वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2024 | 23 Oct 2024

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), चाइल्ड वेस्टिंग, अल्पपोषण, बाल मृत्यु दर, आय असमानता, तीव्र शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY), राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पोषण ट्रैकर, यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS), सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI), एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS)। 

मेन्स के लिये:

भारत में खाद्य सुरक्षा और भूखमरी से संबंधित मुद्दे, खाद्य सुरक्षा और भूखमरी उन्मूलन से संबंधित सरकारी पहल। 

संदर्भ 

हाल ही में कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्टहंगरहिल्फ (Concern Worldwide and Welthungerhilfe) द्वारा वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index) 2024 जारी किया गया है

  • इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत भुखमरी के 'गंभीर' स्तर का सामना कर रहा है, तथा 127 देशों में से इसे 105 वें स्थान पर रखा गया है

वैश्विक भुखमरी सूचकांक क्या है?

  • भुखमरी की परिभाषा: संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) भूख को भोजन से वंचित रहने या अल्पपोषण की स्थिति के रूप में परिभाषित करता है, जहाँ व्यक्ति न्यूनतम आहार ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये लगातार बहुत कम कैलोरी का उपभोग करता है। 
    • यह आवश्यकता लिंग, आयु, कद और शारीरिक गतिविधि के स्तर जैसे कारकों से प्रभावित होती है, जो यह निर्धारित करते हैं कि किसी व्यक्ति को स्वस्थ और उत्पादक जीवन बनाए रखने के लिये कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI): यह एक समकक्ष समीक्षा वाला सूचकांक है, जो कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्टहंगरहिल्फ द्वारा वार्षिक आधार पर प्रकाशित की किया जाता है। GHI एक ऐसा उपकरण है जिसे वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भुखमरी को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो समय के साथ भुखमरी के कई आयामों को दर्शाता है।
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य भुखमरी के विरुद्ध चल रही लड़ाई के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा विश्व के उन क्षेत्रों को उजागर करना है जहाँ भुखमरी सबसे अधिक गंभीर है और इन क्षेत्रों में प्रयासों को बढ़ाने का आग्रह करना है।
  • भूख के संकेतक: GHI की गणना एक व्यापक सूत्र का उपयोग करके की जाती है जो भूख के बहुआयामी पहलुओं को दर्शाता है। यह सूत्र चार प्रमुख संकेतकों पर आधारित है:
    • अल्प-पोषण (Undernourishment): जनसंख्या का वह हिस्सा जिसका कैलोरी सेवन अपर्याप्त है, यह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा परिभाषित स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के लिये अपर्याप्त कैलोरी सेवन को संदर्भित करता है।
    • बाल बौनापन/स्टंटिंग (Child Stunting): पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों का समूह जिनकी ऊँचाई उनकी उम्र के आधार पर कम है, दीर्घकालिक कुपोषण को दर्शाता है।
    • शिशु दुर्बलता/वेस्टिंग (Child Wasting): पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों का हिस्सा जिनका वजन उनकी ऊँचाई के अनुपात में कम है, गंभीर कुपोषण को दर्शाता है।
    • शिशु मृत्यु दर (Child Mortality): अपने पाँच वें जन्मदिन से पहले मरने वाले बच्चों का समूह, जो कि आंशिक रूप से अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण के घातक मिश्रण को दर्शाता है।

रिपोर्ट में वैश्विक भूखमरी के क्या रुझान उजागर किये गये हैं? 

