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स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Jul 2024
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राजस्थान Switch to English

राजस्थान के नए राज्यपाल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता हरिभाऊ किसनराव बागड़े को राजस्थान का नया राज्यपाल नियुक्त किया है।

मुख्य बिंदु

  • राज्यपाल की नियुक्ति, उसकी शक्तियाँ और उसके पद से संबंधित अन्य सभी प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 से अनुच्छेद 162 में शामिल हैं।
  • राज्यपाल की भूमिका भारत के राष्ट्रपति के समान ही है। राज्यपाल राष्ट्रपति के समान ही कार्य करता है, किंतु उसके कार्य राज्य विशिष्ट होते हैं।
    • राज्यपाल राज्य के कार्यकारी प्रमुख के रूप में कार्य करता है और उसका कार्य भारत के राष्ट्रपति के समान ही रहता है।
    • भारतीय संविधान के तहत इसमें शासन तंत्र केंद्र सरकार के समान ही होता है।
  • संविधान के मुताबिक, राज्य का राज्यपाल दोहरी भूमिका अदा करता है।
    • वह राज्य की मंत्रिपरिषद (CoM) की सलाह मानने को बाध्य होता है और साथ ही राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है।
    • इसके अतिरिक्त वह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)

  • परिचय
    • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) एक हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1925 में नागपुर में डॉ. के.बी. हेडगेवार ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान कथित खतरों से रक्षा एवं इसके प्रत्युत्तर के रूप में हिंदू संस्कृति और भारतीय नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के आदर्शों को बढ़ावा देने के लिये की थी
    • इसका उद्देश्य हिंदुत्व के विचार को बढ़ावा देना है।
  • स्वतंत्रता-पूर्व चरण:
    • इस संगठन ने हिंदुओं के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक समन्वय बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने सामुदायिक सेवा, शिक्षा एवं हिंदू मूल्यों के प्रचार पर ध्यान केंद्रित किया।
  • स्वतंत्रता-उपरांत:
    • वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, RSS जाँच के घेरे (वर्ष 1948 में नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या के बाद) में आ गया। इसके बाद इस संगठन पर कुछ समय के लिये प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन बाद में इस प्रतिबंध को हटा दिया गया।
  • विचारधारा:
    • विनायक दामोदर सावरकर द्वारा व्यक्त की गई RSS की केंद्रीय विचारधारा इस विचार को बढ़ावा देती है कि भारत, मूल रूप से एक हिंदू राष्ट्र है।
    • RSS भारतीय संस्कृति और विरासत के महत्त्व पर बल देता है, जिसका उद्देश्य भारतीयों को एक समान राष्ट्रीय पहचान के तहत संगठित करना है।
    • यह संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आपदा राहत सहित विभिन्न सामाजिक सेवा गतिविधियों में संलग्न है, जो अपने सदस्यों के बीच "सेवा भाव" के विचार को बढ़ावा देता है।


उत्तराखंड Switch to English

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा और भूस्खलन के मद्देनज़र अधिकारियों को तत्काल "संवेदनशील" गाँवों की पहचान करने और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।

मुख्य बिंदु

  • अधिकारियों के मुताबिक, पौड़ी गढ़वाल के तोली, बोध केदार और टिहरी गढ़वाल के जखाना तथा तिनगढ़ में बादल फटने से भारी तबाही हुई।
  • आपदा प्रभावित क्षेत्र में विद्युत एवं पेयजल व्यवस्था सुचारु करने के लिये कार्यवाही की जा रही है तथा पशु हानि के लिये पशुधन पालकों को 57,500 रुपए की धनराशि भी दी गई है।

बादल फटना

  • परिचय:
    • बादल फटना एक छोटे से क्षेत्र में अल्पकालिक, तीव्र वर्षा की घटनाएँ हैं
    • यह एक मौसमी घटना है जिसमें लगभग 20-30 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में 100 मि.मी./घंटा से अधिक अप्रत्याशित वर्षा होती है
    • भारतीय उपमहाद्वीप में यह आमतौर पर तब होता है जब मानसून का बादल बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से उत्तर की ओर मैदानी इलाकों से होते हुए हिमालय की ओर बढ़ता है और कभी-कभी प्रति घंटे 75 मिलीमीटर वर्षा लाता है।
  • घटना:
    • सापेक्ष आर्द्रता और बादल आवरण अधिकतम स्तर पर होता है, तापमान कम होता है तथा हवाएँ धीमी होती हैं, जिसके कारण बहुत अधिक मात्रा में बादल बहुत तेज़ी से संघनित हो सकते हैं एवं बादल फटने का कारण बन सकते हैं
    • जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वातावरण में अधिक से अधिक नमी बनी रहती है और यह नमी बहुत कम समय के लिये बहुत तीव्र वर्षा के रूप में नीचे आती है, जो शायद आधे घंटे या एक घंटे की होती है, जिसके परिणामस्वरूप पहाड़ी क्षेत्रों एवं शहरों में बाढ़ आती है।


उत्तराखंड Switch to English

घरेलू गौरैया पर अध्ययन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा किये गए एक अध्ययन में भारतीय हिमालय के उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में घरेलू गौरैया और ग्रामीणों के बीच अनोखे बंधन पर ज़ोर दिया गया है।

