जैव विविधता और पर्यावरण
IPBES ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज असेसमेंट
प्रिलिम्स के लिये:आईपीबीईएस, संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, कार्बन-तटस्थता, राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना (एनबीएपी), स्वच्छ भारत अभियान, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना। मेन्स के लिये:जैवविविधता संरक्षण, स्थिरता के लिये शासन, पर्यावरण संरक्षण के लिये सार्वजनिक नीतियाँ |
स्रोत: IPBES
चर्चा में क्यों?
‘जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच’ (IPBES) द्वारा जारी रिपोर्ट, जिसका शीर्षक ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज असेसमेंट है, जैवविविधता की हानि को कम करने में शासन की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देती है।
- यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि समावेशिता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने वाला प्रभावी शासन, जैवविविधता को संरक्षित करने और दीर्घकालिक, प्रणालीगत परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिये कितना आवश्यक है।
ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज असेसमेंट रिपोर्ट के मुख्य बिंदु क्या हैं?
- पारिस्थितिक हानि: रिपोर्ट में जैवविविधता की हानि को रोकने के लिये समाज द्वारा प्रकृति के साथ किये जाने वाले व्यवहार में मूलभूत बदलाव की त्वरित आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है तथा चेतावनी दी गई है कि निष्क्रियता से अपरिवर्तनीय पारिस्थितिक क्षति हो सकती है, जिसमें प्रवाल भित्तियों और वर्षावनों का विनाश भी शामिल है।
- आर्थिक और रोज़गार के अवसर: तत्काल कार्रवाई से वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यावसायिक अवसर तथा 395 मिलियन रोज़गार उत्पन्न हो सकती हैं, विशेष रूप से उन उद्योगों में जो प्रकृति पर अत्यधिक निर्भर हैं।
- जैवविविधता हानि के कारण: रिपोर्ट में मूल कारणों की पहचान लोगों और प्रकृति के बीच संबंध विच्छेद, प्रकृति तथा अन्य पर प्रभुत्व के रूप में की गई है।
- अन्य कारणों में शक्ति और धन का संकेंद्रण तथा दीर्घकालिक स्थिरता की तुलना में अल्पकालिक भौतिक लाभ को प्राथमिकता देना शामिल है।
- परिवर्तन हेतु पाँच प्रमुख रणनीतियाँ:
- संरक्षण एवं पुनरुद्धार: जैव-सांस्कृतिक विविधता के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, जो पर्यावरणीय पुनरुद्धार को सांस्कृतिक मूल्यों के साथ जोड़ते हैं, जैसे नेपाल में समुदाय-संचालित वन प्रबंधन।
- प्रमुख क्षेत्रों में व्यवस्थित परिवर्तन: कृषि, मत्स्य पालन और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्र, जो जैवविविधता हानि में योगदान करते है, को स्थायी प्रथाओं के माध्यम से संबोधित करना।
- आर्थिक प्रणालियों में परिवर्तन: हार्मफुल सब्सिडी में सुधार और सतत् व्यापार मॉडल को बढ़ावा देकर प्रकृति-सकारात्मक अर्थव्यवस्थाओं की ओर रुख करना।
- अनुकूली शासन: स्वदेशी समुदायों सहित विविध हितधारकों को एकीकृत करने वाली अनुकूल शासन प्रणालियों को निर्मित करना तथा नीतियों में जैवविविधता को केंद्रित चिंता का विषय बनाएं।
- अनुकूली शासन, बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों और नई जानकारी के आधार पर रणनीतियों के निरंतर समायोजन को सक्षम बनाता है।
- यह लचीलापन जटिल जैवविविधता चुनौतियों से निपटने तथा उभरते खतरों के प्रति अनुक्रियाशील बने रहने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- दृष्टिकोण और मूल्यों में बदलाव: शिक्षा, अनुभवात्मक गतिविधियों और विविध ज्ञान प्रणालियों को एकीकृत करने पर ज़ोर देते हुए मानव-प्रकृति के अंतर्संबंध की मान्यता को बढ़ावा देना।
IPBES
- वर्ष 2012 में स्थापित IPBES एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है जिसमें भारत सहित लगभग 150 सदस्य देश शामिल हैं।
- यह जैवविविधता, पारिस्थितिकी तंत्र तथा लोगों के लिये उनके योगदान पर वैज्ञानिक आकलन प्रदान करता है, साथ ही उनके संरक्षण तथा सतत् उपयोग के लिये उपकरण एवं तरीके भी प्रदान करता है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) IPBES को सचिवालय सेवाएँ प्रदान करता है। हालाँकि यह संयुक्त राष्ट्र का निकाय नहीं है।
- सचिवालय: बॉन, जर्मनी।
ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज (परिवर्तनकारी बदलाव ) क्या है और इसे किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है?
- ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज (परिवर्तनकारी बदलाव): यह तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक कारकों के बीच एक मौलिक, प्रणाली-व्यापी पुनर्गठन है, जिसमें प्रतिमान, लक्ष्य तथा मूल्य शामिल हैं, जो जैवविविधता के संरक्षण एवं सतत् उपयोग के लिये और एक अच्छी गुणवत्ता वाले जीवन एवं सतत् विकास को प्राप्त करने हेतु आवश्यक है।
- ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज (परिवर्तनकारी बदलाव) हेतु कदम:
- कार्बन-तटस्थ कार्यवाहियाँ: कार्बन-तटस्थता के लिये प्रयास करना, इसे व्यक्तियों, व्यवसायों और सरकारों के लिये एक आदर्श बनाना, साथ ही वैध जलवायु-अनुकूल प्रतिसंतुलन का समर्थन करना।
- भू-सकारात्मक विकल्प: आपूर्ति शृंखलाओं में बदलाव लाकर और नीतियों को प्रभावित करके लोगों के लिये पर्यावरण में सकारात्मक योगदान करना आसान, आनंददायक तथा किफायती बनाना।
- सब्सिडी में सुधार: पर्यावरणीय संरक्षण को समर्थन देने के लिये सब्सिडी और प्रोत्साहनों को पुनर्निर्देशित करना तथा संसाधन-निष्कर्षण उद्योगों से हटकर संधारणीय प्रथाओं की ओर संक्रमण को सुगम बनाना।
- एहतियाती निर्णय लेना: पर्यावरणीय खतरों को पूर्व सक्रियता से संबोधित करते हुए, यहाँ तक कि निश्चित प्रमाण के बगैर भी, एहतियाती, अनुकूली, समावेशी और अंतर-क्षेत्रीय निर्णय लेने को लागू करना।
- पर्यावरण कानूनों को सुदृढ़ बनाना: सुदृढ़ पर्यावरण कानूनों की वकालत करना, उनका सुसंगत क्रियान्वयन सुनिश्चित करना और प्रकृति की रक्षा करने तथा सतत् आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली वैश्विक पहलों का समर्थन करना।
परिवर्तनकारी बदलाव के लिये भारत की पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना (NBAP)
- स्वच्छ भारत अभियान
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना
- हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेज़ी से अपनाना तथा विनिर्माण (FAME)
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)
- मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिये जीवनशैली)
- अटल शहरी कायाकल्प एवं परिवर्तन मिशन (अमृत)
- परिवर्तनकारी परिवर्तन के लिये सतत् विकास लक्ष्य (SDG): ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज (परिवर्तनकारी बदलाव) के लिये सतत् विकास लक्ष्य (SDG) समावेशी विकास के माध्यम से सतत् विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो जल के नीचे जीवन, जलवायु कार्रवाई, स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छ जल, ज़िम्मेदार उपभोग और भूमि पर जीवन को संबोधित करते हैं।
- स्मार्ट सिटी मिशन, ग्रीन इंडिया मिशन, स्वच्छ भारत अभियान, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष जैसी भारत की पहल विभिन्न सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप हैं।
- भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के नेतृत्व में नवीकरणीय ऊर्जा में पर्याप्त निवेश किया है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावाट बिजली उत्पन्न करना है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज (परिवर्तनकारी बदलाव) की अवधारणा पर चर्चा कीजिये। जैवविविधता के नुकसान को दूर करने और सतत् विकास को प्राप्त करने के लिये इसे कैसे लागू किया जा सकता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-से भौगोलिक क्षेत्र में जैवविविधता के लिये संकट हो सकते हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न 2. जैवविविधता निम्नलिखित तरीकों से मानव अस्तित्व का आधार बनाती है: (2011)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (d) मेन्सभारत में जैवविविधता किस प्रकार अलग-अलग पाई जाती है? वनस्पतिजात और प्राणिजात के संरक्षण में जैवविविधता अधिनियम, 2002 किस प्रकार सहायक है? (2018) |
भारतीय अर्थव्यवस्था
बिज़नेस रेडी (B-रेडी) रिपोर्ट 2024
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व बैंक ने ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट के स्थान पर बिज़नेस रेडी (B-रेडी) रिपोर्ट 2024 को लॉन्च किया है।
- डेटा हेरफेर के मुद्दों एवं कुछ रैंकिंग संबंधी चिंताओं के कारण वर्ष 2020 में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट पर रोक लगा दी गई थी।
बिज़नेस रेडी का क्या आशय है?
