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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बिम्सटेक चार्टर

  • 27 May 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बिम्सटेक, हिंद-प्रशांत क्षेत्र, हिंद महासागर, सार्क

मेन्स के लिये:

क्षेत्रीय सहयोग के लिये बिम्सटेक का महत्त्व।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation- BIMSTEC) ने 20 मई, 2024 को समूह के चार्टर के लागू होने के साथ ही एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है।

BIMSTEC समूह क्या है?

  • परिचय:
    • बिम्सटेक सात सदस्य देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें दक्षिण एशिया के पाँच देश- बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देश-  म्याँमार एवं थाईलैंड शामिल हैं।
    • इसका गठन वर्ष 1997 में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के देशों के बीच बहुमुखी तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था।
    • बिम्सटेक में शामिल देशों की कुल आबादी लगभग 1.5 बिलियन है तथा इनकी संयुक्त GDP 3.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
  • उत्पत्ति:
    • इस उप-क्षेत्रीय संगठन की स्थापना वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा को अपनाने के साथ हुई थी।
    • प्रारंभ में इसमें 4 सदस्य देश शामिल थे, इसलिये इसे 'BIST-EC' (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) के नाम से जाना जाता था।
    • वर्ष 1997 में म्याँमार के इसमें शामिल होने के बाद इसका नाम बदलकर 'BIMST-EC' कर दिया गया।
    • वर्ष 2004 में नेपाल और भूटान के शामिल होने के साथ ही एक बार पुनः इसका नाम बदलकर 'बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल' (बिम्सटेक) कर दिया गया।

BIMSTEC चार्टर की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • अंतर्राष्ट्रीय मान्यता: बिम्सटेक को एक विधिक इकाई के रूप में आधिकारिक दर्ज़ा प्राप्त है, जिसके परिणामस्वरूप इसे कूटनीति एवं सहयोग के मामलों पर अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ प्रत्यक्ष तौर पर वार्ता करने का अधिकार है।
  • साझा लक्ष्य: यह चार्टर, बिम्सटेक के उद्देश्यों को रेखांकित करता है, जो सदस्य देशों के बीच विश्वास एवं मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने तथा बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक विकास व सामाजिक प्रगति में तेज़ी लाने पर केंद्रित है।
  • संरचित संगठन: बिम्सटेक के संचालन हेतु एक स्पष्ट रूपरेखा स्थापित की गई है, जिसमें शिखर सम्मेलन, मंत्रिस्तरीय और वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर नियमित बैठकों की रूपरेखा तैयार की गई है।
  • सदस्यता का विस्तार: यह चार्टर नए देशों को बिम्सटेक में शामिल होने और अन्य देशों को पर्यवेक्षकों के रूप में भाग लेने की अनुमति देकर भविष्योन्मुखी विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • सहयोग के क्षेत्रों का पुनर्गठन करते हुए इनकी संख्या घटाकर 7 कर दी गई है और प्रत्येक सदस्य-राज्य एक क्षेत्र के लिये नेतृत्वकर्त्ता के रूप में कार्य करेगा।
    1. व्यापार, निवेश और विकास के लिये बांग्लादेश
    2. पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के के लिये भूटान
    3. ऊर्जा के साथ-साथ सुरक्षा के लिये भारत
    4. कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिये म्याँमार 
    5. पीपल-टू-पीपल कनेक्ट के लिये नेपाल
    6. विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिये श्रीलंका
    7. जुड़ाव (कनेक्टिविटी) के लिये थाईलैंड

 BIMSTEC का क्या महत्त्व है?