  • वैश्विक GHI स्कोर (2024) :
    • विश्व के लिये वर्ष 2024 का GHI स्कोर 18.3 है, जो वर्ष 2016 के 18.8 की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन है, तथा इसे "मध्यम" माना जाता है। 

  • बाल कुपोषण:
    • बौनापन: पाँच वर्ष से कम आयु के 148 मिलियन बच्चे बौनेपन (आयु के अनुपात में कम लंबाई) से ग्रस्त हैं, जो दीर्घकालिक कुपोषण को दर्शाता है।
    • दुर्बलता: पाँच वर्ष से कम आयु के 45 मिलियन बच्चे दुर्बलता (ऊँचाई के अनुपात में कम वजन) से पीड़ित हैं, जो गंभीर कुपोषण का संकेत है।
    • बाल मृत्यु दर: लगभग 5 मिलियन बच्चों की मृत्यु भूख से संबंधित कारणों से पाँच वर्ष की आयु तक पहुँचने ने से पहले ही हो जाती हैं।
    • कुपोषण: विश्व भर में 733 मिलियन लोग कुपोषित हैं। इसके अलावा खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और जीवन-यापन की बढ़ती लागत के कारण 2.8 बिलियन लोग स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ हैं।

 

  • खाद्य असुरक्षा और संकट:
    • तीव्र खाद्य असुरक्षा: वर्ष 2023 में 59 देशों में 281.6 मिलियन लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा। वर्ष 2024 के अनुमानों से पता चलता है कि वर्ष के अंत तक 120-130 मिलियन लोगों को मानवीय खाद्य सहायता की आवश्यकता होगी।
  • सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र:
    • अफ्रीका, सहारा का दक्षिणी भाग तथा दक्षिण एशिया में भुखमरी का स्तर सबसे अधिक है।
    • सोमालिया, यमन, चाड, मेडागास्कर, बुरुंडी और दक्षिण सूडान सहित छह देश भुखमरी के चिंताजनक स्तर का सामना कर रहे हैं।
    • सोमालिया संघर्ष, आर्थिक चुनौतियों और जलवायु संघर्ष के कारण लंबे समय से भुखमरी के संकट का सामना कर रहा है, जहाँ 51.3% आबादी पर्याप्त कैलोरी की कमी से जूझ रही है जो विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा आँकड़ा है।
  • वैश्विक भुखमरी के अनुमान:
    • वर्तमान गति से वैश्विक भुखमरी वर्ष 2030 तक समाप्त नहीं होगी। यदि प्रगति इसी दर से जारी रही तो वैश्विक स्तर पर भुखमरी को कम करने का लक्ष्य 2160 तक प्राप्त नहीं किया जा सकेगा, जो कि अभी से 130 वर्ष से अधिक समय है ।
  • देशों में भुखमरी का स्तर:
    • छह देशों - बुरुंडी, चाड, मेडागास्कर, सोमालिया, दक्षिण सूडान और यमन में भुखमरी को चिंताजनक माना गया है। इसके अलावा 36 देश गंभीर भुखमरी के स्तर का सामना कर रहे हैं ।
  • प्रमुख क्षेत्रों में ठहराव:
    • चार GHI संकेतकों - अल्पपोषण, बाल बौनापन, बाल दुर्बलता और बाल मृत्यु दर - को कम करने की प्रगति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत लक्ष्यों से कम हो रही है।
  • गिरावट वाले देश:
    • वर्ष 2016 से 22 देशों में भुखमरी बढ़ी है, जिनका GHI स्कोर मध्यम, गंभीर या चिंताजनक है। 20 देशों में प्रगति काफी हद तक रुकी हुई है और उनके स्कोर में 5% से भी कम की गिरावट आई है।
  • सफलता की कहानियाँ:
    • बांग्लादेश, मोज़ाम्बिक, नेपाल, सोमालिया और टोगो सहित कुछ देशों ने अपने GHI स्कोर में उल्लेखनीय सुधार किया है, हालाँकि इन क्षेत्रों में भुखमरी का स्तर अभी भी ऊँचा है।
  • बढ़ती चुनौतियाँ: वर्ष 2024 GHI के परिणाम कई चुनौतियों को उजागर करते हैं, जो विशेष रूप से विश्व के सबसे गरीब देशों में भुखमरी को बढ़ाती हैं:
    • सशस्त्र संघर्ष: संघर्षों के कारण जनसंख्या विस्थापित हो रही है व खाद्य उत्पादन तथा वितरण बाधित हो रहा है एवं गाजा और सूडान में हाल के युद्धों के कारण खाद्य संकट और भी अधिक गंभीर हो गया है।
    • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन में तेज़ी से हो रहा परिवर्तन कृषि पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है, उपज कम हो रही है और खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है।
      • जलवायु परिवर्तन उप-सहारा अफ्रीका के अधिकांश भाग में व्यापक व्यवधान पैदा कर रहा है। वर्ष 1961 से इसने इस क्षेत्र में कृषि उत्पादकता वृद्धि को 34% तक कम कर दिया है।
    • उच्च खाद्य कीमतें और बाज़ार व्यवधान: बढ़ती खाद्य कीमतें और बाज़ार व्यवधान कई लोगों को पौष्टिक भोजन तक पहुँच से वंचित कर रहे हैं।
    • आर्थिक मंदी और ऋण संकट: निम्न आय वाले देशों में आर्थिक मंदी और ऋण का उच्च स्तर खाद्य सुरक्षा में निवेश करने की उनकी क्षमता को सीमित कर रहा है।
  • विस्थापन और असमानता:
    • संघर्ष, उत्पीड़न और जलवायु संबंधी आपदाओं के कारण 115 मिलियन से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं या पलायन के लिये मज़बूर हुए हैं।
    • बढ़ती असमानता: हालाँकि मध्यम आय वाले देशों में अत्यधिक गरीबी कम हुई है, लेकिन आय असमानता अभी भी उच्च बनी हुई है, विशेष रूप से संघर्ष या अस्थिरता से प्रभावित सबसे गरीब देशों में। इन क्षेत्रों में गरीबी का स्तर अब महामारी से पहले की तुलना में बदतर है।