- बेंचमार्किंग टूल: B-रेडी, निजी क्षेत्र के समावेशी विकास को बढ़ावा देने के क्रम में वैश्विक कारोबारी माहौल का मूल्यांकन करने पर केंद्रित है।
- दस मुख्य विषय: B-रेडी के तहत बाज़ार में प्रवेश, संचालन (या विस्तार) और समापन (या पुनर्गठन) सहित फर्म के संचालन चरणों को शामिल किया गया है।
- इसके दस मुख्य विषयों में व्यवसाय में प्रवेश, व्यवसाय का स्थान, उपयोगिता सेवाएँ, श्रम, वित्तीय सेवाएँ, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, कराधान, विवाद समाधान, बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा और व्यवसाय दिवालियापन शामिल हैं।
- B-रेडी के स्तंभ: प्रत्येक विषय हेतु B-रेडी के तहत तीन स्तंभों को शामिल किया गया है।
- स्तंभ I: नियामक ढाँचा- इसमें उन नियमों और विनियमों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिनका फर्मों को अपने संचालन चरणों के दौरान पालन करना चाहिये।
- स्तंभ II: सार्वजनिक सेवाएँ- इसमें सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ और बुनियादी ढाँचा शामिल है जिसके तहत विनियामक अनुपालन एवं व्यावसायिक गतिविधियों का समर्थन करने के साथ डिजिटलीकरण, अंतर-संचालन तथा पारदर्शिता पर ज़ोर दिया जाता है।
- स्तंभ III: परिचालन दक्षता- इसके तहत यह देखना शामिल है कि फर्म कितनी आसानी से विनियमों का अनुपालन करने के साथ अपने परिचालनों से संबंधित सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग कर सकती हैं।
- संकेतक: B-रेडी के तहत नीतिगत सुधार के अवसरों की पहचान करने के क्रम में 1,200 संकेतकों का विश्लेषण करना तथा प्रत्येक विषय के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिये प्राथमिक स्रोतों से डेटा का उपयोग करना शामिल है।
- तीन विषयवस्तु: B-रेडी के तहत 10 विषयों में से तीन प्रमुख विषयों का मूल्यांकन करना शामिल है।
- डिजिटल परिवेश अपनाना: इसके तहत व्यावसायिक वातावरण में सरकारों और व्यवसायों द्वारा डिजिटल एकीकरण का मूल्यांकन करना शामिल है।
- पर्यावरणीय स्थिरता: इसके तहत स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यावसायिक परिचालनों को प्रभावित करने वाले विनियामक प्रावधानों का विश्लेषण करना शामिल है।
- लैंगिक दृष्टिकोण: इसके तहत लिंग-विभाजित आँकड़ों के संग्रह एवं लिंग-संवेदनशील विनियमों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का परीक्षण करना शामिल है।
- स्कोरिंग: B-रेडी के तहत प्रत्येक अर्थव्यवस्था के लिये स्कोर के दो सेट शामिल किये गए हैं।
- विषय स्कोर: फर्म के लचीलेपन एवं सामाजिक लाभ को दर्शाने वाले संकेतकों के आधार पर, तीन स्तंभों के स्कोर का औसत।
- स्तंभ अंक: 10 विषयों के अंकों का औसत, 0 से 100 तक मानकीकृत।
- डेटा संग्रहण: B-रेडी के तहत विनियामक एवं सार्वजनिक सेवा पहलुओं के लिये विशेषज्ञ प्रश्नावली के माध्यम से एवं परिचालन दक्षता के लिये विश्व बैंक उद्यम सर्वेक्षण के माध्यम से डेटा एकत्र करना शामिल है, जिसके तहत विशेषज्ञ डेटा को प्रतिवर्ष और फर्म-स्तरीय डेटा को प्रत्येक तीन वर्ष में अपडेट करने को महत्त्व दिया गया है।
