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स्टेट पी.सी.एस.

  • 26 Nov 2024
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मध्य प्रदेश Switch to English

कैबिनेट ने रेलवे परियोजनाओं को मंज़ूरी दी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने रेल मंत्रालय की तीन परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है, जिनकी कुल लागत लगभग 7,927 करोड़ रुपए है।

  • परियोजनाओं में जलगाँव-मनमाड चौथी लाइन (160 किमी.), भुसावल-खंडवा तीसरी और चौथी लाइन (131 किमी.) और प्रयागराज (इरादतगंज)-मानिकपुर तीसरी लाइन (84 किमी.) शामिल हैं।

मुख्य बिंदु

  • प्रस्तावित बहु-ट्रैकिंग परियोजनाओं का उद्देश्य रेलवे परिचालन को आसान बनाना और भीड़भाड़ को कम करना है तथा उच्च यातायात वाले मुंबई-प्रयागराज मार्ग पर महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की आवश्कताओं को पूर्ण करना है।
  • परियोजना कवरेज और नेटवर्क विस्तार:
    • ये परियोजनाएँ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात ज़िलों में विस्तृत हैं, जिससे भारतीय रेलवे नेटवर्क का लगभग 639 किलोमीटर तक विस्तार होगा।
    • दो आकांक्षी ज़िलों, खंडवा और चित्रकूट में कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी , जिससे 1,319 गाँवों और लगभग 38 लाख की जनसंख्या को लाभ मिलेगा।
    • ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरकों, कोयला, इस्पात, सीमेंट और कंटेनरों के परिवहन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • मुंबई-प्रयागराज-वाराणसी मार्ग पर बेहतर कनेक्टिविटी से अतिरिक्त यात्री ट्रेनों की सुविधा मिलेगी, जिससे नासिक (त्र्यंबकेश्वर), खंडवा (ओंकारेश्वर), वाराणसी (काशी विश्वनाथ), प्रयागराज, चित्रकूट, गया और शिरडी जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को लाभ होगा।
  • पर्यटन संवर्द्धन:

यावल वन्यजीव अभयारण्य

  • स्थान: 
    • यह महाराष्ट्र के जलगाँव ज़िले में अन्नेर और मंजर नदियों के तट पर और मध्य प्रदेश की सीमा के पास  स्थित है।
  • आकार: 
    • इसका क्षेत्रफल लगभग 176 वर्ग किलोमीटर है।
  • संरक्षण स्थिति: 
    • इसे वर्ष 1969 में आधिकारिक तौर पर संरक्षित क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई। 
  • वन्यजीव: 
    • यह विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का घर है, जिनमें सांभर, तेंदुए, जंगली सूअर, हिरण, साही और साँप शामिल हैं। 
  • वनस्पति: 
    • इसमें ऐन, बांस, धावड़ा, लेंडिया, तिवसा, सलाई, सागौन, स्टरकुलिया और कुसुम शामिल हैं। 



राजस्थान Switch to English

एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार एक एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति (Integrated Clean Energy Policy) शुरू करने के लिये तैयार है, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र में कई नए प्रोत्साहन शामिल हैं, जिनमें पंप भंडारण, हरित हाइड्रोजन, बैटरी भंडारण और जैव-ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्र शामिल हैं 

  • जयपुर में राज्य सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों के साथ 6.57 लाख करोड़ रुपए के समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

मुख्य बिंदु

  • ऊर्जा पूर्व शिखर सम्मेलन में राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य राजस्थान को एक ऊर्जा-अधिशेष राज्य बनाना है, जो अपनी ऊर्जा मांगों को पूर्ण करने में सक्षम हो तथा दूसरों की सहायता कर सके।
  • नवीकरणीय ऊर्जा की ओर परिवर्तन:
    • मुख्यमंत्री ने नई स्वच्छ ऊर्जा नीति के महत्व पर चर्चा की और राजस्थान में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास की दिशा में ध्यान केंद्रित किया। इस नीति के अंतर्गत 2,245 मेगावाट क्षमता वाले विश्वस्तरीय सौर पार्क की स्थापना की जाएगी, जिससे 325 दिनों से अधिक की वार्षिक धूप का उपयोग किया जा सकेगा।
    • नीति का उद्देश्य सौर, पवन और हाइब्रिड प्रौद्योगिकियों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में राजस्थान की क्षमता का लाभ उठाना है।
  • शिखर सम्मेलन पूर्व एवं निवेश प्रस्ताव:
  • रोज़गार सृजन और आर्थिक प्रभाव:
    • निवेश प्रस्तावों से जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के माध्यम से राजस्थान में लगभग 70,000 नए रोजगार सृजित होने की आशा है।



