उत्तर प्रदेश Switch to English
CIL और UPRVUNL के बीच समझौता
चर्चा में क्यों?
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (UPRVUNL) ने प्रदेश में सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने हेतु समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।
मुख्य बिंदु
- समझौता ज्ञापन के बारे में:
- यह समझौता CIL की हरित ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक पहल का हिस्सा है और उत्तर प्रदेश की तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने की दिशा में एक मज़बूत कदम है।
- यह एक गैर-बाध्यकारी (Non-binding) समझौता है, जो उत्तर प्रदेश के भीतर 500 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया है।
- सौर ऊर्जा
- सौर ऊर्जा, जिसे सूर्य से प्राप्त ऊर्जा के रूप में जाना जाता है, एक स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा स्रोत है। यह सौर प्रौद्योगिकी के माध्यम से उपयोग की जाती है, जो मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
- सौर तापीय: इसमें सूर्य की ऊष्मा का उपयोग पानी को गर्म करने के लिये किया जाता है।
- सौर फोटोवोल्टिक (पीवी): इसमें सूर्य की किरणों को विद्युत ऊर्जा में बदलने के लिये फोटोवोल्टिक प्रभाव का उपयोग किया जाता है।
- सौर ऊर्जा का उपयोग:
- सौर प्रौद्योगिकियाँ मापनीय और लचीली होती हैं, जो पूरे शहर को सौर फार्मों के माध्यम से बिजली प्रदान कर सकती हैं।
- विकेंद्रीकृत प्रणालियों के द्वारा दूरदराज़ क्षेत्रों में भी बिजली की आपूर्ति की जा सकती है।
- छतों पर सौर पैनल लगाकर घरों और वाणिज्यिक भवनों को ऊर्जा प्रदान की जा सकती है।
- उदाहरण: कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा एक ऐसा उदाहरण है जहाँ सौर ऊर्जा का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है।
- सौर ऊर्जा, जिसे सूर्य से प्राप्त ऊर्जा के रूप में जाना जाता है, एक स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा स्रोत है। यह सौर प्रौद्योगिकी के माध्यम से उपयोग की जाती है, जो मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
- सौर ऊर्जा के महत्त्व:
- जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी।
- कार्बन उत्सर्जन को कम करना।
- वायु गुणवत्ता में सुधार।
- ऊर्जा तक पहुँच और सुरक्षा को बढ़ावा देना।
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL)
- परिचय: CIL भारत में एक सरकारी स्वामित्व वाली कोयला खनन कंपनी है, जो देश में कोयला संसाधनों के उत्पादन और प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1975 में की गई थी, जो विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक खनन कंपनी है।
- संगठनात्मक संरचना: CIL को 'महारत्न' सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ECL), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) जैसी 8 सहायक कंपनियों के माध्यम से कार्य करती है।
- महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (MCL) CIL की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक सहायक कंपनी है।
- सामरिक महत्त्व: भारत की स्थापित विद्युत क्षमता का आधे से अधिक हिस्सा कोयला आधारित है, जिसमें CIL देश के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 78% आपूर्ति करता है।
- भारत की प्राथमिक वाणिज्यिक ऊर्जा आवश्यकताओं में भी कोयले का योगदान 40% है।
- खनन क्षमता: आठ भारतीय राज्यों में CIL 84 खनन क्षेत्रों में कार्य करती है तथा कुल 313 सक्रिय खदानों का प्रबंधन करती है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (UPRVUNL)
- यह राज्य सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाला एक तापीय विद्युत उत्पादन उपक्रम है, जो प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित पाँच ताप विद्युत ग्रहों का संचालन करता है।
- इसका गठन 25 अगस्त 1980 को कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत किया गया था, ताकि राज्य में नवीन ताप विद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया जा सके।
- निगम द्वारा निर्मित प्रथम परियोजना ऊँचाहार ताप विद्युत ग्रह (2x210 मेगावाट) थी, जिसे 13 फरवरी 1992 को एन.टी.पी.सी. को हस्तांतरित कर दिया गया।
- बाद में, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत सुधार अधिनियम 1999 तथा उत्तर प्रदेश स्थानांतरण योजना 2000 के अंतर्गत उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का पुनर्गठन कर इसे तीन सार्वजनिक उपक्रमों में बाँटा गया—
- उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (विद्युत उत्पादन हेतु)
- उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (विद्युत वितरण हेतु)
- उत्तर प्रदेश पावर ट्रान्समिशन कारपोरेशन लिमिटेड (विद्युत पारेषण हेतु)।


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नोएडा में पहला 3nm चिप डिज़ाइन केंद्र शुरू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में भारत के पहले 3-नैनोमीटर (3nm) चिप डिज़ाइन केंद्र का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- 3nm तकनीक की उपलब्धि:
- यह तकनीक मौजूदा 7nm और 5nm की तुलना में कहीं अधिक उन्नत है।
- इससे उच्च प्रदर्शन, कम ऊर्जा खपत और अधिक कम्प्यूटिंग दक्षता संभव होती है।
- यह डिज़ाइन स्तर पर नवाचार की चरम सीमा का प्रतीक है, जिसे अब भारत में साकार किया जा रहा है।
- इस केंद्र की स्थापना रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया द्वारा की गई है, जो जापानी मूल की कंपनी है।
- सरकारी रणनीति का समर्थन:
- यह पहल भारत सरकार की सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को विकसित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
- सरकार सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में डिज़ाइन, निर्माण, ATMP (Assembly, Testing, Marking, Packaging) और संबंधित उपकरणों की आपूर्ति को समाहित कर रही है।