- वैश्विक विस्तार: इसके तहत वर्ष 2024 में 50 अर्थव्यवस्थाओं को कवर करने के साथ वर्ष 2026 तक 180 को कवर करने की योजना है।
- सुधार पर बल: B-रेडी के तहत व्यावसायिक वातावरण के मूल्यांकन में समावेशिता, स्थिरता तथा दक्षता पर ध्यान केंद्रित किया जाना शामिल है।
ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस और B-रेडी इंडेक्स में अंतर
पहलू |
ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EoDB) |
B-रेडी इंडेक्स |
उद्देश्य |
इसके तहत SMEs के विनियामक वातावरण के मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया गया। |
इसके तहत SMEs, श्रमिकों एवं उपभोक्ताओं सहित निजी क्षेत्र के विकास का समग्र मूल्यांकन करना शामिल है। |
दायरा |
मुख्यतः विनियामक पहलू। |
इसमें विनियामक पहलू, विनियमों की गुणवत्ता तथा सार्वजनिक सेवाएँ शामिल हैं। |
शामिल विषय |
यह कुछ प्रमुख विषयों तक सीमित है जैसे व्यवसाय शुरू करना, ऋण प्राप्त करना तथा करों का भुगतान करना। |
व्यापक: इसमें किसी फर्म के संचालन चक्र से संबंधित 10 विषयों को शामिल किया गया है जिसमें व्यवसाय में प्रवेश, उपयोगिता सेवाएँ, श्रम और बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा शामिल हैं। |
रूपरेखा |
इसके तहत फर्मों के लिये मुख्य रूप से व्यापार सुगमता पर ध्यान केंद्रित किया गया। |
इसमें फर्म में अनुकूल वातावरण (व्यापार सुगमता) तथा सामाजिक लाभ (समाज पर प्रभाव) जैसे पहलू शामिल हैं। |
डेटा संग्रहण |
विशेषज्ञ परामर्श और केस स्टडी पर ध्यान केंद्रित किया गया है। |
संतुलित विधिक और वास्तविक परिप्रेक्ष्य के लिये विशेषज्ञ परामर्श और फर्म-स्तरीय सर्वेक्षणों को संयोजित करता है। |
संकेतक |
सीमित संख्या में संकेतकों को कवर करने वाली लगभग 11 प्रश्नावलियों का उपयोग किया गया। |
विस्तृत जानकारी के लिये 21 प्रश्नावलियों और लगभग 1,200 संकेतकों का उपयोग किया गया है। |
स्कोरिंग और रैंकिंग |
समग्र रैंकिंग और स्कोर तैयार किये गए, जिनकी अक्सर अतिसरलीकरण के लिये आलोचना की जाती है। |
विषय और स्तंभ के आधार पर अलग-अलग अंक प्रदान करता है, तथा समग्र रैंकिंग के बजाय लक्षित सुधारों को प्रोत्साहित करता है। |
भौगोलिक कवरेज |
191 अर्थव्यवस्थाओं में मुख्य व्यापारिक शहर को कवर किया गया है। |
राष्ट्रीय और स्थानीय विनियमनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्ष 2026 तक 180 अर्थव्यवस्थाओं तक विस्तार की योजना है। |
सार्वजनिक सेवाएँ |
सार्वजनिक सेवाओं पर सीमित ध्यान। |
सार्वजनिक सेवाओं और उनकी परिचालन दक्षता का स्पष्ट मूल्यांकन करता है। |
क्रॉस-कटिंग थीम्स |
इसमें विशिष्ट विषय शामिल नहीं थे। |
डिजिटल अपनाने, पर्यावरणीय स्थिरता और लैंगिक समानता पर ध्यान केंद्रित करता है। |
परिणामों का उपयोग |
मुख्य रूप से विनियामक बेंचमार्किंग और सुधार प्रेरणा के लिये। |
सुधार, पारदर्शिता और डेटा पुनरुत्पादन के लिये कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। |
कार्यप्रणाली अद्यतन |
समय के साथ मामूली अद्यतन के साथ स्थैतिक कार्यप्रणाली। |
गतिशील कार्यप्रणाली जो रोलआउट से प्राप्त फीडबैक और सबक के आधार पर विकसित होती है। |
B-रेडी रिपोर्ट 2024 के वैश्विक निष्कर्ष क्या हैं?
