प्रवासन | 10 Mar 2025

प्रिलिम्स के लिये:

प्रवासन, जनसांख्यिकीय कारक, प्रजनन क्षमता, मृत्यु दर, श्रम शक्ति, आंतरिक प्रवासन, बाह्य प्रवासन, आप्रवासन, उत्प्रवासन, प्राकृतिक आपदाएँ, भूमि पुत्र, जलवायु परिवर्तन प्रभाव, वनोन्मूलन, जल की कमी, प्रेषण, भोजन, ऋण चुकौती, बच्चों की शिक्षा, कृषि निवेश, हरित क्रांति,  

मेन्स के लिये:

प्रवासन और भारतीय जनसांख्यिकी पर इसका प्रभाव।

प्रवासन क्या है? 

  • परिचय: प्रवासन को सामान्यतः लोगों के एक भौगोलिक स्थान से दूसरे भौगोलिक स्थान पर आवागमन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें उनके निवास के सामान्य स्थान में परिवर्तन शामिल होता है।     
    • प्रवासन मानव आबादी की अपने पर्यावरण में आर्थिक, सामाजिक और जनसांख्यिकीय कारकों के प्रति प्रतिक्रिया है।
    • जनसंख्या अनुसंधान में इसका अध्ययन महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रजनन और मृत्यु दर के साथ-साथ जनसंख्या के आकार, वृद्धि दर, संरचना और विशेषताओं को प्रभावित करता है। 
    • प्रवासन किसी देश की जनसंख्या के वितरण को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा विभिन्न क्षेत्रों में श्रम शक्ति के विस्तार को प्रभावित करता है।
  • प्रकार: 
    • आंतरिक प्रवासन: आंतरिक प्रवासन तब होता है जब लोग देश के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। इसे आप्रवासन (देश के भीतर किसी विशेष क्षेत्र में प्रवास को संदर्भित करता है), बहिर्प्रवासन (देश के भीतर किसी विशेष क्षेत्र से बाहर की गतिविधियों को संदर्भित करता है) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। 
      • आंतरिक प्रवासन को आगे चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जिनमें शामिल हैं: ग्रामीण से ग्रामीण प्रवासन, ग्रामीण से शहरी प्रवासन, शहरी से ग्रामीण प्रवासन, शहरी से शहरी प्रवासन।
    • बाह्य प्रवासन: बाह्य प्रवासन से तात्पर्य एक देश से दूसरे देश में आवागमन से है। इसे आप्रवासन (किसी अन्य देश से किसी देश में प्रवासन), उत्प्रवासन (देश से बाहर प्रवास) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
    • विवशतापूर्ण प्रवासन: यह तब होता है जब व्यक्ति या परिवार युद्ध, उत्पीड़न या प्राकृतिक आपदाओं जैसे कारणों से स्थानांतरित होने के लिये विवश होते हैं।
    • स्वैच्छिक प्रवासन: इसमें व्यक्ति या परिवार प्रायः बेहतर आर्थिक संभावनाओं या जीवन की बेहतर गुणवत्ता की इच्छा से प्रेरित होकर स्थानांतरित होने का विकल्प चुनते हैं।
    • अस्थायी प्रवासन: यह किसी व्यक्ति के एक विशिष्ट अवधि के लिये किसी भिन्न स्थान पर जाने को संदर्भित करता है, जिसके बाद कार्य, शिक्षा या मौसमी परिवर्तन जैसे कारणों से वह अपने मूल स्थान पर वापस लौटने की योजना बनाता है।
    • स्थायी प्रवासन: यह तब होता है जब कोई व्यक्ति अपने मूल स्थान पर वापस लौटने के इरादे के बिना किसी नए स्थान पर चला जाता है। इस प्रकार का प्रवासन आमतौर पर दीर्घकालिक बसावट के लिये होता है।
    • रिवर्स माइग्रेशन: इसका तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों या परिवारों से है जो पहले कहीं और प्रवास करने के बाद अपने मूल देश या मूल निवास स्थान पर लौटते हैं।

हालिया प्रवासन पैटर्न:

  • प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की गणना के अनुसार, वर्ष 2023 तक भारत में प्रवासियों की कुल संख्या 40.20 करोड़ थी, जबकि वर्ष 2011 की जनगणना में यह संख्या 45.57 करोड़ दर्ज की गई थी।
  • EAC-PM ने यह भी कहा कि प्रवासन दर, जो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 37.64% थी, अब घटकर अनुमानित 28.88% रह गई है।

प्रवासन के कारण क्या हैं?