  • एक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy) के अनुरूप: BIMSTEC भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अधिक अनुरूप है। यह भारत को हिंद महासागर क्षेत्र और हिंद-प्रशांत में व्यापार एवं सुरक्षा प्राप्त करने में मदद करता है।
  • सार्क (SAARC) का विकल्प: उरी हमलों के प्रत्युत्तर में वर्ष 2016 के दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (South Asian Association for Regional Cooperation- SAARC) शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान को अलग-थलग करने के भारत के प्रयासों के बाद, BIMSTEC एक बेहतर क्षेत्रीय सहयोग मंच के रूप में उभरा है, जो दक्षिण एशिया में सार्क का विकल्प प्रस्तुत करता है।
  • चीन के प्रतिकार के रूप में: जैसे-जैसे चीन दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) का विस्तार कर रहा है, भारत इस बढ़ती उपस्थिति को अपने क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिये एक चुनौती के रूप में देखता है।
    • इसका विरोध करने के लिये, भारत BIMSTEC में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और इसे क्षेत्रीय सहयोग के वैकल्पिक मंच के रूप में बढ़ावा दे रहा है।
  • अमूर्त संस्कृति को बढ़ावा देना: कला, संस्कृति और बंगाल की खाड़ी से संबंधित अन्य विषयों पर अनुसंधान हेतु बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में क्षेत्र की अमूर्त विरासत के संबंध में नई अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकती है।
  • क्षेत्रीय सहयोग का मंच: यह दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को एक साथ लाता है तथा क्षेत्रीय सहयोग के संवर्द्धन हेतु एक मंच प्रदान करता है।
    • इसने सुरक्षा मामलों और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief- HADR) के प्रबंधन में गहन सहयोग को बढ़ावा दिया है।

सार्क (SAARC) से कैसे अलग है बिम्सटेक (BIMSTEC)?

मानदंड

बिम्सटेक

सार्क 

स्थापना

इसकी शुरुआत वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा द्वारा हुई 

इसकी शुरुआत 1985 में ढाका में सदस्यों द्वारा चार्टर को अपनाने के साथ हुई

सदस्य देश 

बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्याँमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड

अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका

भौगोलिक से रूप से केंद्रित 

अंतर्क्षेत्रीय (दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया)

क्षेत्रीय (दक्षिण एशिया)

अंतर-क्षेत्रीय व्यापार

एक दशक में लगभग 6% की वृद्धि 

स्थापना के बाद से लगभग 5% की वृद्धि

प्रमुख शक्तियाँ

सार्क देशों को आसियान से जोड़ता है, सदस्यों के बीच यथोचित मैत्रीपूर्ण संबंध, 14 क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग

लंबे समय से चला आ रहा क्षेत्रीय मंच, कई समझौतों पर हस्ताक्षर

सचिवालय

ढाका, बांग्लादेश

काठमांडू, नेपाल

नेतृत्व

समूह में थाईलैंड और भारत की उपस्थिति के साथ शक्ति का संतुलन

छोटे सदस्य देशों द्वारा भारत को 'बिग ब्रदर' माना जाता है।

बिम्सटेक के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

  • दक्षता की कमी और धीमी प्रगति: बिम्सटेक को असंगत नीति-निर्माण, कम परिचालन बैठकों और अपने सचिवालय के लिये पर्याप्त वित्तीय एवं मानव संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • सीमित अंतर-क्षेत्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी: बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल की BBIN कनेक्टिविटी परियोजना को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
    • वर्ष 2004 में मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement- FTA) पर हस्ताक्षर करने के बावजूद, बिम्सटेक इस लक्ष्य से बहुत दूर है। FTA के लिये आवश्यक सात घटक समझौतों में से अब तक केवल दो ही लागू हुए हैं।
    • बिम्सटेक के आर्थिक सहयोग के लक्ष्य के बावजूद, क्षेत्रीय व्यापार में कमी बनी हुई है। वर्ष 2020 में बिम्सटेक देशों के साथ भारत का व्यापार उसके कुल विदेशी व्यापार का केवल 4% था। भारत-म्याँमार सीमा को ‘एशिया की सबसे कम खुली सीमा’ (Asia's least open) कहा जाता है। 
  • बिम्सटेक सदस्य एक-दूसरे के मुकाबले गैर-सदस्य देशों के साथ अधिक व्यापार करते हैं।
  • समुद्री व्यापार और मात्स्यिकी क्षेत्र में चुनौतियाँ: बंगाल की खाड़ी एक समृद्ध मत्स्यग्रहण क्षेत्र है, जहाँ वर्ष रूप से 6 मिलियन टन (विश्व के कुल  के कुल का 7%) मत्स्यग्रहण किया जाता है इसके अलावा यहाँ व्यापकरूप से प्रवाल भित्तियाँ भी पायी जाती हैं।
    • FAO के अनुसार, बंगाल की खाड़ी एशिया-प्रशांत में अवैध, असूचित और अनियमित (Illegal, Unreported and Unregulated- IUU) मत्स्यग्रहण हॉटस्पॉट में से एक है।
  • सदस्य देशों के बीच अन्य मुद्दे:

आगे की राह

  • बिम्सटेक चार्टर को अंतिम रूप देना: इससे बिम्सटेक के उद्देश्य, संरचना और कार्यप्रणाली को परिभाषित करने वाला एक आवश्यक विधिक ढाँचा प्राप्त होगा। यह सहयोग प्रयासों में स्थिरता एवं पूर्वानुमेयता को बढ़ावा देगा।
  • बिम्सटेक मास्टर प्लान फॉर ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी: इसे अंतिम रूप दिये जाने से क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचे (सड़क, रेलवे, बंदरगाह आदि) में सुधार के लिये 10 वर्षीय रणनीति की रूपरेखा तैयार होगी।
    • कनेक्टिविटी बढ़ने से व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार सृजन होगा तथा लोगों एवं वस्तुओं की आवाजाही सुगम होगी।
  • आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर बिम्सटेक कन्वेंशन: इस समझौते में क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये बड़े खतरों तथा अंतर्राष्ट्रीय अपराध से निपटने में सहयोग को बढ़ावा देने की क्षमता है। सूचना साझाकरण और साक्ष्य एकत्र करने की सुविधा प्रदान करके, यह कानून प्रवर्तन क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करेगा।
    • IUU मत्स्यग्रहण पर अंकुश लगाने के लिये FAO और  वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility- GEF) की बंगाल की खाड़ी बड़े समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Bay of Bengal Large Marine Ecosystem-BOBLME) जैसी परियोजनाओं को लागू करने की आवश्यकता है।
  • बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा (TTF): सदस्य देशों के बीच तकनीकी अंतराल को समाप्त करने के लिये। श्रीलंका स्थित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा (Technology Transfer Facility- TTF) क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देते हुए प्रमुख क्षेत्रों में ज्ञान और विशेषज्ञता साझा करने की सुविधा प्रदान करेगा।
  • राजनयिक अकादमियों/प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग: यह सहयोग राजनयिक संबंधों को बढ़ाएगा और भविष्य के नेतृत्त्वकर्त्ताओं के बीच क्षेत्रीय चुनौतियों तथा अवसरों की साझा समझ को बढ़ावा देगा।
    • यह क्षेत्रीय एकता एवं सामुदायिक भावना को प्रोत्साहित करता है।
  • संस्थागत ढाँचा विकसित करना: भारत को क्षेत्र में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिये संगठनात्मक व्यवस्था बनाने पर विचार करना चाहिये। SAARC के अंतर्गत दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (South Asian University- SAU) के समान बिम्सटेक हेतु सफल संस्थान स्थापित करना भी आवश्यक है।
  • नागरिक जुड़ाव को बढ़ावा देना: बिम्सटेक पार्लियामेंटेरियन फोरम, छात्र विनिमय कार्यक्रम और बिज़नेस वीज़ा योजना जैसी पहल घनिष्ठ संबंधों तथा क्षेत्रीय समुदाय की भावना को बढ़ावा दे सकती हैं।

निष्कर्ष:

बिम्सटेक चार्टर का लागू होना समूह के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है, जो इसे एक कानूनी स्वरुप और संरचित राजनयिक संवाद में शामिल होने की क्षमता प्रदान करता है। यह विकास बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के आर्थिक और भूराजनीतिक एकीकरण के लिये आवश्यक है तथा अपने पड़ोस एवं एक्ट ईस्ट नीति को मज़बूत करने के भारत के प्रयासों के अनुरूप है।

दृष्टि मुख्य प्रश्न:

प्रश्न.1 दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग के लिये प्राथमिक मंच के रूप में SAARC की जगह लेने में बिम्सटेक की क्षमता का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये?

प्रश्न. 2 सदस्य देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी सहयोग के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में बिम्सटेक कितना प्रभावी है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. आपके विचार में क्या बिम्सटेक (BIMSTEC) सार्क (SAARC) की तरह एक समानांतर संगठन है? इन दोनों के बीच क्या समानताएँ और असमानताएँ हैं? इस नये संगठन के बनाए जाने से भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य कैसे प्राप्त हुए हैं? (2022)

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