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स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Feb 2024
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मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश भगवान कृष्ण से जुड़े स्थलों का विकास करेगा

चर्चा में क्यों?

'राम वन गमन पथ' को विकसित करने की योजना की घोषणा के बाद, मध्य प्रदेश सरकार राज्य में भगवान कृष्ण से जुड़े स्थानों को भी विकसित करेगी।

  • माना जाता है कि 'राम वन गमन पथ' वह मार्ग है जिसे भगवान राम ने वन में वनवास के लिये जाते समय अपनाया था।

मुख्य बिंदु:

  • मुख्यमंत्री ने पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के अधिकारियों से कहा कि राज्य में भगवान श्रीकृष्ण के भ्रमण स्थलों पर तीर्थयात्रियों के लिये भी आवश्यक व्यवस्थाएँ की जाएँ।
    • भगवान कृष्ण मथुरा से उज्जैन राज्य में गए और ऋषि सांदीपनि के आश्रम में रहे जहाँ उन्होंने विभिन्न कलाएँ सीखीं तथा वेदों का अध्ययन किया।
    • धार ज़िले के अमझेरा स्थित नारायण धाम और उज्जैन ज़िले की महिदपुर तहसील का भी विशेष धार्मिक महत्त्व है।
    • अमझेरा में शैव और वैष्णव संप्रदाय के कई प्राचीन मंदिर हैं तथा यह भगवान कृष्ण एवं रुक्मणी से जुड़ा हुआ है।
    • नारायण धाम में विश्व का एकमात्र मंदिर है जहाँ भगवान कृष्ण अपने मित्र सुदामा के साथ नज़र आते हैं।
  • बेहतर सुविधाओं और बुनियादी ढाँचे से इन स्थानों पर पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं का प्रवाह बढ़ेगा।
  • निकट भविष्य में आम लोगों को शामिल करके अंतर्राष्ट्रीय गीता और रामायण महोत्सव आयोजित किया जा सकता है तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था की सहायता के लिये देवी-देवताओं की लघु मूर्तियों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।

मध्य प्रदेश Switch to English

CAG ने मध्य प्रदेश पीएम आवास योजना में खामियाँ उजागर कीं

चर्चा में क्यों?

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (PMAY-G) के कार्यान्वयन में अनियमितताओं को चिह्नित किया है।

मुख्य बिंदु:

  • सार्वजनिक आवास कार्यक्रम को केंद्र द्वारा वर्ष 2016 में गरीबी उन्मूलन के एक साधन के रूप में पेश किया गया था। इसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के घर उपलब्ध कराना था।
    • अंतरिम बजट 2024 में वित्त मंत्रालय ने PMAY-G के तहत अगले 5 वर्षों में 2 करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण की घोषणा की।
  • CAG की रिपोर्ट में वर्ष 2016-21 से इस योजना के कार्यान्वयन की बात की गई है, जब 26,28,525 घरों को मंज़ूरी दी गई थी और 24,723 करोड़ रुपए लाभार्थियों को दिये गए थे।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि:
    • स्वीकृत आवासों में से 82.35% पूर्ण हो चुके हैं।
    • हालाँकि इस योजना में यह अनिवार्य है कि वाहन या मछली पकड़ने वाली नाव वाले परिवारों को बाहर रखा जाए, 10 लेखापरीक्षित ज़िलों में घर की मंज़ूरी से पहले 2,037 लाभार्थियों के पास दो/तीन/चार पहिया वाहन थे।
    • 2,037 अयोग्य लाभार्थियों में से 1,555 को 15.66 करोड़ रुपए की PMAY-G सहायता।
    • 64 मामलों में एक ही लाभार्थी को दो बार आवास स्वीकृत किये गए। 98 मामलों में, एक घर वास्तविक लाभार्थी को और दूसरा उसके परिवार के सदस्यों को स्वीकृत किया गया था, जिनकी योजना के लिये पहचान नहीं की गई थी।
    • लाभार्थियों के डुप्लिकेट की पहचान करने के लिये पोर्टल में अलर्ट करने की कोई व्यवस्था नहीं है।
    • कुल 18,935 स्वीकृत मामलों में से 8,226 लाभार्थियों ने प्राथमिकता सूची में अधिक वंचित लाभार्थियों को हटा दिया।
    • रिपोर्ट में लाभार्थियों को किश्तें देने में देरी भी देखी गई, जिसके कारण घर बनाने में देरी हुई।
    • 90 मामलों में नाबालिगों को PMAY-G आवास स्वीकृत किया गया और उनके रिश्तेदारों को लाभ प्रदान किया गया।
    • आवास सॉफ्ट डेटा की जाँच की गई क्योंकि 1,246 मामलों में लाभार्थियों के नाम का उल्लेख नहीं किया गया था और 950 मामलों में लाभ जारी किया गया था।
      • आवास सॉफ्ट, एक वेब-आधारित लेन-देन संबंधी इलेक्ट्रॉनिक सेवा वितरण मंच है, जिसका उपयोग योजना के कार्यान्वयन और निगरानी में किया जाता है।
    • योजना की रूपरेखा यह निर्धारित करती है कि "विधवा/अविवाहित/अलग हुए व्यक्ति के मामले को छोड़कर घर का आवंटन पति और पत्नी के नाम पर संयुक्त रूप से किया जाएगा" का भी उल्लंघन किया गया था।