- सार्वजनिक सेवाओं में अंतर: अर्थव्यवस्थाएँ अक्सर कड़े नियम बनाती हैं, लेकिन उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिये आवश्यक सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करने में विफल रहती हैं, जिससे एक महत्त्वपूर्ण "सार्वजनिक सेवाओं में अंतर" उत्पन्न होता है।
- आय स्तरों में समावेशिता: रवांडा, जॉर्जिया और कोलंबिया जैसी उच्च प्रदर्शन वाली अर्थव्यवस्थाएँ साबित करती हैं कि मज़बूत विनियामक ढाँचे तथा परिचालन दक्षता आय स्तरों में प्राप्त की जा सकती है।
- डिजिटल और पर्यावरण संबंधी अभ्यास: डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करने वाली और हरित पहलों को प्राथमिकता देने वाली अर्थव्यवस्थाएँ उच्च स्कोर प्राप्त करती हैं, जो आधुनिक अभ्यासों के महत्त्व को दर्शाता है।
- संतुलित विकास की आवश्यकता: एस्टोनिया और सिंगापुर जैसी उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ भी कराधान और विवाद समाधान जैसे क्षेत्रों में सुधार की गुंज़ाइश रखती हैं, साथ ही सुधारों की सार्वभौमिक आवश्यकता पर बल देती हैं।
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की भारत-विशिष्ट टिप्पणियां
- भारत ने वर्ष 2024 B-रेडी रिपोर्ट में भाग नहीं लिया। हालाँकि, थिंक टैंक GTRI द्वारा भारत-विशिष्ट कुछ टिप्पणियाँ की गई हैं।
- व्यवसाय प्रविष्टि में मध्यम स्कोर: भारत की व्यवसाय पंजीकरण प्रणाली अधिक समय लेने वाली है तथा इसमें पूर्ण डिजिटल एकीकरण का अभाव है।
- सिंगापुर जैसे देशों ने न्यूनतम लागत पर एक दिन में ऑनलाइन पंजीकरण कराकर वैश्विक मानक स्थापित किया है।
- श्रम विनियमन में चुनौतियाँ: चार श्रम संहिताओं को लागू करने के बावजूद, भारत को राज्यों में धीमी और असमान कार्यान्वयन का सामना करना पड़ रहा है, जिससे श्रम बाज़ार का लचीलापन और अनुपालन सहजता प्रभावित हो रही है।
- व्यापार अकुशलताएँ: भारत की सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ विलंब, असंगत प्रवर्तन और उच्च रसद लागतों से ग्रस्त हैं, जबकि जर्मनी और सिंगापुर व्यापार सुगमता में उत्कृष्ट हैं।
- व्यावसायिक स्थान में कम स्कोर: नियामक विसंगतियाँ और अनुमोदन में देरी से व्यावसायिक सुविधाओं की स्थापना में बाधा आती है, जिससे निवेश निर्णय प्रभावित होते हैं।
- सकारात्मक पहलू: भारत से B-रेडी के तीन प्रमुख स्तंभों में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है, जिससे परिचालन और नियामक क्षेत्रों में इसकी मज़बूती देखने को मिलेगी।
बिज़नेस रेडी (B-रेडी) रिपोर्ट 2024 में क्या सिफारिशें हैं?
- व्यावसायिक परिचालन को सुव्यवस्थित करना: सिंगापुर की एकल-दिवसीय पंजीकरण प्रणाली जैसे मॉडलों से प्रेरित होकर, विलंब और लागत को कम करने तथा दक्षता बढ़ाने के लिये व्यावसायिक पंजीकरण, विनियामक अनुमोदन और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाना है।
- सार्वजनिक सेवाओं और डिजिटल परिवर्तन को मज़बूत करना: अनुपालन और परिचालन दक्षता में सुधार के लिये डिजिटल उपकरणों को बढ़ावा देते हुए कर पोर्टल, उपयोगिता पहुँच और विवाद समाधान तंत्र जैसी प्रमुख सार्वजनिक सेवाओं में निवेश करना।
- स्थिरता और समावेशिता को बढ़ावा देना: ऐसी नीतियाँ विकसित करना जो पर्यावरण की दृष्टि से सतत् व्यावसायिक प्रथाओं को प्रोत्साहित करना और समावेशिता को बढ़ावा देने तथा वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के साथ संरेखित करने हेतु लिंग-संवेदनशील विनियमों को लागू करना।
- सहकर्मी शिक्षण और सहयोग को सुविधाजनक बनाना: अर्थव्यवस्थाओं को ज्ञान साझा करने और नियामक एवं परिचालन ढाँचे में नवीन प्रथाओं को अपनाने के लिये सिंगापुर, रवांडा और एस्टोनिया जैसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले देशों से सीखने हेतु प्रोत्साहित करना।
- अनुकूलित सुधार अपनाना: समावेशी और संतुलित आर्थिक विकास के लिये वैश्विक मानकों का पालन करते हुए विशिष्ट स्थानीय चुनौतियों का समाधान करने वाले अनुकूलित नीति ढाँचे तैयार करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: बिज़नेस रेडी (B-रेडी) रिपोर्ट 2024 का क्या महत्त्व है तथा वैश्विक व्यापार सुगमता आकलन (B-रेडी इंडेक्स) करने में यह पिछली ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट से किस प्रकार भिन्न है? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रारंभिक:प्रश्न: 'व्यापार सुगमता सूचकांक (Ease of Doing Business Index)' में भारत की रैंकिंग समाचार-पत्रों में कभी-कभी दिखती है। निम्नलिखित में से किसने इस रैंकिंग की घोषणा की है? (2016)
उत्तर: (c) |