- यह भारत का सेमीकंडक्टर मिशन और Production Linked Incentive (PLI) योजना के अंतर्गत क्रियान्वित हो रही है।
- वैश्विक मान्यता और आत्मविश्वास:
- विश्व आर्थिक मंच (दावोस) जैसे वैश्विक मंचों पर भारत की सेमीकंडक्टर क्षमता को सराहा जा रहा है।
- इससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और निवेशकों में भारत को लेकर आत्मविश्वास बढ़ा है।
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)
- परिचय:
- ISM को वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तत्वावधान में कुल 76,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
- यह देश में संवहनीय सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले पारितंत्र के विकास के लिये एक व्यापक कार्यक्रम का अंग है।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर/अर्द्धचालक, डिस्प्ले विनिर्माण और डिज़ाइन पारितंत्र में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- परिकल्पना की गई है कि ISM सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उद्योग के वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में योजनाओं के कुशल, सुसंगत एवं सुचारू कार्यान्वयन के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।
- घटक:
- यह सेमीकंडक्टर फैब (विनिर्माण संयंत्र) की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जिसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर वेफर (पटलिका) फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना हेतु निवेश आकर्षित करना है।
- भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स स्थापित करने की योजना:
- सेमीकंडक्टर चिप्स:
- यह सेमीकंडक्टर (सिलिकॉन या जर्मेनियम) से बना एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के बेसिक बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में कार्य करता है।
- इन चिप्स में एक नाखून से भी छोटी चिप पर अरबों माइक्रोस्कोपिक स्विच हो सकते हैं।
- सेमीकंडक्टर चिप का मूल घटक छोटे ट्रांजिस्टर से निर्मित एक सिलिकॉन वेफर है, जो विभिन्न कम्प्यूटेशनल निर्देशों के अनुसार विद्युत् प्रवाह को नियंत्रित करता है।
- यह विभिन्न कार्य करता है, जैसे डेटा संसाधित करना, जानकारी संग्रहीत करना या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नियंत्रित करना आदि।
- ये स्मार्टफोन, कंप्यूटर और एकीकृत सर्किट सहित लगभग प्रत्येक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं।


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यूपीएससी के नए अध्यक्ष नियुक्त
चर्चा में क्यों?
पूर्व रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
मुख्य बिंदु
- संघ लोक सेवा आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग’ (UPSC) एक संवैधानिक निकाय है। भारतीय संविधान के भाग XIV में अनुच्छेद 315 से अनुच्छेद 323 के तहत संघ लोक सेवा आयोग की संरचना, उसके सदस्यों की नियुक्ति और निष्कासन तथा संघ लोक सेवा आयोग की शक्तियों और कार्यों से संबंधित प्रावधान किये गए हैं।
- सदस्यों की नियुक्ति: UPSC के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- कार्यालय: UPSC का कोई भी सदस्य छह साल की अवधि के लिये या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर रहेगा।
- पुनर्नियुक्ति: कोई भी व्यक्ति जो एक बार लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में पद धारण कर चुका है अपने कार्यालय में पुनर्नियुक्ति का पात्र नहीं होगा।
- त्यागपत्र: संघ लोक सेवा आयोग का कोई सदस्य भारत के राष्ट्रपति को लिखित त्यागपत्र देकर अपने पद से इस्तीफा दे सकता है।
- सदस्यों का निष्कासन/निलंबन: संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को भारत के राष्ट्रपति के आदेश से ही उसके पद से हटाया जाएगा।
- राष्ट्रपति अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को उसके कार्यालय पूर्ण होने से पूर्व भी निलंबित कर सकता है, जिसके संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का संदर्भ दिया गया है।
- पदच्युत: UPSC के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को हटाया जा सकता है यदि वह:
- दिवालिया घोषित किया गया है।
- अपने कार्यकाल के दौरान कार्यालय के कर्तव्यों के बाहर किसी भी भुगतान वाले रोजगार में संलग्न होता है।
- राष्ट्रपति की राय में मानसिक या शरीर की दुर्बलता के कारण पद पर बने रहने के लिये अयोग्य है।
- सेवा की शर्तों को विनियमित करना: UPSC के मामले में भारत के राष्ट्रपति की शक्ति:
- आयोग के सदस्यों की संख्या और उनकी सेवा की शर्तें निर्धारित करता है।
- आयोग के कर्मचारियों की संख्या और उनकी सेवा शर्तों के संबंध में प्रावधान करता है।
- शक्तियों पर प्रतिबंध: UPSC के सदस्यों की सेवा शर्तों में नियुक्ति के बाद किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं किया जाएगा।
- कार्यों का विस्तार करने की शक्ति: किसी राज्य का विधानमंडल संघ लोक सेवा आयोग या SPSC द्वारा संघ या राज्य की सेवाओं के संबंध में और कानून अथवा किसी सार्वजनिक संस्था द्वारा गठित किसी भी स्थानीय प्राधिकरण या अन्य निकाय कॉर्पोरेट की सेवाओं के संबंध में अतिरिक्त कार्यों के अभ्यास के हेतु प्रावधान कर सकता है।
- व्यय: आयोग के सदस्यों या कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन सहित UPSC का खर्च भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से लिया जाता है।
- रिपोर्ट प्रस्तुत करना: UPSC भारत के राष्ट्रपति को आयोग द्वारा किये गए कार्यों की एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
- जिन मामलों में आयोग की सलाह स्वीकार नहीं की गई हो उन मामलों के संदर्भ में राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रस्तुत करना होता है।
- अस्वीकृति के कारणों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व संसद के प्रत्येक सदन (Parliament) के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।

