उत्तर प्रदेश Switch to English
गणतंत्र दिवस परेड में उत्तर प्रदेश की झाँकी
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश की गणतंत्र दिवस झाँकी में प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का उत्सव मनाया गया, जिसमें ' समुद्र मंथन', 'अमृत कलश' और संगम तट पर स्नान करते संतों को दर्शाया गया।
मुख्य बिंदु
- मुख्य विषय एवं केंद्र:
- 76वें गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य आकर्षण संविधान लागू होने के पूरे 75 वर्ष, रहा।
- इस झाँकी का थीम या विषय 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' था, जो भारत की विरासत और प्रगति पर प्रकाश डालता है।
- उत्तर प्रदेश की झाँकी की मुख्य विशेषताएँ:
- झाँकी में महाकुंभ 2025 की भव्यता को दर्शाया गया तथा विरासत और विकास के संगम का चित्रण किया गया।
- आगे की ओर झुका हुआ एक प्रमुख 'अमृत कलश' पवित्र 'अमृतधारा' के प्रवाह का प्रतीक है।
- ऋषियों और मुनियों को शंख बजाते, संगम पर स्नान करते और ध्यान करते हुए दर्शाया गया है, जबकि भक्तगण गंगा, यमुना और प्राचीन सरस्वती के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं।
- पौराणिक एवं सांस्कृतिक चित्रण:
- झाँकी में 'समुद्र मंथन' की पौराणिक कथा का जीवंत चित्रण किया गया, जो महाकुंभ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व का प्रतीक है।
- पीछे की ओर समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों को कलात्मक ढंग से दर्शाया गया।
- महाकुंभ 2025 की तकनीकी विशेषताएँ:
- झाँकी में कुंभ में कुशल सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिये एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (ICCC) के माध्यम से तकनीकी प्रगति पर ज़ोर दिया गया है।
- यह विशाल सभा के प्रबंधन के लिये अत्याधुनिक डिजिटल तैयारियों पर प्रकाश डालता है।
गणतंत्र दिवस
- गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान को अपनाने तथा देश के गणतंत्र में परिवर्तन की याद में मनाया जाता है, जो 26 जनवरी, 1950 को प्रभावी हुआ।
- संविधान को भारत की संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया तथा 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया।
भारतीय संविधान ने 26 जनवरी, 1950 को प्रभावी होने पर भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 और भारत सरकार अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया। भारत ब्रिटिश राज का अधिराज्य नहीं रहा और संविधान सहित एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया।
हरियाणा Switch to English
नीति आयोग का राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग की राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) 2025 रिपोर्ट में हरियाणा को 14वाँ स्थान दिया गया है, जो इसे 18 प्रमुख राज्यों में सबसे निचले पाँच राज्यों में शामिल करता है।
- रैंकिंग में पाँच मापदंडों पर विचार किया जाता है: व्यय की गुणवत्ता, राजस्व संग्रहण, राजकोषीय विवेकशीलता, ऋण सूचकांक और ऋण स्थिरता।
मुख्य बिंदु
- FHI का दायरा:
- यह सूचकांक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP), जनसांख्यिकी, सार्वजनिक व्यय, राजस्व और राजकोषीय स्थिरता में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले 18 प्रमुख राज्यों को कवर करता है।
- यह वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 की अवधि के लिये राजकोषीय प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
- हरियाणा का प्रदर्शन:
- ऋण प्रोफ़ाइल और चिंताएँ:
- हरियाणा का ऋण-GSDP अनुपात वर्ष 2018-19 में 26% से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 33% हो गया, जो वर्ष 2022-23 में 31% पर स्थिर हो गया।
- वर्ष 2022-23 में ब्याज भुगतान में 9.4% की वृद्धि हुई, जिसमें ब्याज भुगतान-से-राजस्व प्राप्ति अनुपात 23% रहा।
- ऋण सूचकांक पैरामीटर पर हरियाणा 15वें स्थान पर है, जो केवल केरल, पश्चिम बंगाल और पंजाब से आगे है।
- राजस्व एवं राजकोषीय घाटा:
- हरियाणा का राजस्व घाटा वर्ष 2022-23 में GSDP का 1.7% रहा, जो 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं को पूर्ण करने में विफल रहा।
- वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक राजकोषीय घाटे को मुख्य रूप से सार्वजनिक ऋण के माध्यम से वित्तपोषित किया गया, जिसमें बाज़ार उधार और केंद्र सरकार से ऋण शामिल हैं।
- व्यय की गुणवत्ता:
- व्यय की गुणवत्ता के मामले में हरियाणा 24.8 अंक के साथ 16वें स्थान पर है, जो केवल पंजाब और केरल से आगे है।
- GSDP की तुलना में पूंजीगत व्यय वृद्धि में वर्ष 2018-19 से गिरावट आई है, जो वर्ष 2022-23 में GSDP का केवल 1.4% रह गई है, जो बजट अनुमान से कम है।
- कुल व्यय के हिस्से के रूप में पूंजीगत व्यय वर्ष 2018-19 में 16.4% से घटकर वर्ष 2022-23 में 9.7% हो गया।
- हरियाणा के लिये अनुशंसाएँ:
- सामाजिक सेवाओं पर पूंजीगत व्यय बढ़ाया जाना।
- कर संग्रहण दक्षता में वृद्धि।
- ऋण स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक मजबूत राजकोषीय प्रबंधन ढाँचा स्थापित करना।
- अल्पावधि और मध्यमावधि राजकोषीय स्थिरता में सुधार के लिये राजस्व आधार को व्यापक बनाना और व्यय को युक्तिसंगत बनाना।
बिहार Switch to English
गणतंत्र दिवस: बिहार की झाँकी
चर्चा में क्यों?
गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झाँकी में क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया, जिसमें प्रतीकात्मक रूप से प्रतिष्ठित बोधि वृक्ष और प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को दर्शाया गया।
- प्रदर्शन में बिहार की ऐतिहासिक पहचान को 'बुद्ध की भूमि' और प्राचीन ज्ञान के केंद्र के रूप में उजागर किया गया।
मुख्य बिंदु
- बिहार की झाँकी:
- बिहार की झाँकी ने आठ वर्ष के अंतराल के बाद कर्त्तव्य पथ पर 76वें गणतंत्र दिवस परेड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
- झाँकी का केंद्रीय विषय 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' था और इसमें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को प्रमुखता से दिखाया गया था।
- झाँकी में भगवान बुद्ध की ध्यानमग्न धर्मचक्र मुद्रा में स्थापित प्रतिमा को दर्शाया गया, जो शांति और सद्भाव का प्रतीक है। प्रतिमा का मूल स्थान राजगीर में घोड़ा कटोरा जलाशय है।
- बिहार की झाँकी ने राज्य की ज्ञान और शांति की परंपरा को उजागर किया तथा ज्ञान, मोक्ष और शांति की भूमि के रूप में इसकी ऐतिहासिक पहचान पर ज़ोर दिया गया।
- ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का चित्रण:
- झाँकी में बोधगया के पवित्र बोधि वृक्ष, जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था और सम्राट कुमारगुप्त द्वारा 427 ई. में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों का चित्रण शामिल था।
- झाँकी ने विश्व के पहले आवासीय विश्वविद्यालय के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय की भूमिका पर ज़ोर दिया, जो ज्ञान का वैश्विक केंद्र था, जो चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत और अन्य स्थानों से विद्वानों को आकर्षित करता था।
- भित्ति चित्र और आधुनिक नवाचार:
- झाँकी के पार्श्व पैनल पर भित्तिचित्रों में चंद्रगुप्त मौर्य के मार्गदर्शक चाणक्य के योगदान को दर्शाया गया है तथा प्राचीन वैदिक सभाओं के दृश्यों को दर्शाया गया है, जिसमें लोकतांत्रिक शासन और न्यायिक प्रणालियों को दर्शाया गया।
- एक अन्य भित्तिचित्र में 'गुरु-शिष्य' परंपरा तथा गणित में आर्यभट्ट के योगदान पर प्रकाश डाला गया।
- एक LED स्क्रीन पर नवनिर्मित नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय परिसर को प्रदर्शित किया गया, जिसे कार्बन-तटस्थ और शुद्ध-शून्य स्थिरता लक्ष्यों के साथ डिज़ाइन किया गया है, जो आधुनिक शैक्षिक प्रगति को दर्शाता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
पद्म पुरस्कार 2025
चर्चा में क्यों?
बिहार से सात लोगों को प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों के लिये चयनित किया गया, जिनमें प्रख्यात गायिका शारदा सिन्हा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्त्ता आचार्य किशोर कुणाल शामिल हैं।
मुख्य बिंदु
- विजेताओं की घोषणा:
- केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की।
- देश भर से कुल 139 लोगों को विभिन्न श्रेणियों में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों के लिये चुना गया।
- पद्म विभूषण पुरस्कार:
- 'बिहार कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा को उनकी असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिये मरणोपरांत सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा।
- पद्म भूषण पुरस्कार:
- बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को सार्वजनिक मामलों के क्षेत्र में मरणोपरांत पद्म भूषण के लिये चुना गया है।
- देशभर में पद्म भूषण पाने वाले 19 लोगों में वे बिहार से एकमात्र व्यक्ति हैं।
- पद्म श्री पुरस्कार:
- प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता और महावीर संस्थान के संस्थापक किशोर कुणाल को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
- बिहार से पद्मश्री प्राप्त करने वाले अन्य लोगों में शामिल हैं:
- सामाजिक कार्य में भीम सिंह भावेश,
- हेमंत कुमार को चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये,
- कला क्षेत्र में योगदान के लिये निर्मला देवी,
- आध्यात्म में विजय नित्यानंद सूरिश्वर जी महाराज।
हरियाणा Switch to English
मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना 2.0
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना 2.0 के तहत ड्रॉ के माध्यम से 20 ज़िलों में 4,533 लाभार्थियों को भूखंड आवंटित किये।
मुख्य बिंदु
- प्रथम चरण में आवंटित आवासीय भूखंड:
- 20 ज़िलों की ग्राम पंचायतों में सभी पात्र आवेदकों को 100 वर्ग गज के भूखंड आवंटित किये गए:
- अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, फतेहाबाद, गुरूग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र, नारनौल, नूंह, पलवल, पानीपत, रेवाडी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर।
- जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, भिवानी, फतेहाबाद, रोहतक और हिसार ज़िलों के घुमंतू जाति, विधवा और अनुसूचित जाति के पात्र आवेदकों को भी 100 वर्ग गज के भूखंड प्राप्त हुए।
- महाग्राम पंचायत बहल में पात्र आवेदकों को 50 वर्ग गज के भूखंड आवंटित किये गए।
- 20 ज़िलों की ग्राम पंचायतों में सभी पात्र आवेदकों को 100 वर्ग गज के भूखंड आवंटित किये गए:
- आवंटन की विधि:
- पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए पात्र लाभार्थियों को आवासीय भूखंडों का आवंटन ड्रा सिस्टम के माध्यम द्वारा किया गया।