों पर प्रतिस्पर्द्धी बोली से कार्यकुशलता बढ़ सकती है और सरकार का बोझ कम हो सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. रेलवे समावेशी आर्थिक विकास और क्षेत्रीय विकास के लिये एक इंजन के रूप में कार्य करता है। चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्स प्रश्न 1. किरायों का विनियमन करने के लिये रेल प्रशुल्क प्राधिकरण की स्थापना आमदनी-बंधे (कैश स्ट्रैप्ड) भारतीय रेलवे को गैर-लाभकारी मार्गों और सेवाओं को चलाने के दायित्व के लिये सहायिकी (सब्सिडी) मांगने पर मज़बूर कर देगी। विद्युत क्षेत्र के अनुभव को सामने रखते हुए, चर्चा कीजिये कि क्या प्रस्तावित सुधार से उपभोक्ताओं, भारतीय रेलवे या कि निजी कंटेनर प्रचालकों को लाभ होने की आशा है? (2014) |
6th बिम्सटेक शिखर सम्मेलन
प्रिलिम्स के लिये:बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल, भारत-प्रशांत क्षेत्र, हिंद महासागर, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन। मेन्स के लिये:6th बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ, क्षेत्रीय सहयोग के लिये बिम्सटेक का महत्त्व। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रधानमंत्री ने थाईलैंड की अध्यक्षता में आयोजित छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
- शिखर सम्मेलन का विषय था "बिम्सटेक: समृद्ध, लचीला और खुला", जिसका ध्यान क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने और प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने पर था।
- इसके अलावा, शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और थाईलैंड ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने की घोषणा की।
छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें क्या हैं ?
- विज़न 2030 दस्तावेज़: शिखर सम्मेलन में शिखर सम्मेलन घोषणा और बैंकॉक विज़न 2030 को अपनाया गया, जिसमें आर्थिक एकीकरण, वैश्विक चुनौतियों के प्रति लचीलापन और बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय समृद्धि के लिये एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार की गई।
- भारत द्वारा घोषित प्रमुख कार्य योजना : भारत के प्रधानमंत्री ने संपर्क, व्यापार, आपदा प्रबंधन और तकनीकी एकीकरण के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिये’ 21 सूत्री कार्य योजना प्रस्तावित की। इसमें शामिल हैं:
- बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र: भारत ने आपदा प्रबंधन, सतत समुद्री परिवहन, पारंपरिक चिकित्सा और कृषि में अनुसंधान और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की घोषणा की।
- इसके अलावा, भारत के UPI को बिम्सटेक भुगतान प्रणालियों से जोड़ने तथा बेंगलुरु में बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र को शुरू करने की पहल भी की गई।
- इसने बिम्सटेक में शासन और सेवा वितरण को बढ़ाने के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) पर एक पायलट अध्ययन का भी प्रस्ताव रखा।
- बोधि कार्यक्रम: भारत ने बिम्सटेक देशों के विभिन्न पेशेवरों के लिये कौशल विकास, प्रशिक्षण, छात्रवृत्ति और क्षमता निर्माण प्रदान करने के लिये बोधि कार्यक्रम (मानव संसाधन अवसंरचना के संगठित विकास के लिये बिम्सटेक) की शुरुआत की।
- कैंसर देखभाल क्षमता निर्माण: भारत ने बिम्सटेक क्षेत्र में कैंसर देखभाल के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा।
- वाणिज्य मंडल एवं व्यवसाय शिखर सम्मेलन: सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये बिम्सटेक वाणिज्य मंडल की स्थापना और वार्षिक बिम्सटेक व्यवसाय शिखर सम्मेलन की मेज़बानी का प्रस्ताव किया गया।
- लोगों से लोगों के बीच संबंध: भारत ने सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करने के लिये पहल की घोषणा की, जिसमें बिम्सटेक एथलेटिक्स मीट (2025), प्रथम बिम्सटेक खेल (2027), समूह की 30वीं वर्षगाँठ, बिम्सटेक पारंपरिक संगीत महोत्सव, युवा नेताओं का शिखर सम्मेलन और युवा जुड़ाव के लिये हैकाथॉन, सांस्कृतिक सहयोग को गहरा करने के लिये युवा पेशेवर आगंतुक कार्यक्रम शामिल हैं।
भारत और थाईलैंड द्वारा घोषित रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
- समुद्री सहयोग: आसियान आउटलुक ऑन इंडो-पैसिफिक (AOIP) और भारत के हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) जैसे ढाँचे के माध्यम से इंडो-पैसिफिक में सहयोग, जिसमें समुद्री सुरक्षा, नौसैनिक आदान-प्रदान और भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग के माध्यम से क्षेत्रीय संपर्क पर ज़ोर दिया जाएगा।
- रक्षा और सुरक्षा: रक्षा वार्ता का विस्तार, मैत्री अभ्यास जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास, तथा आतंकवाद-रोधी, साइबर सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने जैसे क्षेत्रों में सहयोग।
- व्यापार और आर्थिक सहभागिता: द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने, आपूर्ति शृंखला लचीलापन बढ़ाने, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के उन्नयन और डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग की संभावनाएँ तलाशने की पहल।
- सांस्कृतिक और जन संबंध: शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, बौद्ध सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव मनाना, पर्यटन को बढ़ावा देना और थाईलैंड में भारतीय प्रवासियों के साथ सहभागिता बढ़ाई जाएगी।
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार: नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के विकास और स्वास्थ्य सेवा और जैव प्रौद्योगिकी में नवाचार जैसे क्षेत्रों में संयुक्त सहयोग किया जाएगा।
- क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग: नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये BIMSTEC, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN), इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और संयुक्त राष्ट्र (UN) जैसे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों में समन्वित प्रयास किये जाएंगे।
बिम्सटेक क्या है?
- बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) के बारे में: बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे 7 सदस्य देश शामिल हैं।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के देशों के बीच बहुमुखी तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
- उत्पत्ति: इसकी स्थापना वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा को अपनाने के साथ हुई थी।
- शुरुआत में इसमें 4 सदस्य शामिल थे, इसे BIST-EC (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1997 में म्यांमार इसमें शामिल हो गया और समूह का नाम बदलकर BIMST-EC कर दिया गया।
- 2004 में नेपाल और भूटान को इसमें शामिल करने के बाद इसका नाम बदलकर बिम्सटेक कर दिया गया।
- महत्त्व:
- 1.7 बिलियन (विश्व की कुल जनसंख्या का 22%) की आबादी वाले बिम्सटेक देशों की संयुक्त GDP लगभग 5.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (2023) है।
बिम्सटेक का महत्त्व क्या है?
- एक्ट ईस्ट नीति के साथ संरेखण: बिम्सटेक भारत की एक्ट ईस्ट नीति के साथ संरेखित है, जो हिंद महासागर और भारत-प्रशांत क्षेत्रों में भारत के व्यापार और सुरक्षा महत्त्व को बढ़ाता है।
- SAARC का विकल्प: यह क्षेत्रीय सहयोग के लिये एक उचित मंच के रूप में उभरा है, जो दक्षिण एशिया में SAARC के लिये एक व्यवहार्य विकल्प प्रस्तुत करता है।
- क्षेत्रीय सहयोग मंच: यह दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच विशेष रूप से सुरक्षा मामलों और मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) प्रबंधन में गहन सहयोग को बढ़ावा देने के लिये एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करता है।
- यह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिये क्षेत्रीय सहयोग के एक मंच के रूप में भी कार्य करता है।
- अमूर्त संस्कृति को बढ़ावा देना: नालंदा विश्वविद्यालय में बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र (CBS) जैसी भारत की पहल का उद्देश्य क्षेत्र की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है, जबकि बिम्सटेक क्षेत्रीय सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
बिम्सटेक से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
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बिम्सटेक की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये सुझाए गए उपाय क्या हैं?
पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: बिम्सटेक के लिये आगे की राह
निष्कर्ष
छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन ने आर्थिक एकीकरण, आपदा प्रतिरोधक क्षमता और सांस्कृतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाया। उत्कृष्टता केंद्रों और कौशल विकास कार्यक्रमों जैसी पहलों के माध्यम से भारत का नेतृत्व इस क्षेत्र की भविष्य की संभावनाओं को सुदृढ़ करता है। चूँकि बिम्सटेक- 2027 में अपनी 30वीं वर्षगाँठ मनाएगा, इसलिये शिखर सम्मेलन के परिणाम बंगाल की खाड़ी क्षेत्र को और अधिक समृद्ध एवं समुत्थानशील बनाने में सहायक होंगे।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: बिम्सटेक अपने सदस्य देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कितना सफल रहा है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न 1. आपके विचार में क्या बिमस्टेक (BIMSTEC) सार्क (SAARC) की तरह एक समानांतर संगठन है? इन दोनों के बीच क्या समानताएँ और असमानताएँ हैं? इस नए संगठन के बनाए जाने से भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य कैसे प्राप्त हुए हैं? (2022) |