प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (PMAY-G)

  • इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिये आवास’ के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु शुरू किया गया था। ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती ‘इंदिरा आवास योजना’ (IAY) को 01 अप्रैल, 2016 को ‘प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण’ के रूप में पुनर्गठित किया गया था।
  • इसमें शामिल मंत्रालय ग्रामीण विकास मंत्रालय है।
  • जीवन व्यतीत कर रहे ग्रामीण परिवारों को आवासीय इकाइयों के निर्माण और मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में गरीबी रेखा (BPL) से नीचे वाले लोगों की पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना।
  • लाभार्थियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित लोग, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-एससी/एसटी वर्ग, विधवा महिलाएँ, रक्षाकर्मियों के परिजन, पूर्व सैनिक तथा अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति एवं अल्पसंख्यक शामिल हैं।
  • यूनिट सहायता की लागत को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मैदानी क्षेत्रों में 60:40 के अनुपात में तथा उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों के लिये 90:10 के अनुपात में साझा किया जाता है।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

  • अनुच्छेद 148 CAG के एक स्वतंत्र कार्यालय का प्रावधान करता है। यह भारत की सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है।
    • CAG से संबंधित अन्य प्रावधानों में अनुच्छेद 149-151 (कर्त्तव्य और शक्तियाँ, संघ व राज्यों के खातों का स्वरूप तथा अंकेक्षण रिपोर्ट), अनुच्छेद 279 (निवल आय का परिकलन इत्यादि) तथा तीसरी अनुसूची (शपथ अथवा प्रतिज्ञान) एवं छठी अनुसूची (असम, मेघालय, त्रिपुरा व मिज़ोरम राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन) शामिल हैं।
  • जनता के धन का संरक्षक और केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करता है।
  • भारत के राष्ट्रपति द्वारा 6 वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, के लिये नियुक्त किया जाता है।
  • CAG को राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के आधार पर, या तो साबित कदाचार या अक्षमता के आधार पर हटाया जा सकता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में जल्द ही 21 हवाई अड्डे होंगे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि विमानन क्षेत्र की तीव्र गति पर ज़ोर देते हुए यूपी 21 हवाई अड्डों वाला भारत का पहला राज्य बनने के लिये तैयार है।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के अनुसार, राज्य में पिछले 9 वर्षों में विमानन बुनियादी ढाँचे का तेज़ी से विकास हुआ है।
    • वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश में केवल 6 हवाई अड्डे थे और अब राज्य में 10 हवाई अड्डे हैं जिनमें अयोध्या में नव उद्घाटन हवाई अड्डा भी शामिल है।
    • यूपी में 5 और हवाई अड्डे होंगे, इनमें आज़मगढ़, अलीगढ, मोरादाबाद, श्रावस्ती तथा चित्रकूट में एक-एक हवाई अड्डा होगा।
  • राज्य के बजट 2024-25 के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार ने गौतम बुद्ध नगर ज़िले के जेवर में आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिये 1,150 करोड़ रुपए आवंटित किये।
  • प्रस्तावित धनराशि भारत सरकार की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS-UDAN) और उत्तर प्रदेश नागरिक उड्डयन संवर्धन नीति के उद्देश्यों के अनुरूप है।