  • आर्थिक कारक: प्रवासन को प्रभावित करने वाले आर्थिक कारकों को पुश फैक्टर्स और पुल फैक्टर्स के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। 
    • पुश फैक्टर्स: पुश फैक्टर्स वे कारक हैं जो व्यक्तियों को अपना निवास स्थान छोड़कर अन्यत्र जाने के लिये बाध्य करते हैं। 
      • इन कारकों में गरीबी, कम उत्पादकता, बेरोज़गारी, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और प्राकृतिक आपदाएँ जैसी आर्थिक कठिनाइयाँ शामिल हो सकती हैं, जो लोगों को अन्यत्र बेहतर अवसरों की तलाश करने के लिये प्रेरित करती हैं।
      • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के एक अध्ययन में बताया गया है कि कृषि से प्रवासन का एक मुख्य कारण अन्य आर्थिक क्षेत्रों की तुलना में निम्न आय स्तर है।
  • पुल फैक्टर्स: पुल फैक्टर्स वे कारक हैं जो प्रवासियों को किसी विशेष स्थान की ओर आकर्षित करते हैं, जैसे बेहतर रोज़गार के अवसर, उच्च मज़दूरी, बेहतर कार्य स्थितियाँ और उन्नत जीवन स्तर। 
    • जब उद्योग, वाणिज्य और व्यवसाय तेज़ी से फैलते हैं तो शहरों की ओर प्रवास अक्सर बढ़ जाता है।
    • पुल फैक्टर्स न केवल ग्रामीण-से-शहरी प्रवासन को प्रभावित करते हैं, बल्कि आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन के अन्य रूपों को भी प्रभावित करते हैं।
    • भारत और अन्य विकासशील देशों से कई लोग मुख्य रूप से बेहतर रोज़गार के अवसरों, अधिक आय, कॅरियर विकल्पों की व्यापक शृंखला और उच्च जीवन स्तर की तलाश में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और मध्य पूर्व की यात्रा करते हैं। 
  • सामाजिक-सांस्कृतिक: सामाजिक और सांस्कृतिक कारक भी प्रवासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पारिवारिक विवाद कभी-कभी व्यक्तियों को स्थानांतरित होने के लिये प्रेरित कर सकते हैं। 
    • इसके अतिरिक्त, संचार एवं परिवहन में प्रगति के साथ टेलीविज़न, सिनेमा और शहर-उन्मुख शिक्षा के संपर्क से मूल्यों में बदलाव आने से प्रवासन को और अधिक प्रोत्साहन मिल रहा है।
  • पर्यावरणीय कारक: प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन, वनोन्मूलन और जल की कमी से घरों, आजीविका तथा आवश्यक संसाधनों का नुकसान होने के कारण प्रवासन को बढ़ावा मिल सकता है।

प्रवासन का प्रभाव:

  • सकारात्मक प्रभाव: इसमें स्रोत क्षेत्रों के लिये एक प्रमुख लाभ, प्रवासियों द्वारा भेजी जाने वाली धनराशि के रूप में होता है। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा भेजी जाने वाली धनराशि, विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख स्रोत है। 
    • आंतरिक प्रवासियों द्वारा भेजी गई धनराशि अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है फिर भी इसकी स्रोत क्षेत्रों के आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका होती है।
    • इन निधियों का उपयोग मुख्य रूप से भोजन, ऋण चुकौती, चिकित्सा उपचार, विवाह, बच्चों की शिक्षा, कृषि निवेश तथा घर निर्माण के लिये किया जाता है।
    • प्रवासन से शहरों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में श्रम आपूर्ति में सहायता मिलती है। 
    • प्रवासन से शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी, परिवार नियोजन और ग्रामीण शिक्षा जैसे नए विचारों तथा नवाचारों का प्रसार होता है।
    • प्रवासन से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है जिससे मिश्रित संस्कृति का विकास होता है एवं कठोर सामाजिक बाधाएँ टूटने से सामाजिक दृष्टिकोण और भी व्यापक होता है।
  • नकारात्मक प्रभाव: आंतरिक धनप्रेषण, अंतर्राष्ट्रीय धनप्रेषण की तुलना में अपेक्षाकृत कम होता है जिससे इसका आर्थिक प्रभाव सीमित हो जाता है।
    • युवा और कुशल श्रमिकों के प्रवासन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी हो रही है।
    • युवा एवं कुशल व्यक्तियों के प्रवासन से ग्रामीण क्षेत्रों की जनसांख्यिकीय संरचना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • प्रवासन से लिंग अनुपात में असंतुलन आने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष जनसंख्या में कमी देखने को मिलती है, जबकि शहरी क्षेत्रों में प्रवासी पुरुषों की संख्या में वृद्धि देखी जाती है।
    • प्रवासन के कुछ नकारात्मक प्रभाव (जिनमें अकेलापन भी शामिल है) भी होते हैं जिससे व्यक्तियों में सामाजिक अलगाव तथा निराशा की भावना विकसित हो सकती है। अलगाव की दीर्घकालिक भावना से कुछ लोग असामाजिक व्यवहार (जैसे अपराध और मादक द्रव्यों के सेवन) की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
    • गाँवों से शहरों की ओर लोगों के आने से शहरी क्षेत्रों में मौजूदा सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढाँचे पर दबाव पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप शहरी बस्तियों के अनियोजित विस्तार से झुग्गी-झोपड़ियों का प्रसार हुआ है। 

