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आना सागर झील
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च नयायालय ने राजस्थान सरकार को अजमेर की आना सागर झील किनारे बने सेवेन वंडर्स और फूड कोर्ट को हटाने का आदेश दिया।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- सर्वोच्च नयायालय ने सेवन वंडर पार्क को छह महीने के भीतर हटाने या अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है, जबकि फूड कोर्ट को 7 अप्रैल, 2025 तक पूरी तरह ध्वस्त करने का आदेश दिया गया है।
- इसके अतिरिक्त, नयायालय ने स्पष्ट किया कि वेटलैंड क्षेत्र को जितना नुकसान पहुँचा है, उतना ही नया वेटलैंड सिटी एरिया में विकसित किया जाए।
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी झील के वेटलैंड क्षेत्र को नुकसान पहुँचाने को लेकर कड़ा रुख अपनाया था।
- याचिका
- अजमेर के पूर्व पार्षद ने आना सागर झील के किनारे अवैध निर्माण को लेकर आपत्ति जताई थी।
- उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्माण वेटलैंड क्षेत्र और मास्टर प्लान की अवहेलना कर किया गया था।
- इसको लेकर उन्होंने NGT में याचिका दायर की थी, जिसके बाद अगस्त 2023 में निर्माण हटाने के आदेश जारी किये गए।
- इन आदेशों के खिलाफ अजमेर विकास प्राधिकरण ने जनवरी 2024 में सर्वोच्च नयायालय में अपील की थी।
आनासागर झील
- अजमेर में स्थित यह एक कृत्रिम झील है, जिसका निर्माण पृथ्वीराज चौहान के पिता अरुणोराज या आणाजी चौहान ने बारहवीं शताब्दी के मध्य (1135-1150 ईस्वी) करवाया था।
- आणाजी द्वारा निर्मित कराए जाने के कारण ही इस झील का नाम आणा सागर या आना सागर पड़ा।
- आना सागर झील का विस्तार लगभग 13 किमी. की परिधि में फैला हुआ है।
- बाद में, मुगल शासक जहाँगीर ने झील के प्रांगण में दौलत बाग का निर्माण कराया,जिसे सुभाष उद्यान के नाम से भी जाना जाता है।
- शाहजहाँ ने 1637 ईस्वी में इसके आसपास संगमरमर की बारादरी (पवेलियन) का निर्माण कराया, जो झील की सुंदरता को और बढ़ाता है।
- आना सागर झील अजमेर का प्रमुख जल स्रोत होने के साथ-साथ स्थानीय जैवविविधता और प्रवासी पक्षियों के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


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हरियालो राजस्थान अभियान
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने "हरियालो राजस्थान अभियान" के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 में 10 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
मुख्य बिंदु
- अभियान के बारे में:
- हरियालो राजस्थान अभियान की शुरुआत 7 अगस्त 2024 को हरियाली तीज के अवसर पर की गई।
- राज्य के मुख्यमंत्री ने दूदू ज़िले के गाहोता में एक पीपल का पौधा लगाकर इस अभियान का शुभारंभ किया।
- 'एक पेड़ माँ के नाम' अभियान से प्रेरित होकर, राज्य सरकार ने 'मिशन हरियालो राजस्थान' के तहत अगले पाँच वर्षों में 50 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।
- इसके अंतर्गत वर्ष 2024-25 में 7 करोड़ पौधे लगाए गए।
- उद्देश्य:
- राजस्थान को हरा-भरा बनाना और वन क्षेत्र का विस्तार करना।
- पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संतुलन बनाए रखना।
- जैवविविधता का संरक्षण एवं वन्यजीवों के लिये बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित कर वृक्षारोपण को जन आंदोलन बनाना।
- मरुस्थलीकरण को रोकना और मृदा संरक्षण को बढ़ावा देना।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान
- परिचय
- यह एक विशेष देशव्यापी वृक्षारोपण अभियान है, जिसे 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया है।
- इस अभियान के तहत लोगों को अपनी माँ के प्रति प्रेम, आदर और सम्मान के प्रतीक के रूप में एक पेड़ लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है और पेड़ों और धरती माँ की रक्षा करने का संकल्प भी लिया जाता है।
- उद्देश्य
- इस अभियान का उद्देश्य भूमि क्षरण की रोकथाम और क्षरित भूमि के पारिस्थितिक पुनर्स्थापन को सुनिश्चित करना है।
- इसके अतिरिक्त पर्यावरण संरक्षण और हरित आवरण को बढ़ावा देना है।
- इसका लक्ष्य सितंबर 2024 तक 80 करोड़ पेड़ और मार्च 2025 तक 140 करोड़ पेड़ लगाना है।
- रणनीति:
- यह अभियान "संपूर्ण सरकार" और "संपूर्ण समाज" की अवधारणा पर आधारित है, जो नागरिकों, समुदायों और स्थानीय प्रशासन की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से भारत के हरित आवरण के पुनर्जीवन के लिये सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित करता है।

