राष्ट्रीय बालिका दिवस (NGCD) | हरियाणा | 27 Jan 2024
चर्चा में क्यों?
भारतीय समाज में लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने के लिये प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day- NGCD) मनाया जाता है।
- यह दिन लड़कियों के सामने आने वाली असमानताओं के बारे में जागरूकता लाने और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तथा पोषण में समान अवसरों का समर्थन करने पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु:
- NGCD की स्थापना वर्ष 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी।
- यह पहल बाल विवाह और लिंग आधारित हिंसा सहित लड़कियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को पहचानती है।
- NGCD ने 22 जनवरी, 2015 को शुरू की गई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (Save the Girl Child, Educate the Girl Child) की उद्घाटन वर्षगाँठ मनाई।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
- परिचय:
- यह योजना गिरते बाल लिंग अनुपात (CSR) और जीवन-चक्र निरंतरता में महिला सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिये शुरू की गई थी।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MW&CD), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MH&FW) और शिक्षा मंत्रालय का त्रि-मंत्रालयी प्रयास है।
- मुख्य उद्देश्य:
- लिंग आधारित चयन पर रोकथाम।
- बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के लिये शिक्षा की उचित व्यवस्था तथा उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।
- बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
- BBBP के तहत नवोन्वेषी हस्तक्षेप: जिन नवप्रवर्तनों ने लड़कियों के लिये एक सकारात्मक पारिस्थितिकी तंत्र/सक्षम वातावरण तैयार किया है, उनमें शामिल हैं:
- गुड्डी-गुड्डा बोर्ड: (सार्वजनिक रूप से जन्म सांख्यिकी का प्रदर्शन (लड़कों की तुलना में जन्म लेने वाली लड़कियों की संख्या)।
- उदाहरण: महाराष्ट्र के जलगाँव ज़िले ने डिजिटल गुड्डी-गुड्डा डिस्प्ले बोर्ड स्थापित किये हैं।
- लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ना और पुत्र-केंद्रित अनुष्ठानों को चुनौती देना: बालिका के जन्म का जश्न मनाना, बालिका के मूल्य पर विशेष दिन समर्पित करना, बालिका के पोषण और देखभाल का प्रतीक वृक्षारोपण अभियान।
- उदाहरण: कुड्डालोर (तमिलनाडु), सेल्फी विद डॉटर्स (जींद ज़िला, हरियाणा)।