हरियाणा Switch to English

बीमा सखी

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री 9 दिसंबर, 2024 को महिलाओं के लिये 'बीमा सखी' योजना का शुभारंभ करने हेतु पानीपत का दौरा करेंगे। यह ध्यान देने योग्य है कि उन्होंने 22 जनवरी 2015 को पानीपत से 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान की शुरुआत की थी।

मुख्य बिंदु

  • हरियाणा के मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन द्वारा समन्वित आगामी कार्यक्रम की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने के लिये क्षेत्र का दौरा किया।
    • इस बात पर ज़ोर दिया गया कि यह कार्यक्रम महिला सशक्तीकरण का एक दृढ़ संदेश देगा।
    • उन्होंने पानीपत में शुरू किये गए 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान को लाखों बालिकाओं की जान बचाने का श्रेय दिया।
  • 'बीमा सखी' योजना का शुभारंभ:
    • मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री 'बीमा सखी' योजना का शुभारंभ करेंगे, जिसका उद्देश्य राज्य भर में महिलाओं को सशक्त बनाना और लाभान्वित करना है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना

  • परिचय:
    • यह योजना प्रधानमंत्री द्वारा 22 जनवरी, 2015 को शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य बाल लिंग अनुपात (CSR) में कमी लाना तथा जीवन-चक्र में महिला सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दों का समाधान करना था।
    • यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MW&CD), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MH&FW) तथा शिक्षा मंत्रालय का त्रि-मंत्रालयीय प्रयास है।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • लिंग-पक्षपाती लिंग-चयनात्मक उन्मूलन की रोकथाम।
    • बालिकाओं के जीवन और संरक्षण को सुनिश्चित करना।
    • बालिकाओं की शिक्षा एवं भागीदारी सुनिश्चित करना।
    • बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
  • BBBP के अंतर्गत नवीन हस्तक्षेप: जिन नवाचारों ने लड़कियों के लिये सकारात्मक पारिस्थितिकी तंत्र/सक्षम वातावरण का निर्माण किया है, उनमें शामिल हैं:
    • गुड्डी-गुड्डा बोर्ड: जन्म के आँकड़ों का सार्वजनिक प्रदर्शन (लड़कियों की संख्या बनाम लड़कों की संख्या)। उदाहरण: महाराष्ट्र के जलगाँव ज़िले में डिजिटल गुड्डी-गुड्डा डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए हैं।
    • लिंग आधारित रूढ़िवादिता को तोड़ना और पुत्र-केंद्रित रीति-रिवाज़ों को चुनौती देना: बालिका के जन्म पर उत्सव मनाना, बालिका के महत्त्व पर विशेष दिन समर्पित करना, बालिकाओं के पालन-पोषण और देखभाल के प्रतीक के रूप में वृक्षारोपण अभियान चलाना। उदाहरण: कुड्डालोर (तमिलनाडु), सेल्फी विद डॉटर्स (जींद ज़िला, हरियाणा)।



उत्तर प्रदेश Switch to English

भूमि अधिग्रहण नीतियों के विरुद्ध किसानों का विरोध प्रदर्शन

चर्चा में क्यों?

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषकों ने भूमि अधिग्रहण से जुड़ी अपनी लंबित समस्याओं के समाधान के लिये ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया।

मुख्य बिंदु

  • विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एवं मांगें:
    • इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने किया और अखिल भारतीय किसान सभा और भारतीय किसान परिषद ने इसका समर्थन किया।
    • वे उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं, जिसमें 10% विकसित भूमि और अधिग्रहित भूमि के लिये 64.7% बढ़ा हुआ मुआवज़ा शामिल है।
    • ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने पुष्टि की कि किसानों की मांगें पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जा चुकी हैं।
  • विरोध प्रदर्शन में भागीदारी और कार्यवाहियाँ:
    • गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और आगरा सहित लगभग 20 ज़िलों के किसान इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, जिसकी शुरुआत नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर रैली के साथ हुई, जिससे यातायात में मामूली बाधा उत्पन्न हुई।
    • यह विरोध प्रदर्शन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय के बाहर कई महीनों तक चले छोटे-छोटे प्रदर्शनों के बाद हुआ है, जिसके बारे में किसानों का मानना ​​था कि इसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला।
  • भविष्य की आंदोलन योजनाएँ:
  • मुआवजा और विकास संबंधी आरोप:
    • किसानों का आरोप है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे के विकास के लिये अपनी कृषि भूमि देने के बावजूद उन्हें उचित मुआवज़ा या विकसित भूखंड नहीं मिले हैं।


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