क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS-UDAN)

  • यह योजना नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा क्षेत्रीय हवाई अड्डे के विकास और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये शुरू की गई थी।
  • यह राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति 2016 का एक हिस्सा है।
  • यह योजना 10 वर्ष की अवधि के लिये लागू है।
  • उद्देश्य:
    • भारत के सुदूर और क्षेत्रीय क्षेत्रों में हवाई कनेक्टिविटी में सुधार करना।
    • दूरस्थ क्षेत्रों का विकास और व्यापार एवं वाणिज्य तथा पर्यटन विस्तार को बढ़ाना।
    • आम लोगों को सस्ती दरों पर हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराना।
    • विमानन क्षेत्र में रोज़गार सृजन।

उत्तर प्रदेश नागरिक उड्डयन प्रोत्साहन नीति

  • उत्तर प्रदेश की नागरिक उड्डयन प्रोत्साहन नीति वर्ष 2017 में शुरू की गई थी।
  • इसका इरादा राज्य में इस क्षेत्र के विकास के लिये आवश्यक दिशा प्रदान करना है।
  • प्रोत्साहन प्रदान करके RCS के तहत नए मार्गों के विकास के माध्यम से हवाई कनेक्टिविटी में सुधार करना और यूपी के गैर-RCS हवाई अड्डों की इंटर-कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करना।
  • एयर कार्गो हब और पूर्ति केंद्रों के विकास का समर्थन करके यूपी में कृषि-निर्यात, अन्य खराब होने वाले सामान, विनिर्माण तथा ई-कॉमर्स व्यवसायों को बढ़ावा देना।
  • राज्य में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधाओं के विकास को सुविधाजनक बनाना।

उत्तर प्रदेश Switch to English

यूपी भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में सहायता करेगा

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कानपुर के साढ़ में रक्षा गलियारा में अडाणी समूह के गोला बारूद विनिर्माण परिसर का उद्घाटन किया।

मुख्य बिंदु:

  • उन्होंने बताया कि रक्षा गलियारे के सभी छह नोड रक्षा विनिर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं।
  • यूपी में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर के लिये IIT कानपुर और IIT बीएचयू को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित किया गया है।
  • सीएम ने यह भी घोषणा की कि नोएडा की स्थापना के 46 वर्ष बाद राज्य सरकार बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण के रूप में एक नया औद्योगिक शहर स्थापित करने जा रही है।

यूपी का रक्षा औद्योगिक गलियारा

  • यह एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र की विदेशी निर्भरता को कम करना है।
  • इसमें 6 नोड्स होंगे- अलीगढ़, आगरा, कानपुर, चित्रकूट, झाँसी और लखनऊ।
  • उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) को राज्य की विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर इस परियोजना को निष्पादित करने के लिये नोडल एजेंसी बनाया गया था।
  • इस कॉरिडोर/गलियारे का उद्देश्य राज्य को सबसे बड़े और उन्नत रक्षा विनिर्माण केंद्रों में से एक के रूप में स्थापित करना एवं विश्व मानचित्र पर लाना है।

रक्षा गलियारा (Defence Corridor)

  • रक्षा गलियारा एक मार्ग या पथ को संदर्भित करता है जिसका उपयोग सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों द्वारा रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्पादन के साथ-साथ रक्षा बलों हेतु उपकरण/परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिये किया जाता है।
  • इससे रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने और 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जिससे हमारा आयात कम होगा और अन्य देशों के लिये इन वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • यह प्रौद्योगिकियों के सहक्रियात्मक विकास के माध्यम से रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहन प्रदान करेगा, MSME और स्टार्ट-अप सहित निजी घरेलू निर्माताओं के विकास को बढ़ावा देगा।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड के राज्य वृक्ष का जल्दी खिलना जलवायु संकट की ओर इशारा