रिपोर्ट के भारत-विशिष्ट निष्कर्ष क्या हैं?

  • GHI स्कोर और गंभीरता:
    • वर्ष 2024 के लिये भारत का GHI स्कोर 27.3 के स्कोर के साथ गंभीर श्रेणी में बना हुआ है। कुछ सुधारों के बावजूद भुखमरी का स्तर उच्च बना हुआ है।
  • बाल कुपोषण :
    • बाल दुर्बलता: भारत में चाइल्ड वेस्टिंग दर विश्व स्तर पर सबसे अधिक है, जो गंभीर कुपोषण का संकेत है। रिपोर्ट के अनुसार, पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में चाइल्ड वेस्टिंग/बाल दुर्बलता दर 18.7% है।
    • बच्चों का बौनापन: भारत में बौनेपन की समस्या भी एक बड़ी चुनौती है, जो व्यापक रूप से कुपोषण की समस्या को उजागर करती है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 35.5% बच्चे बौनेपन की श्रेणी में आते हैं।
    • अल्पपोषण: रिपोर्ट के अनुसार लगभग 13.7% आबादी अल्पपोषण है, जो भोजन तक पहुँच की गंभीर समस्या को उजागर करता है।
    • बाल मृत्यु दर: रिपोर्ट के अनुसार, बाल मृत्यु दर से पता चलता है कि 2.9% बच्चों की मृत्यु उनके अपने पाँचवें जन्मदिन तक पहुँचने से पहले ही हो जाती है, जो अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर रहने की स्थिति को दर्शाता है जो पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिये उच्च मृत्यु दर में योगदान करते हैं। 
  • खाद्य सुरक्षा चुनौतियाँ:
    • भारत की गंभीर भूख की समस्या विभिन्न चुनौतियों से उत्पन्न हुई है, जिनमें खराब आहार गुणवत्ता, आय असमानता, तीव्र शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक अपर्याप्त पहुँच शामिल है।
    • माताओं की खराब पोषण स्थिति बाल कुपोषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है, जो कुपोषण के अंतर-पीढ़ीगत चक्र की ओर इशारा करती है
  • क्षेत्रीय तुलना:
    • दक्षिण एशिया, जहाँ भारत एक प्रमुख योगदानकर्त्ता है, में विश्व स्तर पर बाल कुपोषण की दर सबसे अधिक है।
    • 281 मिलियन कुपोषित लोगों के साथ दक्षिण एशिया में वैश्विक कुपोषित लोगों की संख्या लगभग 40% है।
  • सरकारी पहल: भारत ने निम्नलिखित पहलों के माध्यम से खाद्य और पोषण परिदृश्य को बदलने के लिए "महत्त्वपूर्ण राजनीतिक इच्छाशक्ति" दिखाई है:

डेटा संग्रहण पद्धति पर भारत की आपत्तियाँ क्या हैं?