प्रवासन से संबंधित क्या चुनौतियाँ हैं? 

  • आर्थिक चुनौतियाँ: प्रवासियों को अक्सर बेहतर रोज़गार पाने में संघर्ष करना पड़ता है और वे कम वेतन वाले अनौपचारिक क्षेत्र में कार्य करने को मज़बूर हो जाते हैं। शहरों की ओर बड़े पैमाने पर प्रवासन से आवास, परिवहन, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित होती हैं।
  • सामाजिक चुनौतियाँ: प्रवासियों (विशेषकर हाशिये पर स्थित समुदायों) को भाषा, जाति या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
    • प्रवासी बच्चे अक्सर बार-बार स्थानांतरण या शिक्षा तक पहुँच की कमी के कारण स्कूल छोड़ देते हैं।
    • प्रवासियों की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक पहुँच सीमित होने के कारण इन्हें कुपोषण, खराब मातृ स्वास्थ्य एवं बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
  • राजनीतिक एवं विधिक चुनौतियाँ: निवास-संबंधी मतदान प्रतिबंधों के कारण प्रवासी अक्सर मतदान करने या स्थानीय शासन में भाग लेने में असमर्थ होते हैं।
    • कई प्रवासियों के पास उचित पहचान दस्तावेज़ न होने से सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है।
    • कुछ क्षेत्रों में नौकरियों और संसाधनों के लिये प्रतिस्पर्द्धा से तनाव एवं हिंसा को जन्म मिलता है।

प्रवासन के संबंध में विभिन्न पहल क्या हैं?

  • नीति आयोग द्वारा वर्ष 2021 में तैयार किये गए राष्ट्रीय प्रवासी श्रम नीति मसौदे में प्रवासियों को बेहतर परिस्थितियों हेतु सौदेबाजी करने में मदद करने के लिये सामूहिक कार्रवाई के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
  • वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) योजना का विस्तार किया गया है साथ ही किफायती किराया आवास परिसरों (ARHC) के साथ PM गरीब कल्याण योजना की शुरुआत की गई है।
  • प्रवासियों की स्थिति के बारे में जानकारी हेतु ई-श्रम पोर्टल का शुभारंभ किया गया।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों हेतु बीमा एवं भविष्य निधि जैसे कुछ लाभ मिलते हैं।

आगे की राह

  • नीतिगत हस्तक्षेप: सरकार को प्रवासियों की जीवन स्थितियों में सुधार हेतु सामाजिक सुरक्षा उपायों को मज़बूत करने, किफायती आवास उपलब्ध कराने तथा रोज़गार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • कौशल विकास: प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा व्यावसायिक शिक्षा पहलों के कार्यान्वयन से प्रवासियों को बेहतर कौशल हासिल करने में मदद मिल सकती है, जिससे उन्हें स्थिर एवं उच्च वेतन वाले रोज़गार मिल सकेंगे।
  • बेहतर शहरी नियोजन: प्राधिकारियों को बढ़ती प्रवासी आबादी को समायोजित करने तथा मलिन बस्तियों के विस्तार को रोकने के क्रम में परिवहन, स्वच्छता और आवास सहित शहरी बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना चाहिये।
  • विधिक संरक्षण: श्रम कानूनों को मज़बूत करने एवं उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित करने से प्रवासी श्रमिकों को शोषण, भेदभाव तथा अनुचित कार्य स्थितियों से बचाया जा सकता है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. पिछले चार दशकों में भारत के अंदर और बाहर श्रम प्रवास के रुझानों में बदलाव पर चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न. भारत की सुरक्षा को गैर-कानूनी सीमा पार प्रवसन किस प्रकार एक खतरा प्रस्तुत करता है? इसे बढ़ावा देने के कारणों को उजागर करते हुए ऐसे प्रवसन को रोकने की रणनीतियों का वर्णन कीजिये। (2014)