मुख्य बिंदु

  • अध्ययन में पाया गया कि उत्तराखंड में घरेलू गौरैया की आबादी स्थानीय लोगों के साथ प्रवास करती है, जब स्थानीय लोग शीतकालीन गाँवों में चले जाते हैं तो ये गौरैयाएँ अपने ग्रीष्म ऋतु के वीरान गाँवों को छोड़ देती हैं तथा जब ग्रामीण गर्मियों में वापस आते हैं तो ये गौरैयाएँ भी वापस लौट आती हैं।
    • अध्ययन का उद्देश्य इन उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में घरेलू गौरैया की ऊँचाई संबंधी गतिविधियों और ठंडी जलवायु परिस्थितियों के प्रति उनके अनुकूलन को समझना है।
  • उच्च ऊँचाई की स्थितियों के प्रति घरेलू गौरैया का अनुकूलन:
    • उत्तराखंड में गौरैया की आबादी 3,500 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती है, जो कि एक अनोखी बात है।
    • अध्ययन में पाया गया कि ऊँचाई वाले गाँवों की घरेलू गौरैया, कम ऊँचाई वाले गाँवों की गौरैयाओं की तुलना में ठंडी जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने के कारण शरीर के आकार में बड़ी होती हैं।
  • संरक्षण प्रयास और जागरूकता:
    • स्थानीय लोगों को गौरैया संरक्षण के बारे में जागरूक करने के लिये पुरोला, रुद्रपुर और हरिद्वार सहित कई स्थानों पर कृत्रिम घोंसले वितरित किये गए हैं।
    • यह अध्ययन स्थानीय लोगों में घरेलू गौरैया संरक्षण के महत्त्व के बारे में व्यापक जागरूकता उत्पन्न कर रहा है और कई लोग सक्रिय रूप से इस प्रयास में लगे हुए हैं, कृत्रिम घोंसले की निगरानी कर रहे हैं तथा डेटा संग्रह में योगदान दे रहे हैं।

घरेलू गौरैया

  • वैज्ञानिक नाम- पास्सर डोमेस्टिकस (Passer Domesticus)
  • संरक्षण स्थिति- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) की रेड लिस्ट में सबसे कम चिंताजनक।
  • आवास और वितरण:
    • घरेलू गौरैया दुनिया भर में विस्तृत हुई है, अंटार्कटिका, चीन और जापान को छोड़कर हर महाद्वीप पर पाई जाती है। यह यूरेशिया एवं उत्तरी अफ्रीका का मूल निवासी है।
    • यह बिहार और दिल्ली का राज्य पक्षी है।
    • यह मानव बस्तियों के करीब रहने के लिये जाने जाते है और इसलिये यह शहरों में सबसे अधिक पाई जाने वाली पक्षी प्रजातियों में से एक है।
  • गौरैया की आबादी में गिरावट के कुछ कारण इस प्रकार हैं:
    • हमारे घरों की प्रतिकूल वास्तुकला।
    • फसलों में रासायनिक खादों का प्रयोग।
    • ध्वनि प्रदूषण।
    • वाहनों से निकलने वाला धुआँ।


छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ सहित दस राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की

  • असम से पूर्व लोकसभा सदस्य रामेन डेका को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • वह वर्तमान राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन का स्थान लेंगे, जिन्हें फरवरी 2023 में नियुक्त किया गया था।
  • राज्यपाल:
    • राज्यपाल की नियुक्ति और शक्तियों से संबंधित प्रावधान भारतीय संविधान के भाग VI में निहित हैं।
    • अनुच्छेद 153 के अनुसार प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा। एक व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
    • राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में दोहरी भूमिका अदा करता है।
    • वह भारतीय राजनीति की संघात्मक प्रणाली का हिस्सा है और संघ एवं राज्य सरकारों के बीच एक कड़ी का कार्य करता है।
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 157 और अनुच्छेद 158 राज्यपाल के पद के लिये पात्रता आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करते हैं।


मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में रेड अलर्ट

चर्चा में क्यों?

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मध्य प्रदेश में भीषण वर्षा के लिये रेड अलर्ट जारी किया है। इसके अतिरिक्त गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • IMD नागरिकों को ऐसे गंभीर अथवा परिसंकटमय मौसम के बारे में सचेत करने के लिये रंग-कोडित मौसम चेतावनियाँ जारी करता है जो नुकसान, व्यवधान या जीवन के लिये खतरा उत्पन्न कर सकता है।
  • यह मौसमी परिघटनाओं की गंभीरता के आधार पर 4 रंग-कोडित चेतावनियाँ जारी करता है: जिसमें ग्रीन, येलो, ऑरेंज/एम्बर और रेड कलर शामिल हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग

  • इसकी स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा और मौसम विज्ञान तथा संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
  • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
  • IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।


इन्फोग्राफिक्स Switch to English

भारत में 628 बाघों की मृत्यु

चर्चा में क्यों?

सरकार के आँकड़ों के अनुसार, विगत पाँच वर्षों में भारत में प्रकृत्या, अवैध शिकार सहित अन्य कारणों से कुल 628 बाघों की मृत्यु हुई।

मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुसार, वर्ष 2019 में 96, वर्ष 2020 में 106, वर्ष 2021 में 127, वर्ष 2022 में 121 और वर्ष 2023 में 178 बाघों की मृत्यु हुई।
    • इस अवधि के दौरान बाघों द्वारा किये गए हमलों से 349 लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें से 200 मामले मात्र महाराष्ट्र से थे।
    • उत्तर प्रदेश में बाघों के हमलों से 59 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि मध्य प्रदेश में 27 लोगों की मृत्यु हुई।
  • भारत ने बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये 1 अप्रैल, 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया था।
    • वर्तमान में भारत में 55 बाघ अभयारण्य हैं, जो 78,735 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में विस्तृत हैं जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 2.4% है।


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