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश उम्मीद से पहले खिल गया है, जिससे वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों में चिंता बढ़ गई है।

मुख्य बिंदु:

  • यह पेड़, जिसे वैज्ञानिक रूप से रोडोडेंड्रोन के नाम से जाना जाता है, लाल फूलों के जीवंत प्रदर्शन के लिये जाना जाता है जो उत्तराखंड की पहाड़ियों पर उगते हैं क्योंकि यह पेड़ की जंगली झाड़ियों से फूटता है।
  • ICAR-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह जलवायु परिवर्तन के कारण छद्म-फूलना या जबरन फूलना है।
  • सामान्यतः ये फूल मध्य ऊँचाई वाले इलाकों में मार्च और अप्रैल के दौरान खिलते हुए देखे जाते हैं।
  • असमय खिलने से फूल की औषधीय क्षमता में संभावित कमी को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
    • पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिन C की प्रचुरता के लिये प्रसिद्ध, यह फूल पहाड़ी बीमारी एवं मौसमी बीमारियों को कम करने के लिये एक क्षुधावर्धक के रूप में भी खाया जाता है।
    • यह महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव को कम करने में अपनी प्रभावशीलता के लिये पहचाना जाता है।
    • फूल में हृदय, यकृत, त्वचा की एलर्जी और एंटीवायरल उद्देश्यों के लिये फायदेमंद औषधीय गुण होते हैं।
  • मौसम विज्ञानियों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम का सामान्य प्रारूप बदल रहा है, जिससे असामान्य तापमान और कम बारिश हो रही है।
  • सामान्य शीतकालीन विक्षोभ जो यहाँ ठंड का मौसम लाते हैं, कमज़ोर रहे हैं, कम हो रहे हैं और उतने मज़बूत नहीं हैं।
    • इसके चलते पहाड़ी इलाकों में दिसंबर और जनवरी में पर्याप्त बारिश नहीं हुई। उच्चतम और न्यूनतम दोनों तापमान सामान्य से अधिक थे।
    • जैसे-जैसे दुनिया गर्म हो रही है, वैज्ञानिकों को चिंता है कि वनस्पतियों तथा जीवों में इस तरह के और बदलाव होने की उम्मीद है।

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (CSSRI)

  • यह उच्च शिक्षा का एक स्वायत्त संस्थान है, जिसे मृदा विज्ञान के क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान के लिये कृषि मंत्रालय द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की छत्रछाया में स्थापित किया गया है।
  • यह संस्थान करनाल, हरियाणा में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी।


बिहार Switch to English

बिहार लघु उद्यमी योजना 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार सरकार ने 'बिहार लघु उद्यमी योजना 2024' के तहत लगभग 94 लाख परिवारों को प्रति परिवार 2 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की।

मुख्य बिंदु:

  • मुख्यमंत्री ने आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे परिवारों को अपना व्यवसाय शुरू करने में सहायता करने के लिये बिहार लघु उद्यमी योजना की शुरुआत की।
  • योजना के तहत 50 लाभार्थियों का चयन कंप्यूटर रैंडमाइजेशन प्रणाली के माध्यम से किया गया था।
  • अधिकारियों के अनुसार, राज्य में 2.76 करोड़ लोगों ने जाति-आधारित जनगणना में भाग लिया, जिसमें 94 लाख परिवार प्रति माह 6000 रुपए से कम कमाते थे।

बिहार लघु उद्यमी योजना

  • वर्ष 2024 में शुरू की गई यह योजना स्वरोज़गार और उद्यमिता के लिये प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • योजना के तहत, निवेशक लघु-कुटीर/कुटीर उद्योगों को वित्त पोषित कर सकते हैं, जैसे– हस्तशिल्प, कपड़ा, सेवा क्षेत्र और विद्युत के सामान।
  • अप्राकृतिक या आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में, असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों को अब 2 लाख रुपए (पहले 1 लाख रुपए) और 1 लाख रुपए (पहले 75,000 रुपए) का मुआवज़ा मिलेगा।


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