  • मंत्रालय द्वारा उठाई गई चिंताएँ: वर्ष 2023 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अपने ICT एप्लीकेशन, 'पोषण ट्रैकर'  से डेटा प्राप्त न किये जाने के संबंध में मुद्दे उठाए।
    • मंत्रालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक जैसे संगठन इस ट्रैकर को एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में मान्यता देते हैं तथा उन्होंने कहा कि बाल कुपोषण दर वर्ष 2023 के सूचकांक में बताए गए 18.7% की तुलना में लगातार कम होकर 7.2% पर आ गई है।
  • शोधकर्त्ताओं का पक्ष: शोधकर्त्ताओं का कहना है कि वे संयुक्त कुपोषण अनुमानों और बाल विकास एवं कुपोषण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक डेटाबेस द्वारा प्रमाणित सर्वेक्षण अनुमानों पर भरोसा करते हैं। 
    • उनका तर्क है कि समान डेटा स्रोतों का उपयोग करने से परिणामों में एकरूपता और तुलनीयता सुनिश्चित होती है।
    • उन्होंने चेतावनी दी कि किसी विशिष्ट देश के लिए अपवाद बनाने से रैंकिंग की वैधता कम हो सकती है।

रिपोर्ट की कुछ सिफारिशें क्या हैं?

  • व्यापक दृष्टिकोण: GHI रिपोर्ट 2024 एक बहुआयामी रणनीति का समर्थन करती है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा जाल तक बेहतर पहुँच, कल्याण और पोषण को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का समाधान तथा पोषण संबंधी आवश्यकताओं का आकलन करने एवं उन्हें पूरा करने के लिये केंद्रित प्रयास शामिल हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति जवाबदेही को मज़बूत करना: सरकारों को पर्याप्त भोजन के अधिकार को कायम रखना चाहिये, कानूनों में इस अधिकार को औपचारिक रूप देना चाहिये, तथा पारदर्शी निगरानी प्रणाली सुनिश्चित करनी चाहिये।
    • इसमें प्रारंभिक भुखमरी चेतावनी प्रणालियों को त्वरित कार्रवाई और राहत प्रयासों के वित्तपोषण से जोड़ना शामिल है।
  • लिंग-परिवर्तनकारी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना: खाद्य प्रणालियों और जलवायु नीतियों को लिंग आधारित आवश्यकताओं तथा कमज़ोरियों पर विचार करना चाहिये। 
    • संसाधनों के प्रबंधन में महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये और इन लक्ष्यों के समर्थन के लिये समावेशी शासन संरचनाएँ स्थापित की जानी चाहिये।
  • लिंग, जलवायु और खाद्य न्याय में निवेश: सार्वजनिक संसाधनों को संरचनात्मक असमानताओं को दूर करना चाहिये तथा पोषण, ग्रामीण विकास एवं लिंग-परिवर्तनकारी जलवायु अनुकूलन में निवेश किया जाना चाहिये। 
    • इन प्रयासों को दीर्घकालिक लचीलेपन पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जिसमें निम्न आय वाले देशों के लिये ऋण राहत और सतत् विकास शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा/से वह/वे सूचक है/हैं, जिसका/जिनका IFPRI द्वारा वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) रिपोर्ट बनाने में उपयोग किया गया है?  (2016) 

  1. अल्प-पोषण  
  2. शिशु वृद्धिरोधन 
  3. शिशु मृत्यु-दर

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 2 और 3 
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न: आप इस मत से कहाँ तक सहमत हैं कि भूख के मुख्य कारण के रूप में खाद्य की उपलब्धता में कमी पर फोकस, भारत में अप्रभावी मानव विकास नीतियों से ध्यान हटा देता है? (2018)